Uttar Pradesh

StateCommission

A/44/2023

Union Of India Railway - Complainant(s)

Versus

Durgacharan - Opp.Party(s)

Ganesh Chandra Rai

21 Apr 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/44/2023
( Date of Filing : 09 Jan 2023 )
(Arisen out of Order Dated 24/05/2022 in Case No. CC/192/2009 of District Jhansi)
 
1. Union Of India Railway
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Durgacharan
Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Apr 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-44/2023

यूनियन आफ इण्डिया व तीन अन्‍य

बनाम

दुर्गाचरन

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री गणेश चन्‍द्र राय, 

                                     विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 21.04.2023

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्‍या-192/2009 दुर्गाचरन बनाम मण्‍डल रेल प्रबंधक व तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.05.2022 के विरूद्ध योजित की गयी है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री गणेश चन्‍द्र राय को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी विपक्षीगण के अधीन वरिष्‍ठ खण्‍ड अभियंता कै. व वे. उ.म.रे. पर कार्यरत है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण से भूखण्‍ड क्रय करने हेतु ऋण प्रदान करने के लिए दिनांक 08.06.1989 को आवेदन किया था, जो 1,06,960/-रू0 भूखण्‍ड की वास्‍तविक कीमत वर्ष 1989-90 में स्‍वीकृत आईआरईएम 1132 (5) के अनुसार 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से स्‍वीकृत किया गया था, जिसकी कटौती विपक्षीगण द्वारा निर्धारित ब्‍याज सहित मासिक किस्‍तों में परिवादी के वेतन से करनी थी। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को  स्‍वीकृत  ऋण  राशि  की

 

 

-2-

प्रथम किस्‍त 66960/-रू0 माह जुलाई 1992 में, द्वितीय किस्‍त 30,000/-रू0 माह सितम्‍बर 1993 में तथा अन्तिम तृतीय किस्‍त 10,000/-रू0 माह मार्च 1994 में प्रदान की गयी। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को कुल स्‍वीकृत ऋण 1,06,960/-रू0 परिवादी के मासिक वेतन से 131 किस्‍त 1153/-रू0 की एवं अन्तिम 132वीं किस्‍त 1197/-रू0 की काटी जानी थी। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा उक्‍त ऋण के विरूद्ध परिवादी से 1,52,240/-रू0 प्राप्‍त करना था।

     परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा परिवार नियोजन के लिए निर्धारित ब्‍याज दर 1/2 प्रतिशत की छूट के बाद साठ आठ प्रतिशत ब्‍याज दर अदा किया जाना था, जिसका समायोजन विपक्षीगण द्वारा वर्ष 2008 में शेष ऋण राशि में कर दिया गया।

     परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा अपने पत्र दिनांक 09.09.1994 को अनदेखा करते हुए अनियमित कटौती करते हुए 132 के स्‍थान पर 134 किस्‍त मासिक कटौती द्वारा 1,57,627/-रू0 माह 2/2009 तक कर ली गयी। उक्‍त कटौती आगे भी लगातार जारी रही, जबकि परिवादी से वसूली 1/2 प्रतिशत छूट देकर 1,52,240/-रू0 – 2867/-रू0 = 1,49,373/-रू0 की जानी थी। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादी से 8254/-रू0 अधिक वसूले गये तथा अप्रैल, मई एवं अगस्‍त 2009 की तीनों किस्‍त मिलाकर 23,308/-रू0 अधिक कटौती की गयी।

     परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा सम्‍पूर्ण ऋण अदा कर देने के बाद भी विपक्षीगण द्वारा परिवादी को अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया गया तथा न ही परिवादी द्वारा क्रय किये गये भूखण्‍ड का बंधक मुक्‍त किया गया, जिससे परिवादी को मानसिक कष्‍ट पहुँचा।

     परिवादी का कथन है कि परिवादी वर्ष 2004 में विभिन्‍न कारणों से स्‍वैच्छिक निवृत्ति लेना चाहता था, जिस कारण अवशेष ऋण की धनराशि एकमुस्‍त काट लिये जाने हेतु विपक्षीगण से निवेदन किया गया। परिवादी को जानकारी हुई कि माह 9/98  में

 

 

