RAM AWADH filed a consumer case on 21 Sep 2021 against EASTERN DISTRIBUTERS in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/167/2009 and the judgment uploaded on 30 Sep 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 167 सन् 2009
प्रस्तुति दिनांक 15.09.2009
निर्णय दिनांक 21.09.2021
राम अवध यादव पुत्र श्री बलिकरन यादव उम्र तखo 55 साल निवासी ग्राम- सरांवा, पोस्ट- नौहरा, थाना- दीदारगंज, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि विपक्षी संख्या 01 हीरो होण्डा मोटर साइकिल का अधिकृत व्यवसायी है। जिसका काम ग्राहकों से पैसा लेकर मोटर साईकिल बेचना है एवं मोटर साईकिल बेचते समय कम्पनी की शर्तों के मुताबिक वारण्टी बुक प्रदान करता है एवं उक्त वारण्टी बुक में दी गयी शर्तों के मुताबिक अन्दर मियाद कुछ सामान खराब होने पर उसके बदले में नया सामान देने अथवा मोटर साइकिल सही हालात में मरम्मत करके देने हेतु अपनी सेवा प्रदान करता है। जहाँ से याची ने दिनांक 24.03.2008 को हीरो होण्डा स्पलेन्डर क्रय किया। विपक्षी संख्या 02 हीरो होण्डा मोटर साइकिल अधिकृत व्यवसायी विपक्षी संख्या 01 का अधिकृत सेवा प्रदान करता है। जहाँ से याची समय पर अपनी मोटर साइकिल भी सर्विस कराता था। विपक्षी संख्या 01 के यहाँ से पैसे से मोटर साइकिल खरीद कर विपक्षी संख्या 02 के यहाँ से याची द्वारा सर्विसिंग कराना एवं उसके एवज में निर्धारित पैसे का भुगतान प्राप्त करके विपक्षीगण द्वारा याची की सेवाएं प्रदान करना, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1) ओ के तहत आता है और याची हसब धारा 2(1)डी. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत विपक्षीगण का उपभोक्ता है। दिनांक 22.09.2010 को अथराइज्ड डीलर के यहाँ की गयी मरम्मत का खर्च 1659/- + 5896/-=7555/- रुपए हुआ। विपक्षीगण द्वारा प्रदान की गयी सेवाओं में यदि किसी प्रकार की चूक या कमी होती है तो विपक्षीगण उक्त हुई चूक या कमी से हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं एवं याची उस नुकसान के लिए याचिका दायर करने के लिए अधिकृत है। याची विपक्षी संख्या 01 के यहां से प्राप्त वारण्टी बुक की शर्तों के मुताबिक विपक्षी संख्या 02 के यहाँ से हीरो होण्डा स्पलेन्डर मोटर साइकिल की नियमानुसार सर्विसिंग कराया। विपक्षी संख्या 02 के यहाँ से सर्विसिंग कराए जाते समय याची से बताया गया कि उक्त मोटर साइकिल का इंजन खराब हो गया। इंजन में आवाज आ रही है। मोटर खराब हो गया है, चेन पाकेट कट गयी है आदि। अन्य खामियां बताई गयीं। जिसकी ढीकर करने के लिए याची से कुल खर्च 15,000/- रुपया की मांग की गयी एवं दस दिन के लिए मोटर साइकिल मरम्मत हेतु छोड़ने हेतु कहा गया, जिस पर याची ने वारण्टी बुक विपक्षीगण को दिखाया, परन्तु विपक्षीगण वारण्टी बुक में दी गयी किसी शर्तों को मानने को तैयार नहीं हुए अन्त में उसने मजबूर होकर 15,000/- रुपए नकद जमा किया और मोटर साइकिल 10 दिन के लिए सर्विसिंग हेतु छोड़ दिया, जिससे याची का आना-जाना भी प्रभावित हुआ। विपक्षीगण के यहाँ बार-बार आने जाने में करीब दो हजार रुपया का अनावश्यक खर्च हुआ तो विपक्षीगण दवारा की गयी त्रुटिपूर्ण सेवा से याची को आर्थिक, मानसिक क्षति का सामना करना पड़ा, जिसके कारण समस्त क्षति मानसिक तनाव व असुविधा आदि की क्षति