( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :175/2023
श्री आवेज एन. लाल पुत्र श्री नथौनियल लाल निवासी-चर्च कम्पाउण्ड, जिला मौनपुरी।
बनाम्
।- एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, प्रथम, जिला मैनपुरी।
2-क्षेत्रीय अमीन, तहसील सदर, जिला मैनपुरी।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री अखिलेश त्रिवेदी।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 15-02-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-160/2018 श्री आवेज एन. लाल बनाम अधिशाषी अभियन्ता, दक्षिणांचल विद्युत पावर कार्पोरेशन लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 14-12-2022 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद निरस्त कर दिया है।
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी से एक घरेलू कनेक्शन लिया, जिस पर विपक्षी द्वारा मीटर लगाकर विद्युत की आपूर्ति दी गयी, जब विपक्षी संख्या-1 के कर्मचारी दिनांक 28-09-2011 को परिवादी के यहॉं मीटर रीडिंग लेने आये तो मीटर में रीडिंग प्रदर्शित नहीं हो रही थी तो उनके द्वारा कहा गया कि मीटर खराब है और दूसरा मीटर लगवाये। परिवादी ने इस संबंध में विपक्षी संख्या-1 से सम्पर्क किया और मीटर बदलने का निवेदन किया किन्तु विपक्षी संख्या-1 ने कोई ध्यान नहीं दिया। परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 को प्रार्थना पत्र दिया जिस पर उनके कर्मचारियों द्वारा परिवादी का मीटर बदल दिया गया। परिवादी विपक्षी से निरंतर बिल की मांग करता रहा परन्तु विपक्षी द्वारा उसे कोई बिल नहीं दिया गया। दिनांक 20-09-2017 को विपक्षी विभाग के कर्मचारी परिवादी के घर आये और बताया कि आपके ऊपर लाखों रूपयों का बिल बकाया हो गया है और अवैधानिक समाधान का रास्ता बताया जिसे परिवादी ने इंकार कर दिया, जिस पर विपक्षी विभाग द्वारा परिवादी को 7,24,056/-रू0 के अवैध बिल की नोटिस दी गयी। परिवादी इस संबंध में विपक्षी विभाग के कर्मचारियों एवं विपक्षी संख्या-1 से मिला, किन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी और विपक्षी संख्या-1 परिवादी से जबरन उक्त धनराशि वसूल करना चाहते हैं और उसके विद्युत संयोजन को काटने व
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परिवादी के विरूद्ध रिपोर्ट लिखाने की धमकी दे रहे हैं। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए कथन किया कि परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है और परिवादी को घरेलू कनेक्शन दिया जाना विपक्षी द्वारा स्वीकार किया और कथन किया कि परिवादी को उसके विद्युत कनेक्शन के संबंध में बिल दिये जाते रहे तथा परिवादी के घरेलू कनेक्शन का कोई विवाद नहीं है। परिवादी को जो नोटिस 7,24,056/-रू0 की दी गयी है वह रेस्टोरेंट की नोटिस है जो अवैध रूप से बिना कनेक्शन के विद्युत प्रयोग करते हुए पाया गया और उसी का बिल भेजा गया है। परिवादी को जो बिल भेजा गया है वह नियमानुसार है। उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा उभयपक्ष को विस्तार से सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्त विपक्षी के स्तर पर सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी न पाते हुए परिवादी का परिवाद निरस्त कर दिया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: अपील स्वीकार करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को निरस्त किया जावे।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन किया गया।
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अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1