Rajasthan

Ajmer

CC/142/2009

ANOOP SHARMA - Complainant(s)

Versus

E MADITAKE SOLUTION - Opp.Party(s)

ADV G.K AGARWAL

27 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/142/2009
 
1. ANOOP SHARMA
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. E MADITAKE SOLUTION
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर
डा. अनूप षर्मा पुत्र श्री पीताम्बरदास जी षर्मा, 73 अषोक मार्ग, आनासागर लिंक रोड, अजमेर । 

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

1. ई मेडिटेक सोल्युषन लिमिटेड, जयपुर, बाॅक्स नम्बर-101, फस्र्ट फलोर अनुकम्पा मेंषन, एल. आई. अजमेरी गेट के पास, एमआई रेाड,जयपुर । 
2.  क्लेम मैनेजर, ई मेडिटेक सोल्युषन लिमिटेड, गुडगांव । 
3. श्री जे.के.जैन पुत्र स्व. श्री उमरावमल जैन, उम्र- 50 साल, छतरी योजना, वैषालीनगर, अजमेर । 
4. यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए मण्डल प्रबन्धक, मण्डल कार्यालय, एसबीबीजे, बैंक के सामने, लोहागल रोड, अजमेर । 
                                                      अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 142/2009
                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री जी.के.अग्रवाल,अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री जी. एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी 
                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 24.03.2015

