Rajasthan

Kota

CC/36/2007

Manoj kumar bhatnagar - Complainant(s)

Versus

Dr. S.N.Soni - Opp.Party(s)

Arun yashshvi

16 Apr 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीनः- अध्यक्ष, श्री नंदलाल शर्मा, मेम्बर श्री महावीर तंवर

परिवाद संख्या:-   36/07
मनोज कुमार भटनागर पुत्र प्रेमनारायण भटनागर, निवासी 6-ए 44 महावीर नगर विस्तार योजना कोटा।                                 परिवादी

                    बनाम
01.    डा0 एस0एन0 सोनी, चांदनी होस्पीटल,क्षितिज, एम0पी0ए0-23     महावीर नगर द्वितीय, कोटा
02.    नेशनल इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड शाखा कार्यालय, झालावाड     रोड कोटा ।                                अप्रार्थीगण

    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.    श्री अरूण यशस्वी, अधिवक्ता,परिवादी की ओर से ं।
02.    श्री बी0एस0 यादव, अधिवक्ता, अप्रार्थीगण की ओर से।
 

 

            निर्णय             दिनांक 16.04.2015

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ जिसमें अंकित किया कि उसका दिनांक 22.07.07 को रात्रि को 11 बजे नयापुरा कोटा में मोटर सायकल स्लीप हो जाने के कारण सिर व पैरो में गंभीर चोटे आई। परिवादी को अप्रार्थी सं. 1 के हास्पीटल भर्ती करवाया तो अप्रार्थी सं. 1 ने घुटने व उसके नीचे वाले हिस्से के आपरेशन की सलाह दी तथा दिनांक 23.07.07 को दाहीने पैर का आपरेशन कर दिया तथा पैर के टीबिया हड्डी को बोल्ट व स्क्रू के माध्यम से इन्टरलोकिंग किया गया। परन्तु आपरेशन करने में लापरवाही बरती जिसके कारण पैर की हड्डी गलत जोड दी, जिससे परिवादी का पैर हमेशा के लिये टेडा हो गया और पैर में खून के थक्के जम गये। दिनांक 02.08.07 को अप्रार्थी सं. 1 को दुबारा बताया तो उसने पुराना प्लास्टर काट दिया और दूसरा प्लास्टर सख्त बांध दिया, जिससे पंजे में खून जमा गया,नील पड गई, टखने में जख्म गहरा हो गया। परिवादी ने अप्रार्थी सं.1 को ईलाज के 16,320/- रूपये अदा किये तथा 4,450/- रूपये दवाई के खर्च हुये। पैर का दर्द कम नहीं होने के कारण दिनांक 10.08.07 को अस्थि रोग विशेषज्ञ डा0 जी डी रामचन्दानीको दिखाया तो चैक करने पर उन्होने बताया कि आपरेशन में लापरवाही के कारण पैर की हड्डी गलत जुड गई तथा खून के थक्के जम गये। दिनांक 19.08.07 को डा0 रामचन्दानी ने दूसरा आपरेशन किया परन्तु हड्डिया मजबूत हो जाने के कारण अब कुछ नहीं हो सकता। परिवादी का उक्त आपरेशन में लगभग 19,000/- रूपये खर्च हुये। अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी के पैर का लापरवाही पूर्वक आपरेशन कर  उसकी सेवा में कमी बरती है। परिवादी को अप्रार्थीगण से ईलाज का खर्चा, दो माह का वेतन, मानसिक क्षति, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।  

    अप्रार्थी सं.1 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि उसने परिवादी के पैर का सफल आपरेशन किया था, उसके आपरेशन में कोई लापरवाही नहीं बरती । परिवादी ने दिनांकब 02.08.07 को अप्रार्थी सं. 1 को नहीं दिखाया। परिवादी ने अप्रार्थी सं. 1 को जो भी राशि दी उसकी उसे रसीद दी गई है वह ईलाज की राशि प्राप्त की है। अप्रार्थी सं. 1 की आपरेशन में किसी भी प्रकार की लापरवाही के लिये विशिष्ट चिकित्सीय राय के आधार पर यह सुनिश्चित होने पर कि प्रथम दृष्ट्या किसी प्रकार का चिकित्सा दोष है, तभी कार्यवाही की जा सकती है। परिवादी ने उक्त कथन को साबित करने के लिये किसी विशेषज्ञ की रिर्पोट पेश नहीं की जिससे उसके द्वारा लगाये आरोप कि उसके द्वारा परिवादी के आपरेशन में लापरवाही बरती जिसके कारण उसका पैर टेडा हो गया। दिनांक 02.08.07 को आपरेशन के उपरान्त टांके निकाल कर मरीज को पट्टी बांधी गई थी। प्लास्टर बांध ही नही गया। परिवादी उक्त दिनांक को परामर्श के लिये आया नही नही। परिवादी के पैर में अगुलियो की कम हरकत के कारण सूजन आ सकती है, जिसका उपचार किया जा सकता है। डा0 रामचन्दानी के ईलाज के पर्चे पर  अप्रार्थी सं.1 द्वारा किय गये ईलाज के बारे में किसी प्रकार का दोशरोपण या उसे प्रभवी का कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की और ना ही किसी विशेष की रिपोर्ट पेश की, इस प्रकार अप्रार्थी स.ं1 ने परिवादी के पैर का आपरेशन कर उसकी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी ने मिथ्या आरोप का परिवाद मंच में पेश किया जिसे सव्यय खारिज किया जावे। 
    अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया कि  अप्रार्थी सं. 1 के पक्ष में प्रोफेशनल इन्उदेमिनिटी पालिसी दिनांक 12.04.07 से 11.04.08 तक की अवधि के लिये जारी की थी। परिवादी ने अप्रार्थी सं. 2 से किसी भी प्रकार का कोई अनुतोष नहीं चाहा। परिवादी ने चिकित्सक की लापरवाही के बारे में किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट पेश कर साबित नहीं किया है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।  


    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-

01.    क्या परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?

    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र,  तथा अप्रार्थीगण के जवाब से परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है। 
     

02.    क्या अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
        
     
03.    अनुतोष ?

    परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 


                  आदेश 


     परिवादी मनोज कुमार भटनागर का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वय वहन करेगे। 


     (महावीर तंवर)                (नंदलाल शर्मा)
        सदस्य                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

    निर्णय आज दिनांक 16.04.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।


   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

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