राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या-59/2016
1. Anil Kumar, S/o Bhirgu Nath Sah, aged about
45 years, R/o H.No.35, Village Turkaha,
P.O. + P.S. Gopalganj, District-Gopalganj,
Bihar-841428
2. Rinku Devi, D/o Bhola Shah, aged about 40 years,
R/o H.No.35, Village Turkaha, P.O. + P.S.
Gopalganj, District-Gopalganj, Bihar-841428.
....................परिवादीगण
बनाम
1. Earth Infrastructure Limited, 26, 1st Floor, Pusa
Raoad, Adjacent to Karol Bagh Metro Station, New
Delhi through its Managing Director.
2. Earth Infrastructure Limited, 26, 1st Floor, Pusa
Raoad, Adjacent to Karol Bagh Metro Station, New
Delhi through its Director.
3. Earth Infrastructure Limited, 26, 1st Floor, Pusa
Raoad, Adjacent to Karol Bagh Metro Station, New
Delhi through its Authorized Signatory.
...................विपक्षीगण
एवं
परिवाद संख्या-60/2016
1. Anil Kumar, S/o Bhirgu Nath Sah, aged about
45 years, R/o H.No.35, Village Turkaha,
P.O. + P.S. Gopalganj, District-Gopalganj,
Bihar-841428
2. Rinku Devi, D/o Bhola Shah, aged about 40 years,
R/o H.No.35, Village Turkaha, P.O. + P.S.
Gopalganj, District-Gopalganj, Bihar-841428.
....................परिवादीगण
बनाम
1. Earth Infrastructure Limited, 26, 1st Floor, Pusa
Raoad, Adjacent to Karol Bagh Metro Station, New
Delhi through its Managing Director.
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2. Earth Infrastructure Limited, 26, 1st Floor, Pusa
Raoad, Adjacent to Karol Bagh Metro Station, New
Delhi through its Director.
3. Earth Infrastructure Limited, 26, 1st Floor, Pusa
Raoad, Adjacent to Karol Bagh Metro Station, New
Delhi through its Authorized Signatory.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री मनीष जौहरी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 27-07-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपरोक्त दोनों परिवाद के परिवादीगण अनिल कुमार और रिंकू देवी हैं और दोनों ही परिवाद विपक्षीगण अर्थात् अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर, अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा डायरेक्टर और अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर लि0 द्वारा ऑथराइज्ड सिगनेटरी के विरूद्ध विपक्षीगण की योजना ‘EARTH TOWNE’ में आवंटित दो अलग-अलग फ्लैट के सम्बन्ध में समान कथन के साथ धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किए गए हैं। अत: दोनों परिवाद का निस्तारण एक साथ संयुक्त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण ने अपनी योजना ‘EARTH TOWNE’ का विज्ञापन प्रकाशित किया, जिसमें कहा गया कि बुकिंग की तिथि से
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36 महीने में कब्जा दिया जाएगा। अत: विज्ञापन पर विश्वास करते हुए परिवादीगण ने विपक्षीगण की उपरोक्त योजना में 2 BHK + 2 T + Study 1095 वर्गफुट क्षेत्रफल के दो फ्लैट बुक किए और दोनों के लिए अलग-अलग 11,89,640/-रू0 जमा किया। तब विपक्षीगण ने दोनों फ्लैट का अलग-अलग एलाटमेन्ट परिवादीगण को किया और दिनांक 02.02.2013 को दो अलग-अलग आवंटन करार निष्पादित किया, परन्तु मौके पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया। अत: परिवादीगण ने आगे कोई भुगतान नहीं किया, जबकि विपक्षीगण निर्माण कार्य प्रारम्भ किए बिना भुगतान की मांग करते रहे हैं।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण, परिवादीगण को निश्चित अवधि में फ्लैट उपलब्ध करा पाने में असमर्थ रहे और परिवादीगण को पता चला कि विपक्षीगण ने योजना का त्याग कर दिया है और ग्राहकों को बेवकूफ बना रहे हैं। तब उन्होंने जमा धनराशि वापस करने हेतु दिनांक 28.12.2015 को विपक्षीगण को प्रतिवेदन दिया। उसके बाद परिवादीगण दिनांक 11.01.2016 को साइट पर गए तो कार्य पूर्ण रूप से बन्द पाया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षीगण उन्हें फ्लैट का कब्जा दें अन्यथा वे जमा धनराशि पर परिवादीगण 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से चक्रवृद्धि ब्याज पाने के अधिकारी हैं।
दोनों परिवाद पत्र में परिवादीगण ने निम्न अनुतोष चाहा है:-
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- The Opposite Parties may be directed to handover the possession of the flat booked by the Complainant within 6 months.
- That the Opposite Parties if failed to handover the lawful possession of the flat than the booking amount of Rs. 11,89,640/- may be refunded in favour of Complainant with 18% interest per annum compounded quarterly from 17th August, 2012 and till the receipt of the payment.
- A sum of Rs. 1,00,000/- be awarded as cost of litigation.
- A sum of Rs. 10,00,000/- as compensation for mental agony and harassment caused by Callous and irresponsible behavior of the Opposite Parties be awarded in favour of complainant.
