Uttar Pradesh

StateCommission

C/2010/112

Rakshit Raj Gambhir - Complainant(s)

Versus

ELDECO Housing - Opp.Party(s)

Ravi Kumar

28 May 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2010/112
 
1. Rakshit Raj Gambhir
L D A Colony Kanpur Road Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. ELDECO Housing
Pargati Kendra Kapoorthala Aliganj Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

(राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)

                                    सुरक्षित

 

परिवाद संख्‍या 112/2010

                                                    

Rakshit Raj Gambhir, Adult son of Late D.R. Gambhir, present address- B-1/11D, Sector-D, L.D.A. Colony, Kanpur Road, Lucknow.

                                                                                    ………..Complainant

Vs.

 

 1. ELDECO Housing & Industries Limited, Having its Registered Office at Ist Floor, Pragati Kendra, Kapoorthala, Aliganj, Lucknow through its Managing Director.

2. The Senior Manager (Marketing) of ELDECO Housing & Industries Ltd., having its Registered office at- 2nd Floor, ELDECO Corporate chamber-1 (Opp. Mandi Parishad) Vibhuti Khand, Gomti Nagar, Lucknow.

3. The Senior Vice President (Marketing) of ELDECO Housing & Industries Ltd., having its Registered office at- 2nd Floor, ELDECO Corporate Chamber-1 (Opp. Mandi Parishad) Vibhuti Khand, Gomti Nagar, Lucknow.

                                                                                        ……..Opp. Parties

समक्ष:

       1. मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठा0 सदस्‍य।

  2. मा0 श्री जुगुल किशोर, सदस्‍य ।

परिवादी की ओर से उपस्थित              : विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0एच0 नकवी।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित            : विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 गुप्‍ता।

दिनांक :-  07/12/2015

 

मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित ।

निर्णय

     परिवाद का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि विपक्षी सं0 1 ने रिसीडेन्‍ट यूनिट स्‍टाइल आफ इल्डिको इलेगेन्‍स , विभूति खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ में फ्लैट का निर्माण किया। परिवादी ने एक फ्लैट विपक्षी से बुक कराया। विपक्षी सं0 1 द्वारा फ्लैट का आवंटन सं0- वी0के0-229 ब्‍लाक बी01, चौथा फ्लोर से किया गया। प्‍लाट नं0 803 सुपर एरिया 2362 स्‍क्‍वायर फीट स्‍पेसीफिकेशन प्रीमियम के साथ 4 कमरे एवं सर रूम जो विपक्षी सं0 1 ने पत्रांक सं0- वी0के0 229 से आवंटित किया। बेसिक प्राइज 42,17,325/ रूपये बताया गया जो 28 किश्‍त में 1,20,999/- भुगतान करना था। परिवादी ने 08 माह तक विपक्षी को लगभग 14,34,348/ रूपये पहले ही भुगतान किया गया था। विपक्षी ने दिनांक 21/10/2009 को एक पत्र दिया जिसमें यह कहा कि शेष धनराशि का भुगतान 30 अक्‍टूबर 2009 तक न करने पर आवंटन निरस्‍त किया जा सकता है। परिवादी ने दिनांक 12/07/2010 को विपक्षी को पत्र लिखा कि स्‍टेट बैंक वित्‍तीय ऋण देने के लिए तैयार है।

