राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-८४२/२००९
(जिला मंच, बहराइच द्वारा परिवाद सं0-९५/२००८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २२-०४-२००९ के विरूद्ध)
धनन्जय कुमार अग्रवाल पुत्र श्री शिवेन्द्र कुमार अग्रवाल निवासी मोहल्ला, मीरा खेल पुरा, जिला बहराइच।
.............. अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम्
१. महाप्रबन्धक, नार्थ-ईस्टर्न रेलवे, गोरखपुर, यू.पी.।
२. स्टेशन मास्टर, रेलवे स्टेशन, बहराइच।
३. जय नारायन तिवारी (मुख्य टिकट निरीक्षक) टी0सी0 बहराइज रेलवे स्टेशन, बहराइच।
...............प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री अरूण टण्डन विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री एम0एच0 खान विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : २८-०२-२०१७.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, बहराइच द्वारा परिवाद सं0-९५/२००८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २२-०४-२००९ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने दिनांक ०७-०६-२००८ को दून एक्सप्रेस गाड़ी सं0-३०१० में तृतीय वातानुकूलित शयनयान में देहरादून से लखनऊ के लिए बहराइच रेलवे स्टेशन के कम्प्यूटरीकृत आरक्षण केन्द्र से ३०-०४-२००८ को ०२ बर्थ आरक्षित करायी थीं। आरक्षण प्रतीक्षा सूची के अन्तर्गत हुआ था। दिनांक ०७-०६-२००८ तक बर्थ आरक्षण की पुष्टि न हो पाने के कारण परिवादी अन्य साधन से लखनऊ होता हुआ बहराइच आ गया। दिनांक १८-०६-२००८ को टिकट वापसी द्वारा निर्धारित
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धनराशि प्राप्त करने हेतु बहराइच रेलवे स्टेशन पर परिवादी द्वारा प्रार्थना पत्र प्रत्यर्थी सं0-३ को दिया गया, किन्तु टिकट की वापसी पर निर्धारित धनराशि अपीलार्थी/परिवादी को प्राप्त नहीं करायी गयी। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रेषित किया गया।
प्रत्यर्थीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रेषित किया गया, जिसके द्वारा यह अभिकथित किया गया कि परिवादी टिकट वापसी की धनराशि प्राप्त करने का नियमानुसार अधिकारी नहीं है। प्रत्यर्थीगण द्वारा यह भी अभिकथित किया गया कि प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकारी जिला मंच को प्राप्त नहीं है।
विद्वान जिला मंच ने परिवाद निरस्त कर दिया।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन एवं प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तक्र प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार विद्वान जिला मंच को नहीं है, क्योंकि प्रश्नगत परिवाद किराया वापसी से सम्बन्धित है। इस प्रकार के विवादों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार रेलवे दावा प्राधिकरण अधिनियम की धारा-१३ सपठित धारा- १५ व २८ के अन्तर्गत रेलवे दावा प्राधिकरण को है। इस सन्दर्भ में उनके द्वारा यूनियन आफ इण्डिया व अन्य बनाम राधा कृष्ण खन्ना, II (2005) CPJ 542 के मामले में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णय पर विश्वास व्यक्त किया गया।
मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये उपरोक्त निर्णय तथा रेलवे दावा प्राधिकरण अधिनियम की धारा-१३ सपठित धारा- १५ व २८ का हमने अवलोकन किया। मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये उपरोक्त निर्णय तथा रेलवे दावा प्राधिकरण अधिनियम की धारा-१३ सपठित धारा- १५ व २८ के आलोक में हमारे
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विचार से प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच को प्राप्त नहीं है। ऐसी परिस्थिति में प्रस्तुत परिवाद के सन्दर्भ में अपीलार्थी/परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं माना जा सकता। अपील में बल नहीं है। तद्नुसार अपील निरस्त करते हुए जिला मंच का प्रश्नगत आदेश पुष्टित होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला मंच, बहराइच द्वारा परिवाद सं0-९५/२००८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २२-०४-२००९ की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(राज कमल गुप्ता)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-४.