राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-1184/2018
(जिला फोरम, दि्वतीय बरेली द्धारा परिवाद सं0-04/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.3.2018 के विरूद्ध)
1- Hyundai Motors India Ltd., Having its office at 5th Floor, Corporate One (Baani Building), Plot No. 5, Commercial Centre, Jasola, New Delhi Through Manager.
2- Hyundai Motors India Ltd., Regional office No. 102 8th Floor, Golden Heist Building, 59 C Cross, 4th Block Rajajinagar, Bareilly-560010 Through Regional Manager.
........... Appellants/Opp. Parties
Versus
1- Dr. Umesh Singh Alias Umesh Chand, S/o Dr. Zoravar Singh, R/o 11A, Sarvodaya Nagar, Infront of Dharmadat City Hospital, Pilimit Road, Bareilly.
……..…. Respondent/ Complainant
2- M/s Sachin Hyundai, A unit of Natasha Automobiles Pvt. Ltd., Head office at 35th Km Rampur, Road Diwalpur, Haldwani, Uttarakhand, through its Manager.
3- M/s Sachin Hyundai, A unit of Natasha Automobiles Pvt. Ltd., Head office at 4th Km Rampur, Road C.B Ganj, Bareilly, Service Center, through its Service Manager.
……..…. Respondents/ Opp. Parties
अपील संख्या:-642/2018
Dr. Umesh Singh Alias Umesh Chand, S/o Dr. Zoravar Singh, R/o 11A, Sarvodaya Nagar, Infront of Dharmadat City Hospital, Pilimit Road, Bareilly.
........... Appellant/ Complainant
Versus
1- M/s Hyundai Motors India Ltd., Head office at 5th Floor and 6th Floor Corporate Banbani Building, Plot No. 5, Commercial Centre, Jasaula Vihar, Delhi-110025, through Manager.
-2-
2- M/s Sachin Hyundai, A unit of Natasa Automobiles Pvt. Ltd., Head Office- 35 Km. Rampur Road, Diwalpur, Haldawani, Uttarakhand, through Manager.
3- M/s Sachin Hyundai, A unit of Natasha Automobiles Pvt. Ltd., 4 Km, Rampur Road, C.B Ganj Bareilly, Service Center, through Center Manager.
……..…. Respondents/ Opp. Parties
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
अपीलार्थी/परिवादी के अधिवक्ता :- श्री सुशील कुमार शर्मा
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण सं0-1 व 2 के अधिवक्ता :- श्री ज्ञान सिंह
चौहान के सहयोगी श्री आशीष गुप्ता
दिनांक :-12-4-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-04/2016 डॉ0 उमेश सिंह उर्फ उमेश चन्द्र बनाम मैसर्स हुण्डई मोटर इण्डिया लिमिटेड हैड आफिस व तीन अन्य में जिला उपभोक्ता प्रतितोष फोरम, दि्वतीय बरेली द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 12.3.2018 के विरूद्ध उपरोक्त अपील सं0-642/2018 डॉ0 उमेश सिंह उर्फ उमेश चन्द्र बनाम मैसर्स हुण्डई मोटर इण्डिया लिमिटेड आदि परिवाद के परिवादी ने और उपरोक्त अपील सं0- 1184/2018 मैसर्स हुण्डई मोटर इण्डिया लिमिटेड व अन्य बनाम डॉ0 उमेश सिंह उर्फ उमेश चन्द्र आदि परिवाद के विपक्षीगण सं0-1 व 2 ने धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की हैं।
-3-
