Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/55/2012

Shri Girish Kumar Sharma - Complainant(s)

Versus

Dr. Viraag Shrivastava - Opp.Party(s)

08 Sep 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/55/2012
 
1. Shri Girish Kumar Sharma
R/o Kajal Vasaan Pipal wala Mandir, Ganj , Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Dr. Viraag Shrivastava
Bhavya Hospital In Front Daya Nand Degree Collge, Thana Civil Line, Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि मानसिक उत्‍पीड़न एवं पीड़ा के लिए विपक्षीगण से उसे 15,00,000/- रूपये दिलाऐ जाऐं। विपक्षी सं0-1 द्वारा चिकित्‍सा सेवा में की गई कमी और लापरवाही के कारण अतिरिक्‍त इलाज कराये जाने में खर्च हुऐ 30,000/- रूपया तथा परिवाद व्‍यय  की मद में 15,000/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि आँख में धुंधला दिखाई देने की शिकायत लेकर परिवादी दिनांक 22/03/2010 को आँख दिखाने के लिए  विपक्षी सं0-1 के पास गया। परीक्षण करके विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को बताया कि उसकी दोनों आंखों में मोतियाबिन्‍द है। परिवादी को उसने आपरेशन  की सलाह दी और कहा कि पहले दाहिनीं आँख का आपरेशन किया जायेगा।  विपक्षी सं0-1 ने उसी दिन परिवादी का ब्‍लड प्रेशर नापा जो 179/90 था। विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को आपरेशन के लिए दिनांक 30/03/2010 को  बुलाया। दिनांक 30/03/2010 को परिवादी विपक्षी सं0-1 के हास्पिटल गया उसने आपरेशन के 5500/- रूपये जमा किये। परिवादी का आरोप है कि शुगर तथा अन्‍य जांचे कराये बिना और बिना ब्‍लड प्रेशर चेक किऐ विपक्षी सं0-1  ने परिवादी की दाहिनीं आँख का आपरेशन कर दिया और आँख पर पट्टी बांधकर उसे दिनांक 01/04/2010 को आकर आँख दिखाने की सलाह दी।  दिनांक 01/04/2010 को परिवादी ने विपक्षी सं0-1 को जाकर अपनी आँख  दिखाई तो उन्‍होंने आँख में डालने एवं कुछ दवाइयां खाने के लिए कहा तथा  काला चश्‍मा लगाने की सलाह दी। परिवादी ने विपक्षी सं0-1 की सलाह के  अनुसार काला चश्‍मा बनवाया और बताई गई दवाइयां लेता रहा। विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 08/04/2010 को पुन: परिवादी को बुलाया, उसकी पट्टी खोलकर आँख को देखा। परिवादी ने विपक्षी सं0-1 को बताया कि उसे  दाहिनीं आँख से कुछ दिखाई नहीं दे रहा जिस पर विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को नियमित दवाइयां ले्ने के लिए कहा जिसका परिवादी पालन करता रहा।  दिनांक 17/0422010 को  विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को पुन: बुलाया और  परिवादी को बताया कि दिल्‍ली से डाक्‍टर आयेगें उन्‍हें वे परिवादी की आँख  दिखवाऐंगे। दिल्‍ली के डाक्‍टर आये और उन्‍होंने परिवादी की आँख को चेक किया, उन्‍होंने बताया किपरिवादी की दाहिनीं आँख में खून जम गया है।  दिल्‍ली के चिकित्‍सक ने परिवादी से कहा कि वह विपक्षी सं0-1 द्वारा बताई गई दवाइयां लेता रहे। परिवादी का अग्रेत्‍तर कथन है कि नियमित रूप से  दवायें लेने के बावजूद उसकी दाहिनीं आँख से कुछ भी दिखाई नहीं दिया तब  दिनांक 17/05/2010 को परिवादी विपक्षी सं0-1 के पास गया तो विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को कोई संतोषजनक उत्‍तर नहीं दिया। परिवादी ने दिनांक 24/05/2010 को जिला नेत्र चिकित्‍सालय, मुरादाबाद के वरिष्‍ठ आई सर्जन को दिखाया। चेक करके परिवादी को उन्‍होंने बताया कि परिवादी की दाहिनीं आँख का रेटिना हाई ब्‍लड प्रेशर में आँख का आपरेशन होने की बजह से अपने स्‍थान से हट गया है उन्‍होंने परिवादी को यह भी बताया कि यदि रक्‍तचाप सामान्‍य होने पर आपरेशन किया जाता तो ऐसा नहीं होता। परिवादी ने  दिनांक 03/06/2010 को रेलवे अस्‍पताल, मुरादाबाद के आई सर्जन को अपनी आँख दिखाई उन्‍होंने चेक करके परिवादी को बताया कि उसकी आँख का  रेटिना अपने स्‍थान से हट गया है और इसका आपरेशन मुरादाबाद रेलवे अस्‍पताल में सम्‍भव नहीं है, उन्‍होंने परिवादी को रेलवे के नई  दिल्‍ली स्थित अस्‍पताल जाने की सलाह दी। दिनांक 04/06/2010 को परिवादी सेन्‍ट्रल हास्पिटल, नार्दन रेलवे, नई दिल्‍ली गया जहां उसे भर्ती कराया गया। परिवादी को वहॉं आल इण्डिया इन्‍स्‍टीट्यूट आफ मेडिकल साइन्‍सेज जाने की सलाह दी गई। परिवादी दिनांक 15/06/2010 को एम्‍स गया जहां वरिष्‍ठ आई सर्जन द्वारा उसकी आँख का चेकअप किया गया उन्‍होंने भी यही बताया कि रक्‍तचाप सामान्‍य किऐ बिना मोतियाबिन्‍द का आपरेशन किऐ जाने की बजह से  परिवादी की आँख का रेटिना अपने स्‍थान से हट गया है।  