पूर्ति हेतु विपक्षीगण याची को देने के जिम्मेदार हैं। याची विपक्षीगण के यहाँ कई बार वारण्टी बुक में दी गयी शर्तों के मुताबिक भुगतान किए गए पैसे मुo 15,000/- रुपए एवं अन्य क्षति कुल एक लाख रुपए के वापसी की मांग किया परन्तु विपक्षीगण ने कम्पनी से सम्पर्क करके याची को पैसा वापस करने की सलाह देकर वापस भेज दिया। इस प्रकार याची विपक्षीगण से कई बार उक्त नुकसान की मांग किया परन्तु विपक्षीगण द्वारा याची को हुए नुकसान को अदा नहीं किया गया, एवं अन्त में दिनांक 08.09.2009 को क्षति पूर्ति देने से इन्कार कर दिया गया। जिससे मजबूर होकर परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को मुo 97,955/- रुपया याचिका दायर करने के तिथि से असल अदायगी की तिथि तक 18% वार्षिक ब्याज के साथ अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 5/1 आर.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 सर्विस रिकार्ड शीट की छायाप्रति, कागज संख्या 15/1 व 15/2 क्रमशः मुo 1,659/- व 5,296/- की रसीद, कागज संख्या 21ग सर्विस रिकार्ड शीट की मूल प्रति, कागज संख्या 22ग आर.सी. की छायाप्रति तथा कागज संख्या 36ग सेल सर्टिफिकेट की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 7क विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 02 से गाड़ी क्रय किया था, जिसकी किसी प्रकार की जिम्मेदारी विपक्षी संख्या 01 की नहीं है। याची का यह कथन कि नियमानुसार गाड़ी की सर्विसिंग कराना बिल्कुल गलत है। गाड़ी क्रय करते वक्त जो सर्विस बुक क्रेता को मिलती है उसमें सभी शर्तें बकायदा लिखी हुई होती हैं, जिसमें साफ उल्लेख है कि वारण्टी तभी मिलेगी जब क्रेता किसी अथराइज्ड सर्विस सेन्टर पर समय-समय से सर्विस कराएगा परन्तु याची ने अपनी सारी सर्विस ऐसी जगह करायी है जो कम्पनी का अथराइज्ड सर्विस सेन्टर नहीं है। अथराइज्ड सर्विस सेन्टर पर ही यह सुविधा है कि कम्पनी के इंजीनियर चेक करते हैं और खराबी पाने पर वारण्टी पास करते हैं और कम्पनी अपने खर्च पर मरम्मत करती है व पार्ट लगाती है और गाड़ी को सही कराती है। याची के उक्त शर्तों का पालन न करने के कारण कम्पनी या विपक्षी संख्या 01 का कोई दायित्व नहीं रह जाता है। विपक्षी संख्या 01 को बिला वजह पक्षकार मुकदमा बनाया गया है। याची ने आज तक विपक्षी संख्या 01 से न तो कोई सम्पर्क किया और न विपक्षी संख्या 01 के अधिकृत वर्कशॉप में नियमानुसार सर्विस कराई। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 29ग प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है जो कि Hero MotoCorp now offers 5 years warranty on all models है, कागज संख्या 39ग इस्टर्न डिस्ट्रीब्यूटर्स की रसीद प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 29ग जो पांच साल की वारण्टी दी गयी है वह कम्पनी द्वारा वारण्टी दी गयी है न कि डीलर द्वारा गारण्टी दी गयी है। याची का यह कर्तव्य था कि वह कम्पनी को पक्षकार मुकदमा बनाता तो उसे उसका खर्च दिलवाया जाता या मोटरसाईकिल बदलकर दूसरी मोटरसाईकिल दिलवायी जाती, लेकिन याची ने कम्पनी को पक्षकार मुकदमा नहीं बनाया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 21.09.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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