सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 1502/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, हरदोई द्वारा परिवाद संख्या- 102/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01-06-2016 के विरूद्ध)
श्रीमती मशालो देवी, पत्नी स्व० शिव नन्दन लाल, निवासी ग्राम- सादुल्लापुर पोस्ट आफिस साण्डी, तहसील बिलग्राम जिला हरदोई।
अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम
1- एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, मध्यांचल विद्युत वितरण खण्ड, सेकेण्ड, हरदोई।
2- चीफ इंजीनियर, यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 लखनऊ।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता श्री इशार हुसैन
दिनांक- 03-02-2020
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या– 102 सन् 2009 श्रीमती मशालो देवी बनाम अधिशाषी अभियन्ता, मध्यांचल विद्युत वितरण खण्ड, द्धितीय हरदोई व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, हरदोई द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 01-06-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद निरस्त कर दिया है जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद की परिवादिनी, श्रीमती मशालो देवी ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से कई तिथियों से अपील पर बल देने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इशार हुसैन उपस्थित आए हैं। अत: प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुनकर अपील का निस्तारण किया जा रहा है।
मैंने प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने ग्राम सादुल्लापुर पो0 आदमपुर जिला हरदोई में अपनी कृषि भूमि की सिंचाई हेतु नलकूप का विद्युत कनेक्शन लिया था और उसके विद्युत बिलों का भुगतान बराबर करती रही है। माह अगस्त 2008 से नलकूप का ट्रांसफार्मर खराब हो गया जिसके कारण उसकी फसलों की सिंचाई नहीं हो सकी और उसका लगभग 1,50,000/-रू० का नुकसान हुआ। उसने अवर अभियन्ता तथा जिलाधिकारी हरदोई और अधिशाषी अभियन्ता एवं महाप्रबन्धक उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लखनऊ को प्रार्थना पत्र दिया परन्तु उसका ट्रांसफार्मर ठीक नहीं कराया गया और न ही बदला गया। अत: उसने परिवाद प्रस्तुत कर 2,00,000/-रू० क्षतिपूर्ति की मांग की है और माह अगस्त 2008 से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि तक विद्युत देयों को माफ कर ट्रांसफार्मर बदलवाने का आदेश चाहा है।
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प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादिनी के विरूद्ध विद्युत देयों का बकाया है जिसको वसूलने की कार्यवाही की जा रही है। उसके विद्युत कनेक्शन पर लगातार विद्युत आपूर्ति की जाती रही है और नियमानुसार बिलों की वसूली की जा रही है। उसने असत्य एवं निराधार कथन के आधार पर परिवाद बकाया विद्युत बिलों के भुगतान से बचने के लिए प्रस्तुत किया है। परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादिनी के जिम्मा माह जुलाई 2008 तक 13,497/-रू० का विद्युत देय बकाया था और उसके बाद जुलाई 2014 तक उसके विरूद्ध 76,351/-रू० बकाया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह कहा है कि यदि यह माना जाए कि नलकूप से संबंधित ट्रांसफार्मर अगस्त 2008 में खराब हो गया जो वाद प्रस्तुत करने की तिथि तक नहीं बदला गया तो भी अपीलार्थी/परिवादिनी विद्युत देय से छूट प्राप्त करने की अधिकारी नहीं होगी क्योंकि ट्रांसफार्मर खराब होने की तिथि तक उसके विरूद्ध 13,497/-रू० का बकाया था जो बढ़कर जुलाई 2014 तक 76,351/-रू० हो गया है। अत: जिला फोरम ने आक्षेपित आदेश के द्वारा परिवाद निरस्त कर दिया है।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्य और साक्ष्य के अनुकूल है। अपील बलरहित है। अत: निरस्त किये जाने योग्य है।
मैंने अपील मेमों और प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।.
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जिला फोरम ने अपने निर्णय में इस बिन्दु पर कोई निष्कर्ष अंकित नहीं किया है कि क्या अगस्त 2008 से अपीलार्थी/परिवादिनी के नलकूप को आपूर्ति करने वाला ट्रांसफार्मर खराब रहा है और अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा शिकायत किये जाने के बाद भी विद्युत विभाग ने उसे ठीक कर अपीलार्थी/परिवादिनी को विद्युत आपूर्ति नहीं की है। अगस्त 2008 में अपीलार्थी/परिवादिनी के विरूद्ध विद्युत देय की अवशेष धनराशि 13,497/-रू० बतायी गयी है और जुलाई 2014 तक उसके विरूद्ध अवशेष धनराशि 76,351/-रू० बतायी गयी है। यह अवशेष धनराशि 76,351/-रू० जुलाई 2008 की बकाया धनराशि 13,497/-रू० के आधार पर है, यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है। निश्चित रूप से इस धनराशि में अगस्त 2008 के बाद की अवधि के विद्युत देयों की धनराशि शामिल है। प्रत्यर्थी/विपक्षीगण ने अपने लिखित कथन में यह कहा है कि अपीलार्थी/परिवादिनी को बराबर विद्युत आपूर्ति की जाती रही है। ऐसी स्थिति में इस बिन्दु को निर्णीत किया जाना आवश्यक है कि क्या अगस्त 2008 में अपीलार्थी/परिवादिनी के नलकूल को विद्युत आपूर्ति करने वाला ट्रांसफार्मर खराब हुआ है और उसके बाद अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा शिकायत किये जाने के बाद भी ठीक नहीं किया गया है तथा उसे विद्युत आपूर्ति नहीं की गयी है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि जिला फोरम का निर्णय अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाए कि जिला फोरम उभय-पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर अगस्त 2008 से ट्रांसफार्मर खराब होने और विद्युत आपूर्ति न होने के सम्बन्ध में अपीलार्थी/परिवादिनी के कथन पर विचार कर स्पष्ट निष्कर्ष अंकित करें और तदनुसार पुन: निर्णय और आदेश विधि के अनुसार पारित करें।.
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उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम उभय-पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर इस बिन्दु पर स्पष्ट निष्कर्ष अंकित करें कि क्या अपीलार्थी/परिवादिनी के ट्यूबवेल को आपूर्ति करने वाली विद्युत लाइन का ट्रांसफार्मर अगस्त 2008 से खराब है और अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा शिकायत करने के बाद भी उसे ठीक नहीं किया गया है तथा उसे विद्युत आपूर्ति नहीं की गयी है और तदनुसार अंतिम निर्णय और आदेश विधि के अनुसार पारित करें।
अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय-पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 23-04-2020 को उपस्थित हों।
जिला फोरम परिवाद की अग्रिम कार्यवाही करने से पूर्व अपीलार्थी/परिवादिनी को नोटिस जारी करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01