Final Order / Judgement | (मौखिक) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ अपील संख्या-1017/2011 प्रबंधक, फर्म सरदार मोटर्स स्थापित 2/1/16 सिविल लाइन्स जनपद फैजाबाद बनाम दुखी पुत्र खेदू व अनय समक्ष:- 1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य। 2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य। उपस्थिति:- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0के0 शुक्ला, विद्धान अधिवक्ता प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं दिनांक :30.01.2024 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - परिवाद सं0 06/2004, दुखी बनाम प्रबन्धक फर्म सरदार मोटर्स व अन्य मे विद्धान जिला आयोग, बलरामपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.02.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
- परिवाद के तथ्यों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी से एक विक्रम वाहन क्रय किया गया था और 1,55,000/-रू0 वसूल किया गया है, जबकि वाहन का मूल्य 1,35,000/-रू0 था, इसलिए परिवादी के तर्क के अनुसार बीमा एवं रजिस्ट्रेशन कराने का दायित्व विक्रेता सरदार मोटर्स पर था, परंतु उनके द्वारा परिवादी के वाहन का बीमा नहीं कराया गया, इसलिए वाहन आर0टी0ओ0 द्वारा जब्त कर लिया गया। तदनुसार जिला उपभोक्ता मंच द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी सं0 1 का उत्तरदायित्व मानते हुए नया विक्रम प्रदत्त करने का आदेश पारित किया गया है और यदि ऐसा संभव न होता तब अंकन 1,60,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए आदेशित किया गया है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा जो धनराशि अदा की गयी, वह वाहन के मूल्य के रूप मे अदा की गयी है। इंश्योरेंस तथा पंजीयन शुल्क की राशि परिवादी द्वारा कभी भी अपीलार्थी को जमा नहीं की गयी, परंतु दस्तावेज सं0 18 के अवलोकन से जाहिर होता है कि यथार्थ में वाहन की कीमत 1,35,000/-रू0 है, जबकि एनेक्जर सं0 2 के अनुसार परिवादी द्वारा 1,55,000/-रू0 जमा किये गये हैं। अत: स्पष्ट है कि इन दोनों रसीदों की अंतर की राशि में वाहन का बीमा तथा पंजीयन शुल्क की राशि भी सम्मिलित है। अत: जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश विपक्षी के उत्तरदायित्व के संबंध में विधिसम्मत है, परंतु जिला उपभोक्ता मंच द्वारा इस तथ्य पर विचार नहीं किया गया कि स्वयं परिवादी के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा क्रय किये गये वाहन लगभग 1 वर्ष से भी अधिक प्रयोग किया गया है। दिनांक 01.02.2003 को वाहन क्रय किया गया था, जबकि आर0टी0ओ0 द्वारा दिनांक 21.06.2004 को वाहन को जब्त किया गया, फिर यह भी वाहन की कीमत के बदले 1,60,000/-रू0 का आदेश अनुचित है चूंकि वाहन का एक वर्ष से अधिक अवधि तक प्रयोग किया जा चुका था। वाहन पुराना हा चुका था, इसलिए 1,60,000/-रू0 के स्थान पर केवल 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया जाना चाहिए था। अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
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अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा परिवादी को केवल 1,00,000/-रू0 अदा किये जायेंगे तथा मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 10,000/-रू0 के स्थान पर केवल 5,000/-रू0 देय होंगे। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है। उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे। प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे। (सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3 | |