1.         परिवाद के तथ्य संक्षेप में  इस प्रकार है कि प्रार्थी के पिता  श्री पीताम्बर षर्मा ने अप्रार्थी  सं. 4 बीमा कम्पनी  से एक मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी  संख्या  141200/48/06/20/00000214 राषि रू. 1,00,000/- की  अवधि दिनंाक 12.6.2006 से 11.6.2007 तक के लिए प्राप्त की ।  उसके पिता बीमार होने के कारण दिनांक 7.3.2007 से 15.3.2007 तक घीसीबाई मेमोरियल अस्पताल, अजमेर में भर्ती रहे और  उक्त अवधि में ही दिनांक 15.3.2007 को उसके पिता का देहान्त हो गया ।  इलाज मेें उसके पिता के राषि रू. 85,505/- खर्च हुए जिसका क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया  किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जब क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया तो उसने दिनांक  26.12.2007 को रजिस्टर्ड पत्र भी लिखा  किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  क्लेम राषि अदा नहीं की । 
        प्रार्थी का कथन है कि अप्रार्थी संख्या 3 अप्रार्थी संख्या 1 व 2 का एजेण्ट है  और उसने ही बीमा प्रीमियम प्राप्त किया था ।  प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर  परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
        प्रार्थी ने परिवाद के साथ एक षपथपत्र  दिनांक 19.1.2013 प्रस्तुत कर दर्षाया है कि  वह पीताम्बर दास का एक मात्र वारिस है  और उसके पिता श्री पीताम्बर दास का पलमोनरी एम्बोलिज्म (च्न्स्डव्छ।त्ल् म्डठव्स्प्ैड) के कारण देहान्त हुआ हैे और मृत्यु प्रमाण पत्र में भी मृत्यु का कारण यही दर्षाया गया है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  उसके पिता को ब्भ्थ् रोग से ग्रसित होना व  इस बीमारी के कारण उनका देहान्त होना दर्षाया है वह  बिल्कुल गलत है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  बीमा पाॅलिसियों में जो गेप बतलाया है वह भी वर्ष 2004 का है  जबकि उसके पिता की मृत्यु दिनांक 15.3.2007 को हुई है जिसका पूर्व के गेप का  कोई सरोकार नही ंहै ।  उसके पिता की मृत्यु बीमा कम्पनी द्वारा बताए गए आधार पर नही ंहुई है औ ना ही बीमा  कराते  समय उसके पिता ने कोई तथ्य छिपाए थे  । 
2.        अप्रार्थी  संख्या 1 व 2 की ओर से  परिवाद का जवाब पेष हुआ  जिसमें दर्षाया है कि  उत्तरदाता  अभिकर्ता/मध्यस्थ  है  उसके पिता ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  दिनंाक 5.4.2003 से 4.4.2004 तक की अवधि के लिए बीमा पाॅलिसी ली थी  और उक्त बीमा पाॅलिसी का 1 माह 7 दिन के अन्तराल के बाद  दिनांक 12.5.2004 से 12.5.2005 तक की अवधि के लिए  नवीनीकरण कराया था ।  प्रार्थी के पिता  वर्ष 2002 से आईएसडी के कारण सीएचएम के इलाज हेतु मित्तल अस्पताल में भर्ती हुए थे  इसके बाद वर्ष 2007 में इलाज हेतु  7.3.2007 से  15.3.2007 तक  भर्ती हुए थे । प्रार्थी के पिता का बीमा क्लेम बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 4.1 के अन्तर्गत देय नही ंथा इसलिए प्रार्थी का बीमा क्लेम खारिज किया गया था । 
3.        अप्रार्थी संख्या 3 ने जवाब प्रस्तुत कर दर्षाया है कि वह अप्रार्थी संख्या 4 का कर्मचारी है तथा  उसने  कोई बीमा प्रीमियम की राषि प्राप्त नहीं की है और जो  भी प्रीमियम की राषि जमा कराई गई है वह अप्रार्थी संख्या 4 के यहां जमा कराई गई है । वह अप्रार्थी संख्या 1 व 2 का प्रतिनिधि नहीं है । बीमा क्लेम के भुगतान का दायित्व अप्रार्थी संख्या 4 बीमा कम्पनी का है  उसका कोई दायित्व नही ंहै । परिवाद सव्यय खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । 
