राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-११९६/२००२
(जिला मंच, मथुरा द्वारा परिवाद सं0-३६७/१९९३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०२-२००२ के विरूद्ध)
१. सिण्डिकेट बैंक, ब्रान्च-ग्राम व पोस्ट शेरगढ़, जिला मथुरा।
२. जनरल मैनेजर, सिण्डिकेट बैंक, हैड आफिस, मनीपाल, कर्नाटक स्टेट।
.............. अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम्
ईसब पुत्र श्री बाबू, निवासी ग्राम व पोस्ट शेरगढ, जिला मथुरा।
............... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री एम0एल0 वर्मा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : ३०-०३-२०१६.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला मंच, मथुरा द्वारा परिवाद सं0-३६७/१९९३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०२-२००२ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी बैंक से लेथ मशीन क्रय करने हेतु २५,०००/- रू० बतौर ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था। अपीलार्थी बैंक द्वारा यह कहा गया कि लेथ मशीन मै0 गुप्ता मशीनरी स्टोर द्वारा परिवादी को प्राप्त करायी जायेगी और उसी को चेक दिया जायेगा, जिस पर परिवादी सहमत हो गया। अपीलार्थी के कथनानुसार उसने अभिलेखों पर हस्ताक्षर कर दिए। अपीलार्थी के सम्बन्धित बैंक प्रबन्धक द्वारा प्रत्यर्थी को यह सूचित किया गया कि ऋण स्वीकृत किए जाने हेतु फाइल आगरा भेजी गयी है। स्वीकृति प्राप्त हो जाने के उपरान्त ही ऋण दिया जायेगा और उसके बाद ही लेथ
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मशीन मिलेगी। उसके २०-२५ दिन बाद परिवादी ने मैनेजर से सम्पर्क किया, किन्तु उसे मशीन प्राप्त नहीं करायी गयी, जबकि मै0 गुप्ता मशीनरी स्टोर को बैंक द्वारा चेक प्राप्त करा दिया गया। अपीलार्थी बैंक के सम्बन्धित मैनेजर ने मै0 गुप्ता मशीनरी स्टोर से सांठ-गांठ करके प्रत्यर्थी के साथ धोखा किया और २५,०००/- रू० प्रत्यर्थी के नाम ऋण स्वीकृति के आधार पर प्राप्त कर लिया।
जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी बैंक की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया। प्रत्यर्थी ने मै0 गुप्ता मशीनरी स्टोर, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार एवं तहसीलदार छाता, जिला मथुरा को पक्षकार बनाया, किन्तु अपीलार्थी बैंक के अतिरिक्त अन्य विपक्षीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया।
विद्वान जिला मंच ने परिवादी के परिवाद को स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया कि वे ऋण की बसूली परिवादी से न करें तथा परिवादी को ५००/- रू० परिवाद व्यय भी एक माह में अदा करें।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है। प्रत्यर्थी/परिवादी ईसब को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, किन्तु उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एल0 वर्मा के तर्क सुने। पत्रावली का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि मामले में प्रत्यर्थी/परिवादी ने उसके साथ धोखा किया जाना परिवाद में अभिकथित किया है। परिवादी को निर्विवाद रूप से २५,०००/- रू० का ऋण स्वीकृत किया गया। ऋण प्राप्ति से सम्बन्धित अभिलेख प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा हस्ताक्षरित किए गये। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि मै0 गुप्ता मशीनरी स्टोर का कुटेशन प्रस्तुत किया गया था एवं ऋण लेथ मशीन क्रय किए जाने हेतु स्वीकृत किया गया था। परिवादी ने लेथ मशीन प्राप्त होने के सम्बन्ध में पत्र लिखकर सम्बन्धित शाखा में दिया था तथा ओ0जी0 फार्म नं0-३ पर हस्ताक्षर
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भी किए थे। अत: ऋण की धनराशि का ड्राफ्ट जिस व्यक्ति से कुटेशन प्राप्त हुआ था, उसी के नाम दिया गया। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि चूँकि प्रत्यर्थी/परिवादी के अभिकथनों के अनुसार उसके साथ धोखा किया गया और लेथ मशीन उसे प्राप्त नहीं करायी गयी, अत: ऐसी परिस्थिति में इस मामले के निस्तारण हेतु विस्तृत परीक्षण की आवश्यकता होगी, जिससे समस्त मौखिक एवं अभिलेखीय साक्ष्य का विस्तृत विचारण सम्भव हो सके। ऐसे मामले उपभोक्ता मंच द्वारा परीक्षणीय नहीं माना जा सकता।
यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के पक्ष में अपीलार्थी बैंक द्वारा २५,०००/- रू० ऋण लेथ मशीन क्रय करने हेतु स्वीकृत किया गया और इस सम्बन्ध में अभिलेख प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा निष्पादित किये गये। अपीलार्थी का यह कथन है कि प्रश्नगत ऋण की धनराशि का ड्राफ्ट सम्बन्धित शाखा प्रबन्धक द्वारा डीलर के नाम जारी किया गया तथा प्रत्यर्थी/परिवादी से लेथ मशीन प्राप्त होने के सम्बन्ध में पत्र भी शाखा में लिखवा लिया गया। प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि अपने इन अभिकथनों के समर्थन में अपीलार्थी द्वारा कोई अभिलेखीय साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। अपीलार्थी से यह अपेक्षित था कि प्रश्नगत ऋण के डीलर को कथित भुगतान तथा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा लेथ मशीन प्राप्ति के सम्बन्ध में निष्पादित अभिलेख जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत करते, किन्तु ऐसी कोई साक्ष्य अपीलार्थी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गयी। अपील की सुनवाई के मध्य भी ये अभिलेख अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रस्तुत नहीं किए गये। ऐसी परिस्थिति में जब प्रश्नगत ऋण कथित रूप से क्रय की गई मशीन की प्राप्ति तथा ऋण भुगतान से सम्बन्धित साक्ष्य अपीलार्थी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गयी, तब जिला मंच द्वारा परिवादी का परिवाद स्वीकार करके हमारे विचार से कोई त्रुटि नहीं की गयी है।
मामले की परिस्थितियों को देखते हुए हमारे विचार से विवाद इस प्रकृति का नहीं है, जिसका विचारण उपभोक्ता मंच द्वारा नहीं किया जा सके। इस सन्दर्भ
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में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। अपील में बल नहीं है। तद्नुसार अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला मंच, मथुरा द्वारा परिवाद सं0-३६७/१९९३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०२-२००२ की पुष्टि की जाती है।
अपीलीय व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(महेश चन्द)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-५.