ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षी सं0-2 से परिवादी को 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 30,245/- रूपया दिलाये जाये। मानसिक कष्ट की मद में 50,000/- रूपया तथा परिवाद व्यय की मद में 5,000/- रूपया विपक्षीगण से अतिरिक्त दिलाऐ जाने की मांग परिवादी ने की है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी सं0-4 से एक वाहन आयशर मॉडल 11.10 दिनांक 22/07/2010 को क्रय किया था। वाहन की डिलिवरी विपक्षी सं0-3 ने दी, आर0टी0ओ0 कार्यालय से इसे परिवादी ने पंजीकृत कराया। रजिस्ट्रेशन नम्बर-यू0पी0 86 एच0/9961 इस वाहन को दिया गया। वाहन की एक साल की वारण्टी थी। दिनांक 10/10/2010 को परिवादी इस वाहन से बंगलूर गया। वाहन को चालक मौ0 युनिस चला रहा था। बंगलूर पहुँचने पर वाहन खराब हो गया। आयशर कम्पनी के अधिकृत विक्रेता - विपक्षी सं0-2 से सम्पर्क किया गया। विपक्षी सं0-2 ने वाहन का निरीक्षण कराया। चॅूंकि वाहन वारंटी में था अत: विपक्षी सं0-2 से इसे ठीक कराया गया। विपक्षी सं0-2 ने ठीक करने के 30,245/- रूपया चार्ज किये जब परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से कहा कि वाहन तो वांरटी में है तो विपक्षी सं0-2 ने पत्र दिनांकित 18/10/2010 द्वारा परिवादी को बताया कि वे तकनीकी वारंटी को नहीं मानते, मजबूरन परिवादी को 30,245/- रूपया का भुगतान करना पड़ा। परिवादी ने मुरादाबाद लौटकर विपक्षीगण से सम्पर्क किया, किन्तु उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की। परिवादी के अनुसार वह विपक्षीगण का उपभोक्ता है। विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है। परिवादी ने उपरोक्त कथनों के आधार पर परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/2 प्रस्तुत किया गया। शेष विपक्षीगण तामीला के बावजूद उपस्थित नहीं हुऐ उनके विरूद्ध परिवादी एकपक्षीय चला।
- विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवाद पत्र में परिवादी द्वारा आयशर कम्पनी का वाहन खरीदा जाना और उसे आर0टी0ओ0 कार्यालय द्वारा रजिस्ट्रेशन नम्बर- यू0पी0 86 एच0/9961 आवंटित होना तो स्वीकार किया गया किन्तु शेष कथनों से इन्कार किया गया। अतिरिक्त कथनों में कहा गया कि परिवादी ने वाहन को व्यवसायिक उपयोग के लिए खरीदा है और उसका व्यवसायिक उपयोग कर रहा है अत: परिवादी ‘’ उपभोक्ता ‘’ की श्रेणी में नहीं आता। जैसे ही उत्तरदाता विपक्षी को वाहन खराब होने की सूचना मिली उसने तुरन्त अपने टैकनीशियन को मौके पर भेजा। वाहन को वह वर्कशॉप तक लाया। वाहन की चेकिंग पर पाया गया कि उसका यू0जे0 क्रास टूटा था, गेयर बाक्स केसिंग और लोअर केसिंग चटकी हुई थी यह त्रुटियां ड्राईवर द्वारा वाहन को गलत तरीके से चलाये जाने पर उत्पन्न हुई थी, तकनीकी बनावट के कारण ऐसा नहीं हुआ था। उत्तरदाता विपक्षी ने अग्रेत्तर कहा कि वाहन में निर्माण सम्बन्धी कोई दोष नहीं था। गाड़ी को गलत तरीके से चलाने और क्षमता से अधिक भार ढ़ोने की बजह से यह कमियां उत्पन्न हुई। परिवादी की सहमति लेने के उपरान्त वाहन को उसके खर्चे पर ठीक किया गया था जब-जब परिवादी
- वाहन को सर्विस के लिए लाया तो पूर्ण सन्तुष्टि के साथ सर्विस की गयी। उत्तरदाता विपक्षी ने सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की। उत्तरदाता विपक्षी ने अग्रेत्तर यह भी कथन किया कि परिवादी ने आवश्यकता से अधिक भार के लिए वाहन को पास कराया है और वाहन पर क्षमता से अधिक भार लादकर परिवादी व्यापार करता है। परिवादी ने सोची समझी साजिश के तहत असत्य कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित किया है। उत्तरदाता विपक्षी ने विशेष व्यय सहित परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ परिवादी ने विपक्षी सं0-2 द्वारा दी गयी खर्चें की कैश मीमो, उसकी डिटेल, परिवादी को सम्बोधित विपक्षी सं0-2 का पत्र दिनांकित 18/10/2010, प्रश्नगत वाहन की डिलिवरी रसीद, डिलिवरी नोट, रजिस्ट्रेशन सार्टिफिकेट तथा बीमा कवरनोट की नकल को दाखिल किया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/6 लगायत 3/12 हैं।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-27/1 लगायत 27/2 दाखिल किया।