जिला फोरम ने उपरोक्त परिवाद में आक्षेपित निर्णय दिनांक 12.3.2018 के द्वारा परिवाद विपक्षीगण सं0-1 व 2 के विरूद्ध स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादी प्रतिपक्षीगण 1 व 2 से वाहन पंजीयन सं0 यू0के0 04-टी0/6975 का वर्तमान इंजन के स्थान पर नया इंजन लगवाने तथा वाहन की समस्त कमियों का निराकरण करा पाने का अधिकारी है। मानसिक कष्ट हेतु परिवादी प्रतिपक्षीगण 1व 2 से रू0 25000.00 प्राप्त करने का अधिकारी है। उक्त धनराशि का भुगतान एक माह के अन्तर्गत न करने पर परिवादी प्रतिपक्षीगण 1 व 2 से उक्त धनराशि पर परिवाद संस्थित किये जाने की तिथि से उक्त धनराशि के वसूली होने तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। वाद व्यय के रूप में परिवादी प्रतिपक्षीगण 1 व 2 से रू0 10,000.00 प्राप्त करने का अधिकारी है।”
जिला फोरम के निर्णय से उभय पक्ष संतुष्ट नहीं है। अत: परिवादी ने अपील प्रस्तुत कर परिवाद पत्र में याचित अनुतोष प्रदान किए जाने का अनुरोध किया है, इसके विपरीत परिवाद के विपक्षीगण सं0-1 व 2 ने अपील प्रस्तुत कर जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर परिवाद निरस्त किए जाने का अनुरोध किया है।
-4-
दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गई हैं। अत: दोनों अपीलों की सुनवाई एक साथ की गई है और दोनों अपीलों का निस्तारण एक संयुक्त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।
दोनों अपीलों में परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा और परिवाद के विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ज्ञान सिंह चौहान के सहयोगी आशीष गुप्ता उपस्थित आये हैं।
मैंने दोनों अपीलों में उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है। मैंने उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
दोनों अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी डॉ0 उमेश सिंह उर्फ उमेश चन्द्र ने उपरोक्त परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी विपक्षीगण मैसर्स हुण्डई मोटर इण्डिया लिमिटेड हेड ऑफिस एवं मैसर्स हुण्डई मोटर इण्डिया लिमिटेड रीजनल ऑफिस व दो अन्य, विपक्षीगण मैसर्स सचिन हुण्डई ए0 यूनिट ऑफ नताशा आटोमोबाइल प्रा0लि0 हेड आफिस और मैसर्स सचिन हुण्डई ए0 यूनिट आफ नताशा आटो मोबाइल प्रा0लि0 सर्विस सेन्टर के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विपक्षी सं0-3 के यहॉ से विपक्षीगण
-5-
सं0-1 व 2 द्वारा निर्मित आई-20 ऐक्टिव सी.आर.डी.आई.एस.एक्स (अर्थ ब्राउन) टाप माडल दिनांक 01.7.2015 को 8,97,677.00 रू0 में खरीदा, परन्तु खरीद के समय से ही उक्त कार में निम्न समस्यायें आती रही है:-
क- गाड़ी में ब्रेक लगाने पर व कल्च दबाने पर कम्पन्न होता है, जिससे गाड़ी डिसबैलेंस हो जाती है।
ख- गाड़ी की चारो विण्डो के कालर से धूल आती है।
ग- उक्त गाड़ी के पिकअप में खराबी है, गाड़ी खिचकर यानी दबाकर चलती है, जब पूरा एक्सीलेटर दबाते है।
