Uttar Pradesh

StateCommission

A/291/2021

union bank Of India - Complainant(s)

Versus

Dr. Santosh Kumar Gupta - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

12 Apr 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/291/2021
( Date of Filing : 22 Jun 2021 )
(Arisen out of Order Dated 11/02/2020 in Case No. C/2018/82 of District Agra-II)
 
1. union bank Of India
Agra Main Branch Friends Wasan Plaza Sanjay Place Agra Through B.M.
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr. Santosh Kumar Gupta
S/o Sohan Lal Gupta R/o 17/238 Chilli Einth Ghatia Azam Khan Agra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Apr 2023
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या : 291/2021

 

यूनियन बैंक आफ इण्डिया व दो अन्‍य

 

डाक्‍टर संतोष कुमार गुप्‍ता

दिनांक : 12-04-2023

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय

     परिवाद संख्‍या-82/2018 डाक्‍टर संतोष कुमार गुप्‍ता  बनाम यूनियन बैंक आफ इण्डिया व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्धितीय आगरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 11-02-2020 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गयी है।

     ‘’विद्धान जिला आयोग ने आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है :-

     परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी से लिया गया मु0 3,85,000/-रू0 तथा परिवाद दाखिल करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक इस धनराशि पर 07 प्रतिकर वार्षिक साधारण ब्‍याज एक माह के अंदर परिवादी को अदा करेंगे। परिवाद व्‍यय के रूप में विपक्षीगण मु0 2,000/-रू0 का अलग से अदा करेंगे।‘’

     अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री आनंद भार्गव उपस्थित।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी  पेशे से डाक्‍टर है। विपक्षीगण ने अमर उजाला दिनांक 30-12-2008 में मकान नं0-

 

-2-

689 रामस्‍वरूप नगर भोगीपुरा आगरा के बिक्री का टेण्‍डर निकाला। परिवादी ने इस मकान को खरीदने का आफर दिया और समस्‍त औपचारिकताऍं पूरी करते हुए चेक के द्वारा मु0 3,85,000/-रू0 विपक्षीगण के यहॉं जमा किया। परिवादी ने उक्‍त मकान अपने रहने हेतु क्रय किया था तथा एच0डी0एफ0सी0 बैंक से रू0 5,00,000/- गृह ऋण भी प्राप्‍त किया था। विपक्षीगण द्वारा धनराशि लिये जाने के बाद भी भवन का न तो कब्‍जा ही दिया गया न ही बैनाम निष्‍पादित किया गया। परिवादी को बैंक से लिये गये ऋण राशि रू0 5,00,000/-रू0 पर 18 प्रतिशत की दर से ब्‍याज अदा करना पड़ा जिसे परिवादी द्वारा समस्‍त ऋण की धनराशि बैंक को अदा कर दी गयी है। परिवादी द्वारा विपक्षी को एक नोटिस जरिये अधिवक्‍ता भेजी गयी जिसका कोई जवाब विपक्षीगण द्वारा  नहीं दिया गया जो विपक्षीगण के स्‍तर से सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।

     विपक्षीगण ने प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए उल्‍लेख किया है कि परिवाद पत्र के तथ्‍य गलत है। मुकदमा ऋण वसूली प्राधिकरण लखनऊ में एस0ए0 नम्‍बर-45/2011 नरेन्‍द्र कुमार व अन्‍य बनाम यू0बी0आई0 व अन्‍य के रूप में लम्बित है, जिसमें परिवादी भी एक पक्ष है तथा परिवादी उक्‍त डी0आर0टी0 के समक्ष अपनी बात रख सकता है। फोरम को परिवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है। परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है, चूंकि वह केवल एक नीलाम का खरीददार है इसलिए परिवाद संघारणीय नहीं है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     विद्धान जिला आयोग आयोग द्वारा उभयपक्ष को विस्‍तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का गहनतापूर्वक परिशीलन करने के पश्‍चात यह पाया गया कि परिवादी ने नीलाम की खरीद करते हुए मु0 3,85,000/-रू0

 

