(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-678/2007
इरफान अहमद
बनाम
इम्पलाई प्राविडेन्ट फंड
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एच0 के0 श्रीवास्तव,
विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री दिनेश कुमार, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :28.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या– 67/2003, इरफान अहमद बनाम कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.12.2006 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। अपील पर उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्ता को सुना।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी लेबर ला के तहत मैकेनिकल एंड कोल्ड हैन्डलिंग डिवीजन विपक्षी संख्या-02 के यहां सुपरवाइजर के पद पर कार्य करता था तथा लेबर ला के अंतर्गत रजिस्टर्ड कामगार था। आवेदक की सैलरी से 10 प्रतिशत प्रतिमाह इम्पलाई प्राविडेन्ट फन्ड विपक्षी संख्या-01 के यहॉ जमा होता था। वर्ष 2001 तक इम्पलाई प्राविडेन्ट फन्ड विपक्षी संख्या-02 से काटकर विपक्षी संख्या-01 के यहॉ जमा होता रहा। वर्ष 2001 में परिवादी ने विपक्षी संख्या-02 के यहां काम छोड़ दिया तथा विपक्षी संख्या-01 से इम्पलाई फंड एवं अन्य कटौती के भुगतान का अनुरोध किया। वर्ष 1991 से 2000 तक कुल अंकन 43,920.00 रूपये ई. पी. एफ. जमा किया गया जो परिवादी को प्राप्त होना चाहिये। परिवादी अंकन 10,000.00 रूपये आने-जाने में खर्च कर चुका है।
3. विपक्षी संख्या-01 का कथन है कि परिवादी के ई०पी०एफ० खाता संख्या- यू0 पी0 818157/9 में दिनांक 01.10.1995 को केवल अंकन 5,266.00 रूपये क्रेडिट हुआ है जिसे प्राप्त करने के लिये परिवादी अधिकृत है।
4. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि बुक कराये गये वाहन तथा क्रय किये गये वाहन में अंकन 28,047.00 रू0 का अंतर है। वह इस राशि को अदा करने के लिये तैयार है।
5. जिला आयोग द्धारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी के खातें में अंकन 5,266.00 रूपये जमा है 08 प्रतिशत की ब्याज दर से गणना करने पर यह राशि अंकन 8,712.00 रूपये होती है। तद्नुसार इसी राशि के भुगतान का आदेश दिया गया।
6. इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध इरफान अहमद परिवादी द्धारा अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि जिला आयोग ने विधि विरूद्ध निर्णय पारित किया है। परिवादी समस्त ई० पी० एफ० की राशि प्राप्त करने के लिये अधिकृत है।
7. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता द्धारा अपने तर्क प्रस्तुत करते हुये कथन किया है कि परिवादी के खातें में वर्ष 1991 से 2000 तक कुल अंकन 33,920.00 रूपये जमा है इस लिये परिवादी इसी राशि को प्राप्त करने के लिये अधिकृत है। यथार्थ में ई० पी० एफ० के खातें में जो राशि जमा है ई० पी० एफ० केवल उसी राशि को अदा करने के लिये उत्तरदायी है तथा नियोक्ता का यह दायित्वहै कि वह अपने कार्मचारियों के ई० पी० एफ० खातें में नियमित रूप से धनराशि जमा करें। यदि नियोक्ता द्धारा धनराशि जमा नहीं की जाती है तब नियोक्ता के विरूद्ध आपराधिक एवं सिविल कार्यवाही संचालित की जा सकती है परन्तु उपभोक्ता वाद प्रस्तुत करते हुये नियोक्ता के विरूद्ध इस अनुतोष की मांग नहीं की जा सकती कि नियोक्ता ई० पी० एफ० खातें में समस्त धनराशि उपलब्ध कराये। उपभोक्ता विवाद केवल ई० पी० एफ० की राशि जो भविष्य निधि संगठन के पास मौजूद है कि, अदायगी तक ही विचार कर सकता है। किसी कर्मचारी तथा नियोक्ता के मध्य संबंध उपभोक्ता आयोग द्धारा संधारणीय नहीं है। उपभोक्ता आयोग केवल कर्मचारी तथा भविष्य निधि संगठन के विवाद का निस्तारण करने के लिये सक्षम है। भविष्य निधि संगठन इस राशि को भुगतान करने के लिये उत्तरदायी है जो नियोक्ता द्धारा उसके पास जमा करायी गई है जिसे अदा करने के लिये भविष्य निधि संगठन तत्पर भी है तथा उनको ब्याज सहित अदा करने के लिये आदेश पारित किया गया है। जो राशि संगठन के खाते में जमा नहीं है उस राशि को अदा करने का आदेश भविष्य निधि संगठन को नहीं दिया जा सकता। तद्नुसार अपील खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0, कोर्ट 3