Jaswant Singh filed a consumer case on 13 Sep 2022 against Ex. Eng. UPPCL in the Bahraich Consumer Court. The case no is CC/19/2016 and the judgment uploaded on 21 Sep 2022.
Uttar Pradesh
Bahraich
CC/19/2016
Jaswant Singh - Complainant(s)
Versus
Ex. Eng. UPPCL - Opp.Party(s)
Sri Madhav Raj Tiwari
13 Sep 2022
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बहराइच।
परिवाद की तिथि 02-02-2016
बहस की तिथि 06-09-2022
निर्णय की तिथि 13-09-2022
परिवाद सं0 19/2016
जसवंत सिंह बालिंग पुत्र हरिप्रसाद सिंह निवासी व पोस्ट कटघराकला थाना-रानीपुर तहसील-कैसरगंज जिला बहराइच। .........................................परिवादी।
परिवादी अधिवक्ता श्री माधवराज तिवारी।
बनाम
अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड बहराइच। ........................................विपक्षी।
विपक्षी अधिवक्ता श्री सतीशकुमार श्रीवास्तव।
उपस्थिति:- श्री ज्ञान प्रकाश तिवारी प्रथम, अध्यक्ष।
श्री अम्बिकेश्वर प्रसाद मिश्र, सदस्य।
डा0 मोनिका प्रियदर्शिनी, सदस्या।
निर्णय
ज्ञान प्रकाश तिवारी प्रथम, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित।
प्रिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी अधिशाषी अभियन्ता विद्युत विभाग बहराइच के विरुद्ध अपना विद्युत विच्छेदन तिथि 1-1-2002 के बाद की अवैध विद्युत बिल निरस्त करने एवं विच्छेदन के पूर्व की विद्युत बिल जमा कराने तथा शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक कष्ट के लिये मु0 25000/-रू0 एवं वाद व्यय हेतु मु0 3000/- रु0 बतौर क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी के कथनानुसार वह विपक्षी विद्युत विभाग का उपभोक्ता है जिसका कनेक्शन नं0-055170/491 तथा बुक संख्या-5315 है। परिवादी का विद्युत कनेक्शन विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा दिनांक 01-01-2002 को केबिल काटकर ले जाया गया तभी से कनेक्शन बन्द है। कनेक्शन कटने के बावजूद विद्युत विभाग द्वारा फर्जी बिल भेजा जा रहा है। जिसकी कई शिकायत परिवादी द्वारा उच्चाधिकारियों को किया गया परन्तु विपक्षी एवं विद्युत विभाग से संबंधित उच्चाधिकारीगण द्वारा विवाद का समाधान नही किया गया। अपितु फर्जी विद्युत बिल धनराशि की वसूली के संबंध में परिवादी के विरूद्ध आर.सी.जारी कर दी गयी। जिससे क्षुब्ध होकर प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है।
परिवाद दिनांक 8-2-2016 को पंजीकृत होकर विपक्षी अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड बहराइच को नोटिस भेजी गई, जिनके द्वारा विभागीय अधिवक्ता के माध्यम से उत्तर पत्र दाखिल किया गया।
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उत्तर पत्र कागज सं0-20 में विपक्षी द्वारा कहा गया है कि परिवादी विद्युत कनेक्शन धारक है। परिवादी द्वारा फोटोयुक्त प्रार्थना पत्र एवं नोटरी बयान हल्फी तथा क्षेत्रीय अवर अभियन्ता के द्वारा निर्धारित प्रारूप-2 पर विभागीय नियमानुसार विद्युत कनेक्शन विच्छेदन रिर्पोट विभाग को उपलब्ध नही कराया गया। इस कारण लेजर से विद्युत कनेक्शन विच्छेदित नही किया गया और न ही परिवादी द्वारा कनेक्शन काटने की फीस जमा किया गया।इस कारण विद्युत बिल जारी है।
अतिरिक्त कथन में विपक्षी द्वारा यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा यू.पी.इलेक्ट्रिीसिटी सप्लाई कोड की धारा 6.5 के अन्तर्गत किसी भी प्रकार का कोई परिवाद प्रश्नगत बिल तथा उसमें अंकित बकाये की धनराशि की किसी समस्या के बाबत में उत्तरदाता प्रतिपक्षी के समक्ष प्रस्तुत नही किया गया। इस कारण प्रस्तुत परिवाद समय पूर्व एवं निरस्त होने योग्य है। विपक्षी के अनुसार विद्युत उपभोग करने के कारण उपभोक्ता का विधिक दायित्व है कि अनुबन्ध शर्तो के आधार पर बिल धनराशि का भुगतान सुनिश्चित करे। परिवादी द्वारा विद्युत विच्छेदन संबंधी आवश्यक प्रक्रिया को पूरा नही किया गया है। इस कारण विद्युत बिल वर्तमान में जारी हो रहा है। विपक्षी द्वारा यह भी कहा गया है कि परिवादी द्वारा विवादित बिल के संबंध में कोई शिकायत अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड बहराइच के समक्ष नही किया गया है। विपक्षी द्वारा उत्तर पत्र में किये गये कथन के आधार पर परिवाद को निरस्त करने की याचना की गयी है।
परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में सूची पत्र कागज सं0-6 के माध्यम से कुल 4 कागजात क्रमशः परिवादी एवं अन्य उपभोक्ताओं की तरफ से पूर्व संविदाकर्मी श्री अरूण कुमार सिंह द्वारा विद्युत विभाग को प्रेषित नोटिस की फोटो प्रति कागज सं0-7/1 लगायत 7/2, जिलाधिकारी बहराइच एवं एस.डी.ओ. उपखण्ड तृतीय विद्युत विभाग को परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र मय रजिस्ट्री रसीद की फोटो कापी कागज सं0-8 एवं 9, परिवादी के शपथपत्र की फोटो प्रति कागज सं0-10 दाखिल है।
उपरोक्त के अलावा परिवादी की तरफ से सूची पत्र कागज सं0-24 के माध्यम से संविदाकर्मी श्री रामदेव सिह द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र की मूल प्रति कागज सं0-25, परिवादी जसवंत सिंह का शपथपत्र कागज सं0-26/1 लगायत 26/2, परिवादी के पहचान पत्र हेतु आधारकार्ड की फोटो प्रति कागज सं0-27, गवाह राजेश सिंह का शपथपत्र कागज सं0-28 गवाह महेश प्रताप सिंह का शपथपत्र कागज सं0-31 प्रस्तुत किया है।
परिवादी द्वारा अपनी लिखित बहस कागज सं0-32/1 लगायत 32/3 पत्रावली में दाखिल है। परिवादी की तरफ से सूची पत्र कागज सं0-37 के माध्यम से विद्युत विभाग के रजिस्टर/लेजर की फोटो प्रति कागज सं0-38 दाखिल है। पुनः परिवादी द्वारा सूची पत्र कागज सं0-41 के माध्यम से 4 कागजात क्रमशः
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धारा-80 की नोटिस की फोटो प्रति कागज सं0-42/1 लगायत 42/2 ,संबिदा श्रमिक श्रीराम देव द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र की फोटो प्रति कागज सं0-43, विद्युत विभाग के रजिस्टर/लेजर की फोटो प्रति कागज सं0-44, बकायेदारों के विद्युत विच्छेदन आदेश की छायाप्रति कागज सं0-45 दाखिल है।
अंत में परिवादी द्वारा सूची पत्र कागज सं0-47 के माध्यम से एक किता विद्युत बिल जमा रसीद दिनांकित 8-1-2001 की फोटो प्रति कागज सं0-48 विद्युत बिल दिनांकित 10-8-2002 की फोटो प्रति कागज सं0-49, एस.डी.ओ. को प्रेषित पत्र की फोटो प्रति कागज सं0-50, परिवादी के शपथपत्र की छाया प्रति कागज सं0-51, जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र, कागज सं0-52 व विद्युत विभाग के रजिस्टर/लेजर की फोटो प्रति कागज सं0-53 एवं सविदा श्रमिक द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र की फोटो प्रति कागज सं0-54 दाखिल है। (उक्त कागजात पहले से ही दाखिल है।)
विपक्षी की तरफ से जबाबदावा कागज सं0-20 के समर्थन मे अधिशासी अभ्यिन्ता आरिफ अहमद का शपथपत्र कागज सं0-21 के अतिरिक्त कोई अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नही है।
आयोग द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का सम्यक विश्लेषण किया गया।
परिवादी के अनुसार वह विपक्षी विद्युत विभाग से कनेक्शन नं0-055170/491 जिसका बुक सं0-5315 है, से विद्युत कनेक्शन लिया था। जिसके विद्युत बिल की कुछ धनराशि जमा की गयी थी। चॅूकि मीटर नही लगा था तथा परिवादी को कभी विद्युत बिल प्राप्त नही हुआ। इस कारण वह विद्युत बिल की बकाया धनराशि का भुगतान नही कर सका। इसी मध्य दिनांक 1-1-2002 को विपक्षी विद्युत विभाग की तरफ से उसका विद्युत कनेक्शन काट कर समस्त केबिल उठा ले गये । तब से परिवादी का विद्युत कनेक्शन बन्द है। फिर भी फर्जी विद्युत बिल बराबर भेजी जा रही है। परिवादी के अनुसार वह विद्युत विच्छेदन तिथि तथा उसके विरूद्ध जारी फर्जी बिल निरस्त करते हुये वांछित क्षतिपूर्ति दिलाया जाय।
विपक्षी विद्युत विभाग की तरफ से यह कहा गया कि संविदा शर्तो के अनुसार परिवादी को समस्त विद्युत बिल धनराशि जमा करना चाहिये।
उभय पक्ष के कथनों से यह तथ्य स्वीकृत है कि परिवादी विद्युत विभाग का वैध कनेक्शन धारक व उपभोक्ता रहा है। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि विपक्षी द्वारा दिनांक 1-1-2002 को विद्युत विच्छेदित कर समस्त केबिल उठा ले जाया गया। ऐसी स्थिति में अब एक मात्र विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादी विद्युत विच्छेदन तिथि दिनांक 1-1-2002 के पूर्व के एवं बाद की समस्त विद्युत बिल धनराशि अदा करने हेतु उत्तरदायी है ?
