Uttar Pradesh

Faizabad

CC/178/12

SADAB HUSSAIN - Complainant(s)

Versus

ELEC. BOARD - Opp.Party(s)

19 Aug 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/178/12
 
1. SADAB HUSSAIN
AMANIGANJ PAR. TEH. MILKIPUR DIS FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. ELEC. BOARD
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-178/2012 

               
षादाब हुसैन उम्र 30 वर्श पुत्र मो0 इलियास, निवासी ग्राम पूरे मस्तू देवगंाव विकास खण्ड अमानीगंज, परगना तहसील मिल्कीपुर जिला फैजाबाद।              .............. परिवादी 
बनाम
1.    श्रीमान अधिषाशी अभियंता मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, द्वितीय फैजाबाद।
2.    श्रीमान अध्यक्ष महोदय मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 लखनऊ। ... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 19.08.2015            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने घरेलू उपयोग के लिये 1 किलो वाट का विद्युत कनेक्षन संख्या 004030 ले रखा है। परिवार की सारी जिम्मेदारी परिवादी पर ही है। परिवादी कृशिविहीन व्यक्ति है और ईंट भठ्ठे पर मंुषी का काम करता है। दिनांक 26-27 दिसम्बर 2009 की रात अपने घर में सोया था तब लगभग 2 बजे घर के सारे बल्व दगने लगे और बगल के घर का छप्पर केबिल में आग लगने की वजह से जलने लगा। यह घटना 11000 हजार वोल्ट की विद्युत तार एल0 टी0 लाइन पर गिरने के कारण हाई वोल्टेज आने से हुई। परिवादी ने विद्युत सब स्टेषन कुमारगंज को फोन करने के लिये लाइन कटवाने हेतु अपना मोबाइल जैसे ही पकड़ा उसका हाथ चिपक गया और हाई वोल्टेज करंट के कारण उसके दोनों हाथ जलने लगे और विद्युत प्रवाह ने दोनों पैरों के तलवों को फाड़ दिया। विद्युत विभाग ने आवष्यक सुरक्षा उपकरण टंªासफार्मर पर नहीं लगाये थे। इस घटना में एक अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो गयी और परिवादी को इलाज के लिये अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से फायदा न होने पर लखनऊ जा कर इलाज कराया, जो अब तक चल रहा है। इस घटना के कारण परिवादी के बायें हाथ की पंाचों उंगली काटनी पड़ीं तथा दाहिने हाथ की तीन उंगलियां काट कर निकाल दी गयीं। परिवादी को 40 प्रतिषत स्थाई अपंगता हो गयी। परिवादी के इलाज में लगभग रुपये 2 लाख खर्च हुए और परिवादी को पत्नी के जेवर बेचने पड़े और मित्र व रिष्तेदारों से उधार लेना पड़ा। परिवादी विगत एक वर्श से जेरे इलाज है और परिवादी के काम न कर सकने की वजह से परिवादी का परिवार भुखमरी के कगार पर है और गंाव के लोगों की सहायता व दया पर निर्भर है। परिवादी ने विद्युत विभाग को भरपाई के लिये कई पत्र लिखे किन्तु अब तक कोई धनराषि नहीं मिली। परिवादी दिनांक 17-01-2011 को विपक्षी से मिला और भरपाई की याचना की किन्तु उन्होंने स्पश्ट मना कर दिया। परिवादी ने दिनांक 05.03.2011 को अपना परिवाद विद्युत व्यथा निवारण फोरम मंे दाखिल किया मगर दिनांक 30.04.2012 को परिवादी का परिवाद क्षेत्राधिकार की त्रुटि के आधार पर खारिज कर दिया गया। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद फोरम के समक्ष दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षी से इलाज में खर्च रुपये दो लाख, एक वर्श की नुकसानी रुपये 54,000/-, स्थाई अपंगता के लिये रुपये 12,00,000/- तथा परिवाद व्यय दिलाया जाय। 
    विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी का 1 किलो वाट का विद्युत कनेक्षन धारक होना स्वीकार किया है। परिवादी कितना पढ़ा लिखा है व उसके परिवार के सदस्यों की संख्या कितनी है और वह क्या करता है विद्युत विभाग में इस बारे में कोई अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध न होने के कारण स्वीकार नहीं है। परिवादी ने विद्युत सब स्टेषन कुमारगंज को फोन कर के सूचना दी इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है और न ही दस्तावेजी साक्ष्य विद्युत विभाग में है। परिवादी ने अपना मोबाइल नम्बर व विद्युत विभाग का नम्बर भी अपने परिवाद मंे नहीं लिखा है। ऐसी स्थिति मेेेें परिवादी का यह कथन स्वीकार योग्य नहीं है कि परिवादी द्वारा मोबाइल पकड़ने पर उसमें करंट आ गया था। मोबाइल फोन बैट्री से चलता है उसमें करंट आने का प्रष्न ही नहीं है। परिवादी का यह कथन भी गलत है कि विद्युत प्रवाह से उसके दोनों हाथ व पैर जलने लगे। परिवादी के परिवाद के अन्य कथनों से विपक्षी ने इन्कार किया है। परिवादी द्वारा इसी कार्य कारण पर विद्युत व्यथा फोरम में परिवाद दाखिल किया जाना व खारिज किया जाना स्वीकार किया है। जिला फोरम को परिवादी का परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इसलिये निरस्त किये जाने योग्य है। विपक्षी ने अपने विषेश कथन में कहा है कि टंªासफार्मर में आज तक ऐसी कोई तकनीक की व्यवस्था नहीं है कि हाई वोल्टेज आने पर टंªासफार्मर अपने आप विद्युत प्रवाह को रोक सके और न ही कोई सुरक्षा उपकरण टंªासफार्मर में लगाने की व्यवस्था है। ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी को विद्युत का दुरुपयोग करने से करंट लग गया है। परिवादी को करंट लगने से विद्युत विभाग व अधिकारियों की लापरवाही नहीं मानी जा सकती, जो भी व्यक्ति लाइन से छेड़ छाड़ करेगा वह उसका षिकार हो सकता है। विद्युत विभाग की कार्यवाही से परिवादी को किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई है। विद्युत विभाग गंाव के प्रत्येक घर मंेे सुरक्षा की व्यवस्था भी नहीं कर सकता है। किसी भी उपभोक्ता द्वारा विद्युत करंट से छेड़ छाड़ करने पर उसे षारीरिक क्षति हो सकती है और जान भी जा सकती है, जिसके लिये विद्युत विभाग जिम्मेदार नहीं है। परिवादी द्वारा अपनी चोटों का सही इलाज न कराने पर उसे सेप्टिक भी हो सकता है। उसके लिये उसका उक्त अंग काटा भी जा सकता है। लेकिन विद्युत विभाग इसके लिये उत्तरदायी नहीं है। परिवादी के इलाज में क्या खर्च हुआ इसकी जानकारी विद्युत विभाग के पास नहीं है। विद्युत विभाग की गलती से घटना न होने के कारण विद्युत विभाग उत्तरदायी नहीं है। परिवादी का यह कथन गलत है कि वह फैजाबाद में विद्युत अधिकारी से मिला। विद्युत विभाग में कई अधिकारी बैठते हैं परिवादी ने यह नहीं बताया है कि वह किस अधिकारी से मिला था और इस सम्बन्ध मंे विपक्षी कार्यालय में कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। फोरम को सरसरी तौर पर मुकदमें का परीक्षण करने का अधिकार है। परिवाद में कहे गये तथ्यों को सक्षम दीवानी न्यायालय को परीक्षण करने का अधिकार है और सिविल न्यायालय मंे परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित कर ले जाता है तो न्यायालय द्वारा दी गयी क्षतिपूर्ति अदा की जा सकती है। परिवादी का परिवाद फोरम में पोशणीय नहीं है और फोरम को इस परिवाद को फैसला करने का अधिकार नहीं है। परिवादी की तथा कथित घटना दिनंाक 25/26 दिसम्बर 2009 की है और परिवादी ने परिवाद वर्श 2012 में दाखिल किया है। परिवादी का परिवाद पब्लिक लाइबिलिटी इंष्योरेन्स एक्ट 1991 की धारा 3 से बाधित है। परिवादी का परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल किये जाने के कारण विषेश क्षतिपूर्ति के साथ निरस्त कियेे जाने योग्य है।