घ- गाड़ी का पिकअप व एवरेज बहुत कम हो गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार जब परिवादी ने सर्विस सेन्टर विपक्षी सं0-4 के यहॉ दिनांक 31.8.2015 को गाड़ी ले जाकर दिखायी और समस्यायें बतायी, तो विपक्षी सं0-4 ने गाड़ी अपने पास रख लिया और उसके बाद परिवादी को गाड़ी यह कह कर वापस कर दी कि सारी समस्यायें ठीक हो गयी है, परन्तु परिवादी जब गाड़ी लेकर घर आया तो सारी समस्या जस की तस पाई गई। बार-बार परिवादी सर्विस सेन्टर जाता रहा, परन्तु कोई भी समस्या परिवाद प्रस्तुत करने तक ठीक नहीं हुई। परिवाद पत्र में प्रत्यर्थी/परिवादी ने कहा है कि परिवादी पेशे से डॉक्टर है और उसे हर समय इमरजेंसी
-6-
में मरीज को देखने शहर के बाहर भी जाना पडता है, परन्तु गाड़ी में उपरोक्त समस्या के कारण वह मरीजों को देखने इस गाडी से जाने में डरता है कि कहीं कोई समस्या न उत्पन्न हो जाये।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण सं0-1 व 2 को ईमेल किया, तब उन्होंने प्रश्नगत कार को विपक्षी सं0-4 के यहॉ पुन: ले जाने को कहा और तब परिवादी विपक्षी सं0-4 के यहॉ उक्त कार को पुन: ले गया, परन्तु कोई भी समस्या ठीक नहीं हुई। तब परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को नोटिस दिया और विपक्षीगण सं0-1 व 2 को मेल किया। तब विपक्षीगण सं0-1 व 2 ने कहा कि उनका इंजीनियर आयेगा और गाडी को ठीक कर देगा, परन्तु कोई इंजीनियर नहीं आया और गाड़ी की समस्या ज्यो की त्यों बनी रही। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि विपक्षीगण सं0-1 व 2 एवं विपक्षीगण सं0-3 व 4 के बीच प्रधान और अभिकर्ता का सम्बन्ध नहीं है। लिखित कथन में विपक्षीगण सं0-1 व 2 ने कहा है कि उनके विरूद्ध परिवादी ने परिवाद पत्र में कोई कथन नहीं किया है। विपक्षीगण सं0-3 व 4 के द्वारा कार विपक्षीगण सं0-1 व 2 से क्रय की जाती है और फिर उसकी बिक्री
-7-
की जाती है। अत: परिवादी और विपक्षीगण सं0-1 व 2 के बीच उपभोक्ता का सम्बन्ध नहीं है और न ही विपक्षीगण सं0-1 व 2 परिवादी के सेवा प्रदाता है, वाहन की सर्विस की पूर्ण जिम्मेदारी डीलर की है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण सं0-3 व 4 ने भी अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया है, जिसमें यह कहा गया है कि परिवादी ने प्रश्नगत वाहन हल्द्वानी उत्तराखण्ड से क्रय किया है, इसलिए बरेली स्थित उपभोक्ता फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। लिखित कथन में विपक्षीगण सं0-3 व 4 की ओर से कहा गया है कि विपक्षी सं0-4 के यहॉ परिवादी ने वाहन की मुफ्त सर्विस कराई तब वाहन में कोई समस्या नहीं थी। वह पूर्ण रूप से संतुष्ट होकर गाड़ी ले गया और उसके बाद दिनांक 24.11.2015 को गाड़ी में कुछ समस्या लेकर आया, जो उसी दिन दूर करके गाडी उसे दे दी गई। तब उसने विपक्षी सं0-4 के यहॉ यह लिखकर दिया कि कार की मरम्मत आदि से पूर्ण रूप से संतुष्ट है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन पर विचार करने के उपरांत निम्नलिखित पॉच वाद बिन्दु विरचित किये है:-
1- क्या परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है ?
2- क्या इस फोरम को परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है ?
-8-
3- क्या प्रश्नगत वाहन में निर्माण दोष है ?
4- क्या प्रतिपक्षीगण द्वारा परिवादी को सेवा प्रदत्त करने में कोई त्रुटि कारित की गई है ?
5- क्या परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ?
जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय में उपरोक्त वाद बिन्दु सं0-1 के निर्णय में यह माना है कि परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी माना है कि जिला फोरम, बरेली को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उपरोक्त वाद बिन्दु सं0-3 व 4 को एक साथ निस्तारित करते हुए यह माना है कि वाहन में निर्माण दोष है और विपक्षीगण द्वारा दोष का निराकरण नहीं किया गया है। अत: परिवादी को सेवा प्रदत्त करने में त्रुटि कारित की गई है। अन्त में उपरोक्त वाद बिन्दु सं0-5 के निर्णय में जिला फोरम ने यह माना है कि निर्माता विपक्षीगण सं0-1 व 2 के विरूद्ध परिवाद स्वीकार करते हुए उन्हें आदेशित किया जाये कि वर्तमान इंजन के स्थान पर नया इंजन लगाकर वाहन की समस्त कमियों का निराकरण करें। इसके साथ ही जिला फोरम ने मानसिक कष्ट हेतु परिवादी को प्रतिपक्षीगण/विपक्षीगण सं0-1 व 2 से 2500.00 रू0 दिलाया जाना उचित पाया है और उस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक
-9-
07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाना उचित माना है, इसके साथ ही जिला फोरम ने परिवादी को विपक्षीगण सं0-1 व 2 से 10,000.00 रू0 वाद व्यय भी दिलाया जाना उचित पाया है।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी ने प्रश्नगत कार व्यवसायिक उद्देश्य से क्रय की थी और उसका प्रयोग वह अपने डॉक्टरी के व्यवसाय में करता था, अत: परिवादी धारा- 2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है और उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय अधिकाररहित और विधि विरूद्ध है।
विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से यह भी तर्क किया गया है कि प्रश्नगत वाहन में कोई निर्माण सम्बन्धी त्रुटि नहीं है और उसका कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। न ही प्रश्नगत वाहन में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि के सम्बन्ध में कोई आख्या प्रस्तुत की गई है, अत: जिला फोरम ने प्रश्नगत वाहन में जो निर्माण सम्बन्धी त्रुटि मानी है, वह आधाररहित है।
-10-
विपक्षीगण सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विपक्षीगण के विरूद्ध जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय अपास्त कर परिवाद निरस्त किया जाना आवश्यक है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने वाहन में जो निर्माण सम्बन्धी त्रुटि मानी है, वह उचित और आधारयुक्त है। विपक्षीगण सं0-1 व 2 प्रश्नगत कार के निर्माता है अत: परिवादी उनका उपभोक्ता है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने परिवादी द्वारा परिवाद में याचित अनुतोष प्रदान न कर गलती की है। अत: परिवादी को परिवाद में याचित सम्पूर्ण अनुतोष प्रदान किया जाये और प्रश्नगत कार को बदलकर उसे नई कार दिलायी जाये अथवा उसका सम्पूर्ण मूल्य 8,97,677.00 रू0 ब्याज सहित वापस दिलाया जाये। दोनों अपीलों में प्रत्यर्थी सं0-2 व 3 उपस्थित नहीं आये हैं और जिला फोरम उनके विरूद्ध परिवाद निरस्त कर चुका है।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद पत्र की धारा-2 में परिवादी डॉ0 उमेश सिंह ने कथन किया है कि उन्होंने गाड़ी अपनी सहुलियत के लिए खरीदी थी, क्योंकि वह पेशे से डॉक्टर है और उन्हें इमरजेंसी में मरीजों को देखने जाना पड़ता है। परिवाद पत्र की धारा-11 में परिवादी ने कहा
-11-
है कि परिवादी इस गाडी से इतना परेशान हो चुका है कि इसके कारण उसके व्यवसाय में विघ्न पड़ रहा है तथा समय से अपने मरीज को नहीं देख पा रहा है।
