Uttar Pradesh

Barabanki

CC/42/2017

Vaishnavi Enterprises - Complainant(s)

Versus

Earth Life Care Enterprises etc. - Opp.Party(s)

Soney Lal etc.

20 Jun 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       06.04.2017

अंतिम सुनवाई की तिथि            24.05.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  20.06.2023

परिवाद संख्याः 42/2017

वैष्णवी इण्टरप्राइजेज प्रोपराइटर अंकुर प्रताप गायत्री नगर विकास भवन रोड जिला-बाराबंकी।

द्वारा-श्री सोने लाल, अधिवक्ता

श्री ब्रहमानन्द वर्मा, अधिवक्ता

बनाम

1. अर्थ लाइफ केयर इन्टरप्राइजेज एल-2/92 नियर प्रेम प्लाजा कानपुर लखनऊ रोड सेक्टर-जी, एल. डी. ए. कालोनी कानपुर रोड लखनऊ द्वारा 

    प्रबंधक।

2. दिनेश कुमार वर्मा अभिकर्ता के0/आफ धीरज कुमार वर्मा ग्राम ओबरी ग्लोबल स्कूल के पीछे पो0-गांधी आश्रम, बाराबंकी।

द्वारा-श्री विनय प्रकाश श्रीवास्तव, अधिवक्ता

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -कोई नहीं

              विपक्षीगण की ओर से-कोई नहीं

द्वारा-संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            परिवादी ने विपक्षी के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत परिवादी को विपक्षी से बकाया धनराशि रू0 3,30,000/-मय 12 प्रतिशत ब्याज सहित तथा मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति मु0 25,000/-एवं परिवाद व्यय व अधिवक्ता फीस रू0 5,000/-के अनुतोष की माँग किया है।

            संक्षेप में परिवाद कथानक इस प्रकार है कि परिवादी उक्त फर्म का प्रोपराइटर है तथा कम्प्यूटर और इलेक्ट्रानिक्स गुड्स की रिपेयरिंग व क्रय विक्रय का कार्य करता है। परिवादी के यहाँ विपक्षी संख्या-02 विपक्षी संख्या-01 के साथ दिनांक 04.11.2015 को आये और एल. ई. डी. बल्ब क्रय विक्रय करने की शर्ते एवं प्रस्ताव किया। परिवादी ने क्रय विक्रय करने की सहमति दी। बाद सहमति परिवादी ने विपक्षी को सौ-सौ रूपये के दो सादे स्टाम्प व अपनी दुकान के सादे लेटर पैड दे दिये और इसके बाद परिवादी ने विपक्षी को जरिये आर. टी. जी. एस. देना बैंक शाखा बाराबंकी से दिनांक 04.11.2015 को मु0 2,30,000/-, दिनांक 26.11.2015 को रू0 1,00,000/-तथा दिनांक 30.11.2015 को मु0 1,00,000/-भेज दिया। परिवादी द्वारा विपक्षी को रू0 4,30,000/-भेजने के उपरान्त विपक्षी परिवादी को प्रचार-प्रसार करने हेतु कुछ एल. ई. डी. बल्ब दुकान पर दे गये और कहा कि इनसे प्रचार के बाद मैं आपकी देय धनराशि के बल्ब उपलब्ध करा दूंगा। परिवादी ने जब विपक्षी द्वारा दिये बल्ब प्रचार प्रसार एवं उपयोग करने के बाद देखा कि बल्ब शर्त के मुताबिक सही नहीं निकले और न ही सही प्रकाश दिया। शिकायत विपक्षी से करने पर विपक्षी द्वारा कहा गया कि बल्ब ले जाओं अन्यथा हम पैसा वापस नहीं करेगें। विपक्षी के विरूद्व रिपोर्ट लिखाने की बात कहने पर दिनांक 05.01.2016 को किसी अन्य के खातें के माध्यम से परिवादी के खातें में रू0 1,00,000/-विपक्षी द्वारा भेजा गया। कुछ दिनो बाद धनराशि वापस मांगने पर विपक्षी ने धनराशि देने से इंकार कर दिया। परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से एक कानूनी नोटिस विपक्षी को दिनांक 09.03.2017 को प्रेषित की जिसका जवाब विपक्षी द्वारा दिनांक 22.03.2017 को देते हुये परिवादी के ऊपर फर्जी बिल दर्शित किया गया। विपक्षी के उक्त कृत्य से परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उपरोक्त अनुतोष हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी ने परिवाद के कथन के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।