-3-

विपक्षीगण के पास जमा किया। विपक्षीगण ने क्रय प्रमाण पत्र जारी किया परन्‍तु पंजीकृत विक्रय पत्र निष्‍पादित नहीं किया और कब्‍जा परिवादी को नहीं दिया। इसका कारण यह प्रतीत होता है कि मूल ऋण प्राप्‍तकर्ता नरेन्‍द्र कुमार ने डी0आर0टी0 लखनऊ के समक्ष उपरोक्‍त कार्यवाही संस्थित कर दी। अत: जिला आयोग की राय में चूंकि डी0आर0टी0 के समक्ष कार्यवाही लंबित है अत: परिवादी को अनिश्चित काल तक के लिए इंतजारी में नहीं रखा जा सकता है। परिवादी ने नीलाम की खरीद के लिए जो रूपया विपक्षीगण को दिया था चूंकि नीलाम की कार्यवाही पूर्ण होना संभावित प्रतीत नहीं होती है अत: यह धनराशि परिवादी बैंक से वापस पाने का अधिकारी है।

      अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: अपील स्‍वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को निरस्‍त किया जावे।

     प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्‍य एवं विधि के अनुसार है किन्‍तु विद्धान जिला आयोग द्वारा जो ब्‍याज का प्रतिशत दिलाया गया है वह अत्‍यधिक कम है जब कि परिवादी ने बैंक को 18 प्रतिशत की दर से ब्‍याज अदा किया है। अत: अपील निरस्‍त करते हुए ब्‍याज का प्रतिशत 07 प्रतिशत से बढ़ाया जावे।

     पीठ द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को विस्‍तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का गहनतापूर्वक अवलोकन किया गया।

     उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परीक्षण एवं परिशीलन करने के पश्‍चात यह पीठ इस मत की है

 

 

-4-

कि परिवादी ने नीलामी के आधार पर भवन क्रय किया और जिसकी समस्‍त धनराशि परिवादी ने विपक्षीगण के यहॉं जमा कर दी किन्‍तु विपक्षीगण द्वारा उसे न तो भवन का कब्‍जा दिया गया और न ही उसके पक्ष में रजिस्‍ट्री ही सम्‍पादित की गयी। विपक्षी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह कथन कि मामला डी0आर0टी0 में लम्बित है और विपक्षी से डी0आर0टी0 की कार्यवाही के संबंध में जब जानकारी चाही गयी तो विपक्षी द्वारा डी0आर0टी0 से संबंधित आदेश/प्रगति की सूचना देने में बैंक के विद्धान अधिवक्‍ता असमर्थ रहें।

     अत: पीठ की राय में विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के पश्‍चात विधि अनुसार निर्णय पारित किया है। किन्‍तु विद्धान जिला आयोग द्वारा जो 3,85,000/-रू0 पर जो 07 प्रतिशत की दर से ब्‍याज की देयता निर्धारित की गयी है वह वाद के तथ्‍यों और परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए कम प्रतीत होती है क्‍यों कि परिवादी द्वारा बैंक से ऋण लेकर विपक्षीगण को धनराशि अदा की गयी है उस धनराशि पर उसे 18 प्रतिशत की दर से ब्‍याज अदा करना पड़ा है।

     अत: समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए यह पीठ इस मत की है कि अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में जो रू0 3,85,000/-रू0 पर 07 प्रतिशत की दर से ब्‍याज की देयता निर्धारित की गयी है उसे संशोधित करते हुए 07 प्रतिशत के स्‍थान पर 12 प्रतिशत किया जाता है, साथ ही विपक्षीगण के अनुचित कृत्‍य के कारण जो

 

 

-5-

परिवादी को मानसिक, आर्थिक हानि उठानी पड़ी है उसके एवज में विपक्षीगण पर रू0 5,00,000/-रू0 हर्जाना योजित किया जाता है।

     निर्णय एवं आदेश का अनुपालन इस निर्णय से दो माह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जावे।

     अन्‍यथा की स्थिति में विपक्षीगण परिवादी को 12 प्रतिशत के स्‍थान पर 15 प्रतिशत की दर से ब्‍याज अदा करेंगे साथ ही हर्जाने में मद में रू0 5,00,000/-के स्‍थान पर रू0 10,00,000/- अदा करेंगे, साथ ही अतिरिक्‍त हर्जाने के रूप में विपक्षीगण परिवादी को प्रतिदिन के हिसाब से 10,000/-रू0 धनराशि अदा किये जाने की तिथि तक अदा करेंगे।

     अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्‍तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)         (विकास सक्‍सेना)   (सुधा उपाध्‍याय)

        अध्‍यक्ष                     सदस्‍य            सदस्‍य

प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.