(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1216/2008
Chaudhary Man Singh Cold Storage
Versus
Edal Singh S/O Sri Jograj
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री राकेश सिंह परिहार, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :18.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-252/2007, एदल सिंह बनाम चौधरी मान सिंह में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 24.04.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी द्वारा रखे गये आलू, 176 बोरी वापस न लौटाने पर 400/-रू0 प्रति बोरी के हिसाब से अंकन 70,400/-रू0 09 प्रतिशत ब्याज के साथ तथा 3,000/-रू0 वाद व्यय हेतु आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार दिनांक 30.03.2007 को विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में 176 बोरी आलू का भण्डारण किया था, परंतु विपक्षी इस आलू को वापस नहीं किया, न ही आलू की कीमत लौटायी। तत्समय आलू की कीमत 450/-रू0 प्रति बोरी थी तथा खाने के प्रयोग में आने वाली आलू की कीमत 400/-रू0 बोरी थी।
4. विपक्षी का कथन है कि दिनांक 30.03.2007 को परिवादी ने कोल्ड स्टोरेज में आलू भण्डारित नहीं किया, बल्कि उसी दिन वापस कर दिया था, परंतु विपक्षी के मुनीम से यह अनुरोध किया आलू इस समय गोदाम में रखवा दे और वह किसी अन्य व्यक्ति को विक्रय करेगा तब परिवादी का आलू लाट वाली पर्ची पर गोदाम में रखने को कहा था, भण्डारण में नहीं रखा गया था।
5. अपीलार्थी के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि परिवादी ने आलू भण्डारित नहीं किया, इसलिए भण्डारण न होने की स्थिति में वापस लौटाने का कोई अवसर नहीं था, जबकि परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि आलू का भण्डारण किया गया था, जो कभी वापस नहीं लौटाया गया।
6. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का बाद में भी यह भी तर्क है कि जो आलू परिसर मे रखा गया था, वह परिवादी ने वापस उठा लिया है। इस तर्क के समर्थन में दिनांक 07.04.2007 को लिखे गये पत्र का हवाला दिया गया, जिसमें उल्लेख है कि 176 पैकेट आलू की रसीद कहीं खो गयी है। रसीद खोने के उपरान्त भी आलू की मांग की गयी है, इसके बाद दस्तावेज सं0 23 पर मौजूद विवरण से ज्ञात होता है कि ऐदल सिंह का आलू गोदाम मे रखा गया है तथा कुल बोरो की संख्या 176 है। लॉट सं0 468/176 पर है। यह दस्तावेज गोदाम मे रखे आलू का विवरण है, जिससे साबित होता है कि आलू गोदाम में रखा गया था, परंतु इसी एक दस्तावेज पर एक ही पेन एवं एक ही इंक से निकासी भी दर्शाया गया है, जबकि निकासी एक साथ नहीं हो सकती। निकासी के लिए गेट पास का होना होना आवश्यक है, इसलिए निकासी के संबंध मे जो सबूत प्रस्तुत किया गया, वह स्वीकार होने योग्य नहीं है। लिखित कथन में भी परिवादी द्वारा आलू लाये जाने से इंकार नहीं किया गया, केवल आलू होने के संबंध में शीतगृह के बाहर आलू रखने का कथन किया है, परंतु विपक्षी द्वारा उठाये गये अभिवाक साबित नहीं है। दस्तावेज सं0 23 के विवरण से गोदाम में आलू रखे जाने का उल्लेख है, आलू निकासी का सबूत दाखिल करने का दायित्व विपक्षी पर था, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आलू की कीमत लौटाने के संबंध में पारित किया गया आदेश उचित है, पंरतु परिवाद व्यय एवं मानसिक पीड़ा हेतु अंकन 3,000/-रू0 के संबंध में पारित आदेश अनुचित है क्योंकि आलू की कीमत पर ब्याज के लिए भी आदेशित किया गया है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में परिवाद व्यय एवं मानसिक पीड़ा हेतु अंकन 3,000/-रू0 के संबंध में पारित आदेश अपास्त किया जाता है। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2