Uttar Pradesh

Chanduali

CC/19/2009

SHIV PRASAD KESHRI - Complainant(s)

Versus

ELECTRICITY - Opp.Party(s)

03 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/19/2009
 
1. SHIV PRASAD KESHRI
MUGHALSARAI CHANDAULI
...........Complainant(s)
Versus
1. ELECTRICITY
CHANDAULI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. jagdishwar Singh PRESIDENT
 HON'BLE MR. Markandey singh MEMBER
 HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 19                               सन् 2009ई0
शिवप्रसाद केशरी पुत्र स्व0 हरी प्रसाद निवासी म0नं0 138/10मैनाताली गल्ला मण्डी मुगलसराय जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0 चन्दौली।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देवी मौर्या सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1-    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी द्वारा प्रेषित विद्युत बिल लगभग 3,44365/-को माफ कराये जाने एवं हर्जा के रूप में मु0 500/-व अन्य अनुतोष  दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    परिवाद में संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी 7 वर्ष पूर्व वर्ष 2001 में विपक्षी का उपभोक्ता रहा और उसने कुल 318 यूनिट विद्युत का उपभोग किया। विपक्षी के अधिनस्थ कर्मचारियों ने वर्ष 2001 में परिवादी के विद्युत कनेक्शन को काट दिया जिससे परिवादी को विद्युत मिलना बन्द हो गया। परिवादी विपक्षी से बार-बार 318 यूनिट के भुगतान लेने के बाद विद्युत कनेक्शन को जोड़ने का निवेदन किया परन्तु विपक्षी सुनवा नहीं हुए। विपक्षी द्वारा दिनांक 27-9-2007 को मु0 3,14202/-का गलत विद्युत बिल परिवादी को भेजा गया। जिसके लिए परिवादी विपक्षी के शिविर कार्यालय में गया एवं लिखित नोटिस दिया, परन्तु विपक्षी द्वारा कोई जबाब नहीं दिया गया। परिवादी वर्ष 2001 के बाद विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है और विपक्षी का कोई विद्युत बिल बाकी नहीं है क्योकि उसने विद्युत विच्छेदन के पूर्व ही मु0 7748/- जमा कर दिया था। विपक्षी द्वारा परिवादी के विद्युत विच्छेदन के बाद भी विद्युत बिल भेजा जा रहा है जो विपक्षी की सेवा में त्रुटि है। इस प्रार्थना के साथ परिवादी द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
3-    जबाबदावा में विपक्षी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद गलत आधार पर दाखिल किया गया है जो निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है क्योंकि उसका विद्युत कनेक्शन वाणिज्यिक है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के साथ जमा किये गये विद्युत बिल की रसीद दाखिल नहीं किया गया है। परिवादी अपने परिसर की भौगोलिक स्थिति का फायदा लेते हुए अपनी पत्नी के नाम से एक नवीन विद्युत कनेक्शन लेकर विद्युत का उपभोग कर रहा है और पुराने बकाये विद्युत बिल को अदा नहीं करना चाहता है। परिवादी ने अपने कनेक्शन के समस्त बकाये को अदा करके विद्युत विच्छेदन नहीं कराया है इसलिए उसका नाम लेजर से नहीं काटा 
2
गया है और न्यूनतम बिलिंग चालू है इसलिए परिवादी के जिम्मे वर्तमान समय में विद्युत बकाया मु0 501500/- हो गया है जिसे परिवादी को जमा करना है। परिवादी ने गलत तौर पर अपने विद्य़ुत बकाये को अदा करने से बचने के गरज से परिवाद प्रस्तुत किया है। इस आधार पर विपक्षी द्वारा परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने का प्रार्थना किया गया है।
4-    परिवादी की ओर से फेहरिस्त के साथ साक्ष्य के रूप में बिजली का बिल कागज संख्या 5/2 प्रस्तुत किया गया है। परिवादी की ओर से एक दूसरे फेहरिस्त के साथ विद्युत बिल जमा की रसीद कागज संख्या 15/2,मीटर की रसीद 15/3 दाखिल किया गया है।विपक्षी की ओर से कोई साक्ष्य नहीं किया गया है।
5-    बहस के समय परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षी के अधिवक्ता की बहस को सुनी गयी और परिवादी द्वारा  प्रस्तुत परिवाद पत्र,शपथ पत्र एवं साक्ष्य के अवलोकनोपरान्त यह निर्णय दिया जा रहा है।
