(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1331/2005
The Oriental Insurance Company Ltd.
Versus
Ehrar Khan S/O Sri Ishtiak Khan & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आशीष कुमार श्रीवास्तव, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :02.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-10/2001, एहरार खॉ व अन्य बनाम प्रबन्धक दि ओरियण्टल इं0कं0लि0 में जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 12.07.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी की ओर विद्धान अधिवक्ता श्री आशीष कुमार श्रीवास्तव को सुना गया। प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा उपस्थित आ चुके थे, परंतु उनके द्वारा न तो वकालतनामा दाखिल किया गया और न ही बहस के लिए आज उपस्थित हैं। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्य के अनुसार परिवादी द्वारा वाहन सं0 यू0पी0 42सी/0131, 307 मेटाडोर का बीमा दिनांक 07.10.1997 को प्राप्त किया था। बीमित अवधि के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण वाहन क्षतिग्रस्त हो गया, जिसकी मरम्मत में 50,000/-रू0 खर्च हुए, परंतु बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया।
3. बीमा कम्पनी का कथन है कि सर्वेयर द्वारा केवल 8,000/-रू0 क्षति का आंकलन किया गया है, जिसमें कटौती के पश्चात 7,220/-रू0 है। बीमा कम्पनी का कथन है कि चालक के पास वैध डी0एल0 नहीं था और वांछित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गये।
4. जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि सर्वेयर द्वारा अंकन 7,220/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है, परंतु आगे यह निष्कर्ष दिया है कि परिवादी द्वारा जो रसीदें उपलब्ध करायी गयी है, उनके अनुसार 32,207.33/-रू0 का खर्च हुआ है। यह सही है कि सर्वेयर द्वारा केवल 7,220/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है, परंतु जिला उपभोक्ता मंच ने उसके समक्ष प्रस्तुत की गयी रसीदों की विस्तृत व्याख्या की है, जिसके आधार पर अंकन 32,207.33/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है। इस आंकलन में हस्तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता क्योंकि सर्वेयर रिपोर्ट किसी बिन्दु पर अंतिम रिपोर्ट नहीं मानी जा सकती। सर्वेयर रिपोर्ट के विपरीत यदि परिवादी द्वारा वास्तविक खर्च की रसीदें प्रस्तुत की गयी है तब उन पर विचार करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग ने कोई त्रुटि कारित नहीं की है।
5. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि स्वयं जिला उपभोक्ता मंच ने कई रसीदों के उल्लेख को सही नहीं माना। यह तर्क स्वयं साबित करता है कि जिला उपभोक्ता मंच ने केवल रसीदें प्रस्तुत करने मात्र से अपना निष्कर्ष नहीं दिया, अपितु उनकी प्रमाणिकता पर भी विचार किया है, इसलिए इस निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3