2

शेष किस्‍त का भुगतान शीध्र कर देगा। परिवादी ने विपक्षी सं0 1 को पत्र लिखा कि 31 अगस्‍त 2010 तक शेष धनराशि का भुगतान कर देगा। दिनांक 07/07/2010 को विपक्षी ने पत्र लिखा कि फ्लैट का आवंटन शेष धनराशि का जमा न होने के कारण निरस्‍त किया जाता है। इस पत्र से क्षुब्‍ध होकर परिवादी ने  विधिकपत्र दिनांक 15/07/2010 को भेजा। विपक्षी ने पुन: जवाब दिया कि दिनांक 21/10/2009 को आवंटन निरस्‍त हो चुका है। विपक्षी ने परिवादी को बुलाया और आवंटन निरस्‍त न करने को तैयार हो गया। परिवादीक को गृह ऋण नहीं प्राप्‍त हुआ। दिनांक 06/08/2010 एवं 14/08/2010 को विपक्षी सं0 3 ने परिवादी को पत्र भेजा कि प्‍लैट का निर्माण होने पर शीध्र ही कब्‍जा प्रदान किया जायेगा तथा शेष धनराशि की मांग की गई। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 3 को जवाब में पत्र दिनांक 18/08/2010 को धन्‍यवाद पत्र दिया गया। फ्लैट नं0 803 ब्‍लाक बी-1 इल्डिको इलेगैन्‍स पर कब्‍जा देने में विलम्‍ब होने पर परिवादी द्वारा दिनांक 23/09/2010 को पत्र विपक्षी सं0 3 के पास भेजा गया । तत्‍पश्‍चात विपक्षी के कर्मचारी द्वारा यह कहा गया कि मासिक किस्‍त का आधार निरस्‍त किया जा चुका है। परिवादी के पत्र दिनांक 23/09/2010 के प्राप्ति के बाद विपक्षी सं0 3 के अभिकर्ता मि0 मिश्रा द्वारा आवंटन जारी रखने एवं कब्‍जा देने के लिए व्‍‍यक्तिगत रूप से 3,50,000/ रूपये की मांग की गई। परिवादी जमा नहीं कर सका।  विपक्षी सं0 1 द्वारा पत्र दिनांक 28/09/2010 के साथ यह संदेश भेजा गया कि 06/08/2010 एवं 14/08/2010 को भेजा गया पत्र परिवादी को गलत था। विपक्षी के कार्यालय द्वारा जमा धनराशि वापस करने का निर्देश दिया गया था। परिवादी को कब्‍जा देने में विलंब होना सेवा में कमी है। परिवादी को आवंटित फ्लैट पर कब्‍जा दिलाया जाय तथा परिवादी के पक्ष में सेल डीड निस्‍पादित कराया जाय।

     परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में आवास आवंटन सं0- वी0के0 229 दिनांक 10/09/2007 की छायाप्रति, अन्‍य चार्ज का विवरण, आवंटन प्रमाण पत्र, आवंटन का शर्त एवं नियम, जमा किये गये धनराशि की रसीद सं0 60814, 60412, 62043, 61302, 62274, 62275, 63162, 62860 की छायाप्रति दाखिल किया। आवंटन से संबंधित प्रमाण पत्र दिनांक 21/10/2009, परिवादी द्वारा विपक्षी को भेजा गया पत्र दिनांक 02/07/2010 की छायाप्रति, आवंटन से संबंधित पत्र दिनांक 07/07/2010 , विधिक नोटिस दिनांक 15/07/2010 द्वारा संदीप श्रीवास्‍तव एडवोकेट, सर्वेश कुमार गुप्‍ता द्वारा प्रेषित परिवादी के पत्र दिनांक 03/08/2010, अतुल सक्‍सेना वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष द्वारा प्रेषितपत्र दिनांक 06/08/2010, अतुल कुमार श्रीवास्‍तव द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक

 

3

14/08/2010, रक्षित गंभीर द्वारा प्रेषितपत्र विपक्षी को दिनांक 23/09/2010, आवंटन से संबंधित पत्र अतुल सक्‍सेना द्वारा परिवादी प्रेषित दिनांक 28/09/2010 एवं शपथ पत्र द‍ाखिल किया है।

