Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/107/2012

Shahabjade Khan - Complainant(s)

Versus

Dr. Vineet Garg - Opp.Party(s)

14 Jul 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/107/2012
 
1. Shahabjade Khan
R/o Moh. Guiyabagh Near Purani Masjid, Thana Mugalpura, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Dr. Vineet Garg
Add:- C-9 Gandhi Nagar Public School, Thana Galshasheed Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 14 Jul 2016
Final Order / Judgement

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   अभिकथित रूप से चिकित्‍सीय लापरवाही की वजह से श्रीमती दिलारा बेगम की मृत्‍यु हो जाने के फलस्‍वरूप परिवादीगण द्वारा विपक्षी से क्षतिपूर्ति के रूप में 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 20,00,000/- दिलाऐ जाने हेतु यह परिवाद योजित किया गया है।
  2.   साहबजादे खां जिनकी सुनवाई के दौरान दिनांक 05/7/2013 को  मृत्‍यु हो गई है, मृतक दिलारा बेगम के पति थे। परिवादी सं0-2 नईम खां  और परिवादिनी सं0-3 कु0 मक्‍की परवीन मृतक दिलारा बेगम के क्रमश:  पुत्र एवं पुत्री हैं।
  3.   परिवाद कथनों के अनुसार श्रीमती दिलारा बेगम को सांस का मर्ज था और वे विपक्षी के नियमित इलाज में रहती थीं। दिलारा बेगम को  दिल की कोई बीमारी नहीं थी और उनका रक्‍तचाप भी सही रहता था।  विपक्षी ने दिलारा बेगम की कभी ह्दय रोग हेतु कोई जांच नहीं कराई। सांस की बीमारियों के लिए ही विपक्षी द्वारा जांच कराई जाती रही और उसी का इलाज किया जाता रहा। दिनांक 31/5/2012 को सांस की शिकायत होने पर दिलारा बेगम को विपक्षी को दिखाया गया। विपक्षी ने उन्‍हें  दवाईयों का पर्चा लिखकर दे दिया। दिनांक 03/6/2012 को दिलारा बेगम  को बुखार हो गया उसे पुन: विपक्षी को दिखाया गया। विपक्षी ने दिनांक 31/5/2012 के प्रिस्क्रिप्‍शन में परिवर्तन करके कुछ दवाइयां घटा-बढ़ा दी।  दिनांक 03/6/2012 को विपक्षी ने जो दवाईयां लिखीं उनसे दिलारा बेगम को रिएक्‍शन हो गया, उनको सांस की शिकायत के साथ-साथ पेशाव आने   में कमी और कब्‍ज की भी शिकायत हो गई। उक्‍त परिस्थितियों में   दिनांक 06/6/2012 को सुबह दिलारा बेगम को पुन: विपक्षी के नर्सिगहोम  में ले जाकर दिखाया गया। विपक्षी ने उनको देखकर तुरन्‍त अपने नर्सिगहोम में भर्ती कराया और फीस आदि जमा करकार उनका इलाज शुरू कर दिया। दिलारा बेगम को ह्दय रोग से सम्‍बन्धित इलाज दिया जाने लगा उस दौरान इनके पेट में इन्‍जेक्‍शन लगाया गया जिसने तीव्र रिएक्‍शन किया। दिलारा बेगम के नाखून नीले हो गऐ और वह मृत प्राय: स्थिति में पहुँच गई। दिलारा बेगम की हालत से विपक्षी को तत्‍काल सूचित किया गया तो विपक्षी ने दिलारा बेगम को देखते ही उसे साई अस्‍पताल, मुरादाबाद में वेल्‍टीलेटर पर रखे जाने हेतु रेफर कर  दिया। परिवादी सं0-2 व 3 ने विपक्षी द्वारा लगाऐ गऐ इंजक्‍शन, सिरिंज और दवाइयां वहॉं से उठानी चाही तो विपक्षी व उसके स्‍टाफ ने उन्‍हें  उठाने नहीं दिया। परिवादीगण ने अग्रेत्‍तर कथन किया कि सांई अस्‍पताल पहुँचते ही दिलारा बेगम को भर्ती कर लिया गया और उन्‍हें वेल्‍टीलेटर लगा   दिया गया। दिनांक 06/6/2012 से 09/6/2012 तक लगातार दिलारा बेगम सांई अस्‍पताल में आई0सी0यू0 में वेल्‍टीलेटर पर ही रही और यह सब  विपक्षी द्वारा गलत इलाज किऐ जाने की वजह से हुआ। दिनांक 09/6/2012 को सांई अस्‍पताल के डाक्‍टरों ने परिवादीगण को बताया कि दिनांक 06/6/2012 को विपक्षी द्वारा दिलारा बेगम का ह्दय रोग आदि से सम्‍बन्धित गलत उपचार प्रारम्‍भ किया गया था जिससे रिएक्‍शन के  कारण अब दिलारा बेगम को बचाना सम्‍भव नहीं है। सांई अस्‍पताल के  डाक्‍टरों ने सलाह दी कि दिलारा बेगम को डिस्‍चार्ज कराकर घर ले जायें तब दिनांक 09/6/2012 को लगभग 3 बजे परिवादीगण दिलारा बेगम को  वहां से डिस्‍चार्ज कराकर घर ले  गऐ। दिनांक 10/6/2012 को प्रात: 5 बजे दिलारा बेगम की मृत्‍यु हो गई। परिवादीगण के अनुसार दिलारा बेगम की मृत्‍यु विपक्षी द्वारा उनका गलत इलाज किऐ जाने की वजह से हुई।  विपक्षी का नर्सिगहोम बिना अनुमति लिऐ चलाया जा रहा है और वह  निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है। विपक्षी के अस्‍पताल में दवाईयों की  मुँह मांगी कीमत वसूल की जाती है और उसका बिल भी नहीं दिया जाता। विपक्षी चिकित्‍सीय Ethics के विरूद्ध कार्य कर रहा है। दिलारा बेगम की  मृत्‍यु से परिवादीगण को अत्‍याधिक मानसिक कष्‍ट हुआ है और इनके इलाज में अनावश्‍यक रूप से काफी पैसा खर्च करना पड़ा। परिवादीगण ने   विपक्षी को कानूनी नोटिस भेजकर 20,00,000/- रूपये क्षतिपूर्ति की  मांग की, किन्‍तु विपक्षी ने क्षतिपूर्ति नहीं दी। उक्‍त कथनों के आधार पर  परिवादीगण ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षी से दिलाऐ जाने की  प्रार्थना की।
  4.   परिवाद के समर्थन में परिवादी सं0-2 नईम खां ने शपथ पत्र  कागज सं0-3/8 प्रस्‍तुत किया। सूची कागज सं0-3/10 के माध्‍यम से परिवादीगण ने विपक्षी को भिजवाऐ गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 29/6/2012 की  प्रति तथा इसे विपक्षी को भिजवाऐ जाने की डाकखाने की रसीद मूल रूप   में दाखिल की। सूची कागज सं0-4/1 द्वारा परिवादीगण ने दिनांक 31/5/2012 का दिलारा बेगम का प्रिस्क्रिप्‍शन, दिलारा बेगम को दिखाने हेतु दिनांक 31/5/2012 को जमा की गई फीस की रसीद, दिनांक 06/6/2012 के प्रिस्क्रिप्‍शन, सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद में दिनांक 06/6/2012 को हुई दिलारा बेगम की पैथोलोजी की रिपोर्ट, एक्‍स-रे, हेतु सांई अस्‍पताल में जमा किऐ गऐ 350/-रूपये की रसीद, दिलारा बेगम के चेष्‍ट एक्‍स-रे की रिपोर्ट दिनांकित 06/6/2012, सांई अस्‍पताल में  दिनांक 07/6/2012 से 09/6/2012 तक हुई दिलारा बेगम की पैथोलोजी  रिपोर्ट्स और दिलारा बेगम के डेथ सर्टिफिकेट की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागण सं0-5/1 लगायत 5/13 हैं। सूची कागज सं0-10/1 के माध्‍यम से परिवादीगण ने जनसूचना अधिकारी/सी0एम0ओ0, मुरादाबाद को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दिऐ गऐ प्रार्थना पत्र दिनांक 03/8/2012, पोस्‍टल आर्डर तथा आर0टी0आई0 के इस प्रार्थना पत्र को भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, आर0टी0आई0 के तहत मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी, मुरादाबाद के कार्यालय से प्राप्‍त उत्‍तर, दिलारा बेगम के पति स्‍वर्गीय साहबजादे के इलाज विषयक चिकित्‍सीय पर्चे तथा दिनांक 06/6/2012 को विपक्षी के नर्सिगहोम में फीस के रूप में जमा कराऐ 600/- रूपये की रसीद की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रतियों को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-10/3 लगायत 10/15 हैं।
  5.   दिनांक 10/9/2012 को फोरम द्वारा विपक्षी पर नोटिस की तामील पर्याप्‍त मानते हुऐ उसके विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय किऐ जाने के आदेश हुऐ।