4.        अप्रार्थी संख्या 4  बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें आरम्भिक आपत्ति प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थी के पिता श्री  पीताम्बर के समस्त वारिसान द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है । प्रार्थी के पिता को परिवाद में वर्णित  मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी जारी किया जाना स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि  जो बीमा पाॅलिसी जारी की है उसके तहत कोई क्लेम देय होता है तो ही बीमित राषि प्राप्त करने का अधिकारी होता है ।  प्रार्थी ने परिवाद में यह अंकित नहीं किया है कि उसने किस दिनांक को बीमा दावा  उत्तरदाता अप्रार्थी के समक्ष प्रस्तुत किया । 
        आगे मदवार जवाब में परिवाद में अंकित तथ्यों को गलत होने के कारण अस्वीकार किया । अपने अतिरिक्त कथन में  दर्षाया है कि  अप्रार्थी संख्या 1 के क्लेम खारिजी पत्र दिनांक  24.3.2007 के अनुसार पीताम्बर दास ब्भ्थ् रोग से ग्रसित था  जो कि ज्ञध् ब्ध्व् व िप्भ्क् कहलाता है  और उक्त रोग से वह  वर्ष 2002 से पीडित था जबकि बीमा पाॅलिसी 12.6.2006 से 11.6.2007 तक के लिए प्रभावी थी । इस प्रकार बीमित पीताम्बर दास षर्मा इस बीमारी से बीमा पाॅलिसी लेने के पूर्व से ही ग्रसित था । 
        अप्रार्थी बीमा कम्पनी  का  कथन है कि  पीताम्बर दास षर्मा ने दिनंाक 5.4.2003 से दिनंाक 4.4.2004 तक व उसके बाद दिनांक 12.5.2004 से 11.5.2005 तक की अवधि हेतु मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी प्राप्त की थी और उक्त दोनों बीमा पाॅलिसियों में एक माह 7 दिन का ब्रेक था इस प्रकार बीमित द्वारा दिनांक 12.5.2004  को ली गई बीमा पाॅलिसी फे्रष बीमा पाॅलिसी थी । चूंकि बीमाधारक ब्भ्थ् रोग से वर्ष 2002 से ग्रसित था  जो प्री एग्जिस्टिंग डिजीज की परिधी में आने से बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 4.1 के तहत बीमा क्लेम देय नही ंहै । प्रार्थी का बीमा क्लेम सही आधारों पर खारिज किया गया है ।  प्री एग्जिस्टिडंड डिजिज का प्रमाणीकारण  मंच द्वारा   परिवाद संख्या 94/2005 पीताम्बर दास बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड  में पारित निर्णय दिनांक 31.10.2006 से स्पष्ट है ।  अन्त में परिवाद खारिज होने योग्य दर्षाया । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के समर्थन में बीमा पाॅलिसी, क्लेम खारिजी पत्र दिनांक 24.3.2007, मंच के निर्णय परिवाद संख्या 94/2005  की फोटोप्रतियां पेष की है । 
5.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली  पर उपलब्ध सामग्री का अनुषीलन किया  तथा  प्रार्थी द्वारा  पेष दृष्टान्त प्;2010द्धब्च्श्र 167  ब्ीींजजपेहंती ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद स्प्ब् व् िप्दकपं - ।दत टे डमतबल डंेपी  का भी अवलोकन किया।     
6.          उभय पक्ष ने परिवाद व जवाब में अंकित तथ्यों को ही अभिवचनों के रूप में प्रस्तुत किया । 
7.       प्रष्नगत प्रकरण में अप्रार्थी बीमा कम्पनी  को यह सिद्व करना था कि क्या मृतक बीमाधारक  बीमा कराने से पूर्व  जिस बीमारी से वह ग्रसित था उस बीमारी से उसका देहान्त हुआ । साथ ही यह भी सिद्व करना था  बीमाधारक द्वारा ली गई मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी अवधि दिनांक 5.4.2003 से 4.4.2004 जिसे दिनंाक 12.5.2004 से 11.5.2005 तक के लिए नवीनीकृत करवाई  और उक्त दोनो बीमा पाॅलिसियों के मध्य  के अन्तराल के कारण  बाद में ली गई बीमा पाॅलिसी को फे्रष बीमा पाॅलिसी मानी जावेगी । 