            परिवादी ने सूची से बैंक स्टेटमेन्ट दिनांक 01.11.2015 से 31.01.2016, 01.12.2015 से 28.02.2016, विधिक नोटिस तथा नोटिस जवाब की छाया प्रति दाखिल किया है।

            विपक्षी की ओर से जवाबदावा में कहा गया है कि परिवादी द्वारा एल.ई.डी. बल्ब क्रय किये जाने का अनुरोध किया तथा विपक्षी के खातें में कुल रू0 4,30,000/-आर. टी. जी. एस. से तीन भिन्न तिथियों को भुगतान किया। परिवादी ने अपने सहयोगी के माध्यम से दिनांक 31.12.2015 तक रू0 1,92,925/-का माल प्राप्त किया जिसमे एक टैबलेट रू0 5,500/-का था। इस प्रकार कुल रू0 3,58,845/-का सामान क्रय किया तथा खराब एल0 ई0 डी0 बल्बों का रू0 10,625/-परिवादी के दिये गये मूल्यों से समस्त बल्ब का मूल्य घटा दिया गया था जिसके बाद विपक्षी का रू0 18,220/-शेष निकलता था। उस समय परिवादी द्वारा विपक्षी को रू0 12,050/-का भुगतान नगद किया गया शेष बकाया रू0 6,170/-देने में असमर्थता जताई। परिवादी ने कहा कि बल्ब कुछ अधिक आर्डर हो गये है, आगे सप्लाई कम हो रही है तो रू0 1,00,000/-का बल्ब कम करके दे दे। दिनांक 05.01.2016 को रू0 1,00,000/-परिवादी के खातें में आर. टी. जी. एस. से भेज दिया गया। परिवादी को दिनांक 31.12.2015 को रू0 1,92,925/-, दिनांक 01.01.2016 को रू0 70,720/-तथा दिनांक 18.01.2016 को रू0 51,000/-एवं दिनांक 13.02.2016 को रू0 11,900/-तथा दिनांक 13.03.2016 को रू0 32,300/-का माल शर्तो के अनुसार दे दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 19.03.2016 को विपक्षी से कुछ पुरानी टी0 एफ0 टी0 मानीटर की मांग की गयी जिस पर विपक्षी ने परिवादी को पुरानी टी0 एफ0 टी0 दे दी जिसका रू0 18,170/-विपक्षी को दिनांक 19.03.2016 को खाते में दी गई। परिवाद असत्य तथ्यों पर आधारित है। अतः निरस्त किये जाने की याचना की गई है।

            परिवादी ने परिवाद पत्र, संलग्न शपथपत्र व उसके साथ प्रस्तुत अभिलेख विवरण, बैंक खाता तथा नोटिस की प्रति दाखिल की। विपक्षी ने जवाबदावा तथा परिवादी ने जवाबुल जवाब प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् उभय पक्ष अनुपस्थित है। दोनो पक्षों को साक्ष्य/बहस के अवसर दिये गये। दोनो पक्षों ने कोई अन्य साक्ष्य या लिखित बहस नहीं प्रस्तुत की। दोनो पक्षों का साक्ष्य व बहस का अवसर समाप्त किया गया। कोई मौखिक बहस भी नहीं की।

            प्रकरण वर्ष-2017 से लम्बित है ऐसे में गुण-दोष के आधार पर निर्णय किया जाना उचित है। पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।

