Uttar Pradesh

StateCommission

CC/167/2017

Rajendra Singh - Complainant(s)

Versus

Edelweiss Tokio Life Insurance Co.L td - Opp.Party(s)

Umesh Kumar Srivastava & B.K. Upadhyay

10 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/167/2017
( Date of Filing : 05 May 2017 )
 
1. Rajendra Singh
S/O Sri Mule Singh R/O Kamla Colony Ward N0. 3 Dholpur (Rajasthan)
...........Complainant(s)
Versus
1. Edelweiss Tokio Life Insurance Co.L td
Resg. Office at Edelweiss House Opposite C.S.T. Road Kalina Mumbai
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Aug 2021
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

परिवाद संख्‍या  167 सन 2017

 श्री राजेन्‍द्र सिंह पुत्र श्री मुले सिंह निवासी कमला कालोनी, वार्ड नम्‍बर-3, धौलपुर राजस्‍थान  ।                                              .......परिवादी

-बनाम-

 

1. इडेल्विश टोकियो लाइफ इंश्‍योरेंस कं0लि0 रजि0 आफिस एडिल्विश हाउस, अपोजिट सी0एस0टी0 रोड, कलीना, मुम्‍बई द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्‍टर/प्रंसिपल आफीसर।

2.  इडेल्विश टोकियो लाइफ इंश्‍योरेंस कं0लि0 ब्रांच आफिस अनुपमा प्‍लाजा द्वितीय तल, ब्‍लाक नम्‍बर 50/15, संजय प्‍लेस, थाना हरीपर्वत, आगरा द्वारा प्रिंसपल आफीसर ।

. विपक्षीगण

 

 

समक्ष:-

मा0   श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य ।

मा0    श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  - श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव

                                   श्री बी0के0 उपाध्‍याय ।

विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता - श्री मनु दीक्षित।

 

दिनांक:-23-08-21

 

श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

      परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि विपक्षीगण के एजेण्‍ट द्वारा बीमा के लाभों के बारे में बताने पर परिवादी की पत्‍नी निशा सिंह ने '' सेफ एन स्‍योर प्‍लान''  के तहत 15 लाख रू0 की पालिसी संख्‍या 003565629ई एवं 50 लाख की पालिसी संख्‍या 003565602ई वांछित समस्‍त औपचारिकताओं की पूर्ति कर ली थी।  बीमित अवधि में ही बीमाधारिका निशासिंह, जिनकी आयु लगभग 21 वर्ष थी, की अपने गांव भोगलपुरा जिला आगरा में सवमर्सिवल पम्‍प के इलेक्ट्रिक करेन्‍ट की चपेट में आने के कारण विद्युत करेन्‍ट से जलने से मृत्‍यु हो गयी। बीमाधारिका का पोस्‍टमार्टम दिनांक 21.08.2014 को कराया गया तथा पुलिस द्वारा भी अपनी रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक शाक से मृत्‍यु होना प्रमाणित किया गया। परिवादी ने नामिनी होने के नाते समस्‍त वांछित औपचारिकताऐं पूर्ण कर क्‍लेम प्रस्‍तुत किया, लेकिन बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा धारक के व्‍यवसाय एवं अन्‍य बीमा कम्‍पनी से ली गयी दो पालिसियों की बात छिपाने का उल्‍लेख करते हए उसके क्‍लेम को खारिज कर दिया गया।

     परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में अपना शपथपत्र तथा अभिलेखीय याक्ष्‍य एवं विधि व्‍यवस्‍थाऐं प्रस्‍तुत की।                  

      विपक्षीगण की ओर से अपना वादोत्‍तर प्रस्‍तुत कर परिवाद के कथनों का खण्‍डन करते हुए उल्लिखित किया गया कि बीमा धारिका ने अपने व्‍यवसाय से संबंधित कथनों को सही नहीं बताया है तथा पूर्व में  ली गयी पालिसियों का उल्‍लेख प्रस्‍ताव पत्र में नहीं किया है। परिवादिनी के परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार न बनाए जाने का दोष है। परिवाद में कई विषम बिन्‍दु सन्निहित हैं, जिनका निराकरण जिला आयोग द्वारा नहीं किया जा सकता है। परिवादिनी ने अपनी आय एवं वास्‍तविक व्‍यवसाय का उल्‍लेख नहीं किया है तथा बीमा एजेण्‍ट को पक्षकार नहीं बनाया है। ऐसी दशा में बीमा अधिनियम की धारा 45 के अन्‍तर्गत बीमा कम्‍पनी द्वारा परिवादिनी के क्‍लेम को सही प्रकार से निरस्‍त किया है।

      विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में  अपना शपथपत्र तथा अभिलेखीय याक्ष्‍य एवं विधि व्‍यवस्‍थाऐं प्रस्‍तुत की। 

      हमने उभय पक्ष के साक्ष्‍य एवं अभिवचनों का सम्‍यक अवलोकन किया।

        पत्रावली  के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी की पत्‍नी निशा सिंह ने ''सेफ एन स्‍योर प्‍लान''  के तहत 15 लाख रू0 की पालिसी संख्‍या 003565629ई एवं 50 लाख की पालिसी संख्‍या 003565602ई ली थी ।  बीमित अवधि में ही बीमाधारिका सवमर्सिवल पम्‍प के इलेक्ट्रिक करेन्‍ट की चपेट में आने से मृत्‍यु हो गयी। लेकिन बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमित धनराशि का भुगतान नहीं किया गया, ज‍बकि विपक्षीगण का तर्क है कि बीमा धारिका ने पूर्व में  ली गयी पालिसियों का उल्‍लेख प्रस्‍ताव पत्र में नहीं किया है । परिवाद में कई विषम बिन्‍दु सन्निहित हैं, जिनका निराकरण जिला आयोग द्वारा नहीं किया जा सकता है। परिवादिनी ने अपनी आय एवं वास्‍तविक व्‍यवसाय का उल्‍लेख नहीं किया है  तथा बीमा एजेण्‍ट को पक्षकार नहीं बनाया है।

      पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य से स्‍पष्‍ट है कि बीमाधारिका द्वारा ली गयी 15 लाख रू0 की पालिसी संख्‍या 003565629ई का अर्द्धवार्षिक प्रीमियम 24,199.00 एवं जोखिम दि0 31.03.2014 से प्रभावी थी तथा 50 लाख की पालिसी संख्‍या 003565602ई का वार्षिक प्रीमियम 4927.00 रू0 एवं जो‍खित तिथि 31.03.2014 से प्रभावी थी। बीमा कराते समय औपचारिकताओं की पूर्ति के अन्‍तर्गत बीमाधारिका के स्‍वास्‍थ का परीक्षण भी हुआ था। बीमित अवधि में ही दिनांक 21.08.2014 को सबमर्सिवल के करेन्‍ट से बीमाधारिका की मृत्‍यु हुयी है। बीमा धारिका किसी पूर्व बीमारी से ग्रसित नही थी, उसकी मृत्‍यु एक दुर्घटना थी यह उभय पक्ष को स्‍वीकार है।  विपक्षी बीमा कम्‍पनी का तर्क है कि बीमा धारिका द्वारा अपनी आय एवं प्रश्‍नगत बीमा कराने से पूर्व अन्‍य ली गयी बीमा की पालिसियॉं के बारे में प्रस्‍ताव पत्र में कोई उल्‍लेख नहीं किया।

      विपक्षीगण द्वारा उल्लिखित किया गया है कि प्रश्‍नगत पालि‍सियॉं लेने के पूर्व बीमा कर्ती द्वारा मेट लाइफ कम्‍पनी से 09,61,200.00 रू0 की पालिसी दिनांक 29.03.2014 को ली गयी थी ।  

      उल्‍लेखनीय है कि विपक्षीगण से प्रश्‍नगत विवादित पालिसियॉं दिनांक 12.03.2014 को ली गयी है। विपक्षीगण का आरोप है कि उक्‍त पालिसी में पूर्व दिनांक 29.03.2014 को ली गयी पालिसी का उल्‍लेख नहीं किया गया है जो स्‍वयं में ही हास्‍यास्‍पद प्रतीत होता है। पूर्व में  ली गयी पालिसी का विवरण बाद में ली जाने वाली पालिसी में किस प्रकार दिया जा सकता है। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि बीमाधारिका ने बिरला सन लाइफ इंश्‍योरेंस से 12,25000.00 की पालिसी ली थी लेकिन उसका प्रस्‍ताव, प्रश्‍नगत विवादित पालिसी लेने से पहले पास नहीं हुआ था इसलिए उसका उल्‍लेख प्रश्‍नगत विवादित पालिसी के प्रस्‍ताव पत्र में नहीं किया गया ।