इलाज हेतु परिवादी  दिनांक 17/06/2010 से 21/06/2010 तक एम्‍स में भर्ती रहा। एम्‍स के  आई  सर्जन ने परिवादी से कहा कि रेटिना को चिपकाने के लिए परिवादी की आँख   में जो तेल डाला गया है उसे निकालना होगा। परिवादी आँख से तेल निकलवाने  के लिए दिनांक 8-10 बार दिल्‍ली एम्‍स में गया, किन्‍तु उच्‍च रक्‍तचाप होने  की बजह से आई सर्जन ने परिवादी की आँख से तेल निकालने से मना कर  दिया और परिवादी को सलाह दी कि रकतचाप सामान्‍य होने पर मुरादाबाद स्थित किसी अच्‍छे अस्‍पताल में जाकर परिवादी आँख का तेल निकलवा ले।  दिनांक 10/09/2011 को परिवादी सी0 एल0 गुप्‍ता आई इन्‍स्‍टीट्यूट गया जहां दिनांक 15/09/2011 को परिवादी दाहिनों आँख के रेटिना से तेल निकाला गया। परिवादी के अनुसार विपक्षी सं0-1 द्वारा रक्‍तचाप की जांच किऐ बिना उच्‍च रक्‍तचाप में परिवादी की दाहिनीं आँख का आपरेशन किया गया और ऐसा करके विपक्षी सं0-1 ने चिकित्‍सीय लापरवाही बरती जिस कारण परिवादी  की दाहिनीं आँख के रोशनी जाती रही। परिवादी को काफी मानसिक एवं  आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा, इसके लिए विपक्षी सं0-1 जिम्‍मेदार है।
  3.   उपरोक्‍त अभिकथनों के आधार पर परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  4.   परिवादी ने परिवद के साथ विपक्षी के दिनांक 22/03/2010 के  चिकित्‍सीय पर्चे, दिनांक 30/03/2010, 01/04/2010, 08/0422010 तथा  17/0422010 की तिथि‍यों के विपक्षी के प्रेस्क्रिप्‍शन, आपरेशन हेतु परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 के अस्‍पताल में जमा कराऐ गऐ 5500/- रूपये की रसीद, विपक्षी सं0-1 का दिनांक 12/5/2010 को चिकित्‍सीय पर्चा, जिला नेत्र  चिकित्‍सालय, मुरादाबाद, रेलवे अस्‍पताल, मुरादाबाद की रेफरेन्‍स स्लिप, एम्‍स, नई दिल्‍ली के इलाज सम्‍बन्‍धी पर्चे, सी0एल0गुप्‍ता आई अस्‍पताल के चिकित्‍सीय पर्चों की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र  पत्रावली   के कागज सं0-3/8 लगायत 3/27 हैं।
  5. विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/5   दाखिल किया गया जिसमें परिवाद कथनों से इन्‍कार करते  हुऐ कहा गया  कि परिवादी को वाद का कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ, दूषित मंशा से उसने असत्‍य  कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित किया है। अतिरिक्‍त कथनों में  विपक्षी सं0-1 की ओर से कहा गया कि यह सही है कि दिनांक 22/03/2010 को परिवादी की आँख देखने के बाद उत्‍तरदाता विपक्षी ने उसकी दाहिनीं आखं  के मोतियाबिन्‍द के आपरेशन की सलाह दी थी, किन्‍तु जब परिवादी का ब्‍लड  शुगर और ब्‍लड प्रेशर की जॉंच की गई तो पाया गया कि ब्‍लड शुगर 98 M.G. था जो सामान्‍य था, किन्‍तु ब्‍लड प्रेशर 170/ 90 जो अधिक था। अत: परिवादी को दिनांक 30/03/2010 को पुन: बुलाया गया। दिनांक 30/03/2010 को चेक  करने पर ब्‍लड प्रेशन170/90 निकला जिसे कम करने के लिए परिवादी को  Lasix दी गई, 2 घण्‍टे बाद जब परिवादी का बलड प्रेशर 150/86 हो गया  तो परिवादी की आँख का उत्‍तरदाता विपक्षी ने आपरेशन किया, आपरेशन कामयाब रहा। followup के लिए परिवादी को दिनांक 01/04/2010 और पुन: दिनांक 08/04/2010 को बुलाया गया। परिवादी की आँख की स्थिति सही  पाई गई। आँख में विजन 6/9 थी अत: परिवादी को चस्‍मा प्र्रक्राइव करके दवा डालने की सलाह दी गई। उत्‍तरदाता विपक्षी के अनुसार कुछ काफी दिन बाद परिवादी उसके पास आया और उसने आँख में धुंधलेपन