Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/2397

Munna Lal - Complainant(s)

Versus

Electricity - Opp.Party(s)

S.K.Sharma

04 Jan 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/2397
( Date of Filing : 08 Apr 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Munna Lal
Mainpuri
...........Appellant(s)
Versus
1. Electricity
Mainpuri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Jan 2021
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0-  2397/2003

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0- 65/1995 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.07.2003 के विरुद्ध)

Munna lal S/o Sri Badri Prasad R/o House no. 204, Bharatval, District Mainpuri.                                                                                      

                                    …….Appellant

Versus

Executive Engineer, Electricity distribution division, Devi road, District, Mainpuri.                                                                             

                                  ………Respondent 

 

समक्ष:-                     

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी  की ओर से   : श्री एस0के0 शर्मा,  

                      विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से     : श्री दीपक मेहरोत्रा के

                      सहयोगी अधिवक्‍ता,

                      श्री मनोज कुमार।

                             

दिनांक:- 01.09.2021

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 65/1995 मुन्‍ना लाल बनाम अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्‍ड में पारित निर्णय व आदेश दि0 29.07.2003 के विरुद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अंतर्गत यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.        मामले के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने यह परिवाद इन आधारों पर प्रस्‍तुत किया है कि उसने विद्युत कनेक्‍शन हेतु विद्युत विभाग से प्रार्थना की थी एवं सभी औपचारिकतायें पूर्ण की थी। अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार वाद योजन की तिथि तक विद्युत कनेक्‍शन नहीं दिया गया और मीटर नहीं लगाया गया तथा बिना मीटर लगाये 3,390/-रू0 का बिल वसूली हेतु भेज दिया गया।

3.        प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने अपने वादोत्‍तर में कथन किया कि अपीलार्थी/परिवादी को विद्युत कनेक्‍शन माह जून 1991 में दे दिया गया था जिसका बुक सं0- 2090 तथा कनेक्‍शन सं0- 072898 है। चूँकि विद्युत प्रयोगशाला से परीक्षण होने के उपरांत मीटर उपलब्‍ध नहीं हो पाया और अपीलार्थी/परिवादी सीधे विद्युत लेता रहा जिस कारण उसे न्‍यूनतम विद्युत बिल अदा किए जाने हेतु बिल भेज जाते रहे, किन्‍तु अपीलार्थी/परिवादी ने कोई विद्युत बिल नहीं अदा किया और जून 1995 तक रू010304.80 पैसा शेष था। दि0 06.10.1994 में विशेष चेकिंग की गई, चेकिंग रिपोर्ट मौके पर तैयार की गई, जिस पर अपीलार्थी/परिवादी के पुत्र विजय ने मौके पर हस्‍ताक्षर किए हैं। इस चेकिंग पर अपीलार्थी/परिवादी के यहां विद्युत लाइन डायरेक्‍ट पायी गई थी। अपीलार्थी/परिवादी ने पूर्व में भी एक गलत तथ्‍यों पर परिवाद सं0- 544/1992 दायर किया था जो खारिज हो गया। अत: उन्‍हीं तथ्‍यों पर दूसरा परिवाद चलने योग्‍य नहीं है।

4.        प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी ने गलत तथ्‍यों पर पैसा न अदा करने की नीयत से परिवाद प्रस्‍तुत किया है जो खारिज होने योग्‍य है।

5.        उभयपक्षों को सुनकर विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया कि अपीलार्थी/परिवादी ने विद्युत का उपभोग स्‍वीकार किया है और वह विद्युत उपभोग करते हुए पाया गया। अत: वह न्‍यूनतम निर्धारित दर का बिल अदा करने के लिए बाध्‍य है। साथ ही प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को अपीलार्थी/परिवादी के यहां विधिवत कनेक्‍शन स्‍थापित करने के लिए आदेशित किया जाता है। उक्‍त आदेश से व्‍यथित होकर अपीलार्थी/परिवादी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है जिसमें मुख्‍य रूप से यह आधार लिया गया है कि बिना कनेक्‍शन के अपीलार्थी/परिवादी पर विद्युत बिल की धनराशि 3,390/-रू0 भेजी गई जो गलत है। चेकिंग रिपोर्ट दिनांकित 06.10.1994 बनावटी और अपीलार्थी/परिवादी से धनराशि वसूल करने के इरादे से बनायी गई है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश विधि और तथ्‍यों के विपरीत है। इन आधारों पर प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त किए जाने और अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद आज्ञप्‍त किए जाने की प्रार्थना की गई है।

