राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या:-321/2019
राम कुबेर पुत्र स्व0 राम किशुन, निवासी सी-5/93 विनीत खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ।
........... परिवादी
बनाम
1- एल्डिको हाउसिंग एण्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस एस-16, दि्वतीय तल एल्डिको स्टेशन-1, साइट नंबर-1, सेक्टर-12, फरीदाबाद, हरियाणा-121007
2- एल्डिको हाउसिंग एण्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, स्थानीय कार्यालय कॉपोरेट चैंबर-1, दूसरी मंजिल, विभूति खण्ड, मंडी परिषद के सामने, गोमती नगर, लखनऊ, उ0प्र0।
3- श्री तिलक चन्द्र भुधा पुत्र स्व0 आर0एस0 लाल, अधिकृत प्रतिनिधि एल्डिको हाउसिंग एण्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड,
…….. विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
परिवादी के अधिवक्ता : श्री मुरलीधर बाजपेयी
विपक्षीगण की अधिवक्ता : श्री विकास अग्रवाल
दिनांक :- 18.7.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद, परिवादी राम कुबेर द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण एल्डिको हाउसिंग एण्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड व दो अन्य के विरूद्ध निम्न अनुतोष दिलाये जाने हेतु योजित किया गया है:-
1- विक्रय पत्र दिनांक 16.5.2018 में उपयुक्त संशोधन करके 3527 वर्ग फीट (327.66 वर्ग मीटर) क्षेत्रफल वाले प्लॉट ''एल्डिको शौर्य'' बिजनौर रोड़, लखनऊ के सामने पार्क उपलब्ध कराने के लिए विपक्षीगण को निर्देशित किया जावे।
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2- विपक्षीगण को निर्देशित किया जाए कि परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि पर जमा की तिथि से लेकर पार्क के सामने वाले भूखण्ड का कब्जा सौंपने की तरीख तक 12 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करें, साथ ही इस आयोग द्वारा उचित समझें गए नुकसान का भी भुगतान करें।
3- विपक्षीगण को सेवा में कमी करने के लिए हर्जाने के रूप में 10,00,000.00 रू0 का भुगतान परिवादी को करने हेतु निर्देशित किया जावे।
4- विपक्षीगण से परिवादी को 1,00,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु निर्देशित किया जावे।
5- विपक्षीगण को वृद्धि की लागत (यदि कोई हो) में अंतर का भुगतान करने का निर्देश दिया जावे, जो संशोधित बिग्री विलेख के निष्पादन के समय खर्च किया जावेगा।
6- जैसा कि मा0 आयोग उचित समझे, विपक्षीगण द्वारा किये गये अनुचित व्यापार व्यवहार के साथ सेवा में कमी के कारण परिवादी को हुई हानि और असुविधा के लिए अलग से मुआवजा और हर्जाना दिलाया जावे।
7- विपक्षीगण से हुई मानसिक पीड़ा के कारण उचित दंडात्मक क्षति का भुगतान करने हेतु निर्देशित किया जावे, जिसके लिए परिवादी को उत्पीड़न और आघात का सामना करना पड़ा।
8- विपक्षीगण को निर्देशित किया जावे कि वित्त अधिनियम, 2010 के अनुसरण में परिवादी से कोई भी सेवा कर की वसूली न की जावे।
9- परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण से रू0 50,000.00 वाद व्यय दिलाया जावे।
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10- माननीय उपभोक्ता आयोग अन्य कोई अनुतोष जो न्यायहित में उचित समझें परिवादी को दिलाया जाए।
संक्षेप में प्रस्तुत परिवाद के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विज्ञापन से प्रभावित होकर विपक्षी की योजना में भूखण्ड क्रय करने हेतु पंजीकरण कराया, जिस पर परिवादी को प्लाट सं0-99 327.66 वर्ग मीटर ''एल्डिको शौर्य'' बिजनौर रोड, लखनऊ में आवंटित किया गया। विपक्षी द्वारा कथन किया गया कि यह प्लॉट पार्क फेसिंग है। परिवादी के पक्ष में जब विक्रय विलेख निष्पादित किया गया तब परिवादी ने पाया कि उसका प्लॉट पार्क फेसिंग नहीं था एवं प्लॉट वर्गाकार नहीं था, जिसमें से 869.92 वर्ग फुट प्लॉट की भूमि इस्तेमाल में नहीं आ सकती थी, जो त्रिभुजाकार था।