की शिकायत की, जांच करने पर आँख की विजन 6/36 पाई गई। यह भी पाया गया कि परिवादी की आँख के पर्दे में सूजन है। उत्‍तरदाता विपक्षी के अनुसार आँख के आपरेशन के बाद यह कामन कोम्‍पलीकेशन है जिसका उत्‍तरदाता ने ट्रीटमेंट किया। उत्‍तरदाता विपक्षी ने अग्रेत्‍तर कहा कि  दिनांक 12/5/2010 को रेटिना विशेषज्ञ डा0 संजय शर्मा ने परिवादी की आँख के पर्दे में सूजन और आँख की एक नस में खून जमने की बात बताई जिसका ट्रीटमेंट किया गया, किन्‍तु दिनांक 12/05/2010 के बाद परिवादी कभी भी  उत्‍तरदाता विपक्षी के पास नहीं आया। उत्‍तरदाता के अनुसार आपरेशन के काफी दिन बाद हो सकता है कि हाई ब्‍लड प्रेशर की बजह से परिवादी की आँख में कोई कोम्‍पलीकेशन हुआ हो। उत्‍तरदाता विपक्षी ने पूर्ण सदभावना और मेडिकल नार्मस के अनुरूप परिवादी की आँख का सही आपरेशन किया और  जिसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि अथवा लापरवाही नहीं की। उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1 ने परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। अति‍रिक्‍त उसने यह भी कथन किया कि दिनांक 08/09/2009 से दिनांक 07/9/2010 तक की अवधि के लिए उत्‍तरदाता का क्‍लीनिक विपक्षी सं0-2 से बीमित था और प्रश्‍नगत अवधि में बीमा प्रभावी था। 
  6.   बीमा कम्‍पनी-विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/4 दाखिल किया गया जिसमें परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया और अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि परिवाद में विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध कोई कथन नहीं किऐ गऐ हैं और परिवाद कथनों से ऐसा प्रतीत होता है कि  स्‍वयं की लापरवाही के कारण तथा चिकित्‍सक द्वारा दिऐ गऐ निर्देशों का  पालन न किऐ जाने कारण परिवादी की आँख में कोम्‍पलीकेशन हुई जिसके लिए उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2  का उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। परिवाद को विपक्षी सं0-2 ने खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  7.   विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 05/09/2012 को अपने अस्‍पताल की दिनांक 08/09/2009 से 07/09/2010 तक की अवधि के बीमा कवर नोट की फोटो प्रति कागज सं0-9/2 को दाखिल किया है।
  8.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/7  दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज 16/1  लगायत 16/3 प्रस्‍तुत किया। विपक्षी सं0-1 के समर्थन में डा0 अनिल सिंह और डा0  अतुल नाथ ने अपने-अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-17 और कागज सं0 18 दाखिल किऐ। परिवादी के समर्थन में साक्षी तान  सिंह ने अपना साक्ष्‍य  शपथ पत्र कागज सं0-21 दाखिल किया।
  9.   विपक्षी सं0-2 की ओर से बीमा कम्‍पनी के सहायक प्रबन्‍धक श्री रमन  ओवराय ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0- 15/1 लगायत 15/2 दाखिल  किया।
  10.   परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई। विपक्षी सं0-2 की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  11.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  12.   इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि दिनांक 22/03/2010 को परिवादी अपनी आँख दिखाने के लिए विपक्षी सं0-1 के हास्पिटल गया था। विपक्षी सं0-1 चेक करने के बाद परिवादी को बताया कि उसकी दोनों आंखों में मोतियाबिन्‍द उतर आया है। उन्‍होंने परिवादी को यह भी बताया कि पहले दाहिनी आँख के मोतियाबिन्‍द का आपरेशन किया जायेगा। दिनांक 23/03/2010 को विपक्षी सं0-1 ने परिवादी का ब्‍लड प्रेशर नापा और शुगर की जांच की तो उसकी शुगर 92 mgl पायी गई जो सामान्‍य थी। परिवादी का ब्‍लड प्रेशर 170/90 पाया गया जो सामान्‍य से अधिक था। परिवादी को आपरेशन हेतु दिनांक 30/03/010 को बुलाया गया। दिनांक 30/03/2010 को विपक्षी सं0-1 ने अपने हास्पिटल में परिवादी की दाहिनीं आँख के मोतियाबिन्‍द का आपरेशन किया।

