Rajasthan

Ajmer

CC/93/2013

CHANDA DEVI - Complainant(s)

Versus

DR. VINOD SHARMA - Opp.Party(s)

ADV ARVIND KARARIYA

30 Oct 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/93/2013
 
1. CHANDA DEVI
BEAWAR
...........Complainant(s)
Versus
1. DR. VINOD SHARMA
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्रीमति चन्दा देवी पत्नी श्री प्यारेलाल, जाति- मेघवाल, आयु-35 वर्ष, निवासी- बावडी टाटगढ, तहसील- ब्यावर, जिला-अजमेर । 

                                                         प्रार्थीया

                            बनाम

1.   डा. विनोद षर्मा, ग्रामीण चिकित्सा अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, टाटगढ, जिला-अजमेर । 
2. डाॅक्टर कंचन गट्टानी, जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, अजमेर । 
3. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अजमेर । 
4. निदेषक, चिकित्सा ,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर । 
                                                       अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 93/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री अरविन्द कराडिया, अधिवक्ता, प्रार्थीया
                  2.श्री विवेक पाराषर,अधिवक्ता अप्रार्थी सं. 1,3,4 
                  3.श्री सिराजुद्दीन, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं.2 
                             
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 13.11.2014

1.            परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि  प्रार्थीया को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र टाटगढ, अजमेर की स्वास्थ्य कर्मचारी ने  परिवार नियोजन कार्यक्रम के बारे मे जानकारी दिए जाने पर उसने  दिनांक 28.01.2012 को  आयोजित नसबन्दी षिविर में अपना  आॅपरेषन करवाया ।  नसबन्दी आपरेषन करने से पूर्व  उक्त षिविर में उपस्थित  वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा प्रार्थीया की आवष्यक समस्त जांचे  की गई और प्रार्थीया को पूर्णतया फिट पाते हुए  उसका आॅपरेषन किया गया  और सफलतापूर्वक आॅपरेषन होने पर अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा  प्रमाण पत्र संख्या 1339 दिया ।  उक्त आॅपरेषन करवाने के बाद जब उसकी तबीयत खराब होने लगी तो उसने दिनांक 16.3.2012 को जय क्लिनिक नर्सिग होम, ब्यावर में डाक्टर के निर्देषानुसार सोनोग्राफी करवाई तो उसे पता चला कि वह 66 दिन की गर्भवती है और उसके गर्भ में दो जुडवा बच्चे है ।
    प्रार्थीया का कथन है कि जिस दिन उसका नसबन्दी आॅपरेषन करवाया गया उस दिन भी वह गर्भवती थी किन्तु  अप्रार्थी संख्या 1 व 2 एवं संबंधित कैप के डाक्टर्स व स्टाफ ने  सहीं प्रकार से जाचें नही ंकी और उसका आॅपरेषन कर सेवा में कमी की है । उसने  दिनांक 30.3.2012 को अधिवक्ता के जरिए नोटिस दिलवाते हुए उसे हुए ष्षारीरिक, मानसिक एवं आथ्रिक क्षति बाबत् राषि की मांग की  किन्तु अप्रार्थीगण ने नोटिस पर कोई ध्यान नही ंदिया 
     इसके बाद प्रार्थीया ने दिनांक 2.8.2012 को  जुडवा बच्चो को जन्म दिया  जिसमें से  एक  बच्चे का निधन हो गया ।  प्रार्थीया का कथन है कि  उसका परिवार गरीब परिवार है और  उसके परिवार में  3 सन्ताने है  जिनके भरण पोषण एवं षिक्षा दिक्षा का दायित्व उस पर है उसने  तीन संतानों के बाद नसबन्दी का आपरेषन करवाया था किन्तु अप्रार्थीगण की अपेक्षा एवं घोर लापरवाही के कारण प्रार्थीया को उक्त  जुडवा बच्चों को जन्म देना पडा। प्रार्थीया ने परिवाद प्रस्तुत कर  कुल रू. 2,90,000/- की राषि अप्रार्थीगण से दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।    
