Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/1232

Smt. Jaya Bhardwaj - Complainant(s)

Versus

Dr. Raj Kumari Mittal - Opp.Party(s)

Vineet Shai Bisaria

14 May 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/1209
( Date of Filing : 08 Jun 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Rajkumari Mittal
Bareilly
...........Appellant(s)
Versus
1. Jaya Bhardwaj
Kanpur
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2007/1232
( Date of Filing : 12 Jun 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Smt. Jaya Bhardwaj
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr. Raj Kumari Mittal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 May 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-1209/2007

डा0 (श्रीमती) राज कुमारी मित्‍तल पत्‍नी डा0 अनुराग मित्‍तल, मित्‍तल चाइल्‍ड क्‍लीनिक 35 सी/1ए1 रामपुर गार्डेन जिला बरेली।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1

बनाम्  

1.    श्रीमती जया भारद्वाज पत्‍नी शरद कुमार भारद्वाज।

2.    शरद कुमार भारद्वाज पुत्र स्‍व0 एस.के. भारद्वाज।

     निवासीगण 104/105 शास्‍त्री नगर, कानपुर।

3.    डा0 (श्रीमती) सुधा गुप्‍ता पत्‍नी आनन्‍द मोहन गुप्‍ता, 'गुप्‍ता मैटरनिटी क्‍लीनिक' निवासी 35 ए/31 रामपुर गार्डेन जिला बरेली।

4.    मैसर्स हाईजीन वियर इण्‍टरनेशनल लि0, 403/5 राव पीथामपर बाई पास इंदौर (एम.पी.) द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

5.    मैसर्स विप्रो लि0, डोडा कनेली, सरगापुर रोड, बंगलोर द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

6.    आयुष मेडिको, 2-के/35सी रामपुर गार्डेन जिला बरेली।

7.    मरियमपुर हॉस्पिटल, शास्‍त्री नगर, कानपुर द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

8.    यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0लि0, ब्रांच आफिस 11,35 डी लक्ष्‍मी निवास, द्वितीय तल, रामपुर गार्डेन जिला बरेली द्वारा ब्रांच मैनेजर।

9.    यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0लि0, हेड आफिस 24, वाइट्स रोड, चेन्‍नई, द्वारा चेयरमैन।

                           प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण/विपक्षी सं0-2 त 8

एवं

अपील संख्‍या-1232/2007

1.    श्रीमती जया भारद्वाज पत्‍नी शरद कुमार भारद्वाज, निवासिनी 104/105 शास्‍त्री नगर, कानपुर।

2.    शरद कुमार भारद्वाज पुत्र स्‍व0 एस.के. भारद्वाज, निवासी 104/105 शास्‍त्री नगर, कानपुर।

अपीलार्थीगण/परिवादीगण

बनाम्  

1.    डा0 (श्रीमती) राज कुमारी मित्‍तल पत्‍नी डा0 अनुराग मित्‍तल, मित्‍तल चाइल्‍ड क्‍लीनिक 35 सी/1ए1 रामपुर गार्डेन जिला बरेली।

2.    श्रीमती (डा0) सुधा गुप्‍ता पत्‍नी आनन्‍द मोहन गुप्‍ता, 'गुप्‍ता मैटरनिटी क्‍लीनिक' निवासी 35 ए/31 रामपुर गार्डेन जिला बरेली।

3.    मैसर्स हाईजीन वियर इण्‍टरनेशनल लि0, 403/5 राव पीथामपर बाई पास इंदौर (एम.पी.) द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

4.    मैसर्स विप्रो लि0, डोडा कनेली, सरगापर रोड, बंगलोर द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

5.    मैसर्स आयुष मेडिको, 2-के/35सी रामपुर गार्डेन जिला बरेली।

6.    मरियमपुर हॉस्पिटल, शास्‍त्री नगर, कानपुर द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

7.    यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0लि0, ब्रांच आफिस 11/35 डी लक्ष्‍मी निवास, द्वितीय तल, रामपुर गार्डेन, बरेली द्वारा ब्रांच मैनेजर।

9.    यूनाइटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कं0लि0, हेड आफिस 24, वाइट्स रोड, चेन्‍नई, द्वारा चेयरमैन।

                           प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

विपक्षी सं0-1/डा0 की ओर से उपस्थित : श्री अम्‍बरीश कौशल श्रीवास्‍तव।

परिवादीगण की ओर से उपस्थित     : श्री वी.एस. बिसारिया।

शेष विपक्षीगण की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।                            

दिनांक:  14.05.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-62/2004, श्रीमती जया भारद्वाज तथा एक अन्‍य बनाम डा0 राजकुमारी मित्‍तल तथा सात अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.5.2007 के विरूद्ध अपील संख्‍या-1209/2007 विपक्षी संख्‍या-1, डा0 (श्रीमती) राज कुमारी मित्‍तल द्वारा निर्णय/आदेश को अपास्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत की गयी है, जबकि अपील संख्‍या-1232/2007 परिवादीगण द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्‍तरी के लिए प्रस्‍तुत की गयी है।