- विपक्षी सं0-1 की ओर से श्री अजय कुमार का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-28/1 लगायत 28/2 दाखिल किया गया।
- परिवादी और विपक्षी सं0-1 की ओर से लिखित बहस दाखिल की गयी।
- हमने परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।सामान्य सदस्य श्रीमती मंजू श्रीवास्तव बहस की तिथि पर अवकाश पर थीं।
- इस परिवाद को केवल विपक्षी सं0-1 की ओर से कंटेस्ट किया गया। विपक्षी सं0-1 परिवादी द्वारा खरीदे गऐ वाहन की निर्माता कम्पनी है। सुविधा की दृष्टि से हम यह उल्लेख करना आवश्यक समझते हैं कि विपक्षी सं0-2 विपक्षी सं0-1 का बंगलूरू स्थित अधिक़त विक्रेता है, जिसने विपक्षी सं0-1 के निर्देश पर दिनांक 18/10/2010 को परिवादी के वाहन को ठीक किया था और इसकी ऐवज में परिवादी से 30,245/- रूपया चार्ज किये थे। विपक्षी सं0-3 वह फर्म है जिसने परिवादी को प्रश्नगत वाहन की डिलिवरी दी थी। यह वाहन परिवादी ने विपक्षी सं0-4 के माध्यम से बुक कराया था।
- परिवादी ने यह वाहन दिनांक 22/07/2010 को खरीदा था। इस तथ्य का विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवाद नहीं किया है। परिवादी के इस कथन का भी विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवाद नहीं किया है कि इस वाहन की एक वर्ष की वारण्टी थी। परिवादी के अनुसार उसका वाहन दिनांक 10/10/2010 को बंगलौर में खराब हुआ था जिसकी सूचना मिलने पर विपक्षी सं0-1 ने विपक्षी सं0-2 के माध्यम से इसे ठीक कराया। विवाद केवल इतना है कि वाहन में जो टूट-फूट हुई थी वह निर्माण सम्बन्धी दोष की बजह से हुई अथवा वाहन को गलत तरीके से चलाने और इसमें क्षमता से अधिक भार ढ़ोने की बजह से यह टूट-फूट हुई थी। परिवादी पक्ष का कथन है कि वाहन में निर्माण सम्बन्धी दोष थे जबकि विपक्षी सं0-1 ने अपने प्रतिवाद पत्र में टूट-फूट का कारण ड्राईवर द्वारा गलत तरीके से गाड़ी चलाया जाना और वाहन में क्षमता से अधिक भार ढ़ोया जाना था। उल्लेखनीय है कि परिवादी के इस वाहन का यू0जे0 क्रास टूटा था, गेयर बाक्स केसिंग और लोअर केसिंग चटक गई थी।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने बहस के प्रारम्भ में विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-28/1 लगायत 28/2 की स्वीकार्यता पर आपत्ति उठायी, उनका कथन है कि जिन अजय कुमार द्वारा यह शपथ पत्र दाखिल किया गया है उनके पक्ष में विपक्षी सं0-1 की ओर से कोई अधिकार पत्र दाखिल नहीं किया गया है ऐसी दशा में विपक्षी सं0-1 का उक्त साक्ष्य शपथ पत्र साक्ष्य में पढ़े जाने योग्य नहीं है। हम परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के उक्त तर्क से सहमत हैं। चँकि श्री अजय कुमार के पक्ष में किसी प्रकार का कोई अधिकार पत्र पत्रावली में दाखिल नहीं किया गया है अत: यह प्रकट नहीं है कि श्री अजय कुमार विपक्षी सं0-1 की ओर से साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु अथवा इस मामले का विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रतिवाद करने हेतु अधिकृत थे।
