राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1146/2002
(जिला फोरम, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्या-93/2000 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-03-2002 के विरूद्ध)
आगरा विकास प्राधिकरण आगरा, जयपुर हाउस जिला आगरा द्वारा उपाध्यक्ष/सचिव।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
डा0 श्रीमती शशि प्रभा सिंह पत्नी श्री अशोक कुमार सिंह निवासी-41 डी प्रताप नगर, जयपुर हाउस, जिला आगरा।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – श्री आर0 के0 गुप्ता।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - श्री अरूण टंण्डन।
दिनांक : 02-12-2015
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय :
अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला फोरम, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्या-93/2000 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-03-2002 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है। विवादित आदेश निम्नवत् है:-
''अत: विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को रू0 3,01,114/- कुल मूल्य पर ही बिना किसी विलम्ब ब्याज के लिए हुए शेष धनराशि अदा करने से पूर्व भवन संख्या-6 शास्त्रीपुरम योजना के फेस-1 में भवन की स्थिति को सुधारते हुए सही स्थिति में कब्जा इस निर्णय की तिथि से 45 दिन के अंदर दें तथा साथ ही रू0 5,000/- क्षतिपूर्ति के भी उक्त अवधि में ही अदा करें।
निर्धारित अवधि के अंदर आदेश का अनुपालन न किये जाने पर परिवादिनी अपनी जमा की गयी धनराशि पर, जमा करने की तिथि से 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से सूद सहित तथा उक्त क्षतिपूर्ति की धनराशि पर
2
निर्णय के दिवस से 16 प्रतिशत की दर से भुगतान के दिवस तक पाने की अधिकारी होगी।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है परिवादी ने विपक्षीगण आगरा विकास प्राधिकरण की शास्त्रीपुरम योजना के फेस-1 में उच्च आय वर्ग के भवन आवंटन हेतु पंजीकरण धनराशि रू0 25,000/- आवेदन पत्र सहित 08.08.90 को विपक्षी के यहॉं जमा किये थे। विपक्षी ने दिनांक24-10-1990 को आवेदन पत्र स्वीकार करे हुए उच्च आय वर्ग का भवन परिवादिनी को आरक्षित कर दिया। तथा मांगी गयी आरक्षित धनराशि 25,000/-रू0 भी परिवादिनी ने जमा कर दिया। विपक्षी ने दिनांक 01-03-1993 को परिवादिनी को उच्च आय वर्ग का भवन संख्या-6 आवंटित किया। भवन के मूल्य में से 1,50,000/-रू0 जमा हो जाने पर शेष धनराशि रू0 1,51,114/- मकान का कब्जा देने के बाद में त्रैमासिक किश्तों में ली जायेगी। परिवादिनी द्वारा समस्त धनराशि रू0 1,50,000/- व भूमि पट्टा किराया धनराशि रू0 8,942/- जमा करने के बाद भी विपक्षी ने परिवादिनी को भवन का कब्जा नहीं दिया और न ही सूचना ही दी। इसलिए यह परिवाद योजित किया गया है।
विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि परिवादिनी ने पंजीकरण धनराशि जमा की तथा लाटरी के द्वारा उसे उच्च आय वर्ग का भवन आवंटित किया गया तथा कहा गया कि आवंटन के समय भवन की कीमत अनुमानित थी और बढ़ी हुई कीमत के अंतर की धनराशि परिवादिनी से लेनी थी तथा कहा गया कि परिवादिनी कब्जा लेने के लिए स्वयं दोषी है क्योंकि उसने कब्जा नहीं लिया और कैम्प लगाया गया था जिसमें भी परिवादिनी ने कोई सम्पर्क नहीं किया। विपक्षी हमेशा कब्जा देने को तैयार है इसलिए परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
पीठ के समक्ष उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण उपस्थित आए।
हमने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क सुने तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला मंच को मकान का मूल्य निर्धारित/तय करने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है और इस संबंध में जिला मंच द्वारा जो आदेश किया गया है वह सही नहीं है और जो अन्तिम कास्ट होगी वही उनसे वसूल किया जायेगा।
इस सम्बन्ध में अपीलकर्ता के तरफ से निम्न रूलिंग दाखिल की गई है:-
- ।।। ( 1997) सी.पी.जे. 88 (एन.सी.) National Consumer Awareness Group (Regd) Versus The Housing Commissioner, Punjab Housing Development Board.
3
(II) Consumer Protection Act, 1986Section 2 (1) (e)Consumer Dispute ‘Plot’ ‘pricing’ Plot allottedComplaint filed alleging price of plot fixed by opposite party is excessive Whether a consumer dispute? No. Held: The dispute relating to pricing need not detain us. This commission in various judgment have made a refrence to the definition of the complaint and deficiency occurring in sections 2 (c) (iv) and 2 (g) of the consumer protection Act to bring out that the price referred to therin was the price fixed by or nuder any Law and not the price fixed otherwice. The price is determined by the Board in accordance with the procedure evolved by it and there is no statuary control over the fixation of the price and the same cannot, therefor, be interfered with. The pricing of flats built by the public authority or plots developed by the authorities is not a Consumer dispute.
- III (2006) cpj 206 (NC) Radha Nand Singh (Dr.) Versus Bihar State Housing Board.
- Consumer Protection Act, 1986 Section 11, 17 and 21Jurisdiction of For a Housing Question of pricingComplaint alleging increase of price from Rs.1,90,000/- To Rs. 2,81,143/ Contention, O.p bound by price as originally fixed, rejected-Original cost only estimated oneFuther Consumer For a cannot go into Question of pricingNo merit in plea of complaint.
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिस समय उसे कब्जा दिया गया उसी तिथि के रेट के हिसाब से कास्टिंग किया जाए और उसी दिन की कास्ट जो उपयुक्त हो ली जाए।
केस के तथ्यों परिस्थितियों को देखते हुए एवं उपरोक्त रूलिंग के दृष्टिगत हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम को कास्टिंग तय करने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। इस सम्बन्ध में हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम के द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह विधि सम्मत् नहीं है और निरस्त होने योग्य है। अपीलकर्ता की अपील स्वीकार होने योग्य है।
4
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला फोरम, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्या-93/2000 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14-03-2002 निरस्त किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( राम चरन चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5 प्रदीप मिश्रा