2.         उपरोक्‍त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ एक ही निर्णय/आदेश द्वारा किया जा रहा है, इस हेतु अपील संख्‍या-1209/2007 अग्रणी अपील होगी

3.         विपक्षी संख्‍या-1, डा0 राज कुमारी मित्‍तल के विद्वान अधिवक्‍ता तथा परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावलियों का अवलोकन किया गया। शेष विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

4.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि दिनांक 5.9.2002 को आपरेशन के द्वारा एक बालिका को जन्‍म विपक्षी सं0-2, डा0 सुधा गुप्‍ता के अस्‍पताल में परिवादिनी द्वारा दिया गया। डा0 सुधा गुप्‍ता ने अवगत कराया कि नवजात कन्‍या का पल्‍स रेट बहुत कम है और सुझाव दिया गया कि विपक्षी सं0-1 के अस्‍पताल में बच्‍ची का इलाज कराया जाए। दिनांक 5.9.2002 को ही नवजात कन्‍या को विपक्षी सं0-1 के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर वह दिनांक 22.9.2002 तक भर्ती रही। विपक्षी सं0-1 द्वारा स्‍मॉल साइज का डायपर खरीदने का परामर्श दिया गया, जो दिनांक 6.9.2002 को अंकन 68/-रू0 में क्रय किया गया, जिसका निर्माण विपक्षी सं0-3 द्वारा किया गया तथा विपक्षी सं0-4 द्वारा विक्रय किया गया है। दिनांक 5.9.2002 से दिनांक 22.9.2002 तक तापमान नियंत्रित करने वाली मशीन में नवजात कन्‍या को रखा गया और माता-पिता को बाहर से देखने की अनुमति दी गयी। विपक्षी सं0-1 के निर्देशानुसार ही डायपर का प्रयोग किया गया, जिसके प्रयोग से कन्‍या की दोनों जांघों के तरफ गंभीर घाव हो गए, इसके उपचार हेतु दवा दी गयी और खून भी चढ़ाया गया, परन्‍तु घाव ठीक नहीं हुआ। घाव में मवाद हो गया और कन्‍या को दौरे पड़ने लगे, रक्‍त की कमी हो गई। दिनांक 22.9.2002 को विपक्षी सं0-1 द्वारा कन्‍या को डिसचार्ज कर दिया गया, परन्‍तु घर पर स्‍वास्‍थ्‍य सही प्रतीत नहीं हुआ। अत: दिनांक 24.9.2002 को पुन: विपक्षी सं0-1 के अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर वह दिनांक 29.9.2002 तक भर्ती रही। विपक्षी सं0-1 द्वारा कहा गया कि यहां उपचार संभव नहीं है। मरीज को कानपुर ले जाया जाय। विपक्षी सं0-6, मरियमपुर अस्‍पताल में दिनांक 29.9.2002 को मरीज को भर्ती कराया, परन्‍तु दिनांक 11.10.2002 को ही नवजात बालिका के शरीर में मौजूद घाव के कारण उसकी मृत्‍यु हो गयी और यह विपक्षी सं0-1 लगायत 6 की असावधानी के कारण हुई।

5.         विपक्षी सं0-1 का कथन है कि कन्‍या के इलाज में सावधानी बरती गयी। दिनांक 22.9.2002 को सही अवस्‍था में डिसचार्ज किया गया, इसके बाद दिनांक 24.9.2002 को वह अस्‍पताल में भर्ती नहीं हुई। डा0 द्वारा किए गए डायपर प्रयोग से कोई घाव नहीं हुआ है। डिसचार्ज स्लिप दिनांक 22.9.2002 में भी स्पष्‍ट अंकित है, जो परिवादीगण के कब्‍जे में है। घाव के कारण कोई मृत्‍यु नहीं हुई है। कन्‍या के शरीर में खून की कमी थी, इसलिए उसे खून चढ़ाया गया, उस समय कोई घाव नहीं था। इलाज के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गयी, इसलिए परिवादीगण द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

6.         विपक्षी सं0-3 एवं 4 का कथन है कि डायपर के प्रयोग के कारण या उपेक्षापूर्ण चिकित्‍सा के कारण नवजात शिशु की मृत्‍यु नहीं हुई है, अपितु प्राकृतिक मृत्‍यु हुई है।

