Uttar Pradesh

Fatehpur

cc/52/2012

RAMESH SINGH - Complainant(s)

Versus

E.E. ELECTRICITY SECOND - Opp.Party(s)

SHRI DINESH SINGH YADUVANSHI

29 Aug 2017

ORDER

समक्ष: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फतेहपुर।

अध्यासीन:     श्रीमती रेनू केसरवानी........................................पी0 सदस्य

            श्री शैलेन्द्र नाथ..........................................................सदस्य

उद्घोषित:   श्री शैलेन्द्र नाथ..........................................................सदस्य

 

उपभोक्ता परिवाद संख्या-52/2012

रमेश सिंह पुत्र स्व0 सत्यनरायन यादव निवासी ग्राम व पो0 खदरा तहसील बिन्दकी जिला फतेहपुर।    

                                                                                                                                                                 ...............परिवादी।

बनाम

  1. अधिशाषी अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय फतेहपुर।  
  2. सरकार उ0प्र0 द्वारा कलेक्टर फतेहपुर।                                                                                             .............विपक्षीगण।

 

 

परिवाद दर्ज रजिस्टर होने का दिनांक:-19.04.2012

बहस सुनने का दिनांक:-18.08.2017

निर्णय का दिनांक:-29.08.2017

::: निर्णय :::

 परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इस आशय का प्रस्तुत किया है कि  उसका मुख्य 0धन्धा कृषि है और कृषि करके अपना तथा अपने परिवार का पालन-पोषण आदि करता है।  परिवादी ने यह परिवाद इस आशय का प्रस्तुत किया है कि उसने अपनी कृषि कार्य हेतु 10 हार्स पावर का विद्युत कनेक्शन दिनांक 8.5.1976 को लिया था और बराबर चलाता रहा।  परिवादी का बिल फरवरी, 2012 का जमा था।  इसके बावजूद भी नुकसान पहुॅचाने के लिये जानबूझ कर उसका विद्युत कनेक्शन काट दिया गया जिससे परिवादी की फसल सूख जाने के कारण उसे शारीरिक, मानसिक पीड़ा हुयी एवं परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा।  परिवादी ने फसल की क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 2,00,000/- रूपये और शारीरिक, मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 50,000/- रूपये व दौड़ धूप, परिवाद व्यय आदि के रूप में मु0 50,000/- रू0 की मॉग किया है।

परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि वह मूल निवासी ग्राम व पो0 खदरा तहसील बिन्दकी जिला फतेहपुर का है।  उसका मुख्य पेशा कृषि है और कृषि करके अपना व अपने परिवार का पालन-पोषण करता है।  उसके पिता स्व0 सत्यनारायण के नाम विद्युत कनेक्शन है जो मर चुके हैं।  वह उनका एक मात्र वारिस लड़का है।  उसके पास करीब 20 बीघा अच्छी भूमि है जिस पर वह 2-3 लाख रूपये की फसल पैदा करता है।  उसने विपक्षी सं0-1 विद्युत विभाग से 10 हार्स पावर मोटर का विद्युत नलकूप बराबर चलाता रहा जिससे उसके समस्त खेतों की सिंचार्इ होती रही।  वह अपने विद्युत कनेक्शन के जो बिल निश्चित होते थे उनका समय से भुगतान करता आ रहा है।  वह व उसके पिता ने कभी भी बिल जमा करने में देरी या लापरवाही नहींं की।  उसकी गेहूॅ की फसल करीब 16 बीघा, एक बीघा बरसीम व एक बीघा अरबी, प्याज, टमाटर, मिर्चा, परबल तरोर्इ, लौकी, करैला आदि की फसल बोयी हुयी थी और सारी फसल में पानी गर्मी में तीसरे-चौथे दिन लगाया जाता है जिसका विद्युत कनेक्शन शुरूवात मार्च में ही बिना किसी सूचना व जानकारी कराये हुए काट दिया गया जिससे उसकी सारी फसल सूख कर नष्ट हो गयी।  उसका करीब 2,00,000/- रू0 का नुकसान हो गया है।  उसको जब 15.3.2012 को विद्युत कनेक्शन कटने की जानकारी हुयी तो लार्इनमैन राम जियावन से पूछा, जिसने कहा कि बिल बाकी होने से काट दिया गया है जबकि फरवरी, 2012 का बिल पहले से जमा रहा है।  उसका कनेक्शन बदनियती से काट दिया गया है जिससे उसको शारीरिक, मानसिक पीड़ा व उत्पीड़न हुआ है जिसकी क्षतिपूर्ति के लिये उसने मु0 50,000/- रू0 की मॉग की है।  उसका विद्युत कनेक्शन दिनांक 7.4.2012 को कर्इ बार अधिकारियों व लाइनमैन से कहने के बाद भी नहीं जोड़ा गया और उसे बराबर भागदौड़ करना पड़ा व काम का नुकसान हुआ जिसकी क्षतिपूर्ति के लिये उसने मु0 50,000/- रू0 कुल मु0 कुल 3,00,000/- रू0 व अन्य राय अदालत समुचित प्रतिफल विपक्षी विद्युत विभाग से दिलाने की मॉग की है। 

      परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना शपथ पत्र कागज सं0-4/1-3 एवं साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-21/1 ता 21/3 प्रस्तुत किया है।

      परिवादी की ओर से सूची सं0-5/1 से विद्युत विभाग को किये गये बिल भुगतान की रसीद कागज सं0-5/2 लगायत 5/4 व बिल जमा रसीद सं0-24 दिनांकी 4.4.2012 की फोटोप्रति कागज सं0-5/5 दाखिल की गयी एवं जरिये सूची कागज सं0-22/1 परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 विद्युत विभाग को प्रेषित प्रार्थना पत्र दिनांकी 7.4.2012 की कार्बन प्रति कागज सं0-22/2 व तीन उद्धरण खतौनी कागज सं0-22/3 लगायत 22/7 दाखिल की हैं।  इसी प्रकार परिवादी ने सूची सं0-27/1 से 9 अभिलेख दाखिल किये जिनमें सन् 2003 से सितम्बर, 2009 तक विद्युत बिल निरस्त होने के कारण माफ करने का प्रमाण पत्र दि0 1.9.2010 कागज सं0-27/2, विद्युत लाइन बन्द होने के कारण बिल माफी प्रार्थना पत्र दि0-6.1.2010 कागज सं0-27/3, ओ0टी0एस0 जमा रसीद दिनांकी 19.8.2011 कागज सं0-27/4, विद्युत विभाग में एकमुश्त समाधान योजना वर्ष 2011-12 का पंजीकरण शुल्क रसीद मु0 1000/- रू0 कागज सं0-27/5, विद्युत बिल जमा रसीद सं0-34 दिनांकी 31.3.2010 कागज संख्या-27/6 पंजीकरण फार्म दिनांकी 31.3.2010 कागज सं0-27/7, लाइन काटने के लिये जमा रू0 330/- दिनांकी 8.9.2003 कागज सं0-27/8, परिवादी के द्वारा बिल करने हेतु दिये गये शपथ पत्र की फोटोकापी कागज सं0-27/9-10 व जमा बिल रसीद दि0 14.11.2008 मु0 10400/- रू0 कागज सं0-27/11 हैं।

