Kaliash Chand Jain filed a consumer case on 09 Nov 2015 against Dr. S.K. Goyal in the Kota Consumer Court. The case no is CC/4/2008 and the judgment uploaded on 10 Nov 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या- 4/2008
कैलाष चन्द जैन पुत्र श्री अमोलक चन्द जैन,निवासी-1610 ब्लड बैंक रोड,बसन्त विहार, कोटा (राज0)।
-परिवादी।
बनाम
1 क्तण् ैज्ञ ळवलंस,गोयल होस्पीटल एण्ड एण्डोस्काॅपी सेण्टर, 5.ठ.14 ,सुभाश सर्किल,तीन बत्ती के आगे,महावीर नगर विस्तार योजना,कोटा (राज0)।
2 नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड ब्रान्च आॅफिस, कोटा।
-विपक्षीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री अरूण यषस्वी,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2 श्री रमाकान्त लोहिया,अधिवक्ता ओर से विपक्षी-1।
3 श्री भीम सिंह यादव,अधिवक्ता ओर से विपक्षी-2 ।
निर्णय दिनांक 09.11.2015
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा, में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच, झालावाड केम्प, कोटा, को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 25-04-2007 को परिवादी ने इन अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादी दिनांक 15-01-2007 को अपनी माता चाँद देवी को डा0 पारिख द्वारा रेफर किये जाने के बाद विपक्षी के होस्पीटल में पथरी के आॅपरेषन के लिए लेकर गया जहाँ विपक्षी-1 ने 5,000/-रूपये षुल्क के जमा करवाये और आॅपरेषन किया लेकिन विपक्षी की लापरवाही से आॅपरेषन बिगड़ गया और माताजी की स्थिति गम्भीर हो गयी। विपक्षी-1 ने अपने होस्पीटल में दिनंाक 15 व 16-01-2007 को भर्ती रखा लेकिन आॅपरेषन बिगड़ने से जायसवाल होस्पीटल में भर्ती करवाया लेकिन उनकी हालत गम्भीर होती चली गई और सुधार नहीं होने पर सुधा होस्पीटल में भर्ती कराया जहाँ पर दिनांक 20-01-2007 को उनकी मृत्यु हो गई। विपक्षी का यह कृत्य चिकित्सीय सेवामें कमी की श्रेणी में आता है। परिवादी ने विपक्षीगण से चिकित्सीय व्यय व मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति की कुल राषि 5,00,000/-रूपये दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षी-1 ने परिवाद के जवाब में परिवादी की माता चाँद देवी की पथरी की म्त्ब्च् दिनांक 15-01-2007 को 5,000/-रूपये का षुल्क लेकर करना,दिनंाक 16-01-2007 को जायसवाल अस्पताल में षिफ्ट करना,दिनांक 18-01-2007 को सुधा अस्पताल में भर्ती करना स्वीकार किया है। षेश कथनों को अस्वीकार करते हुए उल्लेख किया है कि मरीज की पित्त नलिका में बड़ी पथरी फँसी होने से पित्त नलिका फूली हुई थी एवं पित्त का प्रवाह कुछ कुछ रूका हुआ था। अतः म्त्ब्च् द्वारा पित्त नलिका में 7 थ्त् साईज का प्लास्टिक स्टेण्ड डाला गया ताकि पित्त का प्रभाव सुचारू रूप से
2
चलता रहे। दिनांक 16-01-2007 को प्रातः जाँच की तो मरीज के पेट में फुलाव क्पेजमदेपवद ज्मदकमतदमेे - ळंतकपदह पायी गई तो तुरन्त अच्छी दवाईयांँ एण्टीबायोटिक षुरू की गई और ब्लड की जाँच अग्रवाल डाइग्नोस्टिक सेण्टर से करवाने पर पता चला कि मरीज को एक्यू पेनक्रियेटाईटस नामक काॅम्पलीकेषन हो गया है और ऐसी स्थिति में उपचार प्ब्न् में होना मरीज के हित में होता है इसलिए जाॅयसवाल अस्पताल में षिफ्ट कर दिया गया जहाँ दिनांक 18-01-2007 को की गई जाँच से पता चला कि मरीज के गुर्दों ने काम करना बन्द कर दिया है और मरीज का पेषाब बन्द हो गया है। ऐसे में चिकित्सकों की राय व परिजनों की सहमति से हीमोडाईलिसिस के लिए सुधा होस्पीटल में षिफ्ट कर दिया और दौराने उपचार मरीज का ब्लड प्रेषर लगातार कम होता चला गया और दिनांक 20-01-2007 को मरीज की मृत्यु कारित हो गई। विपक्षी ने चिकित्सीय सुविधा प्रदान करने में कोई लापरवाही नहीं की है। परिवादी कोई अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