परिवाद पत्र के अनुसार यह भी कथन किया गया कि परिवादी को उक्त योजना में दिनांक 24.3.2014 को प्लॉट नं0-99 ''एल्डिको शौर्य'' बिजनौर रोड 3527 वर्ग फुट आवंटित किया गया। परिवादी द्वारा पार्क फेसिंग प्लॉट के सम्बन्ध में 08 प्रतिशत (4,90,464.00 रू) प्रीमियम चार्ज के रूप में अदा किया गया। विपक्षी द्वारा दिनांक 16.5.2018 को उक्त प्लॉट के सम्बन्ध में विक्रय विलेख निष्पादित किया गया, जिसमें प्लॉट का एरिया 3406 वर्ग फुट अंकित था। विपक्षी द्वारा आवंटन पत्र दिनांकित 24.3.2014 एवं विक्रय विलेख प्रपत्र दिनांकित 16.5.2018 में प्लॉट को पार्क फेसिंग नहीं दिखलाया गया है, इस कारण परिवादी को काफी मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना हुई। विपक्षी द्वारा अपने वादे का निर्वहन नहीं किया गया। परिवादी द्वारा इस संबंध में विपक्षीगण से सम्पर्क किया गया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जो कि विपक्षीगण की सेवा में कमी का घोर द्योतक है,
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अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण से उपरोक्त अनुतोष को दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि प्लॉट सं0-99 एरिया 3527 वर्ग फुट परिवादी को दिनांक 24.3.2014 को आवंटित किया गया। जिसका बेसिक मूल्य 51,41,150.00 रू0 जो परिवादी को डेवलपमेंट लिंक पेमेंट प्लॉन-ए के अन्तर्गत परिवादी को अदा करना था परिवादी द्वारा शुरूआत से नियमित रूप से भुगतान नहीं किया गया तथा उसके कई चेक अनादृत हो गये। परिवादी द्वारा किस्तों का समय से भुगतान न करने पर ब्याज के रूप में 58,679.00 रू0 लगाया गया ले आउट प्लॉन के अन्तर्गत परिवादी का एरिया 121 वर्ग फुट कम कर दिया गया, जिसके संबंध में परिवादी को सूचित कर दिया गया था। उक्त प्लॉट का विक्रय विलेख परिवादी की पूर्ण संतुष्टि में किया गया था परिवादी द्वारा उक्त प्लॉट का कब्जा दिनांक 16.5.2018 को पूर्ण संतुष्टि में प्राप्त कराया गया था। परिवादी द्वारा गलत एवं असत्य तथ्यों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो निरस्त किये जाने योग्य है।
परिवादी द्वारा परिवाद पत्र के समर्थन में साक्ष्य व शपथपत्र प्रस्तुत किये गये हैं तथा विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र के समर्थन में साक्ष्य व शपथपत्र प्रस्तुत किये गये हैं।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि विपक्षीगण द्वारा उन्हें जो प्लॉट/भूखण्ड उपलब्ध कराया गया है वह त्रिभुजाकार है, जिससे कि उक्त प्लॉट की अधिकतम भूमि बेकार हो रही है।
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यह भी कथन किया गया कि उपरोक्त प्लॉट के सम्बन्ध में विपक्षी को लिखित में प्रार्थना पत्र दिया गया था कि आवंटित प्लॉट पार्क फेसिंग होना चाहिए एवं कार्नर का होना चाहिए। यह भी कथन किया गया कि विपक्षी द्वारा उपरोक्त प्लॉट का एरिया कम कर दिया गया और विपक्षी द्वारा यह बताया गया कि प्लॉट का एरिया कम करने का अधिकार उन्हें प्राप्त है।
यह भी कथन किया गया कि प्लॉट के त्रिकोणीय होने के कारण उसकी अधिक भूमि खराब हो गई है जिसका कोई उपयोग नक्शा बनाये जाने के उपरांत भी नहीं हो पा रहा है। यह भी कथन किया गया कि उपरोक्त त्रिकोणीय प्लॉट के संबंध में जो भूमि बेकार अथवा अधिक निकल रही है उसका पैसा विपक्षी से दिलवाया जावे।
यह भी कथन किया गया कि विक्रय विलेख निष्पादित कराते समय छल से विपक्षी द्वारा समस्त प्रपत्रों पर हस्ताक्षर करवा लिए गये एवं न ही परिवादी को कोई भौतिक कब्जा प्रदान किया गया, न ही उसे प्लॉट दिखाया गया।
यह भी कथन किया गया कि परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण से उन्हें परिवाद पत्र में उल्लिखित उपरोक्त सम्पूर्ण वॉछित अनुतोष दिलाया जावे।
विपक्षीगण की ओर से परिवादी के अधिवक्ता के कथनों को अस्वीकार करते हुए यह कथन किया गया कि दिनांक 15.5.2018 को परिवादी के द्वारा अनुरोध किया गया कि उनके द्वारा प्लॉट का सम्पूर्ण निरीक्षण कर लिया गया है और वे उपरोक्त प्लॉट/भूखण्ड को प्राप्त करने के लिए पूर्ण रूप से संतुष्ट है तथा विक्रय विलेख उनके पक्ष में निष्पादिन कर उन्हें कब्जा प्रदान कर दिया जाए। उपरोक्त कथन के
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समर्थन में विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के पृष्ठ सं0-29 (संलग्नक-4) की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया।
यह भी कथन किया गया कि परिवादी के उपरोक्त कथन को दृष्टिगत रखते हुए दिनांक 16.5.2018 को विक्रय विलेख निष्पादित किया गया एवं विक्रय विलेख में यह भी उल्लिखित किया गया है कि परिवादी द्वारा आवंटित प्लॉट का भौतिक कब्जा प्राप्त कर लिया गया है एवं परिवादी पूर्ण रूप से संतुष्ट है।
