SANGEETA filed a consumer case on 19 Jan 2021 against DR.JITENDRA in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/113/2013 and the judgment uploaded on 08 Feb 2021.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 113 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 14.08.2013
निर्णय दिनांक 19.01.2021
संगीता यादव पुत्री देवनाथ ग्राम विशुनपुर पोस्ट- अबूहसीदपुर तहसील- निजामाबाद जिला- आजमगढ़।
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसकी शादी विनोद यादव से हुई है तथा गौना में एक माह के लिए गयी थी। अपने पिता के घर बीमार हालत में थी। परिवादिनी को गले में गिल्टी की शिकायत थी तो प्रार्थिनी दिनांक 15.12.2012 को विपक्षी डॉo जितेन्द्र विश्वकर्मा के यहां गयी और डॉक्टर ने रोग देखकर दवा दिया और बताया कि इसका ऑपरेशन करना पड़ेगा कुछ जाँच आदि करवा लीजिए। विपक्षी के कहने पर परिवादिनी ने सत्यम पैथालॉजी नन्दगांव बाजार में अपना सूगर टेस्ट करवाकर दिनांक 30.12.2012 को डॉक्टर से मिली। डॉक्टर ने गिल्टी का ऑपरेशन दिनांक 31.12.2012 को कर दिया और वे लोग घर चले गए। ऑपरेशन के बाद उसका बाया हाथ नहीं उठ रहा था और न काम कर रहा था। परिवादिनी एकदम परेशान हो गयी तो पुनः डॉक्टर के यहां गयी जिसे विपक्षी ने देखकर कहा कि आपको बाहर जाकर इलाज कराना होगा। विपक्षी द्वारा अपने अस्पताल के मात्र प्रिस्कृप्सन के अलावा कोई बिल बाउचर नहीं दिया। परिवादिनी के पिता हताश व परेशान होकर वहाँ से चले आए और याची ने दिनांक 20.04.2013 को बी.एच.यू. वाराणसी जाकर डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने कहा कि किस डॉक्टर के यहां दवा इलाज करायी हो। परिवादिनी द्वारा पूर्व में कराए गए इलाज का पर्चा दिखाया तो डॉक्टर ने कहा कि गिल्टी थी ही नहीं केवल गले के नस पर मांस बढ़ गया था पूर्व के डॉक्टर द्वारा कोई ऑपरेशन नहीं किया गया न ही गिल्टी निकाली गयी है केवल चीरा लगाकर
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गले की नस काट दिया गया और टांका लगा दिया गया तब परिवादिनी व परिवादिनी के घर वाले उक्त बात को सुनकर अवाक रह गए। परिवादिनी बी.एच.यू. में दिनांक 20.04.2013 से दिनांक 29.04.2013 तक भर्ती रही और पुनः अपना अच्छी तरह से इलाज व ऑपरेशन करवाया जिसमें प्रार्थिनी का दवा इलाज में पुनः 60,000/- रुपए खर्च हुआ। विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी है। अतः परिवादिनी को विपक्षी से बी.एच.यू. में हुए भर्ती व इलाज में हुआ खर्च 50,000/- रुपया, यात्रा व्यय में 10,000/- रुपया, विपक्षी के यहां हुआ खर्च 20,000/- रुपया, पौष्टिक आहार व यात्रा व्यय में 10,000/- रुपया तथा अधिवक्ता खर्च व वाद खर्च 10,000/- कुल 1,00,000/- रुपया दिलवाया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी द्वारा कागज संख्या 7/1 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 ता 7/4 सत्यम पैथालॉजी द्वारा की गयी जाँच की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 विनय क्लीनिक का पर्चा, कागज संख्या 7/6 बी.एच.यू. का पर्चा, कागज संख्या 7/7 एम.आर.आई. की रिपोर्ट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 7/8 बी.एच.यू. का पर्चा प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी जितेन्द्र विश्वकर्मा द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादिनी को यह परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का कोई हक हासिल नहीं था। विपक्षी ने हाईस्कूल की परीक्षा सन् 2005 में पास किया था, जिसमें उसकी जन्मतिथि दिनांक 26.09.1988 अंकित है। विपक्षी ने इण्टरमीडिएट की परीक्षा सन् 2007 में उत्तीर्ण किया है। ऑपरेशन कराना दिनांक 31.12.2012 को बताया जाता है। उस समय विपक्षी की उम्र 24 वर्ष 03 महीने 05 दिन थी। परिवादिनी के घर से दूरी लगभग 40 किलोमीटर है। परिवादिनी ने जो जाँच रिपोर्ट सत्यम पैथालॉजी की दाखिल किया है उसमें विपक्षी की डिग्री बी.ए.एम.एस. लिखा है। जबकि वह उक्त डिग्री प्राप्त नहीं किया है। परिवादिनी द्वारा कोई भी बिल बाउचर दाखिल नहीं किया गया है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी द्वारा कागज संख्या 27/1ता27/2 मार्कशीट की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
उभय पक्षों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। सत्यम पैथालॉजी का जो पर्चा परिवादिनी द्वारा लगाया गया है उसमें डॉक्टर की डिग्री
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बी.ए.एम.एस. लिखी गयी है। उसके द्वारा विनय क्लीनिक का पर्चा प्रस्तुत किया गया है, जिस पर डॉक्टर जितेन्द्र विश्वकर्मा की कोई डिग्री अंकित नहीं की गयी है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद- पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 19.01.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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