13 -  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता  का कथन है कि दिनांक 30/03/2010 को आपरेशन से पूर्व विपक्षी सं0-1 ने न तो परिवादी की शुगर की जांच की और न उसका ब्‍लड प्रेशर चेक किया और शुगर की जांच किऐ बिना तथा ब्‍लड प्रेशर चेक किऐ बिना परिवादी की आँख का आपरेशन कर दिया, जिस कारण परिवादी की आँख की रोशनी जाती रही। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार विपक्षी ने आपरेशन से पूर्व परिवादी की शुगर की जांच न करके और उसके ब्‍लड प्रेशर को चेक न करके हाई ब्‍लड प्रेशर में परिवादी की दाहिनी आँख का आपरेशन किया और ऐसा करके विपक्षी सं0-1 ने चिकित्‍सीय लापरवाही बरती।

14  विपक्षी सं0-1 ने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के उक्‍त कथनों का प्रतिवाद किया और आपरेशन में चिकित्‍सीय लापरवाही बरतने के आरोपों का खण्‍डन किया। विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता ने अन्‍य के अतिरिक्‍त पत्रावली में अवस्थित चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0- 3/8, परिवादी की डिस्‍चार्ज समरी कागज सं0-3/9, चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0-3/11 और चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0-22/1 लगायत 22/2 की ओर हमारा ध्‍यान विशेष रूप से आकर्षित किया।

