राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-282/2022
1- श्री बालाजी कंस्ट्रक्शन कम्पनी, आफिस-जे 125/5एफ(खा) नाटी इमली वाराणसी द्वारा गिरधर दास अग्रवाल।
2- गिरधर दास अग्रवाल पुत्र श्री जगर नाथ दास अग्रवाल, निवासी मकान नं0-81, जवार नगर विस्तार, भेलूपुर, वाराणसी।
........... अपीलार्थी/विपक्षीगण सं0-1 व 2
बनाम
1- डॉ0 वत्सला पुत्र स्व0 सुरेश्वर बहादुर श्रीवास्तव, निवासी सी 251ए-1, रामकटोरा, वाराणसी वर्तमान पता झालवार राजस्थान।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादिनी
2- डॉ0 कौशल किशोर दास चेला महंत अर्जन दास निवासी जे 12/113, धूपचंडी, वाराणसी।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-3
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-1 के अधिवक्ता : श्री सुशील कुमार शर्मा
प्रत्यर्थी सं0-2 के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 19.5.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ श्री बालाजी कंस्ट्रक्शन कम्पनी व एक अन्य द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0-05/2020 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.8.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपरोक्त परिवाद को सविस्तार विवरण उल्लिखित करते हुए निम्न आदेश के द्वारा दिनांक 11.8.2021 को निरस्त किया गया:-
-2-
''परिवादिनी का परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्तत: व पृथक्त: आदेशित किया जाता है कि व इस निर्णय की तिथि से 30 (तीस दिन) के अन्दर परिवादिनी को प्लॉट नं0-जे.11/119 धूपचन्डी, वाराणसी पर फ्लैट नं0-103 भूतल रकबा 1210 स्क्वायर फीट के संबंध में हुए एग्रीमेंट के निष्पादन में चेक नं0-493938 दिनांक 09.11.2013 मु0-1,00,000.00 रू0, चेक सं0-493940 दिनांक 30.12.2013 मु0-6,00,000.00 रू0, चेक सं0-493941 दिनांक 04.01.2014 मु0-4,00,000.00 रू0, कुल मु0-11,00,000.00 रू0 (ग्यारह लाख रूपये) जिसमें से मु0-1,00,000.00 रू0 (एक लाख रू0) की धनराशि परिवादिनी को वापस किया गया है तथा शेष धनराशि मु0-10,00,000.00 (दस लाख रू0) परिवादिनी को प्राप्त नहीं हुआ है, को दिनांक 04.01.2014 से अंतिम रूप से भुगतान की तिथि तक 07 (सात प्रतिशत) वार्षिक दर से ब्याज के साथ भुगतान करें। इसके अतिरिक्त परिवादिनी के शारीरिक व मानसिक हृास के मद में मु0-20,000.00 (बीस हजार रू0) तथा वाद व्यय के रूप में मु0-3,000.00 (तीन हजार रू0) भी भुगतान करें।''
प्रस्तुत अपील विलम्ब से, विलम्ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ योजित की गई। कार्यालय द्वारा अपील में त्रुटियॉ उल्लिखित की गई हैं, जिन्हें निवारण करने हेतु दिनांक 26.4.2022, दिनांक 11.5.2022, दिनांक 15.7.2022, दिनांक 16.8.2022, दिनांक 19.10.2022, दिनांक 08.12.2022, दिनांक 25.01.2023, दिनांक 30.01.2023, दिनांक 02.02.2023, दिनांक 24.02.2023 एवं दिनांक 13.3.2023 को समय प्रदान करते हुए इंगित त्रुटियों का निवारण सुनिश्चित नहीं किया गया, ऊपर उल्लिखित हर तिथि पर अपीलार्थी के अधिवक्ता अनुपस्थित थे। आज पुन: वे अनुपस्थित है।
-3-
मेरे द्वारा समस्त प्रपत्र जो अपील पत्रावली पर उपलब्ध हैं, उनका सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया तथा यह पाया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है वह स्वयं सुविचारित है तथा विधि के अनुसार पारित किया गया है।
निर्विवादित रूप से प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी के पक्ष में लगभग 10 वर्ष पूर्व 1,00,000.00 रू0 जमा किये गये। पुन: 6,00,000.00 रू0 और फिर माह जनवरी, 2014 में 4,00,000.00 रू0 अर्थात कुल 11,00,000.00 रू0 जमा किये गये। अपीलार्थी द्वारा न तो भवन/फ्लैट का निर्णय किया गया, न ही उसे प्रदान किया गया, न ही जमा धनराशि वापस की गई मात्र रूपया 1,00,000.00 वापस प्राप्त कराये गये। बाकी की धनराशि रू0 10,00,000.00 मय ब्याज 07 प्रतिशत मात्र से वापस किये जाने हेतु जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आदेशित किया गया है।
मेरे विचार से वास्तव में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा ब्याज की गणना समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए कम उल्लिखित की गई, परन्तु चूंकि प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपील प्रस्तुत नहीं की गई है, अत्एव उसमें किसी प्रकार का संशोधन किये जाने का कोई औचित्य नहीं है अत्एव जिला उपभोक्ता आयोग के आदेशानुसार सम्पूर्ण धनराशि अपीलार्थी द्वारा एक माह की अवधि में प्रत्यर्थी/परिवादिनी को प्राप्त करायी जावे यदि आदेश का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जावेगा तब अपीलार्थी के विरूद्ध प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा समुचित विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जावे। तद्नुसार अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित
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ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1