- यदि तर्क के तौर पर हम यह मान लें कि श्री अजय कुमार विपक्षी सं0-1 की ओर से मामले का प्रतिवाद करने तथा साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु अधिकृत थे उससे भी विपक्षी सं0-1 को कोई लाभ नहीं मिलाता। किसी ठोस प्रमाण के अभाव में हम यह स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि गाड़ी का यू0जे0 क्रास, गेयर बाक्स केसिंग और लोअर केसिंग में जो टूट-फूट हुई थी उसका कारण वह ड्राईवर द्वारा वाहन को गलत तरीके से चलाया जाना एवं वाहन में क्षमता से अधिकर भार ढ़ोया जाना था। प्रकटत: यह निर्माण सम्बन्धी दोष है। वाहन की भार ढ़ोने की कितनी क्षमता है यह रजिस्ट्रेशन सार्टिफिकेट 3/11 में उल्लिखित है। विपक्षी सं0-1 की ओर से ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया गया है जिससे प्रकट हो कि वाहन में निर्धारित क्षमता से अधिक भार ढ़ोया जा रहा था तथा ड्राईवर द्वारा वाहन को गलत तरीके से चलाया जा रहा था। ऐसी दशा में विपक्षी सं0-1 की ओर से किये गये यह कथन कि वाहन में टूट-फूट वाहन चालक द्वारा गलत तरीके से वाहन चलाऐ जाने और वाहन में क्षमता से अधिक भार ढ़ोने की बजह से हुई थी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। पत्रावली में अवस्थित विपक्षी सं0-2 के पत्र दिनांकित 18/10/2010 (कागज सं0-3/8) को इंगित करते हुऐ विपक्षी सं0-1 की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि वाहन की रिपेयर परिवादी की स्वीकृति से की गयी थी अत: अब परिवादी रिपेयर हेतु अदा की गयी धनराशि वापिस मांगने का अधिकारी नहीं है। हम इस तर्क से भी सहमत नहीं हैं। घर से दूर बंगलूरू में वाहन खराब हो जाने पर परिवादी के पास सम्भवत: पत्र दिनांक 18/10/2010 में किये गये प्रस्ताव पर सहमति देने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं था। पत्र दिनांक 18/10/2010 पर स्वीकृति/ सहमति देने मात्र से वाहन की निर्माता कम्पनी - विपक्षी सं0-1 को कदाचित यह अधिकार नहीं मिल जाता कि निर्माण सम्बन्धी दोष उत्पन्न होने और वाहन वारण्टी अवधि में होने के बावजूद परिवादी की मजबूरी का फायदा उठाकर उससे रिपेयर के पैसे चार्ज करे/ कराये।
14 - विपक्षी सं0-1 का यह भी तर्क है कि इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं हैं आधार यह लिया गया कि प्रश्नगत वाहन का परिवादी व्यवसायिक प्रयोग कर रहा था। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने प्रतिवाद किया। विपक्षी सं0-1 की ओर से ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया गया जिसके प्रकट हो कि परिवादी द्वारा वाहन का व्यवसायिक प्रयोग किया जाता था। मात्र परिकल्पना के आधार पर विपक्षी सं0-1 की ओर से क्षेत्राधिकार सम्बन्धी उठायी गयी आपत्ति स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। हम इस मत के हैं कि फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है। हमारे अभिमत में बिल कागज सं0-3/6 में उल्लिखित 30,245/- रूपया की धनराशि परिवादी से गलत वसूल की गयी जिसे परिवादी ब्याज सहित वापिस पाने का अधिकारी है। उक्त के अतिरिक्त परिवाद व्यय की मद में 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) और मानसिक कष्ट की मद में क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/- (पाँच हजार रूपया) परिवादी को अतिरिक्त दिलाया जाना हम न्यायोचित समझाते हैं। परिवाद तदानुसार स्वीकार होने योग्य है। परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 09 प्रतिशत ब्याज सहित 30,245/- (रू0 तीस हजार दो सौ पैतालीस केवल) की वसूली हेतु यह परिवाद, परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध सव्यय स्वीकार किया जाता है। परिवादी परिवाद व्यय के रूप में 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) तथा क्षतिपूर्ति की मद में 5,000/- (पाँच हजार रूपया) इन विपक्षीगण से अतिरिक्त पायेगा। इस आदेशानुसार धनराशि का भुगतान आज की तिथि से दो माह में किया जाये। (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 27.07.2015 27.07.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 27.07.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 27.07.2015 27.07.2015 | |