  6.   एकपक्षीय साक्ष्‍य में दिनांक 19/9/2012 को परिवादी सं0-2 नईम  खां, परिवादी सं0-3 कु0 मक्‍की परवीन, मृतक परिवादी सं0-1 साहबजादे खां की बहन फहमीदा बेगम एवं  कु0 कमर जहां ने अपने-अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र दाखिल किऐ। फहमीदा बेगम का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3, नईम खां का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/6, कु0 मक्‍की परवीन का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/7 तथा कु0 कमर जहां का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/2 हैं।
  7.   कु0 मक्‍की परवीन तथा कु0 कमर जहां ने अपने-अपने शपथ पत्रों के साथ कुछ संलग्‍नक भी दाखिल किऐ हैं। कु0 मक्‍की परवीन के साक्ष्‍य  शपथ पत्र के साथ दिनांक 06/6/2012 से 09/6/2012 की अवधि में अन्‍त:रोगी के रूप में हुऐ दिलारा बेगम के इलाज से सम्‍बन्धित पत्रावली, मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी, मुरादाबाद के कार्यालय से आर0टी0आई0 के अधीन परिवादिनी सं0-3 को उपलब्‍ध कराई गई सूचना दिनांकित 17/7/2012, उ0प्र0 शासन के चिकित्‍सा अनुभाग द्वारा जारी शासनादेश दिनांकित 13/2/2004, आर0टी0आई0 के अधीन सी0एम0ओ0, मुरादाबाद को परिवादिनी सं0-3 द्वारा प्रेषित पत्र दिनांकित 12/7/2012, अंकन 20/-रूपये के पोस्‍टल आर्डर और आर0टी0आई0 के प्रार्थना पत्र को भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, आर0टी0आई0 के अधीन सी0एम0ओ0, मुरादाबाद के कार्यालय से परिवादिनी सं0-3 को उपलब्‍ध कराई गई सूचना दिनांकित 08/9/2012, परिवादिनी द्वारा आर0टी0आई0 के अधीन सी0एम0ओ0,  मुरादाबाद को भेजे पत्र दिनांकित 03/9/2012, अंकन 20/- रूपये के  पोस्‍टल आर्डर, प्रार्थना पत्र भेजे जाने की डाकखाने की रसीद की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के  कागज सं0-13/8 लगायत 13/34 हैं।
  8.   कु0 कमर जहां ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र के साथ अपनी माता प्‍यारी बेगम के इलाज से सम्‍बन्धित चिकित्‍सीय प्रपत्रों तथा उनके डेथ  सर्टिफिकेट की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रतियों को दाखिल किया है, यह  प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-14/3 लगायत 14/19 हैं।
  9.   दिनांक‍ 02/11/2012 को फोरम द्वारा विपक्षी के विरूद्ध पारित एकपक्षीय सुनवाई के आदेश को रिकाल किया गया और विपक्षी को प्रतिवाद पत्र दाखिल करने का अवसर दिया गया।
  10.   विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र कागज सं0-29/1 लगायत 29/12 दाखिल किया जिसमें परिवाद कथनों और परिवाद में लगाऐ गऐ आरोपों से इन्‍कार  किया गया विशेष कथनों में विपक्षी द्वारा कहा गया कि काफी समय से वह दिलारा बेगम का इलाज कर रहे थे और हमेशा वह बीमारी से निजात पाती रही। दिनांक 31/5/2012 को सांस में परेशानी के कारण दिलारा बेगम को उनके क्‍लीनिक पर लाया गया था। क्‍लीनिकल परीक्षण के बाद  उन्‍हें कुछ दवाएं प्रिस्क्राइव की गई। दिनांक 03/6/2012 को दिलारा बेगम उनके पास पुन: इस शिकायत के साथ लाई गई कि उसे बुखार है। विपक्षी ने पुन: जांच और परीक्षण करके कुछ और दवाइयां लिख दी़ं। एक दिन  बाद मरीज को लाऐ बगैर मरीज के तीमारदार उत्‍तरदाता विपक्षी की क्‍लीनिक में आये और कब्‍ज की शिकायत तथा अन्‍य समस्‍या उत्‍तरदाता विपक्षी  को बताई तो विपक्षी ने Xeem L.B. एन्‍टीवायोटिक एवं Dolo (500) Pirox Injection (दर्द के लिये) को काटकर एक और दवा Piction कब्‍ज  के लिए लिख दी। परिवादीगण का यह कहना कि दवाओं से दिलारा बेगम को रिएक्‍शन हो गया था, गलत है। दिनांक 04/6/2012 को कब्‍ज   की शिकायत लेकर जब दिलारा बेगम के तीमारदार उनके पास आऐ थे तो उन्‍होंने मरीज को लाकर दिखाने के लिए कहा था किन्‍तु दिलारा बेगम को उनके पास दिनांक 06/6/2012 की प्रात: 6 बजे लाया गया उस समय दिलारा बेगम के सीने में दर्द एवं सांसे बढ़ी होने की समस्‍या थी। विपक्षी ने तुरन्‍त उसका चेकअप करके ई0सी0जी0 किया जिसके आधार पर Acute Coronary insufficiency अर्थात् उसकी तीनों नसों में सीवियर ब्‍लाकेज के लक्ष्‍ण पाये गये। मरीज के तीमारदारों को उन्‍होंने अच्‍छी तरह बता व समझा दिया कि मरीज की हालत सीरियस है उसकी जान को खतरा है अत: सांस की मशीन लगाने और हार्ट के अग्रिम इलाज हेतु वे मरीज को सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद में ले जायं। विपक्षी के क्‍लीनिक पर वेल्‍टीलेटर की सुविधा नहीं है। दिलारा बेगम के साथ आये तीमारदारों ने विपक्षी पर यह दबाव डाला कि जब तक मरीज को सांई अस्‍पताल ले जाने की व्‍यवस्‍था हो तब तक विपक्षी उसे इमरजेंसी ट्रीटमेंट दे  दे। मजबूरन विपक्षी ने मरीज को इंमरजेंसी दवाईयां दी। विपक्षी का  अग्रेत्‍तर कथन है कि दिनांक 06/6/2012 को प्रात: 6 बजे केवल इमरजेंसी में उन्‍होंने मरीज को देखा था उसे नर्सिग होम में भर्ती नहीं किया गया था। परिवादीगण द्वारा दाखिल 600/- रूपये की फीस की रसीद दिनांकित 06/6/2012 फर्जी है जो विपक्षी को परेशान करने के उद्देश्‍य से उन्‍होंने तैयार की है। दिनांक 06/6/2012 को दिलारा बेगम का जो इमरजेंसी इलाज विपक्षी ने किया वह उसके तीमारदारों के कहने पर सारा प्रकरण बताऐ जाने के बाद ही दिया गया था। दिलारा बेगम को इमरजेंसी इलाज अन्‍तर्राष्‍टीय मेडिकल मानकों के आधार पर दिया गया था उसे हरगिज ऐसी कोई दवा नहीं दी गई जिससे मरीज को नुकसान पहुँचा हो। दिलारा बेगम की हालत पहले से ही नाजुक थी उसे सांई अस्‍पताल ले जाने की सलाह निरन्‍तर दी जा रही थी। मरीज के शरीर में कार्वन डाई आक्‍साइड बढ़ने और आक्‍सीजन कम हो जाने की वजह से उसके नाखून नीले पड़ गऐ थे। परिवादीगण का यह कहना असत्‍य है उन्‍होंने  नर्सिगहोम से दवायें उठाने का प्रयास किया हो जिससे उन्‍हें रोका हो। दिलारा बेगम को दिनांक 06/6/2012 को जो दवायें दी गई थीं चूँकि पर्चे पर अंकित थी अत: दवाओं के रेपर उठाकर ले जाने का कोई अर्थ नहीं था। विपक्षी ने अग्रेत्‍तर कहा कि दिनांक 06/6/2012 को दिलारा बेगम को ले जाने के बाद उसे उसके बारे में अथवा सांई अस्‍पताल में हुऐ उसके ट्रीटमेंट के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं मिली। दिलारा बेगम के तीमारदार उसके इलाज के लिए गम्‍भीर नहीं थे और यही कारण है कि दिनांक 9/6/2012 को उन्‍होंने चिकित्‍सीय सलाह के विरूद्ध (Left Against Medical Advice) उसे साई अस्‍पताल से डिचार्ज कराया था। उत्‍तरदाता विपक्षी का नर्सिग होम उत्‍तर प्रदेश शासन के चिकित्‍सा विभाग के शासनादेश दिनांक 6 फरवरी, 2012 के आधार पर पंजीकृत है। नर्सिगहोम में जो मेडिकल स्‍टोर है वह भी ड्रग्‍स इन्‍सपेक्‍टर कार्यालय से पंजीकृत है। उत्‍तरदाता विपक्षी ने मेडिकल Ethics का कोई उल्‍लंघन नहीं किया। दिलारा बेगम और उसके सम्‍बन्‍धी पिछले 15-20 सालों से विपक्षी से इलाज कराते रहे हैं। विपक्षी का यह भी कथन है कि सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार है उसे पक्षकार न बनाऐ जाने के दोष से परिवाद दूषित है। उत्‍तरदाता विपक्षी ने उक्‍त कथनों के आधार पर और यह अभिकथित करते हुऐ कि परिवादीगण को परिवाद योजित करने का कोई कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ और परिवाद उसे ब्‍लैकमेल करके नाजायज फायदा उठाने के उद्देश्‍य से मिथ्‍या कथनों के आधारित है, परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  11.   परिवाद की सुनवाई के दौरान परिवादिनी सं0-3 कु0 मक्‍की परवीन  ने मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी, मुरादाबाद को एक प्रार्थना पत्र दिनांकित 12/11/2012 प्रेषित कर विपक्षी डा0 विनीत गर्ग द्वारा किऐ गऐ दिलारा बेगम के इलाज के सम्‍बन्‍ध में एक मेडिकल बोर्ड/ डाक्‍टरों का पैनल गठित करने का अनुरोध किया था जिस पर मेडिकल बोर्ड गठित हुआ। कु0  मक्‍की परवीन द्वारा भेजे गऐ उक्‍त पत्र की प्रति पत्रावली का कागज सं0-25/2 है। संयुक्‍त निदेशक, चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण, मुरादाबाद की अध्‍यक्षता में गठित तीन सदस्‍यीय बोर्ड द्वारा 27 अप्रैल, 2013 जांच रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई जिसकी नकल विपक्षी की ओर से पत्रावली में दाखिल की गई जो पत्रावली का कागज सं0-30/2 लगायत  30/6 है।
