राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या– 933/2019
राजेन्द्र सिंह पुत्र विजय पाल सिंह ग्राम दादूपुर नीला परगना व तहसील सिकन्दराबाद जिला-बुलन्दशहर।
बनाम
अधिशाषी अभियन्ता पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड विद्युत वितरण खण्ड प्रथम बुलन्दशहर।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक 22.04.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील पांच वर्षो से लम्बित है। पूर्व में भी अनेको तिथियों पर अपीलार्थी के अधिवक्ता अथवा उनके द्धारा प्रेषित स्थगन प्रार्थना पत्र के कारण स्थगित की जाती रही है। पुन: आज अपीलार्थी के अधिवक्ता अनुपस्थित है।
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, बुलन्दशहर द्धारा परिवाद संख्या– 185/2013 राजेन्द्र सिंह बनाम अधिशाषी अभियन्ता में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.09.2017 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा दिनांक 14.09.2017 को निम्न तथ्य उल्लिखित करते हुये परिवाद को निरस्त किया है:-
‘’ पत्रावली प्रस्तुत हुई। पुकार पर परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है और न ही कोई स्थगन प्रार्थना पत्र दिया गया है। परिवादी की ओर से काफी समय से कोई उपस्थित नहीं हो रहा है और वह बराबर अनुपस्थित चल रहा है इसके अलावा परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद में पैरवी भी नहीं की है जबकि परिवादी को पैरवी हेतु अनेको अवसर दिये जा चुके है अतएव ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी प्रस्तुत परिवाद को आगे चलाने में कोई रूचि नहीं ले रहा है।
चूंकि परिवादी परिवाद में बराबर अनुपस्थित चल रहा है अतएव प्रस्तुत परिवाद परिवादी की अनुपस्थिति एवं पैरवी न करने के कारण निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाये।‘’
ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी की रूचि न तो जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद को गुण-दोष के आधार पर सुनवाई किये जाने में थी और न ही इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत अपील में सुनवाई के समय है।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात मेरे विचार से जिला आयोग ने उभय पक्षों द्वारा दाखिल सभी अभिलेखों व शर्तो का अवलोकन करते हुए साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है, जो कि तथ्यों एवं साक्ष्यों से समर्थित एवं विधि-सम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्धारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट न0- 1