      परिवादी ने अपनी लिखित बहस कागज सं0-23/1 ता 23/3 दाखिल किया।

      विपक्षी सं0-2 सरकार उ0प्र0 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-11/1 ता 11/2 दाखिल किया गया है जिसमें उल्लिखित किया गया है कि परिवाद पत्र की दफा-1 लगायत 3 उत्तरदाता से सम्बन्धित नहींं है।  दफा-4 को सिद्ध करने का भार परिवादी पर है।  दफा-5 व 6 विपक्षी उत्तरदाता से सम्बन्धित नहींं है।  दफा-7 मय उप दफात अ, ब, स व द स्वीकार नहीं है, परिवादी अभिलाषित प्रतिकर अथवा अन्य कोर्इ प्रतिकर प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।  अपरोत्तर में दफा-8 में उल्लिखित किया गया है कि परिवाद का प्रारूप, गठन व प्रस्तुतीकरण त्रुटिपूर्ण होने के कारण परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है एवं दफा-9 में उल्लिखित किया गया है कि  परिवादी उत्तरदाता विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है, उसे परिवाद में गलत व अनावश्यक पक्षकार बनाये जाने का दोष है।  विपक्षी सं0-1 स्वायत्तशाषी संस्था का अभियन्ता (कर्मचारी) है जिसका विपक्षी सं0-1 से कोर्इ सम्बन्ध नहीं है तथा विपक्षी सं0-2 विपक्षी सं0-1 की किसी कार्यवाही के लिये सीधे उत्तरदायी नहीं हैं।  परिवादी ने विपक्षी सं0-2 को महज जेरबार व परेशान करने के लिये गलत तौर पर पक्षकार बनाया है जो कि तुच्छ व कष्टप्रद है।  उत्तरदाता विपक्षी को परिवादी से अंकन मु0 10,000/- रू0 विशेष क्षतिपूर्ति अन्तर्गत धारा-26 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम दिलाया जावे और परिवाद तथ्यों, विधि व नियमों के सर्वथा प्रतिकूल होने के कारण पूर्णत: सव्यय निरस्त किया जावे।

      विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र के समर्थन में रमाशंकर द्विवेदी प्रभारी अधिकारी वाद, फतेहपुर का शपथ पत्र कागज सं0-12/1-2 दाखिल किया गया है।

      विपक्षी सं0-1 ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं0-19/1-2 प्रस्तुत किया गया जिसमे उल्लिखित किया गया है कि दफा-1, 2 व 3 के जवाब की आवश्यकता नहीं है, दफा-4 में किया गया कथन अस्वीकार है तथा दफा-5, 6 व 7 मय उपदफात अ, ब, स, द अस्वीकार है।  अतिरिक्त कथन में यह उल्लिखित किया गया है कि परिवाद को माननीय फोरम को सुनने का अधिकार प्राप्त नहीं है जिससे परिवाद स्वत: निरस्त होने योग्य है।  परिवाद झूठे तथ्यों पर आधारित है एवं उपभोक्ता देर से बिल जमा करने का आदी है।  नवीन तथ्य प्रकाश में आने पर उसे अतिरिक्त वादोत्तर दाखिल करने का अधिकार प्राप्त होगा।  परिवादी का बकाया बिल होने के कारण दिनांक 30.03.2012 को कनेक्शन विच्छेदित किया गया था  तथा  परिवादी  ने  सम्पूर्ण बिल जमा कर दिया था जिसके बाद दिनांक 03.04.2012 को पुन: कनेक्शन जोड़ दिया गया था जिसके बाद दिनांक 03.04.2012 को पुन: कनेक्शन जोड़ दिया गया था।  उसके द्वारा कोर्इ त्रुटि नहींं की गयी है।  परिवादी द्वारा फसल खराब होने की झूठी बात कही गयी है, उसको कोर्इ भी क्षति प्राप्त करने का अधिकार नहीं है, अत: परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।

      विपक्षी सं0-1 की ओर से सूची सं0-30/1 से परिवादी का विद्युत कनेक्शन काटने व पुन: जोड़ने सम्बन्धी एस0डी0ओ0 एवं जे0र्इ0 की रिपोर्ट दिनांकी 5.3.2003 की फोटोप्रति कागज सं0-30/2 व विद्युत कनेक्शन काटने एवं पुन: जोड़ने सम्बन्धी एस0डी0ओ0 की रिपोर्ट दिनांकी 19.3.2013 की फोटोप्रति कागज सं0-30/3 प्रस्तुत की गयी है।

      विपक्षीगण की ओर से कोर्इ लिखित बहस दाखिल नहीं की गयी है।

      विपक्षी सं0-1 विद्युत विभाग की ओर से प्रारम्भिक आपत्ति दिनांकी 20.9.2013 कागज सं0-15 दाखिल की गयी जिसमें उल्लिखित किया गया है कि परिवादी का दिनांक 30.3.2012 तक बिल मु0 77469/- रू0 बकाया होने के कारण विद्युत कनेक्शन काटा गया था लेकिन परिवादी ने कनेक्शन विच्छेदित किये जाने के बाद सम्पूर्ण बिल विपक्षी के यहॉ जमा कर दिया था तथा दिनांक 3.4.2012 को पुन: उसकी लाइन चालू कर दी गयी थी।  परिवादी विलम्ब से बिल जमा करने का आदी है तथा फोरम में झूठा परिवाद पे्रषित किया है, अत: विपक्षी की ओर से कोर्इ त्रुटि नहीं की गयी है बल्कि परिवादी स्वयं जिम्मेदार है।  परिवादी का परिवाद मय हर्जे-खर्चे समाप्त किया जावे।