2.    अप्रार्थी संख्या 1,3 व 4 की ओर से जवाब प्रस्तुत हुआ जिसमें दर्षाया है कि  राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबन्दी आॅपरेषन पूर्णतः निषुल्क किया जाता है एवं राज्य सरकार द्वारा इस कार्यक्रम को सुचारू रूप् से क्रियान्वित करने एवं आमजन में इस कार्यक्रम के प्रति रूचित जागृत करने के लिए प्रोत्साहन राषि प्रदान की जाती है एवं नसबन्दी का आॅपरेषन करवाने के बाद भी संबंधित को निषुल्क परामर्ष एवं निषुल्क दवाएं प्रदान की जाती है और इसी क्रम में प्रार्थीया को सम्पूर्ण सुविधा निषुल्क रूप् में प्रदान की गई साथ ही  प्रोसात्हान राषि भी प्रदान की गई इसलिए प्रार्थीया उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है । 
    अप्रार्थीगण का कथन है कि नसबन्दी करने से पूर्व संबंधित से सहमति पत्र लिया जाता है जिसका मजमून उत्तर परिवाद की चरण संख्या 4 व 5  में दिया हुआ है ।  राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नसबन्दी आपरेषन असफल होने पर नियमानुसार प्रतिपूर्ति हेतु परिवार कल्याण बीमा योजना जो दिनांक 29.11.2005 से प्रारम्भ की गई थी इसी क्रम में  प्रार्थीया का नोटिस प्राप्त होने के पष्चात्  दिनांक 10.4.12 को सामुदायिक स्वाथ्य केन्द्र  टाडगढ के चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डा. विनोद कुमार षर्मा,  श्री सुषील ब्यास, जीएनएम एवं श्रीमति पुष्पा चैहान एएनएम तथा सेसुराम वार्ड पंच ने  प्रार्थीया से क्षतिपूर्ति प्राप्त करने हेतु  औपचारिकताएं पूर्ण करने के लिए सहयोग मांगा किन्तु प्रार्थीया व उसके परिवारजन ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया  इसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, टाडगढ द्वारा दिनंाक 12.4.12 को रजिस्टर्ड डाक से क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का आवेदन पत्र प्रार्थीया को भेजा किन्तु  उक्त पत्र ’’ लेने से इन्कार किया’’ रिमार्क के साथ वापिस आ गया ।  इस प्रकार उनके स्तर पर कोई कमी नहीं रही । अन्त में परिवाद खारिज होना दर्षाया । 
3.    अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा परिवाद का जवाब प्रस्तुत किया  जिसमें  प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया कि  प्रार्थीया  उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 में प्रयुक्त उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आती है । आगे मदवार जवाब प्रस्तुत  किया तथा अतिरिक्त कथन में दर्षाया है कि उत्तरदाता मेरी स्टाप्स इण्डिया द्वारा संचालित अस्पताल में डाक्टर के पद पर कार्यरत है और उसे उक्त संस्थान से वेतन मिलता है  और उक्त संस्थान नसबन्दी करवाने के कैम्प आयोजित करती है  और उक्त कैम्प में आगनबाडी कार्यकर्ता /आषा सहयोगनी द्वारा नसबन्दी करने वाली महिला को  प्रोत्साहित करके लाया जाता है जिसके लिए उक्त संस्थान द्वारा नसबन्दी करने वाली महिला व आगनबाडी कार्यकर्ता /आषा सहयोगनी को प्रोत्साहन राषि दी जाती है इसी क्रम में प्रार्थीया को प्रोत्साहन राषि के रू. 600/- व कार्यकर्ता को रू. 150/- का भुगतान किया गया है । प्रार्थीया अपना नसबन्दी आॅपरेषन करवाने से पहले से खुद की समस्त जांचे सरकारी अस्पताल से करवा कर लेकर आई थी  इसके बाद ही  मेरी स्टाप्स इण्डिया द्वारा आयोजित कैम्प में उसका आॅपरेषन किया गया था । जय क्लिनिक एवं नर्सिग होम ब्यावर की रिर्पोट के आधार पर प्रार्थीया द्वारा दिनांक 16.3.2012 को 66 दिवस की गर्भवती होना बताया गया है इस तरह से आॅपरेषन के दिन प्रार्थीया एक माह की गर्भवती थी और प्रार्थीया ने यह बात आॅपरेषन के समय छिपाई थी  कोई महिला अगर गर्भवती हो जाती है तो वह अपने अनचाहे गर्भ को डाॅक्टर की  राय के अनुसार कानूनी रूप से 12 हफते तक  के गर्भ को गिरवा सकती है किन्तु  प्रार्थीया ने यह तथ्य छिपाते हुए आपरेषन करवाया । इस प्रकार उसके स्तर पर कोई कमी नहीं थी अन्त में परिवाद खारिज होना बतलाया । 
4.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया । 