    परिवादी एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागणों की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना षपथ पत्र, थाना अध्यक्ष कुमारगंज फैजाबाद को परिवादी की पत्नी द्वारा दी गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 14.01.2010 की छाया प्रति तथा मूल प्रति, परिवादी के नाम विद्युत बिल की छाया प्रति तथा मूल प्रति, परिवादी द्वारा लखनऊ मंे इलाज कराये जाने के पर्चे तथा दवाओं के बिल मूल रुप में दाखिल किये हैं, विपक्षीगण के अधिषाशी अभियंता के पत्र दिनांक 25.04.2011 की मूल प्रति जो परिवादी के नाम है दाखिल किया है, परिवादी का पत्र अधिषाशी अभियंता के नाम दिनांकित 02.05.2011 की कार्बन प्रति, सी0एम0ओ0 फैजाबाद द्वारा परिवादी को जारी विकलांगता प्रमाण पत्र दिनांकित 11.01.2011 मूल रुप में, परिवादी के पक्ष के समर्थन में कासिम हुसैन पुत्र स्व0 अयूब अली निवासी ग्राम वासी का षपथ पत्र, परिवादी का स्वयं का षपथ पत्र, परिवादी की लिखित बहस तथा सूची पर ईंट भठ्ठा मालिक द्वारा जारी प्रमाण पत्र मूल रुप में दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना लिखित कथन, साक्ष्य में एस0पी0 यादव अधिषाशी अभियंता का षपथ पत्र तथा सूची पर विद्युत व्यथा फोरम द्वारा दिये गये निर्णय की छाया प्रति दाखिल की है, जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी ने अपने लिखित कथन में तथा साक्ष्य मंे कहा है कि परिवादी का परिवाद काल बाधित है क्यों कि घटना 26/27 दिसम्बर 2009 की है और परिवाद वर्श 2012 में दाखिल किया गया है। परिवादी का परिवाद विद्युत व्यथा फोरम में दिनांक 30.04.2012 को निर्णीत किया गया है। उसके बाद ही परिवादी ने अपना परिवाद उपभोक्ता फोरम में दाखिल कर दिया है। विद्युत व्यथा फोरम ने परिवादी का परिवाद वहां क्षेत्राधिकार न होने के आधार पर खारिज किया था। इस प्रकार परिवादी का परिवाद फोरम में काल बाधित नहीं है। परिवादी ने अधिषाशी अभियंता को एक पत्र दिनांक 02.05.2011 को दिया था और अपने कागजात उनके कार्यालय में प्राप्त कराये थे जिसकी प्राप्ति परिवादी ने दाखिल की है और विपक्षी अधिषाशी अभियंता ने परिवादी से दिनांक 25.04.2011 को विकलांग्ता प्रमाण पत्र मांगा था इसलिये परिवादी का परिवाद काल बाधित नहीं है। इसके अलावा विपक्षीगण का यह कहना है कि परिवादी के गांव में लाइन गिरने की कोई घटना नहीं हुई तो इसके सम्बन्ध में परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में थाना कुमारगंज फैजाबाद में दिनांक 14-01-2010 को घटना की षिकायत की थी जिसकी प्रति परिवादी ने दाखिल की है। परिवादी ने अपनी आय के सम्बन्ध में ईंट भठ्ठे के मालिक का प्रमाण पत्र दाखिल किया है जिसमें उसका वेतन रुपये 7,500/- प्रति माह बताया है। परिवादी ने अपने षपथ पत्र में कहा है कि वह एम.