  12.   परिवादी साक्ष्‍य में परिवादी सं0-2 नईम खां और परिवादिनी सं0-3 कु0 मक्‍की परवीन ने संयुक्‍त साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-47/1 लगायत 47/11 दाखिल किया जिसके साथ बतौर संलग्‍नक दिनांक 31/5/2012 का मेडिकल प्रिस्क्रिप्‍शन, विपक्षी के नर्सिगहोम में अभिकथित रूप से जमा की गई फीस की रसीद दिनांकित 31/5/2012, दिलारा बेगम के प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांक 06/6/2012, सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद से सम्‍बन्धित दिलारा बेगम की जांच रिपोर्टें, भुगतान के बिल, प्रिस्क्रिप्‍शन स्लिप, दिलारा बेगम के  मृत्‍यु प्रमाण पत्र तथा मण्‍डल स्‍तर पर मेडिकल बोर्ड द्वारा इस प्रकरण  में की गई जांच के दौरान विपक्षी की ओर से मेडिकल बोर्ड को भेजे गऐ  स्‍पष्‍टीकरण और उसके संलग्‍नकों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-47/12 लगायत 47/136 हैं।
  13.   विपक्षी ने साक्ष्‍य में अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-52/1 लगायत 52/22  दाखिल किया जिसके साथ उन्‍होंने दिलारा बेगम के इलाज के प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 29/3/2012, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 2/3/2012, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 10/2/2012, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 22/4/2011, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 6/8/2011, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 23/12/2010, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 22/8/2010, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 23/10/2009, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 31/5/2012, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 6/6/2012, दिनांक 6/6/2012 का सांई अस्‍पताल का पर्चा, सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद का प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 6/6/2012, प्रिस्क्रिप्‍शन दिनांकित 9/6/2012, डिस्‍चार्ज सर्टिफिकेट दिनांकि 9/6/2012, विपक्षी के नर्सिगहोम की फीस  की रसीद, विपक्षी द्वारा आई0टी0आई0 के अधीन डाकघर, मुरादाबाद को भेजे गऐ पत्र दिनांक 12/11/2012, इस पत्र को भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, डाक विभाग से प्राप्‍त  उत्‍तर,  परिवादिनी सं0-3 द्वारा मेडिकल बोर्ड गठित करने हेतु सी0एम0ओ0, मुरादाबाद द्वारा विपक्षी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 12/11/2012, परिवादिनी सं0-3 के पत्र पर सी0एम0ओ0, मुरादाबाद को भेजे गऐ नोटिस विपक्षी द्वारा सी0एम0ओ0, मुरादाबाद को भेजे गऐ स्‍पष्‍टीकरण दिनांकित 04/12/2012, परिवादिनी सं0-3 कु0 मक्‍की परवीन द्वारा अपर निदेशक, चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ, मुरादाबाद मण्‍डल, मुरादाबाद को साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने का अवसर देने तथा विपक्षी एवं गवाहान से जिरह का अवसर प्रदान करने हेतु भेजा गया पत्र दिनांक 30/3/2013, मेडिकल बोर्ड द्वारा दी गई रिपोर्ट दिनांक 27/4/2013, उ0प्र0 मेडिकल बोर्ड कौंसिल, लखनऊ को विपक्षी द्वारा संलग्‍नकों सहित भेजे गऐ स्‍पष्‍टीकरण, मा0 उच्‍च न्‍यायालय, इलाहाबाद के समक्ष योजित रिट याचिका में मा0 उच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांकित 04/10/2013, परिवादिनी सं0-3 कु0 मक्‍की परवीन द्वारा विपक्षी के  विरूद्ध सी0जे0एम0, मुरादाबाद के न्‍यायालय में दायर परिवाद सं0-13226/2013 में धारा-202 सी0आर0पी0सी0 के अधीन न्‍यायालय के  आदेश से पुलिस द्वारा की गई जांच की जांच रिपोर्ट की फोटो प्रतियों को  दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-52/23 लगायत 52/188 हैं।
  14.   परिवादी सं0-2 नईम खां और परिवादिनी सं0-3 कु0 मक्‍की परवीन ने प्रत्‍युत्‍तर में बतौर साक्ष्‍य संलग्‍नकों सहित संयुक्‍त रिज्‍वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-54/1 लगायत 54/7 दाखिल किया। इसके साथ उन्‍होंने बतौर संलग्‍नक गैर फरीक मुकदमा कु0 रानी और राजू के नाम के विपक्षी के प्रिस्क्रिप्‍शन्‍स, मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट से असहमति व्‍यक्‍त करते हुऐ महानिदेशक, चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य, लखनऊ से जांच कराऐ जाने सम्‍बन्‍धी कु0 मक्‍की परवीन के प्रार्थना पत्र के आधार पर  सी0एम0ओ0, मुरादाबाद द्वारा अपर निदेशक को लिखे गऐ पत्र, अपर निदेशक‍ द्वारा सी0एम0ओ0, मुरादाबाद को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 03/6/2013, आयुक्‍त, मुरादाबाद मण्‍डल द्वारा कु0 मक्‍की परवीन की शिकायत के सम्‍बन्‍ध में महानिदेशक चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य लखनऊ को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 12/6/2013, महानिदेशक कार्यालय से चिकित्‍सा निदेशक को भेजे गऐ पत्र दिनांक 16/7/2013, सी0एम0ओ0, मुरादाबाद द्वारा चिकित्‍सा निदेशक को प्रकरण से सम्‍बन्धित पत्रावली भेजे जाने सम्‍बन्‍धी पत्र दिनांकित 07/8/2013, कु0 मक्‍की परवीन द्वारा जांच में सुनवाई एवं साक्ष्‍य का अवसर देने हेतु अपर निदेशक चिकित्‍सा को भेजे गऐ पत्र दिनांक 30/3/2013, चिकित्‍सा   विभाग के शासनादेश दिनांक 13/2/2004, सूचना का अधिकार अधिनियम  के अधीन कु0 मक्‍की परवीन द्वारा सी0एम0ओ0, मुरादाबाद कार्यालय से   प्राप्‍त सूचनायें, विपक्षी के विरूद्ध दर्ज कराऐ गऐ फौजदारी मामले में  विवेचक द्वारा प्रेषित आख्‍या के विरूद्ध सी0जे0एम0, मुरादाबाद के  न्‍यायालय में कु0 मक्‍की परवीन द्वारा प्रस्‍तुत की गई आपत्ति एवं  शपथपत्र, रजिस्‍ट्रार उ0प्र0 मेडिकल कौंसिल के समक्ष की गई शिकायत के  समर्थन में कु0 मक्‍की परवीन द्वारा दिऐ गऐ शपथ पत्र और 500/- रूपये  के ड्राफ्ट, कु0 मक्‍की परवीन की शिकायत को यू0पी0 मेडिकल कौंसिल  भेजे जाने सम्‍बन्‍धी मेडिकल कौंसिल ऑफ इण्डिया के पत्र दिनांक 13/9/2013, उत्‍तर