5.        प्रार्थीया का यह  मामला राज्य सरकार की ओर से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत की जाने वाली नसबन्दी आपरेषन से संबंधित है । प्रार्थीया का यह मामला  किए गए नसबन्दी आपरेषन की असफलता को लेकर नहीं है बल्कि प्रार्थीया का कथन है कि दिनंाक 28.1.2012 को उसका नसबन्दी का अपरेषन किया गया । तत्पष्चात् उसकी तबीयत खराब होने लगी तो उसने दिनंाक 16.3.2012 को जय क्लिनिक एण्ड नर्सिग होम, ब्यावर में दिखाया एवं सोनोग्राफी करवाई तो पता चला कि प्रार्थीया 66 दिन की गर्भवती थी इस तरह से प्रार्थी का कथन है कि  नसबंदी आपरेषन जो दिनंाक  28.1.2012 को किया गया उस वक्त प्रार्थीया करीब 20 दिन की गर्भवती थी किन्तु अप्रार्थीगण अर्थात स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सगण व अन्य अधिकारीण ने प्रार्थीया का नियमानुसार एवं  सावधानीपूर्वक  जांच किए बिना ही उसका गर्भवर्ती होने की स्थिति में भी नसबंदी का आॅपरेषन कर दिया । अप्रार्थीगण की इस लापरवाही से प्रार्थीया को षारीरिक नुकसान हो सकता था यदि अप्रार्थीगण इस आषय की जांच आपरेषन से पहले करते तो प्रार्थीया अपने गर्भ को नियमानुसार गिराने की कार्यवाही भी कर सकती थी । अतः अप्रार्थीगण के विरूद्व सेवा में कमी बतलाते हुए यह परिवाद  पेष किया है एवं  अधिवक्ता प्रार्थीया की यही बहस रही है कि मामला अप्रार्थीगण के विरूद्व सेवा में कमी का सिद्व है । 
6.    इसके विपरीत अप्रार्थीगण 1,3,4 के जवाब  के अनुसार  प्रार्थीया के आपरेषन के बाद  उसके संतान हुई हो अर्थात आपरेषन असफल हुआ हो ऐसा उनका कथन नहीं पाया गया है जबकि मामले में प्रार्थीया इस नसबन्दी आॅपरेषन के  पहले से ही 20 दिन की गर्भवती थी एवं  इसके रहते हुए अप्रार्थीगण द्वारा आपरेषन कर दिया गया, संबंधी तथ्य लापरवाही से संबंधित होना दर्षाया है  । अप्रार्थी संख्या 2  ने अवष्य बतलाया है कि प्रार्थीया नसबदी आपरेषन के समय गर्भवती थी इस तथ्य को आपेरषन  के  पूर्व नहीं दर्षाया गया एवं उसके जो सन्तान दिनांक  2.8.2012 को जुडवा के रूप में हुई वह  संतान उसके गर्भ में पहले सही पल रही थी । अतः प्रार्थीया का आॅपरेषन जो किया गया  सहीं रूप से किया गया है । अप्रार्थीगण की ओर से यह भी बहस की गई कि प्रार्थीया का यह आॅपरेषन निषुल्क किया गया था  इसलिए प्रार्थीया उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है । 
7.    हमने बहस पर गौर किया । जहां तक प्रार्थीया के  नसबन्दी का  जो आपरेषन किया गया , निषुल्क किया गया इस संबंध में कोई विवाद नहीं है । अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थीया से इस संबंध में अप्रार्थीगण ने कोई फीस,षुल्क प्रतिफल के रूप में  लिया हो , तथ्य सिद्व नही है ।  अतः हम यह पाते है कि प्रार्थीया का नसबन्दी का यह आॅपरेषन निषुल्क हुआ था एवं प्रार्थीया से कोई षुल्क नहीं लिया गया था । 