परिवाद पत्र के उपरोक्त कथन से स्पष्ट है कि परिवादी ने प्रश्नगत कार अपने मरीज को देखने जाने हेतु अपनी व्यक्तिगत सहूलियत के लिए लिया है। कार का सम्बन्ध उसके व्यवसाय से नहीं है। कार का प्रयोग वह अपने निजी वाहन के रूप में अपनी सुविधा के लिए करता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Laxmi Engineering Works Vs. P.S.G. Industrial Institute 1995 AIR 1428 SCC में दिए गये निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए परिवादी द्वारा प्रश्नगत कार वाणिज्यिक उद्देश्य से क्रय किया जाना मामने हेतु उचित और युक्ति संगत आधार नहीं है। परिवादी ने यह कार अपनी व्यक्तिगत सुविधा के लिए लिया है। इस कार से उसके डॉक्टरी पेशे का कोई सम्बन्ध नहीं है।
विपक्षी मेसर्स हुण्डई मोटर इण्डिया लिमिटेड जो कि अपील सं0-1184/2018 के अपीलार्थी है, प्रश्नगत कार के निर्माता है, यह तथ्य निर्विवाद है और परिवादी ने प्रश्नगत कार परिवाद के विपक्षी सं0-3 से खरीदी है। अत: कार का निर्माता होने के नाते उपरोक्त अपील सं0-1184/2018 के अपीलार्थीगण जो परिवाद में विपक्षीगण
-12-
सं0-1 व 2 हैं, का भी परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2 (1) (डी) के अनुसार उपभोक्ता है और उसे उनके विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत करने का उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अधिकार है।
परिवादी की प्रश्नगत कार त्रुटि निरवारण हेतु परिवाद के विपक्षी सं0-4 मेसर्स सचिन हुण्डई ए. यूनिट आफ नताशा आटो मोबाइल प्रा0लि0 के सर्विस सेंटर पर बरेली में प्रस्तुत की गई है और प्रश्नगत कार की त्रुटि का निराकरण परिवाद के विपक्षी सं0-4 द्वारा जनपद बरेली में नहीं किया जा सका है। कार की कथित त्रुटियों की जानकारी परिवादी को बरेली में ही हुई है। ऐसी स्थिति में वाद हेतुक आंशिक रूप से जनपद बरेली में उत्पन्न होना स्पष्ट है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर में इस मत का हॅू कि जिला फोरम ने जो वाद बिन्दु सं0-1 के निर्णय में यह निष्कर्ष अंकित किया है कि परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है, वह उचित और विधि सम्मत है। उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह भी स्पष्ट है कि जिला फोरम ने जो परिवाद अपने अधिकार क्षेत्र में होने का निष्कर्ष वाद बिन्दु सं0-2 के निर्णय में अंकित किया है, वह भी आधारयुक्त और विधि सम्मत है।
-13-
जिला फोरम ने अपने निर्णय में वाद बिन्दु सं0-1 के निस्तारण में जो प्रश्नगत वाहन का वाणिज्यिक प्रयोग नहीं माना है, वह भी उपरोक्त विवेचना के आधार पर उचित प्रतीत होता है।
जिला फोरम ने अपने निर्णय में वाद बिन्दु सं0-3 और 4 के निस्तारण में प्रस्तर 13.11 में उल्लेख किया है कि प्रतिपक्षीगण सं0-3 व 4 की ओर से प्रस्तुत प्रलेख कागज सं0-53 परिवाद प्रारूप दिनांकित 12.9.2015 की छाया प्रति है, जिसमें वाहन के दरवाजों से घूल आना एवं पिकअप व एवरेज समस्या अंकित है। कागज सं0-54 उपरोक्त परिवाद के सम्बन्ध में किये गये कार्य के सम्बन्ध में विवरण की छाया प्रति है, जिसमें कार की खिड़कियों के सम्बन्ध में किये गये कार्य को परिवादी द्वारा संतोषजनक अंकित किया गया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में इसी प्रस्तर में उल्लेख किया है कि कागज सं0-29/2 परिवादी द्वारा वाहन में आपेक्षित मरम्मत से सम्बन्धित प्रलेख दिनांकित 24.11.2015 है, जिसमें पिकअप समस्या तथा खिड़कियों में से आवाज आना तथा क्लच और ब्रेक लगाये जाने पर वाहन में कम्पन होने की समस्या अंकित है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में वाद बिन्दु सं0-3 व 4 के निस्तारण में प्रस्तर-13.12 में उल्लेख किया है कि कागज सं0-29/4 परिवादी द्वारा दिनांक 07.12.2015 को ईमेल द्वारा प्रेषित शिकायत की प्रति है, जिसमें वाहन में ब्रेक तथा क्लच और
