Rajasthan

Kota

CC/114/2008

Rajesh varma - Complainant(s)

Versus

Dr. Rakesh Jindal - Opp.Party(s)

V.K.Rathore

09 Nov 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:- श्री नन्द लाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।

प्रकरण संख्या-114/2008
    
1    श्रीमति राजेष धर्मपत्नि स्व0 श्री सूरजमल वर्मा, एडवोकेट एवं पब्लिक नोटेरी, दीगोद।   
2    गिरिजा षंकर पुत्र स्व0 श्री सूरजमल वर्मा।
3    एस0 कुमार पुत्र स्व0 श्री सूरजमली वर्मा,अव्यस्क जरिये वली माता श्रीमति राजेष पत्नि स्व0 सूरजमल वर्मा निवासी-गण-ग्राम देवपुरा, तहसील दीगोद, जिला कोटा (राज0) ।
 
                                                                        -परिवादीगण।
                         बनाम   

1    डा0 राजेष जिन्दल द्वारा सुधा होस्पीटल,झालावाड रोड, कोटा (राज0) ।
2    डा0 श्री आर0के0 अग्रवाल संचालक सुधा होस्पीटल,झालावाड रोड,कोटा (राज0) ।
3    नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी, 25 झालावाड रोड, कोटा (राज0) ।
                                                                        -विपक्षीगण।

           परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति-

1    श्री बी0पी0 जेठानिया,अधिवक्ता ओर से परिवादीगण।
2    श्री वीरेन्द्र कुमार राठौर,अधिवक्ता ओर से विपक्षी-1 व 2 ।
3    श्री भीमसिंह यादव,अधिवक्ता ओर से विपक्षी-3। 

               निर्णय                   दिनांक 09.11.2015 
प्रस्तुत परिवाद जिला मंच,कोटा, में पेष हुआ तथा निस्तारण हेतु जिला मंच, झालावाड केम्प, कोटा, को प्राप्त हुआ है।

प्रस्तुत परिवाद ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनंाक 13-11-2006 को इस आषय का प्रस्तुत किया गया है कि परिवादिया नं0 1 के पति व प्रार्थी नं0 2 व 3 के पिता सूरजमल वर्मा की दिनंाक 30-08-2006 को तबीयत खराब होने पर सुधा होस्पीटल में भर्ती कराया और परीक्षण करने के बाद कहा गया कि सब नोरमल है, एक दो दिन में ठीक हो जायेंगे। एक दो दिन बाद उनके खून पेषाब की जाँच हुई तो विपक्षी-1 ने बताया कि आज मरीज की छुट्टी कर देंगे। तत्पष्चात् मरीज की एन्जीयोग्राफी करने के लिए कहने पर यह जाँच भी 6,000/-रूपये जमा करवाकर करायी गई और उसके बाद प्ब्न् वार्ड में 6 घण्टे तक रेस्ट करने के लिए कहा और तत्पष्चात् मरीज को वार्ड में षिफ्ट कर दिया। रात्रि के 12 बजे पैर में दर्द होने पर विपक्षी-1 को बुलवाने पर वे 3रू00 ।ड पर आये और चैक-अप करने के बाद कहा कि सुबह तक ठीक हो जायेंगे। सुबह होते होते पैर सूज गया,खून इकट्ठा हो गया। सुबह 9रू00 ।ड पर विपक्षी-1 राउण्ड पर आये तो उन्होंने कहा कि चीरा लगाकर ब्लड निकाल देंगे और मरीज को आॅपरेषन थियेटर में ले गये फिर खून की बोतल मँगवाई और उसी समय 4,000/-रूपये की दवाई मंँगवायी 
                            2

और थोड़ी थोड़ी देर में 12 बोतल खून चढ़ाया गया। तत्पष्चात् षाम 9रू00 च्ड पर विपक्षी-1 व 2 ने परिवादीगण को आॅपरेषन थियेटर में बुलाया तो देखा कि मरीज को कोई होषो हवास नहीं था,उनके आॅक्सीजन चढ़ी हुई थी। विपक्षी-1 व 2 चिकित्सक के अलावा तीन चार डाॅक्टर और थे, सभी के कपडे़ खून में हो रहे थे। उसके बाद मरीज को प्ब्न् वार्ड में भिजवा दिया और एक अटेण्डेण्ट को पास रहने की हिदायत दी। जहांँ वे तीन दिन रहे, उनके आॅक्सीजन लगा रखी थी। वे 03-09-2006 से 06-09-2006 तक बेहोषी में ही रहे और 6-7,000/-रूपये रोजाना की दवाईयाँं मँंगवाते रहे तथा मरीज के ठीक हो जाने की झूठी तसल्ली देते रहे और वास्तविक स्थिति से बताने से वंचित रखा गया। विपक्षीगण ने मरीज को गम्भीर व बेकाबू स्थिति के होते हुए अन्यत्र रेफर नहीं किया और फिजूल मंँहगा ईलाज लूटने के उद्देष्य से करते रहे तथा उसके बाद प्ब्न् वार्ड में मिलने तक नहीं जाने दिया गया। इस प्रकार दिनांक 06-09-2006 को षाम 4रू00 च्ड पर उनकी मृत्यु कारित हो गई। सूरजमलजी 68 वर्शीय स्वस्थ षरीर के व्यक्ति थे और उन्हें पूर्व में कोई बीमारी नहीं थी। विपक्षीगण के कृत्य से सूरजमल की पत्नि विधवा तथा बच्चे पितृ स्नेह से वंचित हो गये हैं। विपक्षीगण का यह कृत्य चिकित्सीय सेवादोश की श्रेणी में आता है जिसके लिए 20,00,000/-रूपये की क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का अनुतोश चाहा है। 

