Uttar Pradesh

StateCommission

A/1995/1163

Surendra Singh - Complainant(s)

Versus

Dr. Smt. Meera Jian - Opp.Party(s)

R K Gupta

11 Nov 2009

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1995/1163
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Surendra Singh
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

अपील संख्‍या 1163  सन 1995

                                                                                                                                   

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम मेरठ   द्वारा परिवाद संख्‍या 943 सन 94  में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 08.06.1995  के विरूद्ध)

 

सुरेन्‍द्र सिंह पुत्र श्री बेगराज सिंह निवासी ग्राम कलंद, तहसील सरधाना, जिला मेरठ ।

.............अपीलार्थी

बनाम

  1. डा0 श्रीमती मीरा जैन, जैन मेडिकल सेण्‍टर, 166, सिविल लाइन्‍स, मेरठ ।
  2. श्री डी0पी0 जैन, मालिक जैन मेडिकल सेण्‍टर, 166, सिविल लाइंस मेरठ ।

.................प्रत्‍यर्थी

 

समक्ष:-

1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह, अध्‍यक्ष ।

2. मा0 श्री, चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, न्‍यायिक सदस्‍य।

3. मा0 श्री जुगुल किशोर, सदस्‍य ।

 

 

विद्वान अधिवक्‍ता  अपीलार्थी : श्री आर0के0 गुप्‍ता ।

विद्वान अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी   : कोई नहीं ।

 

दिनांक 16.10.2014

 

मा0 श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

            यह अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम मेरठ   द्वारा परिवाद संख्‍या943 सन 94  में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं  आदेश दिनांक 08.06.1995  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादी के परिवाद को निरस्‍त कर दिया है।

      संक्षेप में, इस प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी सुरेन्‍द्र सिंह उर्फ चिन्‍टू, उम्र 11 माह डिहाइड्रेशन एवं बुखार से पीडि़त था जिसका उपचार विपक्षी जैन मेटिकल सेण्‍टर में दिनांक 07.8.94 को हुआ। इलाज 15.8.94 तक चला इस बीच बच्‍चे का स्‍टूल टेस्‍ट आदि भी कराया गया। इंजेक्‍शन लगाने से बच्‍चे के हाथ में सूजन आ गयी जो ठीक नहीं हुई। दिनांक 22.8.94 को पुन: बच्‍चे को विपक्षी के अस्‍पताल में भर्ती किया गया जहां उसका इलाज 29.8.94 तक हुआ। इलाज में फायदा न देखकर डा0 मीरा जैन ने बच्‍चे को एम्‍स, दिल्‍ली में डा0 सन्‍दीप अग्रवाल के पास मामला रेफर कर दिया। परिवादी डा0 संदीप अग्रवाल से मिला उन्‍होंनें 08.9.94 को आने का परामर्श दिया। इस बीच बच्‍चे को मेरठ के अन्‍य डाक्‍टरों को दिखाया गया। अन्‍तत: त्‍यागी चिकित्‍सा केन्‍द्र मेरठ में बच्‍चे के हाथ में गैगरीन पाते हुए दाया हाथ काट दिया गया। परिवादी ने इस आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया है कि उसके बच्‍चे के इलाज में डा0 मीरा जैन द्वारा लापरवाही बरती गयी है। विपक्षीगण ने अपने लिखित कथन में यह कहा है कि उन्‍होंने अपनी योग्‍यता के अनुसार बच्‍चे का सही इलाज किया है और कोई लापरवाही बरती नहीं गयी है, बल्कि बच्‍चे के माता पिता ने मेडिकल सलाह के अनुसार बच्‍चे का सही इलाज नहीं कराया है और समय समय पर अपनी मर्जी से बच्‍चे को डिस्‍चार्ज करा लिया है। जिला फोरम ने समस्‍त तथ्‍यों को देखते हुए यह पाया कि इलाज में कोई गलती नही है और परिवाद को निरस्‍त कर दिया, जिससे विक्षुब्‍ध होकर यह अपील संस्थित की गयी है। 

      बहस की तिथि पर अपीलार्थी  के विद्वान अधिवक्‍ता उपस्थित हुए, उनकी बहस सुनी गयी। हमने समस्‍त अभिलेख का अनुशीलन किया। अभिलेख के अनुशीलन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी के बच्‍चे का इलाज विपक्षी जैन मेडिकल सेण्‍टर में कराया गया वहां से परिवादी ने स्‍वंय अपने अनुरोध पर बच्‍चे को डिस्‍चार्ज करा लिया और जब बच्‍चे की परेशानी बढ़ी तो फिर बच्‍चे को मेडिकल सेन्‍टर ले गए जहां डा0 मीरा जैन ने बच्‍चे का पुन: इलाज किया और प्रकरण एम्‍स, दिल्‍ली रैफर कर दिया। अभिलेख के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी ने बच्‍चे का इलाज एम्‍स दिल्‍ली में नहीं कराया बल्कि पुन: मेरठ के कुछ डाक्‍टरों से कराया अभिलेख पर इस आशय का कोई साक्ष्‍य नहीं है कि डा0 मीरा जैन द्वारा परिवादी के बच्‍चे का गलत इलाज किया गया और गलत दबाऐं दी गयीं। इस आशय का भी कोई विशेषज्ञ का साक्ष्‍य नही है कि डा0 मीरा जैन के इलाज के कारण ही बच्‍चे को गैगरीन हुआ। जिला फोरम ने समस्‍त तथ्‍यों को विवेचित करते हुए यह निष्‍कर्ष निकाला है कि डा0 मीरा जैन द्वारा इलाज में कोई असावधानी नहीं बरती गयी है और न ही उनके विरुद्ध किसी विशेषज्ञ का साक्ष्‍य अभिलेख पर है, ऐसी स्थिति में डा0 मीरा जैन एवं जैन मेडिकल सेण्‍टर को इलाज में असावधानी का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

      उपर्युक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि जिला फोरम ने सही रुप में परिवाद को निरस्‍त किया है जिसमें हस्‍तक्षेप किए जाने का कोई औचित्‍य स्‍थापित नहीं होता है।

परिणामत:, यह अपील अस्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

 

आदेश

 

      प्रस्‍तुत अपील तदनुसार निरस्‍त करते हुए जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मेरठ द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.6.1995 को सम्‍पुष्‍ट किया जाता है।

      उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति वीरेन्‍द्र सिंह)    (चन्‍द्र भाल श्रीवास्‍तव)      (जुगुल किशोर)

   अध्‍यक्ष                                            सदस्‍य              सदस्‍य

    कोर्ट-1

(S.K.Srivastav,PA-2)

 

 
 
[HON'ABLE MR. JUSTICE Virendra Singh]
PRESIDENT

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