-14-
एक्सीलेटर लगाने पर इंजन में कम्पन की समस्या दर्शायी गयी है तथा एवरेज व खिड़कियों से धूल आने की समस्या भी दर्शायी गयी है। जिला फोरम ने इसी क्रम में प्रस्तर-13.13 में अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि उपरोक्त प्रलेखीय साक्ष्य से स्पष्ट है कि उपरोक्त वाहन दिनांक 01.7.2015 को क्रय किये जाने के 06 माह के अन्दर ही परिवादी द्वारा वाहन में पिकअप कम होने तथा ब्रेक, क्लच और एक्सीलेटर लगाने पर इंजन में कम्पन आने तथा कम एवरेज व खिड़कियों से धूल आने आदि समस्याओं के बारे में प्रतिपक्षी सं0-4 एवं प्रतिपक्षी सं0-1 से शिकायत की गयी है तथा प्रतिपक्षी सं0-4 के पास वाहन को कई बार समस्याओं के निराकरण के लिए ले जाया गया। इसके साथ ही जिला फोरम ने यह उल्लेख किया है कि प्रतिपक्षीगण द्वारा ऐसी कोई प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है कि परिवादी द्वारा परिवाद में अभिकथित की गयी वाहन की समस्याओं का निराकरण किया गया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में जे0बी0 मोटर्स 189 सिविल लाइन्स बरेली की विशेषज्ञ आख्या कागज सं0-45 का भी उल्लेख किया है, जिसमें उल्लेख है कि परिवादी के प्रश्नगत वाहन का निरीक्षण करने पर पाया गया है कि ए0सी0 ठीक से कार्य नहीं कर रहा है, वाहन में पिकअप कम होने की समस्या है तथा वाहन का माइलेज अच्छा नहीं है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि श्री अनूप चड्ढा प्रोपराइटर जे0बी0 मोटर्स
-15-
189 सिविल लाइन्स बेरली ने शपथपत्र कागज सं0-80 में यह अभिकथित किया है कि उसकी फर्म सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त ‘एʼ क्लास है और उसे 17 वर्षों से सभी कम्पनियों की गाड़ी की सर्विस हेतु सरकार द्वारा मान्यता दी गयी है तथा उसे सभी गाडियों की जॉच करने का अधिकार प्राप्त है तथा उसके पास सरकार द्वारा प्रदत्त एक्सपर्ट का लाइसेंस है।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि विपक्षीगण ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत विशेषज्ञ आख्या के खण्डन हेतु कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत नहीं की है।
उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि जिला फोरम के समक्ष परिवादी ने अपने प्रश्नगत वाहन में कथित त्रुटियों के सम्बन्ध में उचित और पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत कर यह साबित किया है कि वाहन क्रय किए जाने के 06 माह के अन्दर ही वाहन में यह त्रुटियॉ पाई गई हैं और उसकी शिकायत विपक्षीगण से और उनके सर्विस सेंटर से की गई हैं, परन्तु वाहन में कथित त्रुटियों का निवारण होना विपक्षीगण प्रमाणित नहीं कर सके हैं।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि परिवादी ने अपने प्रश्नगत वाहन का निरीक्षण अधीकृत गैरेज से कराकर कथित त्रुटियों को जिला फोरम के समक्ष प्रमाणित किया है, जिसके खण्डन हेतु कोई विशेषज्ञ आख्या विपक्षीगण ने प्रस्तुत नहीं किया है।
-16-
उपरोक्त अपील सं0-1184/2018 हुण्डई मोटर इण्डिया लिमिटेड व एक अन्य बनाम डॉ0 उमेश सिंह उर्फ उमेश चन्द्र व दो अन्य के अपीलार्थी विपक्षीगण प्रश्नगत वाहन के निर्माता है। अत: परिवादी से वाहन में कथित त्रुटियों के सम्बन्ध में शिकायत प्राप्त होने पर उनका यह दायित्व था कि वह वाहन का निरीक्षण व तकनीकी परीक्षण अपने सक्षम इंजीनियर से कराते और त्रुटियों के सम्बन्ध में जानकारी हासिल कर उसका निराकरण करने का प्रयत्न करते, परन्तु उनके द्वारा अपने सक्षम इंजीनियत से प्रश्नगत वाहन का निरीक्षण कराया जाना और त्रुटि की जानकारी किया जाना प्रमाणित नहीं होता है, क्योंकि