- Any other order, relief or direction which this Hon’ble Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also kindly be pleased to pass in favour of Complainant.
विपक्षीगण ने लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि परिवादीगण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं हैं। उन्होंने वाणिज्यिक उद्देश्य से लाभ हेतु धन लगाया है।
लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि परिवाद आयोग के क्षेत्राधिकार से परे है।
लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि निर्माण में विलम्ब न्यायिक आदेशों एवं अन्य ऐसे कारणों से हुआ है जो विपक्षीगण के नियंत्रण से परे हैं। प्रश्नगत ‘EARTH TOWNE’ योजना बहुत बड़ी योजना है, जिसमें 34 टावर का निर्माण होना है। निर्माण कार्य प्रगति पर है। परिवादीगण ने झूठे कथन के साथ परिवाद
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प्रस्तुत किया है। विपक्षीगण ने लिखित कथन में परिवादीगण का प्रतिवेदन दिनांक 28.12.2015 वास्ते वापसी जमा धनराशि पाने से इन्कार किया है।
उभय पक्ष ने अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किए हैं।
परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मनीष जौहरी और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादीगण ने अलग-अलग 11,89,640/-रू0 जमा कर दो फ्लैट की बुकिंग की है और विपक्षीगण ने उन्हें दो फ्लैट का एलाटमेन्ट अलग-अलग किया है। अत: परिवादीगण, विपक्षीगण की सेवा के उपभोक्ता हैं।
परिवादीगण ने दो फ्लैट बुक किया है मात्र इस आधार पर यह कहना उचित नहीं है कि परिवादीगण ने व्यवसायिक उद्देश्य से बुकिंग की है। परिवादीगण ने व्यवसायिक उद्देश्य से बुकिंग की है यह मानने हेतु उचित आधार विपक्षीगण दर्शित नहीं कर सके हैं।
प्रत्येक फ्लैट का मूल्य 40,26,125/-रू0 है। अत: परिवाद आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार में है।
दोनों परिवाद का संलग्नक-1 एलाटमेन्ट लेटर है, जो विपक्षीगण ने दोनों परिवाद के फ्लैटों के सम्बन्ध में परिवादीगण के पक्ष में अलग-अलग निर्गत किया है और दोनों ही एलाटमेन्ट
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लेटर के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि विपक्षीगण ने अपनी प्रश्नगत योजना में परिवादीगण को दो अलग-अलग फ्लैट 40,26,125/-रू0 के बेसिक मूल्य पर आवंटित किया है, जिसमें प्रत्येक फ्लैट हेतु 11,89,640/-रू0 का अलग-अलग भुगतान आवंटन पत्र जारी करने की तिथि तक परिवादीगण ने किया है। एलाटमेन्ट लेटर के साथ संलग्न पेमेन्ट प्लान के अनुसार बुकिंग के समय बेसिक सेल प्राइज का 10 प्रतिशत 3,06,600/-रू0 देय था और बुकिंग के 60 दिन के अन्दर पुन: बेसिक सेल प्राइज का 30 प्रतिशत 09,19,800/-रू0 देय था। उसके बाद पुन: 90 दिन के अन्दर बेसिक सेल प्राइज का 10 प्रतिशत 3,06,600/-रू0 देय था, परन्तु उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि परिवादीगण ने उपरोक्त दोनों फ्लैट के लिए अलग-अलग मात्र 11,89,640/-रू0 एलाटमेन्ट जारी होने की तिथि तक अदा किया है और उसके बाद कोई भुगतान उन्होंने दोनों में से किसी भी फ्लैट के लिए विपक्षीगण को नहीं किया है, जबकि पेमेन्ट प्लान के अनुसार दोनों फ्लैटों के बेसिक मूल्य का 50 प्रतिशत निर्माण प्रारम्भ होने के पूर्व ही उपरोक्त अवधि में जमा करना था। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परिवादीगण ने एलाटमेन्ट लेटर एवं करार पत्र के अनुसार भुगतान विपक्षीगण को प्रश्नगत फ्लैटों के सम्बन्ध में करने में चूक की है और परिवाद पत्र के कथन से ही यह स्पष्ट है कि परिवादीगण ने विपक्षीगण द्वारा मांग पत्र भेजे जाने पर भी अवशेष धनराशि का भुगतान इस आधार पर नहीं किया है कि विपक्षीगण ने फ्लैट का निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं किया है, परन्तु एलाटमेन्ट लेटर के साथ
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जो पेमेन्ट प्लान संलग्न है, उससे यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत फ्लैटों के बेसिक मूल्य के 50 प्रतिशत के भुगतान हेतु निर्माण कार्य प्रारम्भ होने की शर्त नहीं थी। पेमेन्ट प्लान के अनुसार भुगतान की चौथी किस्त बेसमेन्ट रूफ की कास्टिंग के समय देय थी। इसके पहले के भुगतान की किस्त निर्माण पर आधारित नहीं थी। अत: उपरोक्त तथ्यों पर विचार करने के उपरान्त यह मानने हेतु उचित और युक्त संगत आधार है कि परिवादीगण ने विपक्षीगण को प्रश्नगत फ्लैटों का भुगतान एलाटमेन्ट लेटर व करार पत्र के अनुसार नहीं किया है और भुगतान में चूक की है।