      परिवादी की ओर से विपक्षी सं0-1 की प्रारम्भिक आपत्ति दिनांकी 20.9.2013 कागज सं0-15 के विरूद्ध अपनी आपत्ति कागज सं0-16/1-2 दाखिल की जिसमें अभिकथित किया गया है कि विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 20.9.2013 को दाखिल आपत्ति आधारहीन व भ्रमित करने वाली दाखिल किया है जो खारिज होने योग्य है।  उसका यह भी अभिकथन है कि दिनांक 30.8.2011 से लगातार दिनांक 4.10.2011 को 863/- रू0, दिनांक 4.11.2011 को मु0 863/- रू0, दिनांक 4.01.2012 को मु0 1750/- रू0, दिनांक 8.5.2012 को 863/- रू0, 3/12 को 1750/- रू0, दिनांक 4.4.2012 को 1750/- रू0, दिनांक 8.5.2012 को 863/- रू0 बराबर बिल अदा करता रहा है।  परिवादी ने कभी भी एकमुश्त मु0 77466/- रू0 एक साथ अदा नहींं किया है।  दिनांक 15.03.2012 को बिना किसी सूचना के उसका कनेक्शन काट दिया गया था जिसके कारण वह दिनांक 7.4.2012 को अधिशाषी अभियन्ता को स्वयं जाकर प्रार्थना पत्र दिया, जिसके बाद उसका कनेक्शन जोड़ा गया था।  विपक्षी सं0-1 का प्रार्थना पत्र दिनांकी 20.9.2013 कागज सं0-15 आधारहीन व गलत तथ्यों के होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है।

      चूॅकि विपक्षी सं0-1 ने अपना जवाबदावा उक्त प्रारम्भिक आपत्ति के अतिरिक्त प्रस्तुत कर दिया है, अत: अब परिवादी की आपत्ति का निस्तारण करने की कोर्इ आवश्यकता नहीं है क्योंकि परिवाद पत्र में कही गयी बातें ही प्रतिवाद पत्र में कहीं गयी हैं। 