15  कागज सं0-3/8 परिवादी के दिनांक 22/3/2010 के चिकित्‍सीय पर्चे की फोटो प्रति है। इसके अवलोकन से प्रकट है कि दिनांक 22/3/2010 को जब  परिवादी विपक्षी सं0-1 के पास अपनी आँख दिखाने गया था तो विपक्षी सं0-1 ने उसकी शुगर की जांच की थी और ब्‍लड प्रेशर भी चेक किया था।  परिवादी की शुगर तो सामान्‍य थी, किन्‍तु ब्‍लड प्रेशर 170/90 था जो सामान्‍य से  अधिक था। विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को दिनांक 30/3/2010 को आपरेशन हेतु बुलाया। दिनांक 30/3/2010 के परिवादी के चिकित्‍सीय पर्चे की नकल  कागज सं0- 22/1 है। कागज सं0-22/2 आपरेशन हेतु परिवादी के साथ गऐ  उसके पोते द्वारा दी गई सहमति पत्र फोटो कापी है। दिनांक 30/3/2010 के चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0-22/1 के अवलोकन से परिवादी का यह आरोप मिथ्‍या  प्रमाणित होता है कि आँख के आपरेशन से पूर्व विपक्षी सं0-1 ने न तो उसकी शुगर की जांच की और न उसका ब्‍लड प्रेशर चेक किया। कागज सं0-22/1 के अवलोकन से प्रकट है कि आपरेशन से पूर्व परिवादी की यह दोनों जांचे विपक्षी सं0-1 ने की थीं। जांच में परिवादी की शुगर तो 92 mgl पाई गई जो  सामान्‍य थी, किन्‍तु उसका ब्‍लड प्रेशर 170/90 पाया गया जो बढ़ा हुआ था।  दिनांक 30/3/2010 के इस चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0-22/1 के अवलोकन से विपक्षी सं0-1 के साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 के पैरा सं0-6 में किऐ गऐ इस कथन की पुष्टि होती है कि आपरेशन से पूर्व परिवादी के उच्‍च रक्‍तचाप को कम करने के लिए परिवादी को Lasix की गोली दी गई थी और यह गोली देने के 2 घण्‍टे बाद पुन: जांच पर परिवादी का ब्‍लड प्रेशर घटकर 150/86 हो गया था और जब परिवादी का ब्‍लड प्रेशर कम हो गया  तब विपक्षी सं0-1 ने परिवादी की दाहिनी आँख का आपरेशन किया था। चिकित्‍सीय पर्चे कागज सं0-22/1 में आपरेशन से पूर्व Lasix गोली दिऐ जाने और गोली देने के बाद परिवादी का ब्‍लड प्रेशर 150/86 हो जाने का स्‍पष्‍ट  उल्‍लेख है। यहां इस आशय का उल्‍लेख करना महत्‍वपूर्ण है कि दिनांक 30/3/2010 के परिवादी के इस चिकित्‍सीय पर्चे पर उसके साथ गऐ उसके पोते के भी हस्‍ताक्षर हैं। इस  प्रकार परिवादी का यह आरोप प्रमाणित नहीं होता कि विपक्षी सं0-1 ने बिना शुगर की जांच किऐ और बिना ब्‍लड प्रेशर चेक किऐ उच्‍च रक्‍तचाप में दिनांक 30/3/2010 को परिवादी की दाहिनी आँख  का आपरेशन किया था।  

16  परिवादी का यह भी आरोप है कि दिनांक 08/4/2010 को जब followup  के लिए परिवादी विपक्षी सं0-1 के पास गया तो विपक्षी सं0-1 ने परिवा‍दी  की दाहिनी आँख चेक की थी तब परिवादी को दाहिनी आँख से कुछ दिखाई नहीं दिया था। परिवादी का यह आरोप भी चिकित्‍सीय प्रपत्रों से मिथ्‍या  प्रमाणित होता है। परिवादी की डिस्‍चार्ज समरी की नकल कागज सं0-3/9  के  अवलोकन से प्रकट है कि दिनांक 8/4/2010 को विपक्षी सं0-1 ने चेक  करने पर उसकी दाहिनी आँख की साइट 6/9 पाई थी तथा आँख की स्थिति सही थी। परिवादी को चश्‍मा प्रेस्‍क्राइव किया गया था और आँख में दवा डालने  की सलाह दी गई थी। डिस्‍चार्ज समरी कागज सं0-3/9 के अनुसार दिनांक 17/4/2010 को जांच करने पर परिवादी की दाहिनी आँख में धुंधलापन पहली बार पाया गया था। विपक्षी सं0-1 के साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-16/1  लगायत 16/3 के अनुसार यह कोमन कोम्‍पलीकेशन है जिसका उन्‍होंने ट्रीटमेंट किया। आंखों के सर्जन डा0 अनिल सिंह ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0 17/1 लगायत 17/2 के माध्‍यम से विपक्षी सं0-1 के साक्ष्‍य शपथ पत्र के पैरासं0- 8 व 9 में किऐ गऐ कथनों की पुष्टि करते हुऐ यह कथन किया है कि आपरेशन के बाद इस तरह के कोम्‍पलीकेशन सामान्‍य हैं और इनका आँख के आपरेशन से कोई तारतम्‍य नहीं है। शपथ पत्र कागज सं0-18 के पैरा  सं0-2 के माध्‍यम से जिला नेत्र चिकित्‍सालय, मुरादाबाद के आई सर्जन डा0 अतुल नाथ ने परिवादी के इस आरोप का खण्‍डन किया है कि उन्‍होंने परिवादी की आँख चेक करके उसे यह बताया था कि परिवादी की आँख का रेटिना अपनी जगह से इस कारण हटा है कि हाई ब्‍लड प्रेशर में उसकी आँख का  आपरेशन किया गया था। उल्‍लेखनीय है कि परिवादी की आयु लगभग 75  वर्ष है। डा0 अतुल नाथ के अनुसार इस आयु में आपरेशन के बाद किसी भी  वक्‍त ब्‍लड प्रेशर बढ़ने के कारण आँख का रेटिना अपने स्‍थान से हट सकता है। परिवादी के अनुसार उसने रेलवे अस्‍पताल, नई दिल्‍ली और एम्‍स में भी  अपनी आँख का इलाज कराया जहां उसे यह बताया गया कि उच्‍च रक्‍तचाप में आँख का आपरेशन किऐ जाने के कारण उसकी आँख का रेटिना अपने स्‍थान से हटा है। उल्‍लेखनीय है कि परिवादी ने ऐसा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया जिससे प्रकट हो कि रेलवे अस्‍पताल अथवा एम्‍स के चिकित्‍सकों ने परिवादी को यह बताया था कि उच्‍च रक्‍तचाप में आपरेशन होने की बजह से  उसकी आँख में कोम्‍पलीकेशन्‍स हुई है। परिवादी के साक्षी तान सिंह ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र में यह नहीं कहा है कि जिला नेत्र चिकित्‍सालय, मुरादाबाद के सर्जन डा0 अतुल नाथ ने परिवादी की आँख चेक करने के बाद यह कहा था कि दिनांक 30/3/2010 को परिवादी की आँख का आपरेशन हाई ब्‍लड प्रेशर के दौरान किया गया था। डा0 अतुल नाथ ने यह बताकर कि हाई ब्‍लड प्रेशर में यदि  आपरेशन होता है तो उससे भी रेटिना अपनी जगह से हट जाता है, चिकित्‍सा शास्‍त्र की एक पारिणामिक परिस्थिति बताई है। इस प्रकार तान सिंह का शपथ पत्र परिवादी के लिए सहायक नहीं है।