-3-

उक्‍त ऋण की किस्‍त 1153/-रू0 नहीं काटी गयी, जबकि परिवादी के वेतन पत्र माह 9/98 द्वारा उपरोक्‍त ऋण अदायगी किस्‍त 1153/-रू0 एवं अन्‍य किस्‍तों सहित वास्‍तविक रूप से कटौती कर ली गयी थी। परिवादी द्वारा विभागीय अधिकारियों से सम्‍पर्क किया गया कि उसकी अधिक काटी गयी किस्‍त को समायोजित कर लिया जावे, परन्‍तु उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की                  गयी।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षीगण द्वारा परिवाद पत्र के तथ्‍यों का विरोध करते हुए अपनी आपत्ति में कहा गया कि परिवादी द्वारा परिवाद में सही पक्षकार नहीं बनाये गये हैं। परिवादी विपक्षीगण के यहॉं कर्मचारी के रूप में कार्यरत है। विपक्षीगण परिवादी की सेवायें ले रहे हैं। परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है। प्रश्‍नगत शिकायत के निस्‍तारण हेतु केन्‍द्रीय ट्रिब्‍यूनल की व्‍यवस्‍था है। परिवाद उपभोक्‍ता फोरम में चलने योग्‍य नहीं है। परिवादी द्वारा ऋण की सम्‍पूर्ण धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी को 09 प्रतिशत के स्‍थान पर 10 प्रतिशत ब्‍याज दर से ऋण दिया गया था क्‍योंकि एक लाख से डेढ़ लाख तक ब्‍याज दर 10 प्रतिशत थी। परिवादी द्वारा परिवार नियोजन का पालन करने पर 1/2 प्रतिशत की ब्‍याज दर में छूट दी गयी। परिवादी से साढ़े नौ प्रतिशत ब्‍याज की दर से ऋण की वसूली की जा रही थी। परिवादी द्वारा हाउसिंग ऋण का बीमा नहीं कराया गया, इस कारण उससे ढाई प्रतिशत की अलग से वसूली की गयी। इस प्रकार परिवादी से 12 प्रतिशत ब्‍याज की दर से 1,74,655/-रू0 की वसूली की जानी थी, जिसमें से 1,60,474/-रू0 की कटौती हो गयी है तथा 14,181/-रू0 की कटौती परिवादी से और की जानी है। हाउसिंग ऋण के बीमा के संबंध में रेल मंत्रालय द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं। परिवादी द्वारा एकमुस्‍त  धनराशि  वेतन  से  कटौती

 

 

-4-

करने का अनुरोध किया गया, जो नियमानुसार नहीं था। परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त यह पाया गया कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को ऋण देने के पश्‍चात् किसी न किसी कारणवश परेशान किया गया तथा यह कि परिवादी द्वारा विभागीय अधिकारियों के पास अपनी समस्‍या के समाधान हेतु लगातार सम्‍पर्क किया गया, परन्‍तु उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी द्वारा ऋण की सम्‍पूर्ण धनराशि की ब्‍याज सहित अदायगी करने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा उसे अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान नहीं किया गया तथा न ही बंधक विलेख के रूप में भूखण्‍ड का वयनामा वाप‍स किया गया। इस प्रकार परिवादी को मानसिक कष्‍ट पहुँचा।

तदनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत आदेश के द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्‍त रूप से अथवा पृथक पृथक रूप से इस प्रकार आंशिक रूप से स्‍वीकृत किया जाता है, कि विपक्षीगण निर्णय की तिथि से दो माह के अन्‍दर लिये गये ऋण के एवज में अधिक वसूली गयी धनराशि 31562रू0 तथा अतिरिक्‍त काटी गयी किस्‍त 1153रू0 कुल 32715रू0 वाद दायर करने के दिनांक 25.04.09 से अदायगी तक 06प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर से अदा करें। विपक्षीगण परिवादी को मानसिक कष्‍ट के तहत 10,000रू0 (दस हजार रूप्‍ये) एवं वादव्‍यय के मद में 2000रू0 (दो हजार रूप्‍ये) भी अदा करेगें।

विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है, कि परिवादी द्वारा लिये गये ऋण मय ब्‍याज के चुकता होने के फलस्‍वरूप अनापत्ति प्रमाणपत्र प्रदान करें, एवं तथाकथित भूखण्‍ड का बंधक विलेख (वयनामा) दो माह के अन्‍दर परिवादी को प्रदान कर दें।

आदेश की प्रति पक्षकारों को नियमानुसार निशुल्‍क प्रदान की                जावे।''

 

 

 

-5-

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता  को सुनने के उपरान्‍त तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग के निर्णय एवं आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त मेरे विचार से प्रस्‍तुत अपील में कोई बल नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, वह पूर्णत: सुसंगत है, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं प्रतीत होती है।

अतएव, प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.