Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/90/2011

RAM SHABD YADAV - Complainant(s)

Versus

DR. SHISHIR JAISAWAL - Opp.Party(s)

VIJAY SRIVASTAVA

10 Jan 2022

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 90 सन् 2011

प्रस्तुति दिनांक 13.09.2011

                                                                                                निर्णय दिनांक 10.01.2022 

                        रामशब्द यादव पुत्र कन्हई यादव साकिन व पोस्ट- खानपुर भगत पट्टी, तहसील- सगड़ी, जिला- आजमगढ़।      

                                                                                                                                 ....................................परिवादी।

बनाम

  1. डॉo शिशिर जायसवाल एमoबीoबीoएसo, एमoएसo, एमoसीoएचo जीoपीoजीoआईo लखनऊ न्यूरो स्पाइनल सर्जन। शिशिर न्यूरो केयर सेन्टर निजामी कॉम्पलेक्स रसाद नगर, (गुलामी का पुरा) निकट जामे तुर्रशाद मदरसा, आजमगढ़।
  2. यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 104 फर्स्ट फ्लोर वृन्दावन कुन्ज इक्जीसन रोड पटना।    
  3. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

 

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह दिनांक 19.12.2009 को अपनी पुत्री श्रीमती पुष्पा यादव उम्र 30 वर्ष को विपक्षीगण के दवाखाना पर इलाज कराने हेतु ले गया। विपक्षीगण द्वारा उसकी पुत्री को दवाएं दी गयीं और निर्देशित किया गया कि डेढ़ वर्ष तक नियमित रूप से दवा करेंगे तो रोगी पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाएगी। विपक्षीगण के निर्देशानुसार नियमित रूप से पुष्पा यादव का इलाज चलता रहा। दिनांक 11.04.2011 को दिनांक 30.06.2011 तक की दवा विपक्षीगण द्वारा दी गयी और कहा गया कि अब कोई दवा नहीं चलेगी दवा का कोर्स पूरा हो गया है अब रोगी पूर्णरूप से स्वस्थ हो जाएगी। परिवादी ने दिनांक 30.06.2011 को पुष्पा यादव को विपक्षीगण को दिखाया तो विपक्षीगण ने कहा कि रोगी पुष्पा यादव पूर्णरूप से स्वस्थ है अब रोगी को दवा की आवश्यकता नहीं है। परिवादी विपक्षीगण के आश्वासन पर दिनांक 30.06.2011 को अपनी पुत्री पुष्पा यादव को लेकर घर चला गया, कि 02 जुलाई सन् 2011 को पुरानी बीमारी शुरू हो गयी, तत्पश्चात् परिवादी अपनी पुत्री रोगी पुष्पा यादव को लेकर विपक्षीगण के पास गया तो विपक्षीगण रोगी को देखकर कहे कि रोगी के सिर का ऑपरेशन करना होगा। जब तक ऑपरेशन नहीं होता है तब तक दवा चलेगी। ऐसा कहते हुए विपक्षीगण 10 दिन की दवा दे दिए तथा दवा सेवन करने का निर्देश दिया गया उक्त दवाएं विपक्षीगण द्वारा स्वयं दी गयी। उक्त दवा से जब परिवादी के पुत्री को कोई आराम नहीं मिला तो मजबूर होकर परिवादी रोगी पुष्पा यादव को सदर अस्पताल आजमगढ़ में दिखाया जहाँ से रोगी पुष्पा यादव को तत्काल पी.जी.आई. लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया। परिवादी द्वारा पी.जी.आई.लखनऊ पहुँचकर रोगी पुष्पा यादव व विपक्षीगण द्वारा चलाई गई दवाओं की पर्ची दिखाया तो पी.जी.आई. के डॉक्टर द्वारा कहा गया कि अगर रोगी को उक्त दवाएं कुछ दिन तक और खिलायी गयी होती तो दवा के प्रभाव से रोगी पुष्पा यादव की मृत्यु हो जाती। विपक्षीगण द्वारा रोगी पुष्पा यादव को जानबूझकर दवाओं का सेवन कराकर धोखा-धड़ी

 

करके एक लम्बी अवधि तक लाखों रूपए नाजायज लिया गया तथा और अधिक आर्थिक लाभ लेने की इच्छा से रोगी के सिर के ऑपरेशन की लिखित व मौखिक राय विपक्षीगण द्वारा व्यक्त की गयी। विपक्षीगण की लापरवाही के कारण याची की लगभग एक लाख रूपए की आर्थिक क्षति हुई है। अतः विपक्षीगण के विरुद्ध इस आशय का आदेश पारित किया जाए कि विपक्षीगण परिवादी की पुत्री पुष्पा यादव का लम्बी अवधि तक दवा इलाज गलत बिमारी का करके मुo एक लाख रूपए की क्षति किया है जिसे परिवादी को मय ब्याज अदा करे साथ ही परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo पचास हजार रुपए दिलाया जाए।       

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5ग कानूनी नोटिस की छायाप्रति, कागज सख्या 7/1ता7/4 व 7/7 डॉo शिशिर जायसवाल द्वारा जारी दवा पर्चा, कागज संख्या 7/5 सर्व पैथोलॉजी सेन्टर द्वारा पुष्पा यादव के हेमाटोलॉजी और बायोकेमेस्ट्री जाँच रिपोर्ट, कागज संख्या 7/6 पुष्पा यादव के पैथोलॉजी रिपोर्ट, कागज संख्या 7/8ता7/15 ओ.पी.डी. शुल्क रिसीविंग प्रपत्र, कागज संख्या 7/16ता7/18 एस.जी.पी.जी.आई. ऑफ मेडिकल साइंस लखनऊ द्वारा जारी पुष्पा यादव ओ.पी.डी. केस फाइल की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

दिनांक 04.08.2021 को विपक्षी संख्या 02 का साक्ष्य देने का अवसर समाप्त कर दिया गया।    

कागज संख्या 14क विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि उसने पुष्पा यादव का इलाज किया है, किन्तु याचिका उक्त मरीज के द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है इसलिए पोषणीय नहीं है। याची को याचिका दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं है। विपक्षी एक योग्य डॉक्टर है। पी.जी.आई. के जिन डॉक्टरों ने इलाज किया है उन्हें पक्षकार मुकदमा नहीं बनाया गया है। विपक्षी के विरुद्ध याचिका में किया गया कथन मनगढ़ंत है अतः याचिका खारिज किया जाए।   

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादी अनुपस्थित तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। याची ने विपक्षी संख्या 01 के यहाँ से अपनी पुत्री पुष्पा यादव का केवल दवा व इलाज कराया है, इसके बाद वह उसके आदेशानुसार उसने अपनी पुत्री को एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ ले गया और वहाँ दवा इलाज करवाया। चूंकि विपक्षी संख्या 01 एक क्वालीफाई डॉक्टर है। अतः नियमानुसार यदि उसके डायग्नोसिस में उसकी कमी आ जाती है तो उसे किसी आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। यहाँ इस बात का भी उल्लेख किया जाता है कि यह परिवाद पुष्पा यादव द्वारा दाखिल नहीं किया गया है। यह परिवाद पुष्पा देवी द्वारा दाखिल किया जाना चाहिए था। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। 

 

 

 

   आदेश

                                                              परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

     

 

 

                                                                            गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                           (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

               दिनांक 10.01.2022

                                                      यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                                 गगन कुमार गुप्ता               कृष्ण कुमार सिंह

                                                                    (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

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