6.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0के0 शर्मा और प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।      

7.        प्रत्‍यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से यह कथन किया गया है कि अपीलार्थी/परिवादी का विद्युत कनेक्‍शन चालू हो गया था, किन्‍तु मीटर उपलब्‍ध न होने के कारण अपीलार्थी/परिवादी डायरेक्‍ट विद्युत बिना मीटर के लेता रहा जिस कारण उसे न्‍यूनतम विद्युत बिल अदा किए जाने हेतु विद्युत बिल भेजे जाते रहे। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा विद्युत चेकिंग दिनांकित 06.10.1994 पर भी आधारित किया गया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग के अनुसार उक्‍त चेकिंग रिपोर्ट पर अपीलार्थी/परिवादी के पुत्र श्री विजय के हस्‍ताक्षर भी लिए गए थे। इस प्रकार विद्युत विभाग के असेसमेंट के विरुद्ध यह प्रश्‍नगत परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है जब कि विभाग द्वारा विद्युत उपभोग के न्‍यूनतम दर से विद्युत उपभोग शुल्‍क लिए जाने का कथन किया गया है। इस प्रकार यह परिवाद विद्युत असेसमेंट के विरुद्ध है जो उपभोक्‍ता न्‍यायालय में पोषणीय नहीं है। इस सम्‍बन्‍ध में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय सिविल अपील नं0- 5466/2012 (arising out of SLP No. 35906 of 2011), यू0पी0 पावर कार्पोरेशन लि0 व अन्‍य बनाम अनीस अहमद के वाद में पारित निर्णय दि0 01.07.2013 प्रासंगिक है जिसमें मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने निर्णीत किया है कि विद्युत शुल्‍क निर्धारण के विरुद्ध उपभोक्‍ता न्‍यायालय में वाद नहीं लाया जा सकता है। प्रस्‍तुत मामले में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग के सम्‍बन्‍ध में विभाग द्वारा निर्धारित न्‍यूनतम देय धनराशि दिए जाने का आदेश दिया है एवं साथ ही विधिवत विद्युत मीटर लगाये जाने का आदेश भी दिया है, चूँकि अपीलार्थी/परिवादी, प्रत्‍यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग की न्‍यूनतम धनराशि देने का उत्‍तरदायित्‍व रखता है एवं इस कथन को कि उसके द्वारा कोई विद्युत का उपभोग नहीं किया गया है। अपीलार्थी/परिवादी इन अभिकथनों के माध्‍यम से विद्युत निर्धारण को चैलेन्‍ज कर रहा है। इस आधार पर विद्युत शुल्‍क निर्धारण का वाद इस न्‍यायालय में संधारणीय नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उचित प्रकार से इन दोनों बिन्‍दुओं को निस्‍तारित करते हुए अपीलार्थी/परिवादी द्वारा विद्युत उपभोग की न्‍यूनतम दर से धनराशि दिए जाने और विद्युत कनेक्‍शन अपीलार्थी/परिवादी के हक में लगाये जाने का जो आदेश दिया है उसमें कोई विधिक त्रुटि प्रतीत नहीं होती है। उक्‍त निर्णय में इस अपीलीय न्‍यायालय द्वारा हस्‍तक्षेप का कोई उचित आधार प्रतीत नहीं होता है। अत: प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश पुष्‍ट होने योग्‍य है। तदनुसार अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।              

आदेश

8.        अपील निरस्‍त की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।      

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।                             

            

       (सुशील कुमार)                                       (विकास सक्‍सेना)                       

            सदस्‍य                              सदस्‍य      

 

शेर सिंह, आशु0,

 कोर्ट नं0- 3

      

 

                        

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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