    विपक्षी-1 व 2 की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किये जाने पर दिनांक 13-01-2015 को जवाब का अवसर बन्द कर दिया गया। 

     विपक्षी संख्या-3 ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि उनके विरूद्ध कोई सेवादोश नहीं किया गया है न ही परिवाद में किसी प्रकार का अनुतोश विपक्षी-3 से चाहा है। विपक्षी-1 ने विपक्षी-3 से प्रोफेषनल इण्डेमिनिटी पाॅलिसी संख्या 370803/46/05/870000317 दिनांक 26-03-2006 से 25-03-2007 तक की अवधि के लिए प्राप्त की थी जो निवास 2 क 24 विज्ञान नगर कोटा पर कारित व्यावसायिक सेवादोश के लिए जारी की गई थी और होस्पीटल में कारित किसी भी क्षतिपूर्ति के लिए विपक्षी बीमा कम्पनी उत्तरदायी नहीं है।  परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है। 

     परिवाद के समर्थन में परिवादिनी श्रीमति राजेष का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.56 दस्तावेजात तथा विपक्षी-3 की ओर से जवाब के समर्थन में श्री अषोक षर्मा प्रबन्धक, का षपथपत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्गक.1 दस्तावेज प्रस्तुत किया है। 
                                                       
    उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-

 

                                    3

1    क्या परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता हंै ?


    परिवादीगण का परिवाद,षपथपत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता होना प्रमाणित पाये जाते हैं।

2    क्या विपक्षीगण ने सेवामें कमी की है ?

