राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील सं0- 1070/2015
Honda cars stallion auto sales private Limited A 16, Indira nagar, Faizabad road, Lucknow.
……….Appellant.
Versus
- Dr. Tauseef ahmad aged about 68 years, son of Late Sri S.A. Rahman, Resident of 11 Krishna colony, Mahanagar, Lucknow.
- Honda cars India Limited plot no. A-1 sector 40/41 Surjapur kasna road Greater Noida industrial development area District Gautam budha nagar U.P. 201306.
- Honda cars India Limited Technical support centre old no. 26/New no. 46 opp. ICICI bank Ambttur Industrial Estate Ambattur Chennai 600056.
………..Respondents.
अपील सं0- 1109/2015
- Honda cars India Limited plot no. A-1 sector 40/41 Surjapur kasna road Greater Noida industrial development authority District Gautam budha nagar U.P. 201306.
- Honda cars India Limited Technical support centre old no. 26/New no. 46 opp. ICICI bank Ambttur Industrial Estate Ambattur Chennai 600056
……….Appellants.
Versus
- Dr. Tauseef ahmad aged about 68 years, son of Late Sri S.A. Rahman, Resident of 11 Krishna colony, Mahanagar, Lucknow.
- Honda cars stallion auto sales private Limited A -16, Indira
nagar, Faizabad road, Lucknow. 226016
………..Respondents.
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनुपम श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री अदील अहमद,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं0- 2 और 3 की ओर से उपस्थित : श्री आबिद अलवी,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 12.12.2017
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 09/2014 डॉ0 तौसीफ अहमद बनाम होण्डा कार्स स्टालियन आटो सेल्स प्रा0 लि0 व दो अन्य में जिला फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 04.04.2015 के विरूद्ध दोनों अपीलें धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई हैं।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को संयुक्त रूप से व पृथक रूप से आदेशित किया है कि वे परिवादी को 42,423/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करें। इसके साथ ही जिला फोरम ने विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया है कि वे 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति और 2,000/-रू0 वाद व्यय परिवादी को अदा करें।
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर उपरोक्त अपील सं0- 1070/2015 परिवाद के विपक्षी होण्डा कार्स स्टालियन आटो सेल्स प्रा0लि0 की ओर से और उपरोक्त अपील सं0- 1109/2015 परिवाद के विपक्षीगण होण्डा कार्स इंडिया लि0 गौतमबुद्ध नगर व होण्डा कार्स इंडिया लि0 चेन्नई की ओर से प्रस्तुत की गई है।
दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरुद्ध प्रस्तुत की गई हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ संयुक्त निर्णय और आदेश के द्वारा किया जा रहा है।
परिवादी डॉ0 तौसीफ अहमद की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अदील अहमद और परिवाद के विपक्षी सं0- 1 होण्डा कार्स स्टालियन आटो सेल्स प्रा0लि0 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अनुपम श्रीवास्तव और परिवाद के विपक्षीगण सं0- 2 और 3 होण्डा कार्स इंडिया लि0 गौतमबुद्ध नगर व होण्डा कार्स इंडिया लि0 चेन्नई की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आबिद अलवी उपस्थित आये हैं।
मैंने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
दोनों अपील के अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्तागण का तर्क है कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश एकपक्षीय रूप से अपीलार्थी/विपक्षीगण पर नोटिस का तामीला सुनिश्चित किये बिना पारित किया है। दोनों अपील के अपीलार्थीगण की ओर से यह तर्क किया गया है कि परिवाद जिला फोरम के समक्ष दि0 08.01.2014 को प्रस्तुत किया गया है और उस दिन परिवाद दर्ज करते हुए लिखित कथन हेतु 29.03.2014 तिथि नियत की गई है, परन्तु दि0 01.03.2014 को निश्चित तिथि दि0 29.03.2014 के पहले ही पत्रावली में सुनवाई की गई है जिसके बाद दि0 23.05.2014 तिथि नियत करते हुए विपक्षीगण को नोटिस जारी करने का आदेश हुआ है। दि0 23.05.2014 को भी विपक्षीगण को पुन: नोटिस जारी करने हेतु आदेश पारित किया गया है और उसके बाद दि0 19.08.2014 को दोनों अपील के अपीलार्थीगण के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से कार्यवाही किये जाने का