      विद्वान अधिवक्ताओं की उपस्थिति में बहस सुनी गयी एवं पत्रावली पर दाखिल प्रपत्रों का परिशीलन किया गया, जिससे स्पष्ट है कि परिवादी के मृतक पिता के नाम 10 हार्सपावर का कनेक्शन दिनांक 8.5.1976 को विद्युत विभाग से संयोजित कराया गया था जिसके द्वारा वह अपनी फसल की सिचार्इ आदि बराबर करता रहा और विद्युत उपभोग किये गये बिलों को विगत वर्षों में नियमानुसार जमा करता रहा है।    परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह उल्लिखित किया है कि विद्युत विभाग ने बिना किसी सूचना के उसका विद्युत कनेक्शन विच्छेदित कर दिया और उसे दिनांक 15.3.2012 को विद्युत विच्छेदन किये जाने की जानकारी हुयी जब कि उसने पूर्व के बिल पहले ही जमा कर दिये थे।  परिवादी द्वारा सूची कागज सं0-5/1 से कागज सं0-5/2 लगायत 5/4 जो विद्युत बिल जमा रसीदें दाखिल की गयी हैं उनसे स्पष्ट यहै कि परिवादी का पास बुक के अनुसार दिनांक 4.4.2012 को 1750/- रू0 का बिल दर्शाया गया है जिसका भुगतान दिनांक 4.4.2012 को किया गया है जो पत्रावली में दाखिल प्रपत्र कागज सं0-5/5 से स्पष्ट प्रमाणित है और शेष बिल के बकाये के मद में विपक्षी सं0-1 द्वारा एक प्रपत्र दिनांकित 5.3.2013 का दाखिल किया गया है जो कागज सं0-30/2 है जिसमें यह उल्लिखित किया गया है कि दिनांक 30.3.2012 को विद्युत बकाया मु0 1748/- होने के कारण विद्युत विच्छेदन किया गया और दिनांक 03.04.2012 को अधिशाषी अभियन्ता द्वारा दूरभाष पर सूचित किये जाने पर लाइन जोड़ दी गयी है और बराबर चल रही है।  इसक समर्थन में प्रपत्र कागज सं0-30/3 प्रस्तुत किया गया है उससे भी इस बात की पुष्टि होती है कि दिनांक 3.4.2012 को विद्युत लाइन जोड़ दी गयी थी।  इस प्रकार परिवादी द्वारा जो पास बुक प्रस्तुत की गयी है उसमे भी स्पष्ट अंकित है कि मु0 1750/- रू0 धनराशि दिनांक 4.4.2012 को अदा की गयी है।  मार्च, 2012 को उसका बिल बनाया गया था।  पास बुक और विपक्षी सं0-1 द्वारा दाखिल प्रपत्रों से यह स्पष्ट हो गया कि निश्चित रूप से परिवादी के विद्युत कनेक्शन के मद में बिल की धनराशि 12 माह की एक साथ भुगतान की गयी है।  परिवादी द्वारा दाखिल सूची कागज सं0-27/1 के द्वारा जो कागज सं0-27/2 प्रस्तुत किया गया है उससे स्पष्ट है कि इसके पूर्व में भी परिवादी द्वारा विद्युत बिलों का समय से भुगतान नहींं किया गया है क्यों कि  जो कागज सख्या-27/2 बिल जमा करने की रसीद दाखिल की गयी है उससे स्पष्ट है कि जो बिल की धनराशि दर्शायी गयी है उसमे परिवादी को मु0 16584/- रू0 में 100 प्रतिशत एकमुश्त छूट मु0 2349/- रू0 दी गयी यहै और परिवादी ने ओ.टी.एस. के तहत अपना बिल बनवाया है और उसी के क्रम में उसका भुगतान किया गया है।  विद्युत कनेक्शन मार्च, 2003 से 2009 तक वोल्टेज ड्राप पर बन्द रहा और 2009 में विद्युत कनेक्शन की व्यवस्था की गयी है।  उस मध्य के बिल माफ करने का प्रार्थना पत्र विपक्षी सं0-1 को पे्रषित किया गया था और उसी के मद में उपरोक्त धनराशि का भुगतान किया गया है।  अब प्रश्न यह उठता है कि वर्ष 2003 से 2009 तक विद्युत व्यवस्था बाधित रही।  उसमें परिवादी को क्षति के सम्बन्ध में कोर्इ उल्लेख नहीं किया गया है।  यह विद्युत व्यवस्था ट्रान्सफार्मर से काफी दूर होने के कारण वोल्टेज ड्राप की कमी आर्इ लेकिन वोल्टेज ड्राप के कारण ट्यूबवेल नहीं चलाया जा सका लेकिन परिवादी ने अपने परिवादपत्र की दफा-2 में स्पष्ट उल्लेख किया है कि दिनांक 8.5.1976 को विद्युत कनेक्शन लगवाया था और कनेक्शन लेकर विद्युत की मोटर से नलकूप बराबर चलता रहा है जिसमे उसकी समस्त फसलों की सिचार्इ होती रही है।  परिवादी ने अपने परिवाद पत्र की दफा-2 में कही गयी बातों को शपथ पत्र में भी उल्लिखित किया है।  परिवाद पत्र की दफा-7 की अ में भी उसने इस बात का जिक्र किया है कि प्राथ्र्ाी बराबर सन् 1976 से अब तक समय से विद्युत बिल अदा करने व नलकूप को चलाकर जीविका हेतु फसलें पैदा करने वाले कनेक्शन को काट कर अवरोध करने से उसे शारीरिक, मानसिक क्षति हुयी लेकिन परिवादी ने अपने परिवाद पत्र व शपथ पत्र में इस बात का जिक्र नहीं किया है।  