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उल्लेखनीय है कि विद्युत विभाग द्वारा जब यह तथ्य स्वीकार कर लिया गया है कि उन्होने परिवादी का विद्युत विच्छेदन दिनांक 1-1-2002 को कर दिया तथा समस्त केबिल उठा ले जाया गया तब केवल अभिलेखों में परिवादी के नाम दर्ज विद्युत कनेक्शन की समाप्ति का औपचारिक आदेश एवं बकाया देय के अलावा कुछ भी अवशेष नही बचता।
जहाॅतक विपक्षी विद्युत विभाग के इस कथन का संबंध है:- कि विद्युत विच्छेदन हेतु परिवादी द्वारा न तो कोई प्रार्थना पत्र व नोटरी शपथपत्र दिया गया और न ही क्षेत्रीय अवर अभियन्ता द्वारा प्रारूप-2 के माध्यम से विभाग को कोई रिर्पोट दी गयी। उक्त संबंध में परिवादी ने विद्युत विभाग के लेजर रजिस्टर की फोटो प्रति कागज सं0-38 प्रस्तुत है। जिसमें परिवादी जसवन्त सिंह का विद्युत कनेक्शन दिनांक 1-1-2002 से चालू नही है, इसका उल्लेख मौजूद है। उक्त के अलावा बकायेदारों द्वारा विपक्षी विद्युत विभाग को कारण बताओं नोटिस कागज सं0-7 जारी है। जिलाधिकारी व एस.डी.ओ. विद्युत उपखण्ड तृतीय को रजिस्ट्री द्वारा प्रें्रषित पत्र क्रमशः दिनांक 25-1-2016 एवं 27-9-2014 की फोटो प्रति पत्रावली में दाखिल किया है। जिससे यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा विपक्षी एवं संबंधित उच्चाधिकारियों को दिनांक 1-1-2002 को जब उसका विद्युत कनेक्शन काट दिया गया, उसके पूर्व के विद्युत बिल की बकाया धनराशि जमा कराये जाने हेतु रजिस्टीª द्वारा पत्र भेज दिये गये है। जिसपर विपक्षी द्वारा अबतक कोई आवश्यक कार्यवाही नही किया गया है।
उपरोक्त के अलावा विद्युत विभाग द्वारा परिवादी को लेजर से विद्युत कनेक्शन समाप्त करने की औपचारिकतापूर्ण करने हेतु न तो कोई लिखित सूचना दी गई है और न ही किसी मौखिक साक्षी ने ऐसा कोई कथन किया है। जब एक बार विद्युत विभाग द्वारा बिद्युत बिल धनराशि जमा न करने के एवज में परिवादी का
विद्युत कनेक्शन काटकर केबिल उठा ले जाया गया तथा आगे ऐसा कोई साक्ष्य नही हे जिससे यह साबित होता कि परिवादी दिनांक 1-1-2002 के बाद भी विद्युत उपभोग कर रहा है तब ऐसी स्थिति में लेजर से परिवादी का नाम काटना यह स्वयं विपक्षीगण के अधीन का मामला एवं औपचारिकता है। परिवादी का उससे कोई प्रत्यक्ष सरोकार नही है।
आयोग की राय में परिवाद पत्र के कथनों में पर्याप्त बल है। परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद इस रूप में स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी विद्युत वितरण खण्ड तृतीय कैसरगंज बहराइच को आदेशित किया जाता है कि वह
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परिवादी के विरूद्ध दिनांक 1-1-2002 के पश्चात की जारी की गयी विद्युत बिल को निरस्त करके दिनांक 1-1-2002 के पूर्व की बकाया विद्युत बिल की धनराशि यदि कोई हो 30 दिन के अन्दर तैयार करके परिवादी को उपलब्ध करावे।
उपरोक्त के अलावा विद्युत विभाग को आदेशित किया जाता है कि वह शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट हेतु मु0-3000/-रू0 तथा वाद व्यय के मद में मु0-2000/-रू0 कुल मु0-5000/-रू (पाॅंच हजार रूपये मात्र) की क्षतिपूर्ति धनराशि परिवादी को अदा करें।
निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारांे को निःशुल्क प्रदान की जाय।
(डा0मोनिका प्रियदर्शिनी) (अम्विकेश्वर प्रसाद मिश्र) (ज्ञान प्रकाश तिवारी प्रथम)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग, जिला उपभोक्ता आयोग, जिला उपभोक्ता आयोग,
बहराइच। बहराइच। बहराइच। यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित ,दिनांकित कर उद्घोषित किया गया।
(डा0मोनिका प्रियदर्शिनी) (अम्विकेश्वर प्रसाद मिश्र) (ज्ञान प्रकाश तिवारी प्रथम)
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग, जिला उपभोक्ता आयोग, जिला उपभोक्ता आयोग,
बहराइच। बहराइच। बहराइच।
उद्धोषित दिनांक 13-9-2022
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