आदेश पारित किया गया है। दोनों अपील के अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण का तर्क है कि जिला फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा जो सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना उपलब्ध करायी गई है उससे स्पष्ट है कि दि0 13.01.2014 को नोटिस जारी की गई है और परिवाद में जिला फोरम द्वारा पारित आदेश दि0 01.03.2014 और 23.05.2014 के अनुपालन में कोई नोटिस जारी नहीं की गई है जब कि दि0 13.01.2014 को जो नोटिस जारी की गई है उसमें लिखित कथन की तिथि दि0 29.03.2014 अंकित है, परन्तु पत्रावली दि0 29.03.2014 के पहले ही दि0 01.03.2014 को फोरम के समक्ष पेश की गई है और दि0 23.05.2014 तिथि नियत कर दी गई है। पत्रावली दि0 29.03.2014 को फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई है और न उस दिन कोई आदेश फोरम द्वारा पारित किया गया है। अत: यह स्पष्ट है कि जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी पर नोटिस का तामीला उचित और विधिक ढंग से नहीं कराया है और विधि विरुद्ध ढंग से परिवाद की अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित की गई है। दोनों अपील के अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्तागण का तर्क है कि उन्हें जिला फोरम के समक्ष अपना लिखित कथन व साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर नहीं मिला है और जिला फोरम ने विधि विरुद्ध प्रक्रिया अपनाकर आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
दोनों अपील के प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थीगण पर नोटिस का तामीला हुआ है, फिर भी वे उपस्थित नहीं हुए हैं। अत: जिला फोरम ने उनके विरुद्ध जो एकपक्षीय रूप से कार्यवाही करते हुए आदेश पारित किया है वह उचित है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि जिला फोरम ने दि0 08.01.2014 को परिवाद में दि0 29.03.2014 लिखित कथन हेतु तिथि नियत किया है और तदनुसार नोटिस जारी किया है, परन्तु पत्रावली दि0 01.03.2014 को फोरम के समक्ष प्रस्तुत की गई है और जिला फोरम ने तिथि बदलकर दि0 23.05.2014 तिथि नियत किया और दि0 23.05.2014 को पुन: दि0 19.08.2014 तिथि नियत किया है और दोनों तिथि पर विपक्षीगण को नोटिस का तामीला पर्याप्त नहीं मानते हुए पुन: नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। पत्रावली दि0 08.01.2014 को निश्चित की गई तिथि दि0 29.03.2014 को फोरम के समक्ष नहीं आयी है और न कोई आदेश फोरम द्वारा पारित किया गया है।
अत: प्रश्नगत परिवाद के आदेश पत्र दि0 08.01.2014, 01.03.2014 और 23.05.2014 तथा जनसूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्राप्त सूचना को दृष्टिगत रखते हुए यह मानने हेतु उचित आधार है कि दोनों अपील के अपीलार्थी/विपक्षीगण को अपना कथन प्रस्तुत करने हेतु जिला फोरम ने विधि के अनुसार अवसर प्रदान नहीं किया है और जिला फोरम ने पूर्व निर्धारित तिथि में जो संशोधन किया है उसकी कोई सूचना अपीलार्थी/विपक्षीगण को नहीं भेजी है।
अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाना आवश्यक है कि वह दोनों अपील के अपीलार्थी/विपक्षीगण को अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर देकर उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर दें और पुन: विधि के अनुसार निर्णय पारित करे।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर दोनों अपीलें स्वीकार की जाती हैं और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि वह इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्दर लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दोनों अपील के अपीलार्थी/विपक्षीगण को प्रदान करें और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार तीन मास के अन्दर अन्तिम निर्णय पारित करें।
उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दि0 15.01.2018 को उपस्थित हों।
जिला फोरम दोनों अपील के अपीलार्थी/विपक्षीगण को हाजिरी की तिथि से 30 दिन के अन्दर लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगा। उसके बाद कोई और समय लिखित कथन हेतु प्रदान नहीं किया जायेगा।
दोनों अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
दोनों अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित दोनों अपील के अपीलार्थीगण को वापस की जायेगी।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0- 1070/2015 में रखी जाये और इसकी सत्य प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0- 1109/2015 में रखी जाये।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1