7.         विपक्षी सं0-5 ने विधिवत कैश मेमों जारी करने का कथन किया है, जबकि विपक्षी सं0-7 व 8 द्वारा भी विपक्षी सं0-1 के कथनों का ही समर्थन किया है, जिनके पुन: उल्‍लेख की आवश्‍यकता नहीं है।

8.         सभी पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत विद्वान जिला आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया है कि विपक्षी सं0-2, डा0 सुधा गुप्‍ता तथा विपक्षी सं0-6, मरियमपुर हॉस्पिटल के विरूद्ध उपेक्षा का कोई आरोप नहीं है, केवल विपक्षी सं0-1, डा0 राजकुमारी मित्‍तल के विरूद्ध उपेक्षा का मामला बनता है। यह उपेक्षा का मामला इस आधार पर पाया गया कि बच्‍ची के घाव में मवाद आ गया था, रक्‍त वाहिनी क्षतिग्रस्‍त हो गयी थी, जिसमें किटाणु प्रवेश कर गए थे तथा रक्‍त विषाक्‍त हो गया था, जिसके कारण रक्‍त की कमी हो गई और त्रुटिपूर्ण इलाज के कारण ही बच्‍ची की मृत्‍यु कारित हुई है। तदनुसार अंकन 69,000/-रू0 चिकित्‍सीय खर्च एवं अंकन 05 लाख रूपये मानसिक प्रताड़ना की मद में कुल 5,69,000/-रू0 8 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।