विपक्षी-2 ने परिवाद के जबाव में मेडिकल डिफेन्स सोसायटी के पक्ष में बीमा पाॅलिसी जारी करना तथा क्तण् ैज्ञ ळवलंस का नाम 126 पर दर्ज होना तथा सर्जन होना क्रमांक 128 पर अंकित है। पाॅलिसी व्यक्तिगत आवरण के लिए जारी की गई है न कि गोयल अस्पताल एण्ड एण्डोस्कोपी सेंटर में प्रदत्त की जाने वाली सेवाओं के लिए और इलाज बाबत् किसी प्रकार का दायित्व पाॅलिसी के अधीन विद्यमान नहीं होने से विपक्षी बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति की अदाएगी के लिए उत्तरदायी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है।
परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं का षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.39 दस्तावेज तथा विपक्षी-1 की ओर से जवाब के समर्थन में क्तण् ैज्ञ ळवलंस का शपथपत्र तथा विपक्षी-2 की ओर से जवाब के समर्थन में श्री अजय वर्मा, षाखा प्रबन्धक, का षपथपत्र प्रस्तुत किया गया हे।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1 क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी का परिवाद,षपथपत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता होना प्रमाणित पाया जाता है।
2 क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया तो स्पश्ट हुआ कि परिवाद के पेरा नं0- 1 के अनुसार मृतका चाँद देवी को 15-01-2007 को अस्पताल में भर्ती कराया। उसकी पथरी का आॅपरेषन कर दिया लेकिन तबीयत में सुधार नहीं होने के कारण 16-01-2007 के बाद जाॅयसवाल अस्पताल के लिए रेफर किया तो मृतका को जाॅयसवाल होस्पीटल में तीन दिन तक भर्ती रखा। तीन दिन तक जब सुधार नहीं हुआ तो 18-01-2007 को षाम को सुधा होस्पीटल में भर्ती कराया जहाँ उसे एक दिन सुधा होस्पीटल में रखा और 20-01-2007 को चाँद देवी की मृत्यु हो गई। इन तथ्यों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी-1 पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है लेकिन मृतका
3
चाँद देवी जाॅयसवाल अस्पताल में तीन दिन भर्ती रही,सुधा होस्पीटल में दो दिन भर्ती रही, इस प्रकार तीनों अस्पताल में भर्ती रहने के बाद विपक्षी-1 द्वारा ही लापरवाही बरती गई जिससे चाँद देवी की मृत्यु हो गई हो, ऐसा कोई प्रमाण पत्रावली में उपलब्ध नहीं है। जाॅयसवाल अस्पताल व सुधा अस्पताल में क्रमषः तीन दिन व दो दिन भर्ती रहीं, उनके इलाज में कोई लापरवाही रही ऐसी कोई दस्तावेजी साक्ष्य पत्रावली में नहीं है। ऐसी स्थिति में जाॅयसवाल अस्पताल और सुधा अस्पताल जो आवष्यक पक्षकार थे, उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया इसलिए आवष्यक पार्टी को पक्षकार नहीं बनाना भी असंयोजन की श्रेणी में आता है। किसी विषेशज्ञ या मेडीकल रिपोर्ट या जाॅयसवाल अस्पताल, सुधा अस्पताल की भी यह रिपोर्ट नहीं है कि विपक्षी-1 द्वारा इलाज में लापरवाही बरती गई हो तो बिना किसी विषेशज्ञ की रिपोर्ट तथा पक्षकारों के असंयोजन के आधार पर हमारे विचार से परिवादी विपक्षी के सन्दर्भ में सेवादोश प्रमाणित करने में सफल नहीं रहा है। विद्वान् अभिभाशक विपक्षी द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृश्टान्त ।प्त्.2009 ैनचतमउम ब्वनतज 2049 डंतजपद थ् क्ष्ैवन्रं टध्ै डवीकण्प्ेींिु से भी इस बिन्दु पर कोई प्रकाष प्राप्त नहीं होता है।
3 अनुतोश ?
परिवाद खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
आदेष
परिणामतः परिवाद परिवादी कैलाष चन्द जैन खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान अपना अपना खर्चा वहन करेंगे।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 09.11.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.