प्रदेश  मेडिकल कौंसिल द्वारा लिऐ गऐ निर्णय से विपक्षी को अवगत कराने सम्‍बन्‍धी सी0एम0ओ0, मुरादाबाद के पत्र दिनांकित 19/9/2013, उत्‍तर प्रदेश मेडिकल कौंसिल की Ethics  कमेटी की रिक्‍मेन्‍डेशन दिनांक 07/10/2013, यू0पी0 मेडिकल कौंसिल  की गवर्निंग बाडी द्वारा लिऐ गऐ निर्णय दिनांक 07/10/2013, यू0पी0   मेडिकल कौंसिल द्वारा लिऐ गऐ निर्णय के विरूद्ध कु0 मक्‍की परवीन  द्वारा मेडिकल कौंसिल ऑफ इण्डिया के समक्ष दायर अपील की मीमो और शपथ पत्र, एम0सी0आई0 द्वारा कु0 मक्‍की परवीन और विपक्षी को   भेजे गऐ नोटिस दिनांकित 01/4/2014, एम0सी0आई0 द्वारा प्रकरण में  मा0 उच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांकित 04/10/2013 के  आलोक में कु0 मक्‍की परवीन द्वारा दाखिल अपील की सुनवाई स्‍टे करने  सम्‍बन्‍धी आदेश दिनांक 08/8/2014, श्रीमती दिलारा बेगम के इलाज एवं  जांच सम्‍बन्‍धी प्रिस्क्रिप्‍शन और रिपोर्ट, सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद की डाक्‍टर प्रीतम वाला के  शपथ पत्र, विपक्षी द्वारा उ0प्र0 मेडिकल कौंसिल  के समक्ष भेजे गऐ उत्‍तर, मण्‍डल स्‍तर पर गठित मेडिकल बोर्ड द्वारा  की गई जांच के दौरान कु0 मक्‍की परवीन, विपक्षी डा0 विनीत गर्ग, विपक्षी के कम्‍पाउन्‍डर ऋषिपाल शर्मा, सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद  के डा0  अजीम इकबाल, गुर्दे के विशेषज्ञ डा0 एस0एन0 हसन, कु0 प्रीतम वाला, इन्‍चार्ज आकस्मिक चिकित्‍सा कक्ष के ब्‍यानात, मेडिकल बोर्ड की जांच रिपोर्ट दिनांकित 27/4/2013, यू0पी0 मेडिकल कौंसिल के समक्ष कु0 मक्‍की परवीन द्वारा भेजी गई शिकायत दिनांक 18/7/2013 तथा विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत किऐ गऐ प्रपत्रों के जबाव में कु0 मक्‍की परवीन द्वारा दाखिल प्रत्‍युत्‍तर एवं साक्ष्‍य, उ0प्र0 मेडिकल कौंसिल के समक्ष परिवादी सं0-2 नईम खां, फहमीदा बेगम, नयाज बेगम, कु0 कमर जहां, जमरूद तथा कु0 दिल जहां द्वारा प्रस्‍तुत किऐ गऐ शपथ पत्र, उ0प्र0 मेडिकल कौंसिल द्वारा पारित निर्णय के विरूद्ध विपक्षी द्वारा मा0 उच्‍च न्‍यायालय के समक्ष योजित रिट पिटिशन में कु0 मक्‍की परवीन द्वारा दाखिल शपथ पत्र, मृतक परिवादी सं0-1 साहबजादे खां के मेडिकल प्रिस्क्रिप्‍शन्‍स, उसका डेथ सर्टिफिकेट, उसके इलाज से सम्‍बन्धित दवाओं के खरीदने के पर्चे, कु0 मक्‍की परवीन द्वारा विपक्षी के विरूद्ध फौजदारी न्‍यायालय में धारा-419, 466, 193, 420, 467, 468, तथा 471 के अधीन दायर परिवाद दिनांक 9/4/2013 और उसके सन्‍दर्भ में न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश की नकलों तथा अखबारों की कटिंग्‍स की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-54/8 लगायत 54/379 हैं।
  15.   दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
  16.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया। 
  17.   परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दिलारा बेगम को हार्ट सम्‍बन्‍धी कोई बीमारी नहीं थी और उनका ब्‍लड प्रेशर भी आमतौर  पर सामान्‍य रहता था। वह सांस सम्‍बन्‍धी बीमारियों के लिए विपक्षी के  इलाज में रहती थी, उन्‍हें सांस का मर्ज था और कोई बीमारी नहीं थी  और सांस की बीमारियों के लिए ही दिलारा बेगम का विपक्षी द्वारा इलाज किया जाता था। दिनांक 31/5/2012 को सांस सम्‍बन्‍धी शिकायत होने  पर दिलारा बेगम को विपक्षी को दिखाया गया था।  विपक्षी ने प्रिस्क्रिप्‍शन  स्लिप पर दवाइयां लिखी। दिनांक 03/6/2012 को दिलारा बेगम को बुखार  हो गया तब विपक्षी ने दवाईयों में कुछ बदलाव किया। दवाओं से दिलारा बेगम को रिएक्‍शन हो गया उन्‍हें सांस की शिकायत के साथ-साथ पेशाव कम आने और कब्‍ज की शिकायत हो गई। दिनांक 06/6/2012 को प्रात: दिलारा बेगम को विपक्षी को नर्सिगहोम में ले जाकर दिखाया गया जहॉं विपक्षी ने फीस लेकर अपने नर्सिगहोम में भर्ती कर लिया और इलाज शुरू कर दिया। दिलारा बेगम को ह्दय रोग से सम्‍बन्धित इलाज दिया गया  और इसी दौरान उनके पेट में इंजक्‍शन लगाया गया, तेजी से उसका रिएक्‍शन हुआ। दिलारा बेगम के नाखून नीले पड़ गये और वह मरने जैसी हालत में आ गई। विपक्षी ने तत्‍काल उन्‍हें साई अस्‍पताल, मुरादाबाद में  वेन्‍टीलेटर सर्पोट हेतु रेफर कर दिया। परिवादीगण दिलारा बेगम को सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद ले गऐ जहॉं उनका इलाज हुआ वहां वेन्‍टीलेटर पर  रहीं। सांई अस्‍पताल के डाक्‍टरों ने परिवादीगण को बताया कि दिलारा बेगम को ह्दय रोग से सम्‍बन्धित गलत उपचार दिया गया  जिस कारण उन्‍हें रिएक्‍शन हुआ और अब  उनका बचना सम्‍भव नहीं है। दिनांक 09/6/2012 की अपरान्‍ह दिलारा बेगम को वहॉं से डिस्‍चार्ज कराकर परिवादीगण घर ले गये जहॉं दिनांक 10/6/2012 की प्रात: 5 बजे उनकी मृत्‍यु हो गई। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार दिलारा बेगम की मृत्‍यु विपक्षी की चिकित्‍सीय लापरवाही की वजह से हुई उन्‍होंने यह भी कहा कि विपक्षी का नर्सिगहोम निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है। विपक्षी द्वारा दिलारा बेगम का यधपि विगत कई वर्षों से इलाज किया जाता रहा था, किन्‍तु विपक्षी ने कभी भी उन्‍हें यूरिन, खून, किडनी, ई0सी0जी0, टी0एम0टी0, इको, एक्‍स-रे आदि जॉंचे नहीं कराई। दिलारा  बेगम को विपक्षी ने न तो आक्‍सीजन लगाई न नीबूलाइजर दिया और  इस प्रकार बिना जॉंच किऐ दिलारा बेगम का वे इलाज करते रहे। परिवादीगण की ओर से यह भी कहा गया कि अपनी चिकित्‍सीय   लापरवाही को छिपाने के लिए विपक्षी ने दिलारा बेगम के दिनांक 06/6/2012 के प्रिस्क्रिप्‍शन कागज सं0-47/14 में कूटरचना करके कागज सं0-47/72 और कागज सं0-47/73 तैयार किये। कु0 मक्‍की परवीन की  शिकायत पर उत्‍तर प्रदेश मेडिकल कौसिल, लखनऊ द्वारा दिनांक 19/9/2013 के आदेश से विपक्षी को दिलारा बेगम के इलाज में चिकित्‍सीय   लापरवाही का दोषी पाते हुऐ उनके डाक्‍टरी करने के रजिस्‍ट्रेशन को एक  वर्ष के लिए निलम्बित कर दिया है। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता  के अनुसार पत्रावली पर जो साक्ष्‍य सामग्री एवं अन्‍य प्रपत्र उपलब्‍ध हैं  उनसे विपक्षी की चिकित्‍सीय लापरवाही पूरी तरह साबित है उन्‍होंने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने का अनुरोध किया। 
