जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-498/2009
नन्द कुमार श्रीवास्तव पुत्र स्व0 ष्याम लाल श्रीवास्तव, निवासी 104/81, सीसामऊ, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. डा0 नईम हामिद पुत्र नामालूम, निवासी-97/128, तलाक मोहाल, कानपुर नगर।
2. मोहम्मदिया हास्पिटल नाला रोड, रेलवे क्रासिंग बेकनगंज, कानपुर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 25.05.2009
निर्णय की तिथिः 04.06.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःः निर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 8,00,000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी की पत्नी श्रीमती सरला श्रीवास्तव को अक्सर पेट में दर्द रहता था, जिसके लिए अक्टूबर, 2008 में परिवादी ने विपक्षी को इलाज हेतु दिखाया। विपक्षी ने अल्ट्रासाउण्ड व एक्सरे आदि करवाया और देखने के बाद बताया कि पित्तासय में पथरी है, जिसका आपरेषन करना पड़ेगा, जिसके बाद सब ठीक हो जायेगा और विपक्षी ने अन्य सभी जांचे सामान्य बतायी। विपक्षी ने परिवादी से अपनी पत्नी को भर्ती होने को कहा और वही पर विपक्षी द्वारा श्रीमती सरला श्रीवास्तव की पथरी का आपरेषन किया गया। परिवादी की पत्नी दिनांक 20.10.08 से 27.10.08 तक अस्पताल में भर्ती रही। आपरेषन के बाद परिवादी की पत्नी को उल्टी होना प्रारम्भ हो गयी और आपरेषन घाव में पस पड़ गया। काफी इलाज के बाद भी उल्टी
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बन्द नहीं हुई, जबकि विपक्षी यही कहता रहा कि आपरेषन के बाद ऐसा होता है, दवाओं से सब कुछ ठीक हो जायेगा, ड्रेसिंग करवाते रहो। काफी इलाज के बाद भी उल्टी व पस आना बन्द नहीं हुआ, तो परिवादी ने पत्नी को विपक्षी को पुनः दिखाया, तो विपक्षी ने कहा कि सब ठीक हो जायेगा किन्तु न तो उल्टी बन्द हुई और न ही मवाद आना बन्द हुआ, जिस पर परिवादी ने पत्नी को दूसरे डाक्टर को दिखाया, जिस पर दूसरे डाक्टर ने दिनांक 08.11.08 को बताया कि गलत आपरेषन से इनफेक्षन हो गया है, जबकि विपक्षी ने उक्त तथ्य नहीं बताया था। दूसरे डाक्टर ने खून आदि की जांचे करवाई व बताया कि खून की कमी है, गुर्दे में खराबी है, खून चढ़वाई, उल्टी बन्द हो जायेगी, किन्तु लिखित में कुछ नहीं दिया। कोई फायदा न होने पर परिवादी ने अपनी पत्नी को सेवा आश्रम में भर्ती करवाया, जहां पर महंगा खून खरीदकर डा0 एस0के0 पन्त ने चढ़ाया, वहां पर परिवादी की पत्नी दिनांक 25.11.08 से 29.11.08 तक भर्ती रही। तत्पष्चात परिवादी ने गुर्दे की खराबी के लिए डा0 समीर गोयल को दिखाया, सही आपरेषन न होने की वजह से इनफेक्षन होने से पस पड़ गया व गुर्दे में खराबी आ गयी। फिर इलाज से गुर्दे की खराबी दूर हो गयी, किन्तु पस आना व उल्टी बन्द नहीं हुई। जिससे परिवादी की पत्नी काफी कमजोर हो गयी। फिर परिवादी ने विपक्षी को दिखाया तो विपक्षी ने बिना देखे कहा कि सब ठीक हो जायेगा, दवाये चलाते रहने की सलाह दी। परिवादी लगातार दो तीन माह तक दिखाता रहा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ व आपरेषन की जगह एक इंच का घाव हो गया। आराम न होने पर परिवादी ने डा0 बिजेन्द्र सिंह को दिखाया। दिनांक 19.01.09 को उन्होंने पूरे पेट का सी.टी. स्कैन करवाया एवं रिपोर्ट देखकर बताया कि विपक्षी के गलत आपरेषन के कारण ऐसी परेषानी हो रही है और पेट में काफी खराबी आ गयी है। दुबारा अपरेषन करना पड़ेगा, पेट में पस काफी भर गया है। सी.टी. स्कैन की रिपोर्ट जब विपक्षी को दिखाई तो कहा कि आपरेषन की जरूरत नहीं है। जबकि सी0टी0 स्कैन की रिपोर्ट में गारसीकोरिनिया की बीमारी निकली जो गलत आपरेषन से होती है, ऐसा बताया गया। कोई फायदा न होने पर परिवादी ने अपनी पत्नी को दिनांक
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02.02.09 को गैस्ट्रोलीवर अस्पताल में भर्ती कराया, क्योंकि मरीज की हालत काफी नाजुक हो गयी थी, जहां पर दुबारा आपरेषन किया गया। पस के कारण पेट से सेफ्टीसीमिया फैल गया, जिसके कारण आई.सी.