            वर्तमान प्रकरण में परिवादी को वाद पत्र में अंकित तथ्यों के आधार पर अपने साक्ष्य द्वारा यह सिद्व करना है कि परिवादी ने विपक्षी को आर. टी. जी. एस. देना बैंक बाराबंकी से दिनांक 04.11.2015, 26.11.2015 तथा 30.11.2015 को कुल रू0 4,30,000/-के एल. ई. डी. बल्ब क्रय करने हेतु दिये। उसके सम्बन्ध में विपक्षी द्वारा जो बल्ब प्रचार प्रसार के लिये दिये गये वह सही नहीं निकले जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षी से की तो विपक्षी ने कहा कि उसी प्रकार के बल्ब ले जाना है तो ले जाओ अन्यथा हम पैसा वापस नहीं करेगें। परिवादी द्वारा रिपोर्ट लिखाने की बात कहने पर दिनांक 05.01.2016 को रू0 1,00,000/-वापस किये। न तो शेष रूपया वापस किया और न ही एल. ई. डी. बल्ब दिये। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में केवल खाते से उपरोक्त तीन तिथियों पर धनराशि आर. टी. जी. एस. से विपक्षी को अंतरित करने का विवरण प्रस्तुत किया है। परिवादी ने अपने साक्ष्य में अपने व्यापार के सामान्य अनुक्रम में अनुरक्षित स्टाक का कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि परिवादी को विपक्षी से दिये गये धनराशि के एवज में पर्याप्त एल. ई. डी. बल्ब न तो प्राप्त हुये और न ही उनका किसी अन्य को विक्रय किया।

            विपक्षी ने जवाबदावा में रू0 10,625/-के एल. ई. डी. खराब बल्ब की धनराशि परिवादी द्वारा क्रय किये गये सामान के कुल मूल्य रू0 3,58,845/-से घटाना कहा है और उक्त धनराशि घटाने के बाद भी परिवादी पर रू0 18,220/-बकाया होना, परिवादी द्वारा विपक्षी को रू0 12,050/-नगद भुगतान किया जाना और बकाया रू0 6,170/-का भुगतान न करना, विपक्षी द्वारा बार-बार बकाया धनराशि मांगने पर वर्तमान परिवाद दायर करना अंकित किया है। विपक्षी ने अपने जवाबदावे में यह भी अंकित किया है कि परिवादी ने आर्डर किये गये कुछ बल्ब की संख्या कम की थी, तो विपक्षी ने दिनांक 05.01.2016 को रू0 1,00,000/-आर. टी. जी. एस. से परिवादी के खातें में वापस कर दिया। विपक्षी के जवाबदावें में यह भी अंकित है कि दिनांक 19.03.2016 को परिवादी ने विपक्षी से पुराने टी. एफ. टी. मानीटर की माॅग करने पर परिवादी ने पुरानी टी. एफ. टी. मानीटर मूल्य रू0 18,170/-दी। परिवादी ने रू0 18,170/-दिनांक 19.03.2016 को विपक्षी के खातें में भुगतान किया।

            परिवादी के कथनानुसार यदि दिनांक 05.01.2016 को विपक्षी द्वारा रू0 1,00,000/-वापस किये जाने के पश्चात कोई अन्य संव्यवहार परिवादी ने विपक्षी से नहीं किया था तो परिवादी को अपने खाते का दिनांक 19.03.2016 का विवरण भी प्रस्तुत कर देना चाहिये था, जिससे यह स्पष्ट हो सकता कि विपक्षी से दिनांक 19.03.2016 को भी व्यापारिक संव्यवहार हुआ या नहीं ?

            वर्तमान मामले में परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ एक साक्ष्य शपथपत्र दाखिल किया है तथा अपने खाते का दिनांक 04.11.2015 से लेकर 28.01.2016 तक का विवरण प्रस्तुत किया है। अन्य कोई मौखिक या अभिलेखीय साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया है। परिवादी के साक्ष्य से परिवाद पत्र में अंकित तथ्य पूर्ण रूपेण सिद्व नही होते है।

            प्रस्तुत मामले में त्रिवेणी कोल्ड स्टोरेज प्रा0 लि0 बनाम नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी, 2012 एन सी जे 193 (एन सी) में प्रतिपादित सिद्वान्त No relief can be allowed if the facts are not proved with sufficient evidence लागू होता है।

            उपरोक्त विवेचन के आलोक में परिवादी परिवाद पत्र में अंकित किसी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद संख्या-42/2017 निरस्त किया जाता है।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

        सदस्य                       सदस्य               अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

        सदस्य                       सदस्य               अध्यक्ष

दिनांक 20.06.2023

 

 

 

 

 

 

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