  18.   जबाव में विपक्षी के विद्वान अधिवकता ने परिवादीगण की ओर  से प्रस्‍तुत तर्को का खण्‍डन करते हुऐ कहा कि विपक्षी ने दिलारा बेगम के  इलाज में किसी प्रकार की कोई चिकित्‍सीय लापरवाही नहीं की, उन्‍होंने अन्‍तर्राष्‍ट्रीय मानको के अनुरूप दिलारा बेगम का सर्वोत्‍तम इलाज किया।  परिवादीगण के द्वारा उनके विरूद्ध जो भी आरोप लगाऐ गऐ हैं वे आधारहीन एवं मिथ्‍या हैं। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार परिवादीगण का यह कथन भी असत्‍य है कि दिलारा बेगम को हार्ट की कोई बीमारी नहीं थी और उनका रक्‍तचाप सही रहता था। परिवादीगण ने दिलारा बेगम के जो प्रिस्क्रिप्‍शन पत्रावली में दाखिल किऐ हैं उनके अवलोकन से प्रकट है कि दिलारा बेगम को व्‍लड प्रेशर अनियमित रहने, अनियमित नब्‍ज और दिल फैलने की भी बीमारियां थी इसलिए उनको सांस की बीमारी के साथ-साथ इन बीमारियों के इलाज की दवाइयां लिखी गई है, उन्‍हें खून, पेशाव, दिल, सांस इत्‍यादि की जॉंचें कराने की सलाह दी जाती रही, परन्‍तु उनके तीमारदारों द्वारा यह कहकर जॉंचें नहीं कराई गई कि बिना जॉंच के ही दिलारा बेगम आपके इलाज से ठीक हो जाती हैं। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का अग्रेत्‍तर कथन है कि दिलारा बेगम के सारे प्रिस्क्रिप्‍शंस में अनियमित नब्‍ज व दिल फैलने का इलाज ई0सी0जी0 और इको के बिना सम्‍भव नहीं था। टी0बी0 का इलाज एक्‍स-रे के बिना नहीं हो सकता था यह जॉंचे जरूर कराई गई, किन्‍तु परिवादीगण ने जानबूझकर उन प्रिस्क्रिप्‍शंस स्लिपस को दाखिल नहीं किया जिन पर  जॉंचे लिखी गई हैं। विपक्षी विगत लगभग 25 सालों से डाक्‍टरी की  प्रैक्टिस कर रहा है जब से उसने प्रैक्टिस शुरू की है तब से मरीज के  पहले प्रिस्क्रिप्‍शन में ही वह मरीज की बीमारी और जॉंचों के बारे में लि‍खता रहा है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का अग्रेत्‍तर कथन है कि दिनांक 31/5/2012 को सांस की परेशानी की वजह से दिलारा बेगम को विपक्षी को दिखाया गया उनके साथ आये तीमारदार ने उन्‍हें खांसी-जुकाम की  भी शिकायत होना बताया था। विपक्षी ने उन्‍हें खून, पेशाव की जॉंच और  ई0सी0जी0 कराने की सलाह दी जिसे तीमारदार ने टाल दिया। विपक्षी ने  दवाइयां लिख दी। दिनांक 3/6/2012 को दिलारा बेगम को पुन: विपक्षी को दिखाया गया तब एन्‍टीवायोटिक और बुखार की दवा उन्‍होंने लिखी। जॉंच कराने की सलाह विपक्षी ने दी किन्‍तु तीमारदार नहीं माने। 4 तारीख को मरीज को लाये बिना तीमारदार ने मरीज का हाल बताया जिस पर   विपक्षी ने मरीज को लाने की सलाह दी। मरीज अर्थात् दिलारा बेगम को 06/6/2012 की प्रात: 6 बजे उनके नर्सिगहोम में लाया  गया उस समय दिलारा बेगम को सीने में दर्द और सांसे बढ़ी होने की  समस्‍या थी विपक्षी ने तुरन्‍त  चेकअप  करके दिलारा बेगम का ई0सी0जी0  किया जिसकी रिपोर्ट के आधार पर विपक्षी ने दिलारा बेग में Acute coronary Insuffciency अर्थात् तीनो नसों में सीवियर ब्‍लाकेज के लक्षण पाऐ। मरीज का ब्‍लड प्रेशर 70 था उसकी हालत सीरियस थी अत: वेंटीलेटर सपोर्ट उन्‍होंने उसे तुरन्‍त साई अस्‍पताल, मुरादाबाद ले जाने की सलाह दी। एम्‍बुलेंस की व्‍यवस्‍था भी विपक्षी ने कराई। एम्‍बुलेंस की व्‍यवस्‍था होने तक साथ आये तीमारदारों के अनुरोध पर विपक्षी ने दिलारा बेगम का इमरजेंसी ट्रीटमेंट किया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी कथन है कि दिनांक 06/6/2012 के दिलारा बेगम के चिकित्‍सीय पर्चें कागज सं0-3/5 में दिलारा बेगम के ब्‍लड प्रेशर और ई0सी0जी0 रिपोर्ट का उल्‍लेख  तो है ही साथ ही साथ वेन्‍टीलेटर सर्पोट हेतु मरीज को सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद रेफर किऐ जाने का भी उल्‍लेख विपक्षी ने किया है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि स्‍वयं परिवादीगण के अनुसार दिनांक 06/6/2012 को विपक्षी के नर्सिंगहोम पर दिलारा बेगम को प्रात: 6 बजे लाया गया था और उसी दिन प्रात: सवा सात बजे दिलारा बेगम सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद में भर्ती हो गई थी जैसा कि पत्रावली में  अवस्थित सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद के एडमिशन फार्म कागज सं0-13/10   से प्रकट है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार इतने अल्‍प समय के बावजूद विपक्षी ने दिलारा बेगम का चिकित्‍सीय मानकों के अनुरूप इमरजेंसी ट्रीटमेंट किया जिसमें किसी प्रकार की कोई लापरवाही उन्‍होंने नहीं की। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी कथन है कि उत्‍तर   प्रदेश मेडिकल कौंसिल द्वारा विपक्षी का रजिस्‍ट्रेशन एक वर्ष के लिए निलम्बित किऐ जाने के आदेश के विरूद्ध विपक्षी ने मा0 उच्‍च न्‍यायालय, इलाहाबाद के समक्ष रिट याचिका सं0-55068/2013 योजित कर रखी है  जिसमें मा0 उच्‍च न्‍यायालय द्वारा उत्‍तर प्रदेश मेडिकल कौंसिल के आदेश का क्रियान्‍वयन और उसका प्रभाव स्‍थगित कर दिया है, उनका यह भी कथन है कि अपर निदेशक चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य की अध्‍यक्षता में मण्‍डल स्‍तर पर गठित मेडिकल बोर्ड ने अपनी जॉंच रिपोर्ट दिनांक 27/4/2013 में विपक्षी को चिकित्‍सीय लापरवाही का उत्‍तरदाई नहीं पाया था। इन परिस्थितियों में विपक्षी को चिकित्‍सीय लापरवाही का दोषी नहीं माना जा सकता। उन्‍होंने यह भी  कहा कि विपक्षी ने किसी प्रपत्र अथवा प्रिस्क्रिप्‍शन में कोई कूटरचना नहीं की विपक्षी पर लगाऐ गऐ तत्‍सम्‍बन्‍धी आरोप मिथ्‍या हैं। उन्‍होंने परिवाद को विशेष व्‍यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  19.   पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि कु0 मक्‍की   परवीन परिवादिनी सं0-3 द्वारा की गई श्किाायत के आधार पर अपर  निदेशक चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य की अध्‍यक्षता में मण्‍डल स्‍तर पर गठित मेडिकल बोर्ड ने अपनी जॉंच आख्‍या दिनांक 27/4/2013 (पत्रावली का कागज सं0-52/81 लगायत 52/85) में विपक्षी को मेडिकल नेग्‍लीजेंस का उत्‍तरदाई नहीं पाया था। कु0 मक्‍की परवीन ने चिकित्‍सा बोर्ड के आदेश   के विरूद्ध उत्‍तर प्रदेश मेडिकल कौंसिल में अपील की। उत्‍तर प्रदेश मेडिकल कौंसिल द्वारा आदेश दिनांक 19/9/2013 से विपक्षी को चिकित्‍सीय   लापरवाही को उत्‍तरदाई मानते हुऐ उनके चिकित्‍सा व्‍यवसाय पर एक वर्ष के लिए रोक लगा दी। मेडिकल कौंसिल के इस आदेश के विरूद्ध विपक्षी द्वारा मा0 उच्‍च न्‍यायालय के समक्ष योजित रिट याचिका विपक्षी के विरूद्ध लम्बित है। याचिका में विचारणीय बिन्‍दु यह है कि क्‍या विपक्षी  ने दिलारा बेगम के इलाज में चिकित्‍सीय लापरवाही की थी अथवा नहीं ? वर्तमान परिवाद में भी इसी विवाद का विनिश्‍चय किया जाना है ऐसी दशा में कल्‍यानपुर कोल्‍ड स्‍टोरेज बनाम न्‍यू इंडिया एंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड आदि, II (2015) सी0पी0जे0 पृष्‍ठ-117,(एन0सी0) की निर्णयज विधि में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा  दी गई व्‍यवस्‍थानुसार वर्तमान परिवाद फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है।
  20.   विकल्‍प में गुणावगुण के आधार पर भी यदि  देखा जाय तो पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री और पक्षकारों की ओर से दाखिल प्रपत्रों का तथ्‍यात्‍मक विश्‍लेषण और विधिक मूल्‍यांकन करने पर विपक्षी द्वारा चिकित्‍सीय लापरवाही किया जाना प्रकट नहीं है।
  21.   कुसुम शर्मा आदि बनाम बत्रा अस्‍पताल एवं मेडीकल रिसर्च सेन्‍टर आदि, 2010(3) सुप्रीम कोर्ट सिविल डिसीजन्‍स पृष्‍ठ-1159 (सुप्रीम कोर्ट) की निर्णयज विधि में मा0 सर्वोच्‍च न्यायालय द्वारा निम्‍नलिखित सिद्धान्‍त   प्रतिपादित करते हुऐ निर्देशित किया है कि यह विनिश्चित करते समय   कि क्‍या चिकित्‍सा व्‍यवसायी चिकित्‍सीय उपेक्षा का दोषी है, इन सिद्धान्‍तों  को अवश्‍य दृष्टिगत रखा जाना चाहिए। यह सिद्धान्‍त निम्‍नवत् हैं :-
    •  