8.    पत्रावली पर पेष  प्रकरण संख्या 94/2005  का निर्णय जिसका उल्लेख उपर किया जा चुका है, में यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि पीताम्बर दास ने प्रथम बार अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिनांक 5.4.2002 को मेडिक्लेम बीमा पाॅलिसी ली थी । यह तथ्य भी स्वीकार्य है कि दिनंाक 19.5.2002 को उसकी बाईपास सर्जरी की गई थी ।  प्रकरण के निर्णय से  स्पष्ट प्रमाणित होता है कि प्रथम बार दिनांक 5.4.2002 में ली गई पाॅलिसी से पूर्व बीमाधारक पीताम्बर दास हृदय संबंधी रोग से ग्रसित नहीं था ।  एवं उसका परिवाद स्वीकार किया गया  किन्तु प्रकरण संख्या  94/2005 के निर्णय में अभिनिर्धारित अनुसार प्रार्थी के पिता को हृदय संबंधी यह रेाग पाॅलिसी जो वर्ष 2002 में ली गई की अवधि में हो चुका था ।  अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत बीमा पाॅलिसी की ष्षर्त संख्या 4.1 निम्न प्रकार से है:-
          ’’ ब्वउचंदल ेींसस दवज इम सपंइसम जव उंाम ंदल चंलउमदज नदकमत जीपे चवसपबल पद तमेचमबज व िंदल मगचमदेमे ूींज ेव मअमत पदबनततमक पद इल ंदल पदेनतमक चमतेवद पद बवददमबजपवद ूपजी वत पद तमेचमबज व िंसस कपेमंेमेध्पदरनतपमे ूीपबी ंतम चतम मगपेजपदह ूीमद जीम बवअमत पदबमचजे वित जीम पितेज जपउम वित जीम चनतचवेमे व िंचचसलपदह जीपे बवदकपजपवदए जीम कंजम व िपदबमचजपवद व िजीम पदपजपंस उमकप बसंपउ चवसपबल जंामद तिवउ ंदल व िप्दकपंद पदेनतंदबम बवउचंदल ेींसस इम जंामदए चतवअपकमक जीम तमदमूंसे ींअम इममद बवदजपदनवने ंदक ूपजीवनज ंदल इतमंा ’’ 
9.      बीमा पाॅलिसी की उपरोक्त षर्त में वर्णित स्थिति के विपरीत प्रार्थी अपने अभिवचनों के अतिरिक्त कोई दस्तावेज या कोई निर्णय प्रस्तुत नहीं कर पाए है ।  अतः यह बिन्दु बीमा कम्पनी के पक्ष में निर्णित होता है कि प्रार्थी के पिता बीमाधारक  ने वर्ष 2005 में गेप के बाद कराई गई मेडिक्लेम पाॅलिसी नई पाॅलिसी ही मानी जावेगी ।  उपरोक्त विवेचन एवं तथ्यात्मक  स्थिति के मध्य यह तथ्य सिद्व है कि  मृतक बीमाधारक  पीताम्बर दास वर्ष 2002 से इस रोग से ग्रसित था । 
10.    दृष्टान्त जो प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत हुआ के तथ्य हस्तगत प्रकरण के तथ्यों से भिन्न पाए गए । 
11.       प्रष्नगत  प्रकरण में  दूसरा महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि  बीमाधारक पीताम्बर दास की मृत्यु प्रार्थी के कथनानुसार च्न्स्डव्छ।त्ल् म्डठव्स्प्ैड के कारण हुई ? क्या वर्ष 2002 में की गई बाईपास सर्जरी का  बीमाधारक की मृत्यु से कोई संबंध है ?  इस संबंध में तथ्यात्मक स्थिति के लिए मित्तल अस्पताल, अजमेर द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र व ब्ंेम ैीममज महत्वपूर्ण दस्तावेज है ।  जिसमें स्पष्ट रूप से  मृत्यु का सम्भावित कारण च्न्स्डव्छ।त्ल् म्डठव्स्प्ैड दर्षाया गया है साथ ही मृत्यु का आवष्यक कारण ब्व्छळम्ैज्प्टम् भ्म्।त्ज् थ्।प्स्न्त्म्ए प्ैब्भ्म्डप्ब् भ्म्।त्ज् क्प्ैम्।ैम्;ब्भ्थ्द्ध दर्षाया है ।  प्रार्थी ने अपने ष्षपथपत्र दिनांक 9.1.2013 में उसके पिता की मृत्यु च्न्स्डव्छ।त्ल् म्डठव्स्प्ैड  से हुई बतलाया है ।प्रार्थी  किसी दस्तावेजी साक्ष्य या विषेषज्ञ की राय से यह प्रमाणित नही ंकर पाया है कि उसके पिता की मृत्यु में ब्भ्थ्ए ब्व्छळम्ैज्प्टम् भ्म्।त्ज् थ्।प्स्न्त्म्ए प्ैब्भ्म्डप्ब् भ्म्।त्ज् क्प्ैम्।ैम्  का कोई संबंध नहीं था ।  जैसा कि मृत्यु प्रमाण पत्र में दर्षाया गया है । 
12.    उपरोक्त विवेचन के अनुसार प्रार्थी का परिवाद खाारिज होने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                         -ःः आदेष:ः-
 13.           प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।

(विजेन्द्र कुमार मेहता)  (श्रीमती ज्योति डोसी)    (गौतम प्रकाष षर्मा) 
                सदस्य              सदस्या               अध्यक्ष
14.        आदेष दिनांक 24.03.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

              सदस्य             सदस्या             अध्यक्ष
 
              

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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