पक्षों के बीच हुए करार के प्रस्तर-13 में यह स्पष्ट प्राविधान है कि यदि भुगतान नहीं किया जाता है या किस्तों के भुगतान में विलम्ब किया जाता है तो बिल्डर कम्पनी को अधिकार है कि वह एलाटमेन्ट निरस्त कर दे। इसके साथ यह भी प्राविधान है कि यदि आवंटी अवशेष किस्त का भुगतान ब्याज सहित करता है तो बिल्डर कम्पनी एलाटमेन्ट कायम रख सकती है या आवंटी को दूसरा भवन आवंटी की इच्छानुसार आवंटित कर सकती है। विपक्षीगण की ओर से यह नहीं कहा गया है कि उन्होंने परिवादीगण का आवंटन निरस्त कर दिया है। इसके विपरीत परिवादीगण की ओर से परिवाद पत्र में कहा गया है कि उन्होंने जमा धनराशि वापस करने हेतु दिनांक 28.12.2015 को विपक्षीगण को प्रतिवेदन दिया है, जबकि विपक्षीगण ने परिवादीगण के इस प्रतिवेदन से इन्कार किया है। परिवादीगण ने अपने परिवाद पत्र के साथ संलग्नक-2 पत्र दिनांक 28.12.2015 संलग्न किया है, जिसकी प्राप्ति
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दिनांक 02.02.2016 की है, जिसमें जमा धनराशि 24,52,800/-रू0 ब्याज सहित वापस किए जाने का अनुरोध किया गया है। विपक्षीगण ने परिवादीगण का आवंटन निरस्त नहीं किया है और उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि परिवादीगण ने एलाटमेन्ट की शर्त के अनुसार प्रथम तीन किस्तों के भुगतान में चूक की है और उसके बाद की किस्तों का भी भुगतान नहीं किया है। अत: एलाटमेन्ट लेटर व करार पत्र के उपरोक्त प्रस्तर-13 के अनुसार विपक्षीगण अवशेष धनराशि पर ब्याज पाने के अधिकारी हैं।
उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना एवं परिवादीगण द्वारा याचित उपशम को दृष्टिगत रखते हुए मैं इस मत का हूँ कि परिवादीगण को प्रथम विकल्प यह दिया जाना उचित है कि वे करार पत्र के अनुसार अवशेष धनराशि का भुगतान दो मास के अन्दर ब्याज सहित विपक्षीगण को करें और यदि इस अवधि में परिवादीगण अवशेष धनराशि का भुगतान कर देते हैं तो विपक्षीगण करार पत्र के अनुसार प्रश्नगत फ्लैटों का निर्माण पूरा कर कब्जा हस्तान्तरण परिवादीगण को भुगतान की तिथि से दो मास के अन्दर करें तथा आवश्यक अभिलेख निष्पादित करें। यदि परिवादीगण अवशेष धनराशि ब्याज सहित उपरोक्त अवधि में जमा नहीं करते हैं तो यह अवधि समाप्त होने पर विपक्षीगण, परिवादीगण को करार पत्र के प्रस्तर-26 (बी) के अनुसार जमा धनराशि से 20 प्रतिशत की कटौती कर शेष धनराशि दो मास के अन्दर उन्हें वापस करें और इस दो माह में इस धनराशि का भुगतान परिवादीगण को न किये
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जाने पर इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी परिवादीगण को अदा करें। परिवादीगण द्वारा याचित अन्य उपशम प्रदान किये जाने हेतु उचित आधार नहीं है। अत: परिवाद उपरोक्त प्रकार से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादीगण का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है और परिवादीगण को प्रथम विकल्प यह दिया जाता है कि वे करार पत्र के अनुसार अवशेष धनराशि का भुगतान दो मास के अन्दर ब्याज सहित विपक्षीगण को करें और यदि इस अवधि में परिवादीगण अवशेष धनराशि का भुगतान कर देते हैं तो विपक्षीगण करार पत्र के अनुसार प्रश्नगत फ्लैटों का निर्माण पूरा कर कब्जा हस्तान्तरण परिवादीगण को भुगतान की तिथि से दो मास के अन्दर करें तथा आवश्यक अभिलेख निष्पादित करें। यदि परिवादीगण अवशेष धनराशि ब्याज सहित उपरोक्त अवधि में जमा नहीं करते हैं तो यह अवधि समाप्त होने पर विपक्षीगण, परिवादीगण को करार पत्र के प्रस्तर-26 (बी) के अनुसार जमा धनराशि से 20 प्रतिशत की कटौती कर शेष धनराशि दो मास के अन्दर उन्हें वापस करें और इस दो माह में इस धनराशि का भुगतान परिवादीगण को न किये जाने पर इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी परिवादीगण को अदा करें।
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उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की एक प्रति परिवाद संख्या-60/2016 में भी रखी जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1