राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-704/2002
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-624/1998 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-02-2002 के विरूद्ध)
Allahabad Bank, Branch Kakadev, Kanpur Nagar, through its Branch Manager.
अपीलार्थी/विपक्षी बनाम्
Dr. Rajesh Gaur, S/o Sri Shiv Kumar Gaur, R/o 117/N/159, Kakadeo, Kanpur, Nagar.
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1- मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - श्री दीपक मेहरोत्रा।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक :06-05-2015
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-624/1998 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-02-2002 के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें जिला मंच द्वारा निम्न लिखित आदेश पारित किया गया है-
'' वादी का यह उपभोक्ता वाद इस सीमा तक स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी वादी को उसके खाता संख्या-4661 से 5036/-रू0 के अतिरिक्त कटौती की शेष धनराशि को 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वादी को 1,000/-रू0 वाद व्यय सहित निर्णय के दो माह के अंदर भुगतान। विपक्षी बैंक दोषी कर्मचारी के वेतन से अपनी क्षतिपूर्ति में कटौती करने के लिए अधिकृत है, से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी विपक्षी बैंक की शाखा काकादेव कानपुर में दिनांक 02-12-1991 से एक बचत खाता नं0-4661 का खाताधारक है और पैसा जमा करता रहा और निकालता रहा। जब परिवादी पासबुक ठीक कराने गया तो विपक्षी शाखा ने यह बताया कि भूलवश उसके खाते में दूसरे के खाते का मु0 5,000/-रू0 विपक्षी की गलती से चढ़ गया है जिसे परिवादी को जमा करने का कहा। परिवादी राजी हो गया दिनांक 28-07-1997 को 1200/-रू0 जनवरी, 1998 में 320/-रू0 व 1300/-रू0 जमा किये। इस तरह से 1620/-रू0 जमा किये। दिनांक 05-02-1998 को 20,000/-रू0 की चेक जमा की। जिसमें से विप्क्षी ने 2361.32 पैसे काटकर 17,739.68 पैसा नियमत: बचना चाहिए परन्तु विपक्षी ने 6935/-रू0 ब्याज काट लिया और 17,739.68 पैसा की जगह 10,703.68 पैसा दिखाया। वादी ने कोई रूपया अपनी गलती से उसके खाते में जमा कर दिया है तो विपक्षी को वह रूपया वापस लेना चाहिए था परन्तु उस रूपये का ब्याज लेने को कोई औचित्य नहीं था। अत: वादीने वाद प्रस्तुत करके विपक्षी से 30,000/-रू0 क्षतिपूर्ति में, 1000/-रू0 वाद व्यय दिलाये जाने की याचना की है।
विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए वाद का विरोध किया। विपक्षी का कथन है कि विपक्षी ने परिवादी द्वारा 4661 बचत खाता अपनी काकादेव शाखा में होना स्वीकार किया। विपक्षी के कथनानुसार 23-04-1994 व 27-04-1994 को गलती से वादी की पासबुक में 5176/-रू0 की अवशेष की प्रविष्टि गलत अंकित हो गयी। दिनांक 06-05-1994 को 5036/-रू0 की पुन: गलती हो गयी। इस प्रकार वादी के खाते में 9990/-रू0 की गलत प्रविष्टियॉं हो गयी। जिसे वादीने निकाल लिया।अत: उसको जमा करने के लिए वादी को रजिस्टर्ड नोटिस दिया गया परन्तु वादीनेकोई ध्यान नहीं दिया अत: जब वादी ने 20,000/-रू0 का चेक जमा किया तो ओवर ड्राफ्ट धनराशि विपक्षी ने समायोजित कर ली वादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है और उसके खाते से सही धनराशि निकाली गयी है।
पीठ के समक्ष अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता उपस्थित आए। हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों एवं विद्धान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय का भली-भॉंति अवलोकन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी के खाते से नियमानुसार धनराशि की कटौती की गयी थी और जिला मंच द्वारा ब्याज का प्रतिशत अधिक लगाया गया है तथा 1,000/-रू0 जो वाद व्यय लगाया गया है वह न्यायोचित नहीं है। इसलिए अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
पत्रावली का अवलोकन यह दर्शाता है कि जिला मंच द्वारा पत्रावली का सम्यक अवलोकन करने के पश्चात सही निर्णय पारित किया गया है किन्तु जो ब्याज 10 प्रतिशत लगाया गया है वह अधिक है उसे संशोधित करते हुए 10 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत किया जाना तथा 1,000/-रू0 वाद व्यय समाप्त किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-624/1998 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21-02-2002 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04-05-2000 में संशोधन करते हुए 10 प्रतिशत के स्थान पर ब्याज 6 प्रतिशत किया जाता है तथा 1,000/-रू0 वाद व्यय भी समाप्त किया जाता है, निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-2 प्रदीप मिश्रा