II.  Negligence is an essential ingredient of the offence. The negligence to be established by the prosecution must be culpable or gross and  not the negligence merely based upon an error of judgment.

III. The medical professional is expected to bring a reasonable degree of skill and knowledge and must exercise a reasonable degree of care. Neither the very highest nor a very low degree of care and competence judged in the light of the particular circumstances of each case is what the law requires.

IV. A medical practitioner would be liable only where his conduct fell below that of the  standards of a reasonably competent practitioner in his field.

V. In the realm of diagnosis and treatment there is scope for genuine difference of opinion and one professional doctor is clearly not negligent merely because his conclusion differs from that of other professional doctor.

VI. The medical professional is often called upon to adopt a procedure which involves higher element of risk, but which he honestly believes as providing greater chances of success for the patient rather than a procedure involving lesser risk but higher chances of failure. Just because a professional looking to the gravity of illness has taken higher element of risk to redeem the patient out of his/her suffering which did not yield the desired result may not amount to negligence.

VII. Negligence cannot be attributed to a doctor so long as he performs his duties with reasonable skill and competence. Merely because the doctor chooses one course of action in preference to the other one available, he would not be liable if the course of action chosen by him was acceptable to the medical profession.

VIII. It would not be conducive to the efficiency of the medical profession if no Doctor could administer medicine without a halter round his neck.

IX.  It is our bounden duty and obligation of the civil society to ensure that the medical professionals are not unnecessary harassed or humiliated so that they can perform their professional duties without fear and apprehension.

X. The medical practitioners at times also have to be saved from such a class of complainants who use criminal process as a tool for pressurizing the medicalprofessionals/hospitals particularly private hospitals or clinics for extracting uncalled for compensation. Such malicious proceedings deserve to be discarded against the medical practitioners.

 XI. The medical professionals are entitled to get protection so long as they perform their duties with reasonable skill and competence and in the interest of the patients. The interest and welfare of the  patients have to be paramount for the medical professionals.‘’

 22.  जहॉं तक परिवादीगण की ओर से विपक्षी के विरूद्ध लगाऐ गऐ इन आरोपों का प्रश्‍न है कि नर्सिगहोम के संचालन में विपक्षी की घोर   अनियमित्‍ताऐं/ विसंगतियां एवं उसके द्वारा मानकों के विपरीत कार्य किया जाना उजागर हुआ है, तत्‍सम्‍बन्‍धी प्रपत्र परिवादीगण ने कागज सं0-54/27 लगायत 54/36 के रूप में पत्रावली में दाखिल किऐ हैं। इन प्रपत्रों में आर0टी0आई0 के माध्‍यम से परिवादिनी सं0-3 को उपलब्‍ध कराई गई सूचनाऐं किस प्रकार विपक्षी की चिकित्‍सीय लापरवाही प्रमाणित करती हैं, परिवादीगण यह दर्शाने में असफल रहें है।