17  परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने आर0टी0आई0 के माध्‍यम से सरकारी अस्‍पताल, मुरादाबाद से प्राप्‍त सूचना दिनांकित 21/3/2012 जिसकी नकल  कागज सं0-20/5 है, की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया। कागज सं0-20/5  में परिवादी को यह अवगत कराया गया था कि मोतियाबिन्‍द का आपरेशन करने से पहले सामान्‍यत: शुगर, ब्‍लड प्रेशर एवं आई विजन की जांच कराई जानी चाहिऐ तथा हाई ब्‍लड प्रेशर की स्थिति में मोतियाबिन्‍द का आपरेशन किया जाना उचित नहीं होता। कागज सं0-20/5 में उल्लिखित तथ्‍यों से यह​ प्रमाणित नहीं होता कि परिवादी की आँख का आपरेशन करनेमें विपक्षी सं0-1 ने चिकित्‍सीय लापरवाही की थी। परिवादी के चिकित्‍सीय पर्चे की नकल कागज सं0-22/1 के अवलोकन से प्रकट है कि आपरेशन से पूर्व उसकी दाहिनी आँख की विजन, उसकी शुगर तथा ब्‍लड प्रेशर विपक्षी सं0-1 ने चेक किऐ थे और ब्‍लड प्रेशर सामान्‍य करने के बाद ही परिवादी की दाहिनी आँख का आपरेशन किया था। प्रमाणित है कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादी की आँख को आपरेशन करने में किसी प्रकार की चिकित्‍सीय लापरवाही नहीं बरती।

18 परिवादी के साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/7 के पैरा सं0-5 के अवलोकन से प्रकट है कि आपरेशन के बाद खाने के लिए और  आँख में डालने के लिए विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को जो दवाइयां प्रेस्‍क्राइव की थी उन दवाइयों पर दिल्‍ली से आये चिकित्‍सक ने कोई आपत्ति नहीं की थी और दिनांक 17/4/2010 के बाद भी परिवादी उन दवाइयों को लेता रहा। यह तथ्‍य दर्शाता है कि आपरेशन के बाद विपक्षी सं0-1 ने खाने के लिए और आँख में  डालने के लिए परिवादी को जो दवाइयां प्रेस्‍क्राइव की थी वो भी सही थी और उनको प्रेस्‍क्राइव करने में भी विपक्षी सं0-1 की कोई लापरवाही नहीं थी।

19  उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी की आँख का आपरेशन करने एवं followup में विपक्षी सं0-1  द्वारा किसी प्रकार की चिकित्‍सीय लापरवाही किया जाना प्रमाणित नहीं हुआ  है। परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

 

 

परिवाद खारिज किया जाता  है।

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     08.09.2015           08.09.2015        08.09.2015

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 08.09.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     08.09.2015           08.09.2015        08.09.2015

 

 

 

 

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