9.         परिवादीगण द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि में बढ़ोत्‍तरी के लिए अपील संख्‍या-1232/2007 प्रस्‍तुत की गयी है तथा अनुरोध किया गया है कि परिवाद पत्र में वर्णित समस्‍त क्षतिपूर्ति की राशि दिलाई जानी चाहिए, जबकि डा0 राज कुमारी मित्‍तल द्वारा अपील संख्‍या-1209/2007 में यह कथन किया गया है कि प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दो सदस्‍यों द्वारा दिनांक 7.5.2007 को पारित किया गया है, जो विधिसम्‍मत नहीं है। मरियमपुर अस्‍पताल द्वारा प्रमाणित किया गया है कि बच्‍ची की मृत्‍यु कार्डियक रेस्‍पीरेटरी अरेस्‍ट के कारण दिनांक 11.10.2002 को हुई है, परन्‍तु गैर न्‍यायिक सदस्‍यों द्वारा अपीलार्थी की लापरवाही के कारण बालिका की मृत्‍यु होने का निष्‍कर्ष दिया गया है, जो मात्र कल्‍पना एवं संभावना पर आधारित है। बालिका का जन्‍म केवल 36 सप्‍ताह के गर्भ के बाद सर्जरी के माध्‍यम से हुआ था। बालिका की सामान्‍य स्थिति अत्‍यधिक कमजोर थी। पल्‍स रेट बहुत कम था, इसलिए अपीलार्थी के अस्‍पताल में दिनांक 5.9.2002 को ही भर्ती किया गया। जन्‍म से ही सांस लेने में बाधा थी। बालिका को Isulator पर रखा गया था तथा आक्‍सीजन भी दी गयी थी। सम्‍यक् सावधानी कुशलता एवं योग्‍यता के साथ इलाज किया गया था। इलाज के दौरान अनेक जटिलताएं necrotizing enterocolitis उत्‍पन्‍न हो गए साथ ही Haemateneisis apnoea bradicardia and hypocalcaemia बीमारी भी उत्‍पन्‍न हो गयी थी। समुचित इलाज के बाद नवजात बालिका मुख से दूध ग्रहण करने लगी थी। बालिका के पिता ने बताया था कि वह कानपुर के रहने वाले हैं, जहां पर मेडिकल सुविधाएं उत्‍तम रूप से उपलब्‍ध हैं, इसलिए दिनांक 22.9.2002 को सम्‍पूर्ण संतुष्टि के साथ बालिका को डिसचार्ज कराया। दिनांक 22.9.2002 को ही डिसचार्ज सर्टिफिकेट जारी किया गया, जिसमें बीमारी का उल्‍लेख किया गया तथा बालिका की दशा का भी उल्‍लेख किया गया और जो इलाज प्रदान किया जा रहा था, उसका भी उल्‍लेख किया गया और आवश्‍यक निर्देश भी अंकित किए गए। इसके पश्‍चात विकसित बीमारी के लिए अपीलार्थी को उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
10.        डा0 राज कुमारी मित्‍तल द्वारा प्रस्‍तुत की गयी अपील संख्‍या-1209/2007 के विनिश्‍चय के लिए एक मात्र विनिश्‍चायक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या यह तथ्‍य स्‍थापित है कि डा0 द्वारा इलाज के दौरान लापरवाही बरती गयी, जिसके कारण नवजात बालिका की मृत्‍यु कारित हुई ? इस प्रश्‍न का उत्‍तर विशुद्ध रूप से नकारात्‍मक है, क्‍योंकि अभिलेखों के अनुसार नवजात बालिका को दिनांक 22.9.2002 को अस्‍पताल से डिसचार्ज किया गया था, इसके बाद नवजात बालिका को दिनांक 29.9.2002 को मरियमपुर अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर दिनांक 11.10.2002 को कार्डियक रेस्‍पीरेटरी अरेस्‍ट के कारण बालिका की मृत्‍यु कारित हुई है। अत: अपीलार्थी, डा0 राज कुमारी मित्‍तल के अस्‍पताल से डिसचार्ज होने के बाद नवजात बालिका लम्‍बी अवधि तक मरियमपुर अस्‍पताल में भर्ती रही और वहां पर कार्डियक अरेस्‍ट के कारण उसकी मृत्‍यु हुई। डिसचार्ज स्लिप पत्रावली पर अनेक्‍जर 1 के रूप में मौजूद है, जिसमें उल्‍लेख है कि बालिका को जन्‍म से ही सांस की बीमारी तथा Haemateneisis apnoea bradicardia and hypocalcaemia की बीमारी है। डिसचार्ज स्लिप में कहीं पर भी घाव होने या घाव में किटाणु होने का कोई उल्‍लेख नहीं है। डायपर का प्रयोग करने के कारण घाव उत्‍पन्‍न होने का भी कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। मरियमपुर अस्‍पताल का भी यह कथन नहीं है कि जिस समय बालिका को भर्ती किया गया तब डायपर के प्रयोग के कारण घाव हो गए थे और बैक्‍ट्रीया उत्‍पन्‍न हो गए थे और खून की कमी के हो गई थी। प्रस्‍तुत केस में यह तथ्‍य विचार में लेने योग्‍य है कि नवजात बालिका जन्‍म लेने के लिए परिपूर्ण नहीं थी। समयावधि‍ से पूर्व आपरेशन के माध्‍यम से बालिका का जन्‍म हुआ है, जिस अस्‍पताल में जन्‍म हुआ, उस अस्‍पताल द्वारा तुरन्‍त अपीलार्थी, डा0 राज कुमारी मित्‍तल के अस्‍पताल में भर्ती करने की सलाह दी गयी। भर्ती के समय बालिका की शारीरिक स्थिति बहुत दयनीय थी। इस तथ्‍य का कोई सबूत नहीं है कि घाव उत्‍पन्‍न होने के कारण खून चढ़ाया गया हो। खून चढ़ाते समय घाव होने का कोई सबूत प्रस्‍तुत केस में जाहिर नहीं होता। डा0 द्वारा भी इस तथ्‍य को शपथ पत्र से साबित किया गया है कि बालिका को दिनांक 22.9.2002 को डिसचार्ज किया गया, इसके पश्‍चात परिवाद पत्र में दिनांक 24.9.2002 को भी भर्ती करने का कथन है, परन्‍तु यथार्थ में दिनांक 24.9.2002 को भर्ती से संबंधित कोई दस्‍तावेज परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत नहीं किया गया है न ही विद्वान जिला आयोग द्वारा इस तथ्‍य पर कोई निष्‍कर्ष दिया गया है। घाव के कारण बालिका की मृत्‍यु होने का भी कोई सबूत नहीं है। बालिका का मृत्‍यु प्रमाण पत्र पत्रावली पर दस्‍तावेज संख्‍या-85 पर मौजूद है, जिसमें स्‍पष्‍ट रूप से बालिका की मृत्‍यु सडेन कार्डियक रेस्‍पीरेटरी अरेस्‍ट के कारण होना अंकित है। अत: स्‍पष्‍ट है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा केवल संभावनाओं के आधार पर अपीलार्थी, डा0 राज कुमारी मित्‍तल की लापरवाही का तथ्‍य साबित किया है। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने और अपीलार्थी, डा0 राज कुमारी मित्‍तल द्वारा प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-1209/2007 स्‍वीकार होने योग्‍य है। चूंकि अपीलार्थी, डा0 राज कुमारी मित्‍तल की लापरवाही साबित नहीं है और विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि नहीं हुई है, इसलिए क्षतिपूर्ति की राशि बढ़ाए जाने के लिए परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-1232/2007 निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

11.        अपील संख्‍या-1209/2007 स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.5.2007 अपास्‍त किया जाता है।

           प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीला‍र्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

           अपील संख्‍या-1232/2007 निरस्‍त की जाती है।

           प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला  आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-1209/2007 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्‍य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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