  1. .  परिवादिनी सं0-3 कु0 मक्‍की परवीन ने विपक्षी के विरूद्ध चिकित्‍सीय लापरवाही करने और कूटरचना कर प्रपत्र तैयार किऐ जाने सम्‍बधी आरोपों हेतु सी0जे0एम0, मुरादाबाद के समक्ष धारा-304 (भाग-2), 419, 406, 192, 193, 201, 328, 120बी., 420, 467, 468, 471बी., 338 एवं 506 आई0पी0सी0 के अधीन परिवाद दायर किया था। न्‍यायालय ने दण्‍ड प्रक्रिया संहिता की धारा-202 के अधीन मामले की जॉंच पुलिस से कराई। विवेचना के आधार पर विपक्षी के विरूद्ध विवेचक ने कोई अपराध अथवा चिकित्‍सीय लापरवाही न पाते हुऐ अन्तिम रिपोर्ट न्‍यायालय में प्रेषित की जैसा कि परिवादिनी द्वारा न्‍यायालय में दाखिल प्रोटेस्‍ट पिटिशन कागज सं0- 54/36 लगायत 54/37 के अवलोकन से प्रकट है। परिवादीगण की ओर से ऐसा कोई अभिलेख दाखिल नहीं किया गया जिससे प्रकट हो कि न्‍यायालय द्वारा विवेचक की रिपोर्ट को अस्‍वीकृत कर कु0 मक्‍की परवीन के प्रोटेस्‍ट पिटिशन को स्‍वीकार कर लिया गया है। अत: यह माने जाने का कारण है कि कु0 मक्‍की परवीन द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दायर परिवाद सं0-13326/2013 के आधार पर विपक्षी के विरूद्ध फौजदारी न्‍यायालय में  कोई अभियोजन विचाराधीन नहीं है।
  2. . परिवादीगण का आरोप है कि विपक्षी ने प्रिस्क्रिप्‍श्‍न कागज सं0-47/14 में फोरजरी करके अपने बचाव हेतु कागज सं0-47/72 और 47/73 तैयार कर लिये ताकि यह दिखाया जा सके कि दिनांक 06/6/2012 को दिलारा बेगम के प्रिस्क्रिप्‍शन में विपक्षी ने उसकी चिकित्‍सीय स्थिति और  जांचों आदि का उल्‍लेख किया था। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने उक्‍त  आरोपों का खण्‍डन किया। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने हमारा ध्‍यान  पत्रावली में अवस्थित प्रपत्र कागज सं0-52/41, 52/42, 52/63 और  52/64 की ओर आकर्षित किया। 52/63, प्रपत्र 52/41 और 52/64 प्रपत्र 52/42 फोटो स्‍टेट प्रतियां है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार कागज सं0-52/63 और 52/64 क्रमश: वही फोटो प्रतियां है जिन्‍हें  परिवादीगण विपक्षी द्वारा फर्जी तरीके से कागज सं0-47/72, 47/73 के रूप में फर्जी तैयार कर लेना बता रहे हैं। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता  ने सारी स्थिति स्‍पष्‍ट करते हुऐ बताया कि दिनांक 06/6/2012 का प्रिस्क्रिप्‍श्‍न कु0 मक्‍की परवीन ने अपनी शिकायत के समर्थन में  सी0एम0ओ0, मुरादाबाद के समक्ष प्रस्‍तुत किया था। नोटिस प्राप्‍त होने  पर विपक्षी सी0एम0ओ0, मुरादाबाद के समक्ष उपस्थित हुऐ। दिनांक 06/6/2012 के प्रिस्क्रिप्‍शन की साइड में लिखी जांच इत्‍यादि स्‍पष्‍ट करने हेतु जब विपक्षी से कहा गया तो विपक्षी ने प्रिस्क्रिप्‍न्‍शन पर लिखी हुई  जांचों को पठनीय तरीके से पृथक स्लिप पर लिखकर दे दिया जिन स्लिप्‍स पर विपक्षी ने पठनीय शब्‍द लिखकर दिऐ थे उन स्लिप्‍स को जांच करने वाले चिकित्‍सकों ने दिनांक 06/6/2012 के प्रिस्क्रिप्‍शन पर आल्‍पिन से उसी प्रकार टैग कर लिया जैसा कि प्रपत्र सं0-52/41 और 52/42 में प्रदर्शित है। शिकायती पत्र का  उत्‍तर देने हेतु जब विपक्षी ने शिकायत के साथ दाखिल चिकित्‍सीय प्रपत्रों की फोटो प्रतियां सी0एम0ओ0 कार्यालय से मांगी तो स्लिप लगी स्थिति में ही प्रपत्र कागज सं0-52/41 और 52/42 की फोटो प्रतियां विपक्षी को उपलब्‍ध करा दी गई। यही कारण रहा कि प्रपत्र कागज सं0- 52/63 और प्रपत्र कागज सं0-52/64 में दर्शित स्थिति बनी। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने कहा कि विपक्षी ने किसी प्रकार की कोई फोरजरी नहीं की। परिवादी पक्ष की ओर से दाखिल प्रपत्र कागज सं0- 47/72 और 47/73 के सन्‍दर्भ में जो स्‍पष्‍टीकरण विपक्षी की ओर से दिया गया है उससे हम  सन्‍तुष्‍ट हैं कि विपक्षी ने किसी प्रपत्र में कोई हेराफेरी नहीं की।
  3. . अब देखना यह है कि क्‍या दिलारा बेगम को केवल सांस का मर्ज था अथवा उसे सांस के अतिरिक्‍त नब्‍ज अनियमित रहने, ब्‍लड प्रेशर, टी0बी0 तथा ह्दय सम्‍बन्‍धी बीमारियां भी थी अथवा नहीं ? पत्रावली में  अवस्थित प्रपत्र कागज सं0-52/23 लगायत 52/42 दिलारा बेगम के मेडीकल प्रिस्क्रिप्‍शन है जो विपक्षी द्वारा लिखे गऐ थे। यह प्रिस्क्रिप्‍शन  वर्ष 2009, 2010, 2011 और 2012 के हैं। प्रिस्क्रिप्‍शन कागज सं0- 52/23, 52/27, 52/29 तथा दिनांक 06/6/2012 के प्रिस्क्रिप्‍शन कागज सं0-47/14 के अवलोकन से प्रकट है कि दिलारा बेगम के  इन  प्रिस्क्रिप्‍शन  पर विपक्षी ने चिकित्‍सीय जांचों का उल्‍लेख कर रखा है। परिवादीगण की  निकट सम्‍बन्‍धी श्रीमती प्‍यारी बेगम का मेडीकल प्रिस्क्रिप्‍शन कागज सं0-14/3 है। इस मेडीकल प्रिस्‍क्रिप्‍शन पर भी विपक्षी ने मरीज की जांचों  का उल्‍लेख कर रखा है। इस तरह परिवादीगण का यह कथन स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि  विपक्षी मरीज को बिना जांच किऐ दवाइयां  दे देते थे और दवाई देने से पूर्व वे मरीज की कोई जांच नहीं कराते थे।   विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि दिलारा बेगम वर्ष 2007  से विपक्षी के इलाज में थीं। विपक्षी मरीज के पहले पर्चे में जांचे लिखते  रहे हैं जानबू्झकर परिवादीगण ने वे मेडीकल प्रिस्क्रिप्‍शन दाखिल नहीं किऐ जिन पर विपक्षी ने चिकित्‍सीय जांचों का उल्‍लेख कर रखा था। परिवादीगण प्रत्‍युत्‍तर में यह कहने का साहस नहीं कर पाये कि उन्‍होंने   दिलारा बेगम के विपक्षी से हुऐ इलाज सम्‍बन्‍धी सारे प्रपत्र पत्रावली में  दाखिल कर दिऐ हैं। ऐसी दशा में यह स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है  कि बीमारी की दवा लिखे जाने से पूर्व विपक्षी ने कभी भी दिलारा बेगम की चिकित्‍सीय जांचे  नहीं कराई। दिलारा बेगम के मेडीकल प्रिस्क्रिप्‍शंस में विपक्षी ने जो दबाइयां प्रेस्‍क्राइव कर रखीं हैं वे सांस की बीमारी के  साथ-साथ ब्‍लड प्रेशर, अनियमित नब्‍ज, दिल फैलने, टी0बी0 आदि   बीमारियों के इलाज विषयक हैं। इससे प्रमाणित है कि दिलारा बेगम सांस  की बीमारी के साथ-साथ ब्‍लड प्रेशर, टी0बी0, नब्‍ज अनियमित रहने और  दिल फैलने की बीमारियों से भी ग्रसित थीं। दिलारा बेगम के दिनांक 06/6/2012 के चिकित्‍सीय पर्चे में अन्‍य के अतिरिक्‍त A.C.I. (Acute coronary Insuffciency) का भी उल्‍लेख है। चिकित्‍सा बोर्ड की रिपोर्ट (पत्रावली का पृष्‍ठ-52/84) में यह उल्‍लेख है कि दिलारा बेगम के मेडीकल प्रिस्क्रिप्‍शन कागज सं0-47/14 में उक्‍त उल्‍लेख ई0सी0जी0 के आधार पर  ही किया जाना सम्‍भव था। विपक्षी हार्ट के विशेषज्ञ चिकित्‍सक हैं। कदाचित ई0सी0जी0 करने के बाद ई0सी0जी0 की रिपोर्ट के आधार पर ही उन्‍होंने प्रपत्र कागज सं0-47/14 A.C.I. उल्‍लेख किया। सांई अस्‍पताल के चिकित्‍सीय प्रपत्रों में दिलारा बेगम की ई0सी0जी0 रिपोर्ट के आधार पर उनमें हार्ट की बीमारियां होना पाया जाना इस बात को बल प्रदान करता है कि पहले से ही दिलारा बेगम दिल को बीमारी थीं।
  4. .  दिनांक 31/5/2012, 03/6/2012 और 06/6/2012 के मेडीकल प्र‍िस्क्रिप्‍शन कागज सं0-5/1 और 5/3 में जो दवाइयां विपक्षी ने लिखीं हैं उनके सम्‍बन्‍ध में मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी, मुरादाबाद को प्रेषित अपने जबाब कागज सं0-52/57 लगायत 52/61 में विपक्षी ने स्थिति विस्‍तार   से स्‍पष्‍ट की है।  Hurst’s की किताब में हार्ट ’’ The Heart ‘’ के सुसंगत अंश   विपक्षी द्वारा पत्रावली पर दाखिल किऐ हैं जो  कागज सं0-64/1 लगायत  64/34 हैं। इसके अनुसार Shock syndrome की स्थिति में  Renal Failure उसकी सामान्‍य परिणिति है। दिनांक 06/6/2012 को सांई अस्‍पताल, मुरादाबाद में दिलारा बेगम A.R.F. (Acute renal  Failure) की स्थिति में थी। सांई अस्‍पताल में हुई किसी भी जांच में दिलारा बेगम को C.R.F. (cronic renal  Failure) नहीं पाया गया। स्‍पष्‍ट है कि दिलारा बेगम को पहले से गुर्दे की बीमारियां नहीं थी। इनका renal  Failure  शाक सिन्‍ड्रोम के कारण अचानक हुआ। इस प्रकार यह प्रमाणित नहीं है कि विपक्षी द्वारा दी गई दवाइयों से दिलारा बेगम के गुर्दे खराब हुऐ जिसकी वजह से उनका renal  Failure हुआ।

