राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद संख्या-97/2019
1.ईआर. एम.एस. सक्सेना पुत्र श्री आर.एस. सक्सेना।
2. रूचिका सक्सेना पत्नी एम.एस. सक्सेना
दोनो निवासी बी-158/1 आरडीएसओ कालोनी, मानक नगर
लखनऊ। ......... परिवादीगण
बनाम
एल्डिको हाउसिंग एण्ड इन्डस्ट्रीज लि0, कारपोरेट आफिस द्वितीय तल,
एल्डिको कारपोरेट चेम्बर 1, विभूति खंड अपोजिट मंडी परिषद, गोमती
नगर, लखनऊ 226010 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर व दो अन्य।
....... विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 24.08.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादी द्वारा जमा की गई राशि अंकन रू. 919259/- को वापस प्राप्त करने के लिए तथा इस राशि को वापस करने के बजाए तेरहवें फ्लोर के स्थान पर टावर संख्या 8 में या किसी अन्य टावर में परिवर्तित करने का आदेश प्राप्त करने के लिए तथा इस राशि पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज प्राप्त करने के लिए तथा मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन दो लाख रूपये तथा परिवाद व्यय के मद में अंकन बीस हजार रूपये प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादीगण द्वारा फ्लैट नं0 1205 एरिया 1141 स्क्वायर फिट बेसिक मूल्य रू. 3651200/- तथा अन्य प्रकीर्ण शुल्क के साथ जिसका कुल मूल्य 40 लाख रूपये होता है, बुक
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कराया था, परन्तु विपक्षीगण द्वारा फ्लोर नम्बर धोखे से परिवादी को बिना सूचना के परिवर्तित कर दिया गया और फ्लैट संख्या 1205 ए के स्थान पर तेरहवें फ्लोर पर फ्लैट आवंटित किया। परिवादी ने उपरोक्त तेरहवें फ्लोर के फ्लैट के परिवर्तन का अनुरोध किया, परन्तु विपक्षीगण द्वारा प्रथम किश्त के रूप में 30 दिन के अंदर रू. 769259/- की मांग की है, अन्यथा फ्लैट रद्द करने की धमकी दी, अत: परिवादी द्वारा प्रथम किश्त अंकन रू. 769259/- दि. 14.09.16 को जमा करा दी गई। परिवादी ने पुन: 06.02.17 को तेरहवें फ्लोर के स्थान पर टावर संख्या 8 में किसी अन्य फ्लोर पर फ्लैट के परिवर्तन का अनुरोध किया, क्योंकि परिवादी के अनुसार तेरहवें फ्लोर पर फ्लैट का आवंटन हिंदू विचारधारा के विपरीत है। परिवादी ने दि. 20.02.2017 को फ्लोर नं0 9, 10, 11 पर निर्मित अनेक फ्लैट खाली होने का उल्लेख किया। इसके बाद दि. 06.02.17, 14.02.17, 15.03.17, 17.03.18, 26.04.18, 25.05.18 को परिवादी द्वारा जमा की धन वापस करने का अनुरोध किया। विपक्षीगण ने दि. 06.04.18, 01.06.18 को पत्र लिखा कि ओमनी फर्म प्रा0लि0 से मीटिंग का कोई तात्पर्य नहीं है, क्योंकि उनके साथ विपक्षीगण का कोई करार नहीं है। एल्डिको कंपनी द्वारा सेवा में कमी की गई, तदनुसार उपरोक्त वर्णित अनुतोषों के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में दस्तावेज संख्या 10 लगायत 42 प्रस्तुत किए गए हैं तथा समस्त परिवाद के तथ्यों के समर्थन में शपथपत्र प्रस्तुत किया गया।
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4. विपक्षीगण का कथन है कि इस आयोग को परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। दि. 04.08.16 को पक्षकारों के मध्य एक करार निष्पादित हुआ है, जिसकी शर्तों से परिवादी बाध्य है, इसलिए सेवा में कोई कमी नहीं की गई। परिवादी द्वारा दिए गए आवेदन पर यूनिट नं0 1205 ए तेरहवें फ्लोर पर आवंटित की गई। फ्लैट की कुल कीमत रू. 3651200/- थी तथा अन्य शुल्क देय था। परिवादी पर कुल रू. 271188/- बकाया है। परिवादी संख्या 1 द्वारा दि. 06.09.16 को नाम के संशोधन हेतु आवेदन दिया गया, इसलिए यह कहना गलत है कि तेरहवें फ्लोर पर धोखे से आवंटन किया गया है। 06 माह बाद दि. 06.02.17 के पत्र द्वारा फ्लोर के परिवर्तन का अनुरोध किया गया। विपक्षी द्वारा 13.02.17 के पत्र द्वारा सूचित कर दिया गया था कि टावर संख्या 8 में अन्य कोई फ्लैट खाली नहीं है। दि. 