( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :1675/2024
इम्प्लॉइस स्टेट इंश्योरेंस कार्पोरेशन द्वारा डायरेक्टर लीगल
बनाम
डॉ0 योगेन्द्र अशोक चवन
समक्ष :-
1-माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2-माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
दिनांक : 11-11-2024
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी इम्प्लॉइस स्टेट इंश्योरेंस कार्पोरेशन की ओर से जिला आयोग द्धितीय बरेली, द्वारा परिवाद संख्या-200/2022 डा0 योगेन्द्र अशोक चवन बनाम अनिल कुमार, डिप्टी डायरेक्टर (फाइनेंस) ESIC हास्पिटल व तीन अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 23-09-2024 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया है:-
‘’प्रथम यह कि विपक्षी क्रमांक 3 परिवादी को 45 दिनों के भीतर मानसिक व शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति स्वरूप रू0 10,000/- प्रदान करेगा। उक्त अदायगी में व्यतिक्रम की दशा में उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुति दिनांक
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14-12-2022 से वास्तविक अदायगी की तिथि तक 6 (छ:) प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी देय होगा।
द्धितीय, यह कि विपक्षी संख्या-3 स्वयं सहित परिवादी को वाद व्यय रू0 10,000/-रू0 भी वहन करेगा।
तृतीय, विपक्षी क्रमांक 1, 2 व 4 अपना अपना व्यय वहन करेंगे।‘
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ESIC (Employees State Insurance Corporation) हास्पिटल में स्वयं चिकित्सक के रूप में तैनात था तथा ESIC द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी तथा उसका परिवार बीमित था। प्रत्यर्थी/परिवादी के पिता का ESIC हॉस्पिटल में कोविड-19 के अन्तर्गत उपचार किया गया जिसका खर्च 15,65,699/-रू० की प्रतिपूर्ति दिनांक 23-10-2021 को स्वीकृत की गयी। थी। प्रत्यर्थी/परिवादी को मेडिकल क्लेम राशि रू0 15,65,699/-रू0 दिनांक- 12-08-2023 को वर्तमान प्रकरण लम्बित रहने के दौरान भुगतान किया जा चुका है।
दिनांक 23-10-2021 को प्रत्यर्थी/परिवादी के माता-पिता के इलाज में हुए व्यय की प्रतिपूर्ति स्वीकार किये जाने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी द्वारा अनेकों बार आवेदन दिया गया तथा ई-मेल पर मांग किये जाने के बावजूद उक्त राशि न दिलाये जाने पर प्रत्यर्थी/परिवादी को कर्ज लेकर उक्त इलाज में व्यय हुई धनराशि को स्वयं ही वहन करना पड़ा। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कर्ज लेने पर परिवादी को काफी ब्याज भी बैंक को देना पड़ा। विपक्षी क्रमांक 1 व 2 ने प्रत्यर्थी/परिवादी को कोई लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से द्धेषपूर्वक प्रत्यर्थी/परिवादी के उक्त बिलों का भुगतान स्वीकृति के बावजूद अनावश्यक रूप से लम्बित रखा । अत: प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षीगण से
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चिकित्सा प्रतिपूर्ति राशि रू0 15,65,699/-रू0 16 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित वापस दिलाये जाने साथ ही मानसिक व शारीरिक कष्ट के मद में क्षतिपूर्ति दिलाए जाने हेतु परिवाद योजित किया गया ।
अपीलार्थी/विपक्षीगण ने निर्णय की कंडिका क्रमांक 2 में उल्लिखित स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवाद पत्र में उल्लिखित शेष कथनों को अस्वीकार करते हुए कथन किया कि ESIC हास्पिटल में प्रस्तुत बिलों की 03 शाखाओं द्वारा जॉंचकर प्रोसैस किया जाता है तदोपरान्त अंतिम रूप से वित्त एवं लेखा शाखा द्वारा बिल को प्रोसैस कर भुगतान किया जाता है। प्रत्यर्थी/ परिवादी द्वारा दिनांक 04-06-2021 को दो बिल तथा दिनांक 05-07-2021 को एक बिल एस0एस0टी0 शाखा को दिये गये। तीनों बिल एस0एस0टी0 शाखा द्वारा दिनांक 17-08-2021 को प्रोसैस हेतु प्रस्तुत किये गये जिस पर चिकित्सा अधीक्षक द्वारा बिल की जॉंच हेतु 03 डाक्टर की कमेटी बनायी गयी। कमेटी द्वारा जॉंच कर दिनांक 27-09-2021 को बिल स्वीकृति के लिए प्रस्ताव दिया गया। वित्त एवं लेखा शाखा द्वारा उक्त बिल- पे- मार्गदर्शन हेतु दिनांक 15-02-2022 को पत्रावली पर बिल को मुख्यालय प्रेषित करने हेतु चिकित्सा अधीक्षक की अनुमति ली गयी और बिल को मुख्यालय प्रेषित किया गया। मुख्यालय से बिल इस निर्देश के साथ प्राप्त हुआ कि सी0जी0एच0एस0 महानिदेशक द्वारा जारी ज्ञापन दिनांक 10-07-2020 के अनुसार किया जावे। यह बिल उपरोक्तानुसार कायर्वाही हेतु एस0एस0टी0 शाखा को प्रेषित किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रतिपूर्ति बिल दावा के भुगतान की कार्यवाही अभी प्रक्रियाधीन होकर लम्बित है। उसे भुगतान करने से मना नहीं किया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा लिये गये ऋण के संबंध में ESIC से कोई स्वीकृति नहीं ली गयी। प्रत्यर्थी/परिवादी के बिल भुगतान में विलम्ब विभागीय
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औपचारिकताऍं एवं कार्यवाही के कारण हुआ है। विभाग द्वारा जानबूझकर स्वेच्छा या किसी दुर्भाव के कारण विलम्ब नहीं हुआ है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा उभय-पक्ष को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक रूप से परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त विपक्षी संख्या-3 के स्तर पर सेवा में त्रुटि पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए उसके विरूद्ध उपरोक्त निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार किये बिना विधि विरूद्ध ढंग से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, तदनुसार अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त किया जावे।
हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त यह पीठ इस मत की है कि चूंकि प्रत्यर्थी/परिवादी चिकित्सा दावा प्रतिपूर्ति के मद में समस्त धनराशि प्राप्त कर चुका है और अब विवाद मात्र चिकित्सा दावा प्रतिपूर्ति विलम्ब से दिये जाने से संबंधित है। अत: विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए 10 हजार रूपया मानसिक व शारीरिक कष्ट के मद में क्षतिपूर्ति स्वरूप अदा करने एवं वाद व्यय के मद में 10 हजार रूपया अदा
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करने का आदेश पारित किया गया है जिसे वाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए न्यायहित में पॉंच-पॉंच हजार रूपया किया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए मानसिक व शारीरिक कष्ट के मद में आदेशित धनराशि 10,000/-रू० ( दस हजार रूपये) को संशोधित करते हुए 5000/- रू० (पॉंच हजार रूपये) किया जाता है, साथ ही वाद व्यय के मद में आदेशित धनराशि 10,000/-( दस हजार रूपये) को संशोधित करते हुए 5000/- रू० (पॉंच हजार रूपये) किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।..
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा, आशु0 कोर्ट नं0-1