उन्होंने न तो ऐसा कथन किया है और न ही वाहन की जॉच कराकर अपने किसी सक्षम इंजीनियर या विशेषज्ञ की आख्या प्रस्तुत की है। नया वाहन क्रय किए जाने के 06 महीने के अन्दर ही वाहन में कथित उपरोक्त त्रुटियॉ आना तथा एवरेज कम देना, ब्रेक लगाने पर व क्लच दबाने पर कम्पन होना, पिकअप में दोष होना आदि त्रुटियॉ वाहन के इंजन में निर्माण सम्बन्धी तकनीकी त्रुटि होना इंगित करता है और उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि इन त्रुटियों का निवारण का निर्माता कम्पनी द्वारा कोई उचित और सार्थक प्रयास नहीं किया गया है और न ही परिवादी क्रेता की शिकायत की वास्तविकता को समझने का प्रयास किया गया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि अपील सं0-1184/2018 के अपीलार्थी
-17-
निर्माता विपक्षीगण की सेवा में कमी है। जिला फोरम ने प्रश्नगत वाहन में जो निर्माण सम्बन्धी दोष और विपक्षीगण की सेवा में कमी माना है, वह उचित और आधारयुक्त है, उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकत नहीं है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Momna Gauri Vs. Regional Manager & Ors. I (2017) CPJ 11 (SC) में दिए गये निर्णय की नजीर प्रस्तुत किया है। जिसमें वाहन वाहन की चेचिस में क्रेक होने पर निर्माता कम्पनी को नया वाहन देने का आदेश दिया जाना मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने उचित माना है। परिवादी की ओर से Abhay R. Bhatwadekar (Since Dec. Thr. Lrs.) & Ors. Vs. Tata Engineering & Locomotive Company Ltd. & Anr. IV (2018) CPJ 366 (NC) में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय की नजीर भी संदर्भित की गई है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट पाये जाने पर कार का मूल्य बीमा खर्च काटकर ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया जाना उचित माना गया है।
उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत मैं इस मत का हॅू कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए निर्माता विपक्षीगण जो अपील सं0-1184/2018 के अपीलार्थीगण और अपील सं0-642/2018 के प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 को यह आदेशित किया जाना
-18-
उचित और युक्ति संगत है कि वे परिवादी की प्रश्गनत कार का इंजन बदलकर वाहन की उपरोक्त उल्लिखित त्रुटियों का निराकरण कर इस निर्णय की तिथि से दो माह के अन्दर वाहन को पूर्ण रूप से ठीक कर परिवादी क्रेता को वापस करें और साथ ही उसे मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान करें। जिला फोरम ने जो क्षति की धनराशि 25,000.00 रू0 निर्धारित किया है, वह वाद के तथ्यों को देखते हुए कम प्रतीत होती है, अत: क्षतिपूर्ति की धनराशि 50,000.00 रू0 किया जाना उचित है।
उपरोक्त के साथ ही विकल्प के रूप में यह भी आदेशित किया जाना आवश्यक है कि यदि कार के उपरोक्त निर्मातागण जो अपील सं0-1184/2018 के अपीलार्थीगण है, कार में नया इंजन लगाकर कार की उपरोक्त त्रुटियों का निवारण कर कार पूरी तरह से ठीक कर इस निर्णय में निर्धारित समय के अन्दर परिवादी क्रेता को वापस नहीं करते हैं और उपरोक्त क्षतिपूर्ति की धनराशि अदा नहीं करते है, तो ऐसी स्थिति में वे परिवादी क्रेता की प्रश्नगत कार का कुल मूल्य 8,97,677.00 रू0 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवादी क्रेता को वापस करेगें।
उपरोक्त निर्माता अपीलार्थीगण से जिला फोरम द्वारा आदेशित 10,000.00 रू0 वाद व्यय भी परिवादी क्रेता को दिलाया जाना उचित है।
-19-