25.03.17 के पत्र द्वारा टावर नं0 1 तथा 9 में वैकल्पिक फ्लैट प्रदान करने के लिए पत्र लिखा गया, परन्तु परिवादीगण मीटिंग के लिए उपस्थित नहीं हुए और उनके द्वारा जमा राशि की वापसी की मांग की गई। परिवादी द्वारा जमा राशि नियमानुसार कटौती के पश्चात वापस करने के लिए विपक्षीगण तत्पर रहे, परन्तु स्वयं परिवादीगण उपस्थित नहीं हुए। दि. 22.05.18 को पत्र भेजे गए और जमा राशि ब्याज सहित वापसी की मांग की गई, परन्तु आवश्यक औपचारिकताओं को पूर्ण करने से इंकार कर दिया गया। विपक्षीगण द्वारा दि. 01.06.18 को भी औपचारिकताएं पूर्ण कर जमा राशि वापस लेने का पत्र लिखा गया, परन्तु औपचारिकताएं पूर्ण करने के बजाए अनुचित आरोप लगाते हुए परिवादीगण द्वारा पत्र लिखा गया। दि. 01.12.18 के मीटिंग में यह तय हुआ कि यदि परिवादीगण कुल आवंटन पत्र शपथपत्र के साथ वापस लौटा देते हैं तब बगैर ब्याज के तथा बगैर
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कटाती किए जमा राशि वापस कर दिया जाएगा, परन्तु सर्विस टैक्स जो सरकार को अदा कर दिया गया है वापस नहीं किया जा सकेगा। इस मीटिंग के बाद परिवादीगण उपस्थित नहीं हुए, इसलिए दि. 19.03.19 को प्रश्नगत
फ्लैट का आवंटन निरस्त कर दिया गया और परिवादीगण से अनुरोध किया गया कि वे जमा धन वापस कर सकते हैं, परन्तु परिवादीगण द्वारा अनाश्यक रूप से परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया, जबकि परिवादी करार की शर्तों से बाध्य है, अत: परिवाद खारिज होने योग्य है।
5. लिखित कथन के समर्थन में शपथपत्र तथा एनेक्सर संख्या 1 लगायत 13 प्रस्तुत किए गए हैं।
6. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनी गई तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया गया।
7. एनेक्सर संख्या 1 के अवलोकन से जाहिर होता है कि तेरहवें फ्लोर का उल्लेख स्वयं परिवादीगण द्वारा अपने आवेदन में किया गया है, इसलिए यह आरोप असत्य साबित है कि विपक्षीगण द्वारा जानबूझकर धोखे से तेरहवें फ्लोर पर उन्हें फ्लैट आवंटित कर दिया गया।
8. विपक्षीगण द्वारा परिवादी को जो आवंटन पत्र दिनांकित 04.08.16 प्रेषित किया गया है उसमें परिवादीगण द्वारा दिए गए आवेदन की तिथि 03.08.16 का उल्लेख किया गया है और यह स्पष्ट रूप से अंकित किया गया है कि तेरहवें फ्लोर पर फ्लैट आवंटित किया जाता है, अत: इस दस्तावेज से साबित होता है कि परिवादीगण द्वारा अपने आवेदन में जिस फ्लोर पर फ्लैट आवंटित करने के लिए लिखा गया उसी फ्लोर पर फ्लैट आवंटित किया गया।
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9. परिवादीगण द्वारा यद्यपि इस फ्लोर पर आवंटित फ्लैट को किसी अन्य फ्लोर पर परिवर्तित करने के लिए पत्र लिखे गए, जो पत्रावली पर मौजूद है, परन्तु एनेक्सर 5 से जाहिर होता है कि कंपनी द्वारा परिवादीगण को सूचित किया गया कि टावर संख्या 8 के अन्य किसी फ्लोर पर कोई फ्लैट खाली नहीं है। इस पत्र के बाद परिवादीगण द्वारा धन वापसी की मांग की गई, जिसका भुगतान परिवादीगण द्वारा किया जा चुका है। विपक्षीगण द्वारा एनेक्सर संख्या 7 के माध्यम से सूचित किया गया कि आपके अनुरोध पर तेरहवें फ्लोर पर फ्लैट आवंटित किया गया है। परिवादीगण द्वारा स्वयं जो आवेदन प्रस्तुत किया गया, उसमें भी तेरहवें फ्लोर पर आवंटन करने का उल्लेख है, इसलिए विपक्षीगण द्वारा किसी प्रकार का धोखा कारित नहीं किया गया और तदनुसार सेवा में कोई कमी नहीं की गई, अत: परिवादीगण किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है, परन्तु चूंकि विपक्षीगण द्वारा स्वयं लिखित कथन में उल्लेख किया गया है कि वे परिवादीगण द्वारा जमा राशि को बगैर किसी कटौती के वापस करने के लिए तत्पर है, अत: विपक्षीगण अपने इस स्टैण्ड पर कायम रह सकते हैं, ऐसी अपेक्षा की जाती है, परन्तु परिवाद पत्र विधि के अंतर्गत संधारणीय न होने के कारण खारिज होने योग्य है।
आदेश
परिवाद खारिज किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार) अध्यक्ष सदस्य
राकेश, पी0ए0-2, कोर्ट-1