      विपक्षी ने पीठ के समक्ष उपस्थित होकर अपना प्रतिवाद पत्र मय शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया। विपक्षी ने अपने कथन में यह तथ्‍य स्‍वीकार किया कि परिवादी की मां श्रीमती मालती गंभीर ने ‘’इल्डिको इलिगन्‍स’’ विभूति खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ की योजना में भवन हेतु मु0 1,00,000/ रूपये दिनांक 20/06/2007 जमा किया था जिसका मूल्‍य 42,17,325/ रूपये के अतिरिक्‍त न्‍य चार्ज भी थे। उनको फ्लैट नं0 इलिट –बी0-1 803 आवंटित किया गया था तथा दिनांक 06/08/2007 को 1,14,375/ रूपये तथा 15/10/2007 को 1,23,372/ रूपये भी जमा किया था। स्‍पीड पोस्‍ट के माध्‍यम से डिमांड नोटिस भेजा गया था कि 13,07,216/ रूपये ब्‍याज सहित जमा करें। परिवादी द्वारा 1,23,372/ रूपये का चेक जमा किया गया। विपक्षी द्वारा एक पत्र दिनांक 10/02/08 को श्रीमती मालती गंभीर को भेजा गया कि मु0 13,07,216/ रूपये एवं 1,91,556/ रूपये किस्‍त जमा करें। श्रीमती मालती गंभीर की मृत्‍यु दिनांक 20/12/2007 को हो गई। परिवादी ने प्रथम किस्‍त 3,68,234/ रूपये दिनांक 20/08/2007 को दिया जो 20/08/2007 को 28 माह का किस्‍त 1,20,999/ रूपये दिनांक 10/09/2007 से बकाया था। आवंटित भवन पर कब्‍जा किस्‍त पूरी होने  के तीन माह बाद देना था। परिवादी दिनांक 08/05/2008 को 1,20,999/ रूपये देने के बाद पत्र दिनांक 21/10/2009 के प्राप्ति करने के उपरान्‍त भी शेष 23 किस्‍तों का भुगतान नहीं किया। पत्र दिनांक 07/07/2010 के माध्‍यम से दिनांक 21/10/2009 को सूचित किया गया था कि आवंटन/बुकिंग निरस्‍त किया जा सकता है। यदि शेष रकम का भुगतान 30/10/2009 तक नहीं किया जाता है फलस्‍वरूप जमा धनराशि वापस करने हेतु सलाह दिया गया। शर्त सं0 3 द्वारा आवंटन पहले ही निरस्‍त किया जा चुका था। परिवादी ने कभी भी विपक्षी को नहीं बुलाया और कभी भी आवंटन निरस्‍त करने के लिए सहमत नहीं था। दिनांक 06/08/2010 एवं 14/08/2010 परिवादी को भेजे जाने का वह गलती से भेजे गये थे जो पत्र दिनांक 18/08/2010 एवं 23/09/2010 से ज्ञात होता है। विपक्षी ने अपने गलती का स्‍पष्‍टीकरण दिनांक 28/09/2010 को दिया और जमा धनराशि वापस करने हेतु सलाह दिया। श्री अतुल सक्‍सेना द्वारा गंभीरता से इन्‍कार किया गया है जिसकी सूचना दिनांक 28/09/2010 को सही भेजा गया है। आवंटन निरस्‍त किया गया है वह सही है। उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र सक्षम न्‍यायालय से प्राप्‍त किया जाना आवश्‍यक है क्‍योंकि श्रीमती मालती गंभीर की मृत्‍यु हो चुकी है। परिवाद पोषणीय नहीं है, निरस्‍त होने योग्‍य है।

4

     विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में श्रीमती मालती गंभीर द्वारा वसीयतनामा फ्लैट आवंटन का नियम एवं शर्त, रक्षित गंभीर को भेजे गये पत्र दिनांक 28/09/2010 दाखिल किया है।

     परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के बहस को विस्‍तार से सुना गया। दोनों पक्ष द्वारा लिखित बहस भी दाखिल किया गया है।

     परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि परिवादी ने एक प्‍लाट का बुकिंग विपक्षी सं0 1 से कराया था जो विपक्षी द्वारा फ्लैट नं0 इलिटी बी0- 1-803 आवंटन किया गया था। विपक्षी द्वारा स्‍पष्‍ट रूप से आवंटन निरस्‍त नहीं किया गया है न ही विपक्षी द्वारा जमा धनराशि परिवादी को वापस दिलाया गया है। परिवादी की माता की मृत्‍यु हो जाने के उपरान्‍त वसीयतनामा विपक्षी को दिया जा चुका है इसलिए सिविल कोर्ट से जारी प्रोवेट की कोई आवश्‍यकता नहीं है। परिवाद पोषणीय है। विपक्षी की सेवा में कमी है। आवंटित फ्लैट दिलाई जाय।

     विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों का खण्‍डन करते हुए कहा कि परिवादी को आवंटित किया गया प्‍लाट को निरस्‍त किया जा चुका है क्‍योंकि परिवादी ने बकाया धनराशि किस्‍त का भुगतान निर्धारित माह में नहीं किया। परिवादी ने एस0बी0आई0 से ऋण प्राप्‍त नहीं हुआ जिसके कारण शेष धनराशि भुगतान नहीं किया। परिवादी डिफाल्‍टर है। डिफाल्‍टर होने के कारण फ्लैट का आवंटन निरस्‍त किया गया है। विपक्षी जमा धनराशि देने को तैयार है।

     संपूर्ण पत्रावली का गंभीरता से परिशीलन किया, जिससे यह प्रतीत होता है कि परिवादी ने विपक्षी सं0 1 की योजना में भवन हेतु फ्लैट का आवंटन किया था। विपक्षी द्वारा फ्लैट नं0 803 ब्‍लाक बी0, 1 आवंटित किया गया। आवंटन के शर्त एवं नियम के अनुसार भवन का मूल्‍य 42,17,325/ रूपये 28 किस्‍तों में भुगतान करना था। परिवादीने लगभग 08 माह की किस्‍तों का भुगतान किया था तथा शेष किस्‍तों का भुगतान किन्‍हीं कारणों से नहीं कर सका। विपक्षी सं0 1 द्वारा दिनांक 07/07/2010 को पत्र दिया गया कि बकाया धनराशि का भुगतान दिनांक 30 अक्‍टूबर 2009 तक कर दिया जाय अन्‍यथा आवंटन निरस्‍त कर दिया जायेगा। परिवादी ने दिनांक 30 अक्‍टूबर 2009 तक शेष धनराशि का भुगतान नहीं किया जिसके कारण पत्र दिनांक 07/07/2010 के द्वारा आवंटन स्‍वत: निरस्‍त हो गया। दिनांक 14/08/2010 को विपक्षी द्वारा एक पत्र भेजा गया जिसमें यह कहा गया कि बकाया धनराशि का भुगतान कर दिया जाय यह अंतिम रूप से मांग की जा रही है परन्‍तु परिवादी द्वारा इस पत्र के प्राप्ति होने के उपरान्‍त भी बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। दिनांक 20/09/2010 को विपक्षी द्वारा पत्र के माध्‍यम से सूचित किया

5

गया कि दिनांक 14/08/2010 को भेजा गया पत्र त्रुटिवस प्रेषित कियका गया था। फ्लैट का आवंटन दिनांक 07/07/2010 को ही निरस्‍त किया जा चुका है। जमा धनराशि वापस करने को तैयार है। परिवादी शेष धनराशि निर्धारित अवधि में जमा नहीं कर सका। ऐसी स्थिति में परिवादी फ्लैट प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है। अविवादित रूप से परिवादी की ओर से विपक्षी को धनराशि अदा की गई है। वह धनराशि विपक्षी के पास रही। उक्‍त जमा धनराशि से परिवादी वंचित रहा। अत: परिवादी अभिवचित जमा धनराशि मय ब्‍याज के विपक्षी से पाने का अधिकारी है। मुकदमें की संपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए कि परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि पर जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज पाने का अधिकारी है। तद्नुसार परिवाद अंशत: स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है। परिवादी को जमा धनराशि ब्‍याज दिलाया जाना उचित पाया गया। ऐसी स्थिति में अलग से क्षतिपूर्ति हेतु अनुतोष प्रदान किया जाना विधि सम्‍मत नहीं है।

    आदेश

        परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादी की ओर से जमा की गई धनराशि को जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित भुगतान करें।

       वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

                                                                  

                                     

   (जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा)                            (जुगुल किशोर)

     पीठा0 सदस्‍य                                    सदस्‍य

                                               

                                                    

                                        सुभाष आशु0 कोर्ट नं0 3

 

 

 

  

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER

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