/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष्ाण फोरम,जांजगीर चांपा छ0ग0/
प्रकरण क्रमांक सी.सी/2014/30
प्रस्तुति दिनांक 08/08/2014
अजय केशरवानी
उम्र 59 वर्ष
वल्द श्री गौटियाराम केशरवानी
पेशा वकालत, निवासी ग्राम जांजगीर वार्ड नंबर 16,
पुराना चंदनिया पारा, निवासी बालोद्यान के पीछे,
तहसील जांजगीर
जिला जांजगीर चांपा छ0ग0 ......आवेदक/परिवादी
// विरूद्ध//
1.डुलेक्स प्रबंधक,
मुख्य कार्यालय डी.एल.एफ.साईबर टरासेस
बिल्डिंग नंबर 5, टाॅवर-ए, 20वां मंजिल, डी.एल.एफ.साइबर सीटी
फेस-3,गुडगांव 122002 हरियाणा.
2. डुलेक्स क्षेत्रीय प्रबंधक,
कोलकाता, गीतांजलि अपार्टमेंट-8 बी
मिडलेटान स्ट्रीट कोलकाता 700071,
3. अमर पी.व्ही.सी. इंडस्ट्रीज
प्रोपाईटर नीतेश अग्रवाल,
निवासी ग्राम जांजगीर, मदन कपडा दुकान के बगल से
जांजगीर
तहसील जांजगीर
जिला जांजगीर चांपा छ.ग. ........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकार
/// आदेश///
(आज दिनांक 05/03/2015 को पारित)
1. आवेदक अजय केशरवानी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और उनसे संयुक्तः एवं पृथक-पृथक क्रय किये गये वेदर शील्ड डूलक्स पेंट की कीमत 33,228/.रु0 को लगवाने के व्यय सहित कुल राशि 48,228/.रु0 को ब्याज सहित दिलाए जाने का निवेदन किया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक ने दिनांक 20.10.2013 एवं दिनांक 24.10.2013 को अनावेदक क्रमांक 3 के पास से अनावेदक क्रमांक 1 व 2 द्वारा निर्मित वेदर शील्ड डूलक्स पेंट 33,228/.रु0 नगद देकर क्रय किया । अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा उक्त पेंट के संबंध में यह आश्वासन दिया गया था कि वह दीवार पर लगवाने के बाद 5 वर्ष तक नहीं निकलेगा और न ही पपड़ी बनकर उखड़ेगा । आवेदक द्वारा उक्त पेंट अपने मकान की दीवारों पर नवंबर 2013 को लगवाया गया, जिसे लगवाने का व्यय उसने 15,000/.रु पेंटर को अदा किया, किंतु वर्ष 2014 के फरवरी मार्च महीने में ही मकान का पेंट पपड़ी बनकर कई जगह से उखड़ने लगा, जिसकी शिकायत उसके द्वारा अनावेदक क्रमांक 3 को की गई, जो मौके पर आकर फोटोग्राफ्स एवं पेंट का लाॅट नंबर लिखकर ले गया, किंतु उसके बाद संपर्क करने पर उसके द्वारा यही कहा गया कि अनावेदक क्रमांक 1 व 2 की ओर से कोई जवाब नहीं आया है । अतः यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक गण द्वारा उसे घटिया किस्म का वेदर शील्ड पेंट बिक्री किया गया, उसने पेंट और उस पर किये गये खर्च को ब्याज के साथ अनावेदकगण से दिलाए जाने हेतु यह परिवाद पेश करना बताया है ।
3. अनावेदकगण मामले में एकपक्षीय रहे, उनके लिए कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया है ।
4. अनावेदकगण के एकपक्षीय होने से आवेदक अधिवक्ता का एकपक्षीय तर्क सुन लिया गया है। प्रकरण का अवलोकन किया गया।
5. देखना यह है कि क्या आवेदक अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ?
सकारण निष्कर्ष
6. आवेदक अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं के शपथपत्र के अलावा अनावेदक क्रमांक 3 के पास से पेंट खरीदने की रसीद तथा उसे अपने मकान में लगवाने के संबंध में पेंटर को भुगतान संबंधी पावती, अनावेदकगण को प्रेषित रजिस्टर्ड नोटिस की काॅपी, पोस्टल रसीद तथा पावती की काॅपी एवं मकान के दीवारों की फोटोग्राफ पेश किया है, जिनका अनावेदकगण की अनुपस्थिति के कारण कोई खंडन नहीं हो सका है ।
7. आवेदक द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र, दस्तावेजों एवं फोटोग्राफ्स से यह भलीभांति स्पष्ट होता है कि अनावेदकगण द्वारा उसे घटिया किस्म का पेंट विक्रय किया गया था, जो कुछ समय बाद ही खराब हो गया और इस प्रकार अनावेदक गण द्वारा आवेदक को घटिया किस्म का पेंट विक्रय कर व्यवसायिक कदाचरण किया गया, जिसके कारण आवेदक को हानि उठानी पड़ी ।
8. अतः हम आवेदक के पक्ष मंे अनावेदक के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते हैं:-
अ. अनावेदकगण, आवेदक को संयुक्तः एवं पृथक-पृथक रूप से आदेश दिनांक से एक माह के भीतर 48,228/.रु0 (अड़तालीस हजार दो सौ अट्ठाईस रूपये) की राशि अदा करेंगे तथा इसमें चूक की दशा में आवेदक को उक्त रकम पर ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेंगे।
ब. अनावेदकगण, आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10,000/.रु0 (दस हजार रूपये) की राशि भी अदा करेंगे।
स. अनावेदकगण, आवेदक को वादव्यय के रूप में 1,000/.रु0 (एक हजार रूपये) की राशि भी अदा करेंगे।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य