      विपक्षीगण का तर्क है कि बीमाधारिका ने अपनी आय का विवरण नहीं दिया है। बीमा धारिका द्वारा वर्ष 2012-13, 2013-14, एवं वर्ष 2014-15 का आई0टी0आर प्रस्‍तुत किया है जिसके अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि बीमाधारिका भूमि तथा जे0सी0बी0 मशीन की स्‍वामिनी थी तथा वह श्रीराम इन्‍फ्रा0 एग्रो वेयर हाउस, बरेह हम्‍बाह में नौकरी करके तथा टयूशन आदि से धन अर्जित कर रही थी जिससे स्‍पष्‍ट है कि वह धन अर्जित कर रही थी बीमा पालिसियों की किस्‍ते अदा करने में सक्षम थी ।

      यहां पर यह भी स्‍पष्‍ट स्‍पष्‍ट करना है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा अपने जबाव दावे में जिन प्रारम्भिक आपत्तियों का उल्‍लेख किया है तथा उन बिन्‍दुओं पर विचारण आवश्‍यक बताया है, उन सभी बिन्‍दुओं पर बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा करते समय विचार करना चाहिए जिसके सम्‍बन्‍ध मे कोई कार्यवाही बीमा करने से पूर्व बीमा कम्‍पनी द्वारा नहीं की गयी  और न कोई पूंछतॉंछ की गयी। विपक्षीगण द्वारा उल्लिखित किया गया है परिवादिनी ने बीमा एजेंट को पक्षकार नहीं बनाया है। बीमा एजेण्‍ट स्‍वयं बीमा कम्‍पनी का अभिकर्ता होता है। यदि उसके किसी कृत्‍य से बीमा कम्‍पनी को कोई सन्‍देह है तो वह स्‍वयं ही उससे स्‍पष्‍टीकरण ले सकता है।

      उक्‍त के अतिरिक्‍त यदि बीमा कम्‍पनी को किस्‍तों की अदायगी में कोई सन्‍देह था तो बीमा करने से पूर्व बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमाधारिका के आय के श्रोतों की विधिवत् जांच कर लेनी चाहिए थी तभी उसे पालिसी देनी चाहिए थी। बीमा हो जाने तथा किस्‍त अदायगी के पश्‍चात दुर्घटना होने पर बीमा कम्‍पनी का यह कथन कि बीमाधारिका के पास आय का ऐसा साधन नहीं था जिससे कि वह पूर्व एवं पश्‍चात में ली गयी पालिसियों की किश्‍तों का भुगतान कर सकती, गलत है। परिवादी द्वारा बीमाधारिका की आय का जो विवरण प्रस्‍तुत किया है, उससे स्‍पष्‍ट है कि बीमा धारिका की आय पर्याप्‍त थी तथा वह किस्‍तों की अदायगी में सक्षम थी । बीमा धारिका की मृत्‍यु भी एक दुर्घटना के अन्‍तर्गत हुयी है, जो पोस्‍टमार्टम एवं पुलिस रिपोर्ट से सिद्ध है। बीमा कराने के बाद अल्‍प अवधि में ही बीमाधारिका की मृत्‍यु हो जाने के कारण बीमा कम्‍पनी बीमित धनराशि देने से बचने के लिए विभिन्‍न कारणों का बहाना ले रही है, जो उसकी सेवा में कमी को परिलक्षित करता है।

      बीमा धारिका द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य, अभिलेखों एवं विधि व्‍यवस्‍थाओं से उसका परिवाद सिद्ध है तथा वह बीमा कम्‍पनी से प्रश्‍नगत बीमित पालिसियों की बीमित धनराशि पाने की अधिकारिणी है।

      परिणामत: प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।    

आदेश

 

            परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण का आदेशित किया जाता है कि वह आज से दो माह के अन्‍दर पालिसी संख्‍या 003565629ई एवं पालिसी संख्‍या 003565602ई की बीमित राशि मय 09(नौ) प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित परिवाद दायरा के दिनांक से अदायगी तक अदा करें ।

      परिवादी विपक्षीगण से इस परिवाद व्‍यय के रूप में 10,000.00 (दस हजार) रू0 अलग से प्राप्‍त करेगा।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(गोवर्धन यादव)                                     (विकास सक्‍सेना)

    सदस्‍य                                               सदस्‍य

   सुबोल श्रीवास्‍तव

 पी0ए0(कोर्ट नं0-2)

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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