विपक्षी की ओर से यह भी कथन किया गया कि दिनांक 16.5.2018 को विक्रय विलेख निष्पादित होने के बाद परिवादी का यह कथन कि विपक्षी द्वारा परिवादी के प्रपत्रों पर छल से हस्ताक्षर करवा लिए गये और बिना प्लॉट दिखाये विक्रय विलेख निष्पादित कर दिया गया, असत्य एवं बनावटी है।
यह भी कथन किया गया कि अपील पत्रावली के पृष्ठ सं0-67 पर उपरोक्त प्लॉट के नक्शे की छाया प्रति उपलब्ध है, जिससे स्पष्ट है कि परिवादी को पार्क फेसिंग प्लॉट दिया गया है एवं उक्त प्लॉट के संबंध में परिवादी से कोई अतिरिक्त चार्ज भी नहीं लिया गया है अत: परिवादी का यह कथन कि उसे पार्क फेसिंग एवं कार्नर का प्लॉट आवंटित नहीं किया गया, असत्य एवं निराधार है।
यह भी कथन किया गया कि विक्रय विलेख निष्पादित होने के पश्चात परिवादी विपक्षीगण से किसी भी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है तथा यह भी कथन किया कि परिवादी द्वारा विक्रय विलेख निष्पादित कराने के पश्चात विपक्षी के सम्मुख कोई प्रोटेस्ट अथवा विरोध जाहिर नहीं किया गया है कि विपक्षी द्वारा उन्हें गलत प्लॉट आवंटित किया गया है।
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यह भी कथन किया गया कि परिवादी द्वारा असत्य एवं बनावटी कथनों के आधार पर एवं सोच समझकर ढेड वर्ष पश्चात परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो निरस्त होने योग्य है।
मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्व्य के कथनों को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
प्रस्तुत वाद में मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के अभिकथनों तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया जाता है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण की ''एल्डिको शौर्य'' योजना के अन्तर्गत दिनांक 24.3.2014 को एक प्लॉट सं0-99 बिजनौर रोड, लखनऊ में 3527 वर्ग फुट का आवंटित कराया गया और वॉछित धनराशि जमा की गई, जिसके संबंध में विक्रय विलेख दिनांक 16.5.2018 को निष्पादित किया गया, परन्तु उपरोक्त प्लॉट त्रिकोणीय एवं पार्क फेसिंग न होने तथा उपरोक्त प्लॉट के संदर्भ में विपक्षीगण द्वारा अधिक वसूले गये मूल्य एवं प्लॉट त्रिकोणीय होने के कारण नक्शे में भूमि का सद्पयोग न हो पाने के कारण उपरोक्त बेकार भूमि का मूल्य विपक्षीगण से दिलाये जाने तथा सीधा पार्क फेसिंग प्लॉट परिवादी को उपलब्ध कराये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्नगत प्लॉट के संदर्भ में यह तथ्य उल्लेखनीय है कि पत्रावली के पृष्ठ सं0-67 पर जो नक्शे की छायाप्रति उपलब्ध है उससे स्पष्ट है कि परिवादी को पार्क फेसिंग अथवा कार्नर का ही प्लॉट विपक्षीगण द्वारा उपलब्ध कराया गया है।
यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि दिनांक 16.5.2018 विक्रय विलेख निष्पादित होने के ढेड वर्ष पश्चात बिना कोई आपत्ति विपक्षी के यहॉ दर्ज कराये परिवाद प्रस्तुत किया जाना परिवादी की स्वयं की दूषित
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मंशा को उजागर करता है, क्योंकि परिवादी द्वारा विक्रय विलेख निष्पादित कराते समय यह स्वयं स्वीकार किया गया और यह प्रार्थना की गई कि उसके द्वारा प्रश्नगत प्लॉट का निरीक्षण किया जा चुका है अत: उसे प्लॉट का भौतिक कब्जा प्रदान कर दिया जावे।
यह भी उल्लेखनीय है कि एक तरफ जब परिवादी यह स्वयं स्वीकार कर रहा है कि उसने प्रश्नगत प्लॉट का निरीक्षण कर लिया है और उसके पक्ष में विक्रय विलेख निष्पादित करने में उसे कोई आपत्ति नहीं है तब दूसरी ओर उसके द्वारा परिवाद पत्र प्रस्तुत कर अनुतोष की मॉग किये जाने का कोई औचित्य नहीं है। उपरोक्त कथन एक दूसरे के विरोधाभाषी प्रतीत हो रहे है एवं ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा किसी के बहकावे में आकर अथवा सोच समझ कर अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
मेरे विचार से परिवादी परिवाद पत्र के अभिकनों को साबित करने में असफल रहा है, इसलिए परिवादी किसी भी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है तद्नुसार परिवाद खारिज किया जाता है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1