      उभयपक्षों को सुना गया पत्रावली का अवलोकन किया तो स्पश्ट हुआ कि विपक्षी-1 व 2 ने तलबी के बाद दो प्रार्थना पत्र पेष किये हैं, जिनमें एक प्रार्थनापत्र दिनंाक 09-06-2011 को पेष किया जिसमें परिवाद के साथ संलग्न दस्तावेजात की प्रतियाँ उपलब्ध कराने का निवेदन किया है जिसेे मंच ने स्वीकार किया और आगामी तारीख 11-08-2011 को परिवादी ने समस्त दस्तावेजात उपलब्ध कराये थे जो विपक्षी-1 व 2 ने प्राप्त किये। दस्तावेजात प्राप्त करने का अंकन आदेषिका पर अंकित है। दूसरा प्रार्थनापत्र दिनंाक 01-05-2012 को पेष किया जो नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी को पक्षकार बनाने के सम्बन्ध में था, यह प्रार्थनापत्र मंच ने दिनंाक 17-12-2012 को स्वीकार किया और विपक्षी-3 के रूप में नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी को पक्षकार बनाया गया। विपक्षी-3 ने दिनंाक 13-03-2015 को जवाब व साक्ष्य पेष की।
    विपक्षी-1 व 2 ने दिनंाक 11-08-2011 को दस्तावेजों की नकल प्राप्त की और 13 पेषियों तक जवाब पेष नहीं किया तो अन्तिम मौका दिया गया। आगामी तारीख पर 200/-रूपये काॅस्ट पर मौका दिया गया। तीन मौके निकलने के बाद पुनः 200/-रूपये काॅस्ट पर अंतिम मौका दिया और आगामी तारीख 13-01-2015 को मंच ने जवाब बन्द कर दिया। यह विपक्षी-1 व 2 का इस प्रकरण में असहयोग करने का रवैया रहा है। 
    पत्रावली के अवलोकन से स्पश्ट है कि मृतक सूरजमल वर्मा की दिनंाक 30-08-2006 को तबीयत खराब हुई और उसे सुधा होस्पीटल में भर्ती करा दिया। विपक्षी-1 ने कहा कि मरीज को 02-09-2006 को डिस्चार्ज कर देंगे लेकिन पुनः कहा कि ऐंजियोग्राफी की जाँच भी करानी है। हिदायत के अनुसार जाँच करायी गई। मरीज के पैर में दर्द हुआ दिनंाक 03-09-2006 को मृतक सूरजमल का आॅपरेषन किया, 12 बोतल खून चढ़ाया गया। सूरजमल की गम्भीर स्थिति होने के बाद और परिवादीगण के कहने के बाद भी उसे अन्यत्र रेफर नहीं किया और अन्त में 06-09-2006 को सुधा होस्पीटल में षाम को चार बजे उनकी मृत्यु हो गई। बार बार कहने के बाद भी विपक्षी-1 व 2 ने मरीज को अन्यत्र अस्पताल में रेफर नहीं किया, इलाज में लापरवाही बरती जिसकी बजह से सूरजमल वर्मा की मृत्यु हो गई। लापरवाही के तथ्य को साबित करने के लिए श्रीमति राजेष ने षपथपत्र पेष किया है। म्ग.3 थ्प्त् 375ध्06 पुलिस थाना दादाबाडी में प्च्ब् की धारा 304.। में दर्ज की गई। यद्यपि इसके आगे की प्रक्रिया क्या रही, इस बारे में कोई दस्तावेज पत्रावली में उपलब्ध नहीं है लेकिन अन्वेक्षण की पुश्टि होती है। म्ग.4 पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के रिमार्क के 
                                     4
काॅलम- 7 ;ठद्ध में ब्लड इकट्ठा होना बताया है तथा मृत्यु के कारण के बारे में बिसरा के बाद राय देने के लिए कहा है। पेथोलाॅजी रिपोर्ट म्ग.53 में ब्वतवदंतल ंतजतल में ताजा और पुराना प्दंितबजपवद  पाया गया। इसके अलावा म्ग.35.36 और म्ग.37 में अखबार में लापरवाही का आरोप लगाया गया है। यद्यपि परिवादी ने किसी विषेशज्ञ की रिपोर्ट पेष नहीं की है लेकिन अखबार की कटिंग पेथोलाॅजी रिपोर्ट में लापरवाही के लगाये गये आरोप पुलिस थाना दादाबाडी में प्च्ब् की धारा 304. । में दर्ज रिपोर्ट आदि तथ्य विपक्षी-1 व 2 द्वारा खण्डित नहीं किये गये हैं। ऐसी स्थिति में परिवादीगण के तर्कों और तथ्यों पर अविष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है। इतना ही नहीं मंच की आदेषिकाओं के आधार पर विपक्षी-1 व 2 ने मंच में उपस्थित होकर भी उनपर लगाये गये आरोपों का खण्डन नहीं किया है। पर्याप्त मौके देने के बाद भी तथा काॅस्ट लगाये जाने के बाद भी विपक्षी-1 व 2 ने जवाब पेष नहीं किया है। ऐसी स्थिति में उपरोक्त विवेचन और विष्लेशण के आधार पर तथा परिवादी द्वारा लगाये गये आरोपों का खण्डन नहीं किये जाने के आधार पर विपक्षी-1 व 2 का सेवादोश यथाविधि प्रमाणित पाया जाता है तथा विपक्षी-3 पर परिवादीगण ने किसी प्रकार का सेवादोश का आरोप नहीं लगाया है इसलिए विपक्षी-3 का कोई सेवादोश प्रमाणित नहीं है।
3    अनुतोश ?
    परिवादीगण का परिवाद विपक्षी-1 व 2 के खिलाफ आंषिक रूपसे स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है तथा विपक्षी-3 के खिलाफ खारिज योग्य पाया जाता है।
    चूंकि मृतक सूरजमल वर्मा के इलाज में 70,000/-रूपये खर्च हुए हैं, जो पत्रावली में संलग्न पर्चियों से साबित है। इस प्रकार इलाज की क्षतिपूर्ति तथा मानसिक व षारीरिक संताप एवं परिवाद व्यय दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। 
                               आदेष  
       परिणामतः परिवादीगण का परिवाद खिलाफ विपक्षी-1 व 2 संयुक्तः व पृथकतः आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है:-
1    विपक्षी-1 व 2 परिवादीगण को 70,000/-रू0(अक्षरे सत्तर हजार रू0) मृतक के इलाज के खर्चे के रूपमें अदा करें।
2    विपक्षी-1 व 2 परिवादीगण को 25,000/-रूपये मानसिक व षारीरिक क्षति के तथा 5,000/-रूपये परिवाद व्यय के अदा करें।
3    विपक्षी-1 व 2 आदेषित राषि को निर्णय दिनंाक से दो माह में अदा करना सुनिष्चित करें अन्यथा ताअदाएगी सम्पूर्ण भुगतान 9ः वार्शिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करने के लिए दायित्वाधीन होगें।
4    विपक्षी-3 के खिलाफ कोई सेवादोश प्रमाणित नहीं पाये जाने से उसके खिलाफ परिवाद खारिज किया जाता है। 

              (महावीर तंवर)                                (नन्द लाल षर्मा)  
                    सदस्य                                        अध्यक्ष

    निर्णय आज दिनंाक 09.11.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 

               (महावीर तंवर)                                (नन्द लाल षर्मा)
                 सदस्य                                        अध्यक्ष

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.