27. लिखित बहस कागज सं0-65/1 लगायत 65/20 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ परिवादीगण की ओर से यह तर्क दिया गया कि दिनांक 31/5/2012 को इंजक्‍शन Piroxicam दिलारा बेगम को प्रेस्‍क्राइव किया जाना गलत था उसी की वजह से दिलारा बेगम को गुर्दे की समस्‍या उत्‍पन्‍न हुई। विपक्षी की ओर से इस आरोप का खण्‍डन किया गया है। उन्‍होंने दिनांक 31/5/2012 के चिकित्‍सीय पर्चे की पठनीय प्रति  (पत्रावली का कागज सं0-52/40) की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और कहा कि दिनांक 03/6/2012 को यह इंजक्‍शन विपक्षी ने बन्‍द कर  दिया था। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार प्रत्‍येक दवा के साइड इफेक्‍टस हो सकते हैं किन्‍तु जब तक यह प्रमाणित न कर दिया जाय कि किसी मेडीसिन के अमुक साइड इफेक्‍टस के कारण रोगी की दशा चिन्‍ताजनक हुई है तब तक उस दवा को प्रेसक्राइव करना गलत नहीं ठहराया जाना चाहिऐ। विपक्षी के विद्वान अधिवकता के अनुसार जो भी दवाइयां  विपक्षी ने प्रेसक्राइव की वे चिकित्‍सा जगत के स्‍थापित माप दण्‍डों एवं  मानकों के अनुसार मरीज की गम्‍मीर स्थिति को देखते हुऐ उसकी जान  बचाने के उद्देश्‍य से दी गई थीं। उनका यह भी कथन है कि परिवादीगण कोई ऐसा प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं कर पाऐ जिसका अबलम्‍व लेकर विपक्षी को  चिकित्‍सीय उपेक्षा का उत्‍तरदाई ठहराया जा सके। जहॉं तक दिनांक 04/6/2012 को दिलारा बेगम को बिना देखे विपक्षी द्वारा दवाई Prescribe कर देने का प्रश्‍न है उक्‍त सन्‍दर्भ में विपक्षी का कथन है कि  उसने मरीज को लाकर दिखाने को कहा था किन्‍तु मरीज के न लाने पर  तीमारदार के अनुरोध पर उन्‍होंने दवाई लिख दी थी। दिलारा बेगम विगत लगभग पाँच सालों से विपक्षी से इलाज करा रही थी ऐसी दशा में विपक्षी द्वारा दिनांक 04/6/2012 को प्रिस्क्रिप्‍शन कागज सं0-5/1 पर दवाई Prescribe कर देना एक चिकित्‍सक का असामान्‍य आचरण नहीं कहा  जा सकता।

28. प्रार्थना पत्र कागज सं0-31/1 ता 31/2 पर बहस  के  दौरान विपक्षी की ओर  से  बल  नहीं दिया गया  अत:  प्राार्थना पत्र कागज सं0-31/1 ता 31/2 को हम खारिज करते हैं।

29. मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा Martin F.D’ Souza v. Mohd. Ishfaq., I (2009) सी0पी0जे0 पृष्‍ठ-32 की निर्णयज विधि के पैरा सं0-41 और पैरा सं0-49 में निम्‍न अभिमत दिया गया है :-

पैरा संख्‍या-41 “  A medical practitioner is not liable to be held negligent simply because things went worng from mischance or misadventure or thorugh an error of judgement in choosing one reasonable course of treatment in preference to another. He would be liable only where his conduct fell below that of the standards of reasonably competent practitioner in his field .”

पैरा संख्‍या-49 “ When a patient dies or suffers some mishap, there is a tendency to blame the doctor for this. Things have gone wrong and, therefore, somebody must be punished for it. However, it is well known that even the best professionals, what to say of the average professional, sometimes have failures. A lawyer cannot win every case in his professional career but surely he cannot be penalized for losing a case provided he appeared in it and made his submissions.”

30. डिसूजा की उक्‍त रूलिंग में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह भी अभिनिर्धारित किया गया है कि आपात स्थिति में चिकित्‍सक का यह  कर्तव्‍य है कि वह बिना औपचारिकताऐं पूरी किऐ रोगी का उपचार  प्रारम्‍भ कर दे। परमानन्‍द कटारा बनाम यूनियन आफ इण्डिय, ए0आई0आर0 1989 सुप्रीम कोर्ट पृष्‍ठ-2039 की निर्णयज विधि में मा0  सर्वोच्‍च न्‍यायालय का अभिमत है कि व्‍यक्ति का जीवन बचाना  चिकित्‍सकों का प्रथम उद्देश्‍य होना चाहिए।

31. दिनांक 06/6/2012 की प्रात: 6 बजे दिलारा बेगम गम्‍मीर हालत   में विपक्षी के नर्सिगहोम में लाई गई थी। सांई अस्‍पताल के रिकार्ड के अनुसार उसी दिन प्रात: सवा सात बजे वह सांई अस्‍पताल में दाखिल की जा चुकी थी। पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों से प्रकट है कि इतने अल्‍प समय   में दिलारा बेगम का जीवन बचाने के लिए विपक्षी द्वारा यथा सम्‍भव   प्रयास किया गया।

32. सी0पी0 श्रीकुमार (डा0) प्रति रामानुजम, II (2009) CPJ 48 (SC), की निर्णयज विधि में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह अवधारित किया गया है कि :-

“ Bald statement of the complainant cannot be accepted to reach conclusion that the doctor lacked expertise . It is observed that too much suspicion about the negligence of the attending doctors and frequent interference by Courts could be a dangerous  proposition as it would prevent doctors from taking decision which could result in complications and in such a situation the patient will be the ultimate sufferer.”

33.   उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर और मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा प्रतिपादित स्द्धिान्‍तों के दृष्टिगत हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि दिलारा बेगम का इलाज करने में विपक्षी डा0 विनीत गर्ग द्वारा किसी प्रकार की चिकित्‍सीय लापरवाही किया जाना प्रमाणित नहीं हुआ है परिणामस्‍वरूप परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

    14.07.2016           14.07.2016        14.07.2016

 

   हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 14.07.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

      14.07.2016          14.07.2016         14.07.2016

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.