उपरोक्त के सम्बन्ध में यह स्थिति स्पष्ट करना उचित है कि यदि दो माह के अन्दर नया इंजर बदलकर, उपरोक्त त्रुटियों का निराकरण कर कार को पूरी रह से ठीक कर परिवादी क्रेता को नहीं दिया जाता है, तो ऐसी स्थिति में परिवादी क्रेता निर्माता विपक्षीगण से वाहन का उपरोक्त मूल्य उपरोक्त दर से ब्याज सहित वापस पाने का अधिकारी होगा, परन्तु ऐसी स्थिति में वह 50,000.00 रू0 की क्षतिपूर्ति की उपरोक्त धनराशि पाने का अधिकारी नहीं होगा।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपीलार्थी परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील सं0-642/2018 उपरोक्त प्रकार से स्वीकार किए जाने योग्य है और निर्माता विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत अपील, अपील सं0-1184/2018 निरस्त किए जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपीलार्थी परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील अपील सं0-642/2018 डॉ0 उमेश सिंह उर्फ उमेश चन्द्र बनाम मेसर्स हुण्डई मोटर इण्डिया लि0 व दो अन्य, आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए विपक्षी/प्रत्यर्थी मेसर्स हुण्डई मोटर इण्डिया लि0 को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी परिवादी की प्रश्नगत कार का इंजन बदल कर नया इंजन लगाकर परिवादी द्वारा कथित उपरोक्त त्रुटियों का निवारण कर कार को पूर्ण रूप से ठीक कर परिवादी को इस निर्णय में
-20-
निर्धारित समय के अन्दर वापस करे और साथ ही 50,000.00 रू0 उसे शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान करे।
यदि निर्धारित अवधि में निर्माता विपक्षी हुण्डई मोटर इण्डिया लि0 वाहन को ठीक कर अपीलार्थी परिवादी को वाहन देने में असफल रहता है, तो ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थी निर्माता हुण्डई मोटर इण्डिया लि0 वाहन की सम्पूर्ण, जो ऊपर अंकित है, 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित अपीलार्थी परिवादी डॉ0 उमेश सिंह को अदा करेगी।
जिला फोरम द्वारा आदेशित 10,000.00 रू0 वाद व्यय भी विपक्षी निर्माता कम्पनी परिवादी को उसे अदा करेगी।
अपीलार्थी परिवादी डॉ0 उमेश सिंह अपना प्रश्नगत वाहन इस निर्णय के अनुसार त्रुटि निवारण हेतु इस निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्दर जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करेगें और विपक्षी निर्माता हुण्डई मोटर इण्डिया लि0 वाहन वहॉ से प्राप्त कर उसका इंजन बदलकर त्रुटि निवारण कर वाहन पूर्ण रूप से ठीक कर दो माह के अन्दर अपीलार्थी परिवादी को जिला फोरम के समक्ष वापस देगी।
वाहन अपीलार्थी परिवादी द्वारा प्राप्त करने के पूर्व वाहन का निरीक्षण जिला फोरम द्वारा सक्षम तकनीकी विशेषज्ञ से कराकर त्रुटि निवारण के सम्बन्ध में उसका प्रमाण पत्र प्राप्त किया जायेगा और तद्नुसार वाहन अपीलार्थी परिवादी को प्रदान किया जायेगा।
-21-
यदि उपरोक्त अवधि में वाहन की त्रुटि का निवारण उपरोक्त प्रकार से निर्माता विपक्षी हुण्डई मोटर इण्डिया लि0 द्वारा नहीं किया जाता है, तो अपीलार्थी परिवादी उपरोक्त वाहन जिला फोरम के माध्यम से निर्माता विपक्षी को समर्पित करेगा और निर्माता विपक्षी से उपरोक्त धनराशि प्राप्त करेगा अथवा वसूल करेगा।
निर्माता विपक्षीगण हुण्डई मोटर इण्डिया लि0 व एक अन्य की ओर से प्रस्तुत अपील, अपील सं0-1184/2018 निरस्त की जाती है।
दोनों अपीलों में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेगें।
अपील सं0-1184/2018 में धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्ताण हेतु प्रेषित की जाये।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0-1184/2018 में रखी जाये एवं इस निर्णय की एक प्रतिलिपि अपील सं0-642/2018 में भी रखी जाये।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1