8.    गुणावगुण पर विवेचना इस तरह से है कि जिस तरह से प्रार्थीया के कथन रहे है कि अप्रार्थीगण ने आपरेषन के पूर्व उसकी जांच सही रूप से नहीं की, जो आवष्यक थी एवं सही रूप से जांच की जाती तो प्रार्थीया को गर्भवती होने के तथ्य का पता चलता एवं उक्त  तथ्य का पता चलने पर प्रार्थीया का आॅपरेषन सम्भव नहीं था इस प्रकार अप्रार्थीगण ने प्रार्थीया के आपरेषन की इस प्रक्रिया एवं कार्यवाही में लापरवाही बरती है एवं  इस हेतु  प्रार्थीया उचित राषि प्राप्त करने की अधिकारणी है । 
9.    पत्रावली पर  ऐसे आॅपरेषन से पूर्व  किस तरह की जांचे आवष्यक है, का कोई रिकार्ड प्रार्थीया की ओर से  पेष नहीं हुआ है । प्रार्थीया का कथन रहा है कि  नसबन्दी के आॅपरेषन के वक्त वह गर्भवती  नहीं है, ऐसी जांच आवष्यक थी लेकिन प्रार्थीया की  ओर से इस आषय का कोई सरक्यूलर या चिकित्सकीय व्यवस्था पेष नहीं  हुई है । प्रार्थीया ने यह भी कथन किया है कि जांच से यदि  कोई महिला पहले ही गर्भवती होना पाई जाती है  तो उसका आॅपरेषन नहीं किया जा सकता था , संबंधी कोई आदेष या परिपत्र प्रार्थीया की ओर से पेष नहीं हुआ है । हालांकि अप्रार्थीगण जो स्वयं चिकित्सक व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी है, की ओर से भी इस संबंध में आवष्यक व उपयुक्त साक्ष्य  इस मचं के समक्ष  प्रस्तुत करनी चाहिए थी  । चूंकि परिववाद में  निर्णय बिन्दु यही है कि क्या अप्रार्थीगण ने प्रार्थीया के इस मामले में  लापरवाही बरती है? अतः  यह तथ्य प्रार्थीया को ही सिद्व करना था ।  हमारे विनम्र मत में प्रार्थीया ऐसा नहीं कर पाई है । जैसा कि उपर विवेचित हुआ है कि प्रार्थीया ने राज्य सरकार के परिपत्र या ऐसी कोई चिकित्सकीय सामग्री अर्थात कोई पुस्तक  के अंष, लेख आदि पेष नहीं किए है कि नसबदी आपरेषन के पूर्व  आॅपरेषन कराने वाली महिला पहले से गर्भवती है  उसकी गर्भवती होने संबंधी जांच करना आवष्यक है  तथा ऐसी महिला गर्भवती है तो उसका  नसबदी का आॅपरेषन नहीं किया जाएगा  जिससे उसको खतरा हो ।
10.    उपरोक्त सारे विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि प्रार्थीया का नसबन्दी आॅपरेषन  निषुल्क किया गया था  इसके  अतिरिक्त प्रार्थीया का मामला नसबंदी आॅपरेषन असफल होने का नहीं है  बल्कि इस आॅपरेषन के वक्त प्रार्थीया पहले से ही करीब 20 दिन की गर्भवती थी और उसके रहते हुए प्रार्थीया का यह आपरेषन कर दिया, संबंधी लापरवाही अप्रार्थीगण के विरूद्व दर्षाई है किन्तु प्रार्थीया  इस हेतु अप्रार्थीगण  के पक्ष में किसी भी तरह की लापरवाही सिद्व नहीं कर पाई है ।   अतः प्रार्थीया का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नही ंहै एवं आदेष है कि 
                         -ःः आदेष:ः-
10.        प्रार्थीया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।

(विजेन्द्र कुमार मेहता)  (श्रीमती ज्योति डोसी)    (गौतम प्रकाष षर्मा) 
                सदस्य              सदस्या               अध्यक्ष

11.        आदेष दिनांक 13.11.2014   को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

              सदस्य             सदस्या             अध्यक्ष

    

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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