ए. भूगोल विशय से पास है। परिवादी ने अपने षपथ पत्र मंे परिवार की सदस्य संख्या 4 बतायी है और परिवार में मां, पत्नी, स्वयं व चार वर्शीय एक पुत्र का होना बताया है। परिवादी ने अपने इलाज के जो पर्चे दाखिल किये हैं उसमें डाक्टर ने लिखा है कि हाई वोल्टेज के कारण परिवादी घायल हुआ है। विपक्षीगण का यह कहना कि घटना नहीं हुई थी वह भी गलत प्रमाणित होती है क्यों कि विपक्षीगण के अधिषाशी अभियंता ने परिवादी से सभी मेडिकल सम्बन्धी कागजात दिनांक 02-05-2011 को प्राप्त किये थे तथा दिनांक 25-04-2011 को विकलांगता के प्रतिषत के प्रमाण पत्र की मांग की थी यदि हाई वोल्टेज की घटना न हुई होती तो विपक्षी अधिषाशी अभियंता परिवादी से विकलांगता का प्रमाण पत्र नहीं मंागते। विपक्षीगण का यह कहना गलत है कि परिवादी के परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम को नहीं है, परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में ‘‘दक्षिणी हरियाना बिजली वितरण निगम लि0 एवं अन्य बनाम प्रमिला देवी आदि’’ प्प् ;2013द्ध ब्च्श्र 321 ;छब्द्ध का उद्हरण प्रस्तुत किया है जो परिवादी के पक्ष को समर्थित करता है। परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(ह) के अनुसार उपभोक्ता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 3 के अनुसार किसी अन्य विधि के होते हुए भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उपबन्ध अतिरिक्त होंगे न कि उसके अल्पीकरण में, इसलिये परिवादी के परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम को है। परिवादी भठ्ठे पर मुनीम गिरी करता था, उसका मासिक वेतन रुपये 7,500/- था, जिसका परिवादी ने प्रमाण पत्र दाखिल किया है। इस प्रकार रुपये 7,500/- ग 12 = रुपये 90,000/- एक वर्श की परिवादी की आमदनी है। परिवादी षादी षुदा है, इस प्रकार गृह खर्च 1/3 वार्शिक आमदनी में से घटाने पर रुपये 90,000/- - 30,000/- = रुपये 60,000/- परिवादी की वार्शिक आय आती है। वार्शिक आमदनी (60,000) ग विकलंाग्ता (40) / 100 = रुपये 24,000/-, परिवादी की उम्र 30 वर्श है। इस प्रकार 18 का मल्टीप्लायर लगेगा, रुपये 24,000/- ग 18 = रुपये 4,32,000/- हुआ। दुःख दर्द का रुपये 5,000/- परिवादी पाने का अधिकारी है। परिवादी के एक हाथ की पांचों उंगली तथा दूसरे हाथ की तीन उंगली काट कर निकाल दी गयी हैं, जिसका इलाज परिवादी ने लखनऊ में कराया है और इलाज पर रुपये 2 लाख खर्च किये हैं, जिसके पर्चे एवं बिल परिवादी ने दाखिल किये हैं। इस प्रकार 4,32,000/- $ 5,000/- $ 2,00,000/- कुल योग रुपये 6,53,000/- तथा परिवाद व्यय परिवादी रुपये 2,000/- पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार एवं अंाषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।       
आदेश
    परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार एवं आंषिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षीगण को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को रुपये 6,53,000/- का भुगतान आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षीगण परिवादी को रुपये 6,53,000/- पर परिवाद दाखिल करने की दिनांक से तारोज वसूली की दिनांक तक 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भी भुगतान करंे। विपक्षीगण परिवादी को परिवाद व्यय के मद मेेेें रुपये 2,000/- का भी भुगतान करेंगे।     
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 19.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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