यू. में वेन्टीलेटर पर रखा गया, तब तक सभी आंत में सेफ्टीसीमिया के कारण पस फैल गया, तब यह बताया गया कि अब कन्ट्रोल के बाहर है, इसी के चलते परिवादी की पत्नी की मृत्यु दिनांक 09.02.09 को हो गयी। यह सब विपक्षी की लापरवाही व गलत आपरेषन व गलत इलाज से हुआ है, जो अन्य डाक्टरों की रिपोर्ट से प्रमाणित है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि विपक्षी मोहम्मदिया अस्पताल का विजिटिंग सर्जन है। परिवादी की पत्नी सरला श्रीवास्तव विपक्षी अस्पताल में दिनांक 20.10.08 को भर्ती हुई, जहां विपक्षी ने उसकी षल्य चिकित्सा अपने व्यवसायिक कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए किया। तत्पष्चात उन्हें दिनांक 29.10.08 को अस्पताल से पूर्णतया स्वास्थ्य लाभ पाने पर मुक्त कर दिया गया। इस बीच रोगी अथवा उसके परिजनों ने विपक्षी से कोई षिकायत नहीं की। विपक्षी से इलाज कराये जाने के पष्चात रोगी के परिजनों ने विपक्षी से उसके सम्बन्ध में कोई परामर्ष नहीं किया। स्वयं परिवादी का यह कहना कि आपरेषन होने के पष्चात रोगी को डाक्टर समीर गोयल को दिखाया गया, जिन्होंने गुर्दे की खराबी बतायी और उनके इलाज से गुर्दे की खराबी दूर हो गयी। विपक्षी ने अपने व्यवसाय की जिम्मेदारियों का पूर्णरूप से निर्वाह करते हुए परिवादी की पत्नी का इलाज किया और कोई लापरवाही नहीं की। अतः परिवादी का यह कहना गलत है कि विपक्षी की लापरवाही से उसकी पत्नी की मृत्यु हुई है। परिवादी विपक्षी से कोई क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्यय पाने का अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद निरस्त किया जाये।
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4. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-2 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी सं0-2 फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षी सं0-2 पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 14.03.16 को विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 25.05.09 एवं 23.12.09 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1, 2 व 3 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगातय् 1/137, सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज सं0-2/1 लगायत् 2/4 तथा सूची कागज सं0-3 के साथ संलग्न कागज सं0-3/1 लगायत् 3/9 दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 11.11.10 एवं 02.09.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-4 के साथ संलग्न कागज सं0-4/1 लगायत् 4/2 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का एवं विपक्षी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी का प्रमुख तर्क यह है कि परिवादी की पत्नी की मृत्यु विपक्षी सं0-1 डा0 नईम हामिद के द्वारा पथरी का गलत आपरेषन करने के कारण हुई है। विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी की पत्नी के आपरेषन के लिए विपक्षी सं0-2/अस्पताल में दिनांक 20.10.08
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से 27.10.08 तक भर्ती रही है। परिवादी द्वारा मृत्यु का कारण सेफ्टीसीमिया का परिवादी की पत्नी के षरीर में फैल जाना बताया गया है। परिवादी द्वारा गारसीकोरीनिया की बीमारी गलत आपरेषन से होना बताया गया है। जबकि विपक्षी सं0-1 द्वारा यह कहा गया है कि विपक्षी ने अपने व्यवसाय की जिम्मेदारियों का पूर्ण निर्वाह करते हुए परिवादी की पत्नी का इलाज किया और कोई लापरवाही नहीं की।
उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से स्पश्ट होता है कि स्वयं परिवादी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी को किसी डाक्टर ने इस आषय का कोई प्रमाण लिखित में नहीं दिया कि विपक्षी सं0-1 के द्वारा किये गये गलत आपरेषन के कारण परिवादी की पत्नी को सेप्टीसीमिया हुई। मामले के तथ्यों, परिस्थितियों को देखते हुए स्पश्ट होता है कि परिवादी की पत्नी का इलाज विपक्षी सं0-1 के अतिरिक्त डा0 एस0के0 पन्त, डा0 समीर गोयल एवं सेवा आश्रम अस्पताल एवं गैस्ट्रो लीवर अस्पताल में कराया गया है। इससे यह स्थिति स्पश्ट नहीं होती है कि विपक्षी सं0-1 के द्वारा गलत तरीके से किये गये आपरेषन के कारण परिवादी की पत्नी की मृत्यु हुई है। विपक्षी की ओर से अपने कथन के समर्थन में विधि निर्णय रमेष चन्द्र अग्रवाल बनाम रीजेन्सी हास्पिटल लि0 एवं अन्य 2009 एस.ए.आर. (सिविल) 1017 में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि जहां पर परिवादी द्वारा इस आषय का परिवाद योजित किया गया हो कि चिकित्सक के गलत आपरेषन के कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया हो, ऐसी दषा में विषेशज्ञ की राय होना आवष्यक है। परिवादी द्वारा किसी विषेशज्ञ की राय प्रस्तुत नहीं की गयी है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि परिवादी की पत्नी की मृत्यु विपक्षी सं0-1 अथवा 2 की किसी लापरवाही से या गलत तरीके से इलाज करने के कारण हुई है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
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ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।