सन् 2003 से लेकर 2009 तक विद्युत बाधित रही और उसका बिल माफ कराया, इसका कहीं पर उल्लेख नहीं किया है जबकि कागज सं0-27/3 में स्पष्ट वर्णन है कि परिवादी का कनेक्शन लगभग 6 साल तक बन्द रहा है।  इसके अतिरिक्त परिवादी ने समय से कभी बिलों का भुगतान नहींं किया है क्योंकि ओ0टी0एस0 के माध्यम से लाभ लेने की सदैव कोशिश की है जो कागज सं0-27/4 दिनांकित 19.8.2011 से स्पष्ट है।  इसी प्रकार जो रसीद दिनांकित 31.3.2010 कागज सं0-27/6 दाखिल की गयी है वह ओ0टी0एस0 द्वारा धनराशि जमा करने की है।  इससे स्पष्ट है कि परिवादी ने निश्चित रूप से समय से बिलों का भुगतान नहीं किया है।  एक जमा बिल रसीद दिनांकित 14.11.2008 की दाखिल की गयी है जो कागज सं0-27/11 है।  वह भी 10400/- रू0 की है।  कितनी अवधि का यह बिल जमा किया गया है इसका भी कोर्इ वर्णन इसमें नहीं किया गया है।  परिवादी का कनेक्शन दिनांक 30.3.2012 को मात्र बकाया होने के कारण विच्छेदित किया गया था और उसे दिनांक 3.4.2012 में संयोजित कर दिया गया था।  इतने कम अन्तराल में परिवादी को मु0 3,50,000/- रूपये की क्षति हुयी, यह उचित नहीं प्रतीत होता है क्योंकि परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में सही तथ्यों को वर्णित नहींं किया है।  परिवाद पत्र में असल तथ्यों को छिपाया गया है। परिवादी ने अपनी क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 3,50,000/- रू0 की मॉग किया है।  इसके समर्थन में परिवादी ने मात्र अपनी खतौनी प्रस्तुत की है जो कागज सं0-22/3 ता 22/7 है लेकिन परिवादी ने अपनी फसल के सम्बन्ध में कोर्इ खसरा दाखिल नहीं किया है जिससे यह प्रमाणित हो सके कि परिवादी ने अपनी भूमि पर कौन-कौन सी फसलें अब तक बोया था, इसका कोर्इ साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया है।  खसरा में इसी का वर्णन किया जाता है इसलिये जो परिवादी ने अपने परिवाद पत्र और शपथ पत्र में फसलों के सम्बन्ध में क्षति को दर्शाया है वह भ्रामक और सन्देहात्मक है।  ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी ने यह जो परिवाद योजित किया है वह मात्र क्षतिपूर्ति के रूप में धनराशि प्राप्त करने के लिये किया है।  विपक्षी विद्युत विभाग में परिवादी के द्वारा जैसे ही बिल का भुगतान किया गया उसके विद्युत कनेक्शन को नियमानुसार संयोजित कर दिया गया।  परिवादी का विद्युत कनेक्शन लम्बी अवधि तक विच्छेदित नहीं रहा है।  वह जिस प्रकार वर्ष 2003 से 2009 के मध्यम फसलों की सिचार्इ करता था उसी प्रकार विद्युत विच्छेदित होने की अवधि में भी कर सकता था। 

      उपरोक्त विवेचना के आधार पर वर्णित परिस्थितियों में फोरम के मतानुसार यह परिवाद अनावश्यक रूप से परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया है।  वर्णित परिस्थितियों में विपक्षीगण की सेवा में कोर्इ कमी प्रमाणित नहीं होती है।  परिवादी कोर्इ भी याचित अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।  परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।

                                 आदेश

      परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किया जाता है।

      उभय पक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।  पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

          (शैलेन्द्र नाथ)                           (रेनू केसरवानी)

            सदस्य,                            पी0 सदस्य, 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,

           फतेहपुर।                           फतेहपुर।                                  

  29.08.2017                         29.08.2017

     

      निर्णय एवं आदेश आज खुले  मंच से हस्ताक्षरित व दिनांकित होकर  उद्घोषित

किया गया।

 

 

 

           (शैलेन्द्र नाथ)                          (रेनू केसरवानी)

            सदस्य,                            पी0 सदस्य, 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,

           फतेहपुर।                           फतेहपुर।                                  

29.08.2017                         29.08.2017  

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