6-    परिवाद में कथन किया गया है कि वर्ष 2001 ई. तक परिवादी विपक्षी उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0 का उपभोक्ता रहा है तथा कुल 318 यूनिट विद्युत का उपयोग उसके द्वारा किया गया है। विपक्षी के अधिनस्थ कर्मचारियों ने परिवादी का विद्युत कनेक्शन वर्ष 2001 में काट दिया तब से परिवादी को विद्य़ुत मिलना बन्द हो गया है। परिवादी द्वारा बार-बार निवेदन किया गया कि उससे 318 यूनिट विद्युत का भुगतान लेकर परिवादी का कनेक्शन जोड दिया जाय लेकिन विपक्षी द्वारा कोई सुनवाई नहीं किया गया तथा दिनांक 27-9-07 ई. को परिवादी के विरूद्ध मु0 314202/- का विद्युत बिल गलत ढंग से जारी कर दिया गया। इस प्रकार परिवादी द्वारा कथन किया गया है कि विपक्षी विद्युत वितरण खण्ड चन्दौली द्वारा सेवा में कमी किया गया है। इस बिन्दू पर हम लोगों द्वारा विचार किया गया।
7-    परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह उल्लेख नहीं किया है कि उसने कितने किलोवाट का तथा किस उद्देश्य से विद्युत कनेक्शन विपक्षी से किस तिथि को प्राप्त किया था। परिवाद में भी इस बात का कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने की तिथि के बाद परिवादी द्वारा कभी विद्युत बिल का भुगतान किया है कि नहीं। विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने परिवादी का विद्युत कनेक्शन कब काटा इसका न तो कोई तिथि दिया गया है और न ही कोई प्रमाण इस बारे में दिया गया है इस संदर्भ में विद्युत विभाग की ओर से प्रस्तुत जबाबदावा में विद्युत विच्छेदन के तथ्य को स्वीकार करते हुए यह स्पष्ट कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा कभी भी बकाया बिल का भुगतान करके विद्युत विच्छेदन नहीं कराया गया है। विद्युत विच्छेदन (पी.डी.) न कराने के कारण नियमानुसार परिवादी के विरूद्ध न्यूनतम विद्युत उपभोग के संदर्भ में बिल जारी किया गया है और वर्तमान समय में परिवादी के ऊपर विद्युत बकाया मु0 501500/-हो गया है। चूंकि परिवादी द्वारा विद्युत विच्छेदन कराने का न तो कोई स्पष्ट कथन किया गया है और न ही कोई प्रमाण दाखिल किया गया है इसलिए ऐसा कोई निष्कर्ष  नहीं 
3
निकलता है कि परिवादी के विरूद्ध जो बकाया विद्युत बिल परिवाद के कथनानुसार दिनांक 27-9-07 को मु0 314202/- था, वह गलत है। अतः परिवादी साबित नहीं कर पाया है कि उसे कोई गलत विद्युत बिल जारी करके विपक्षी द्वारा सेवा में कमी किया गया है।
8-    इस प्रकरण में विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से प्रस्तुत जबाबदावा में यह कथन किया गया है कि परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नही है क्योंकि उसने वाणिज्यिक विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया है। परिवादी की ओर से ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि उसने वाणिज्यिक कनेक्शन नहीं लिया था। उक्त स्थिति में विपक्षी का यह तथ्य प्रमाणित पाया जाता है कि परिवादी का विद्युत कनेक्शन वाणिज्यिक रहा है। अतः हम लोगों के विचार से परिवादी का विद्युत कनेक्शन वाणिज्यिक होने की वजह से परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 की उपधारा 1 (घ) के प्राविधानों के अन्र्तगत उपभोक्ता की श्रेणी में नही है इसलिए प्रस्तुत परिवाद जिला उपभोक्ता फोरम में चलने योग्य नहीं है। 
    उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों में प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
                           आदेश
    प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दपतर हो।

(मारकण्डेय सिंह)               (मुन्नी देबी मौर्या)                   (जगदीश्वर सिंह)
   सदस्य                        सदस्या                           अध्यक्ष
                                                           दिनांक 3-11-2014

 
 
[HON'BLE MR. jagdishwar Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Markandey singh]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.