Rajasthan

Kota

CC/1/2007

Prahlad singh - Complainant(s)

Versus

Dr. R.K.Sharma - Opp.Party(s)

V.K.Rathore

26 Jun 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )

पीठासीनः- 

01.    अध्यक्ष    ः    नंदलाल शर्मा 
02.    सदस्य    ः    महावीर तंवर

परिवाद संख्या:-01/07

प्रहलाद सिंह पुत्र फूलचंद निवासी चर्च के पास, पुरानी सब्जीमंडी, कोटा।   परिवादी

                    बनाम

01.    डा0 आर के शर्मा, सहाय होस्पिटल,भाभा नगर, जयपुर।
02.    डा0 आर के शर्मा द्वारा डा0 के लाल क्लीनिक, मरूधर होटल के पीछे, न्यू     कोलोनी, कोटा।                      अप्रार्थीगण

    प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थिति:-

01.    श्री वी के राठौर, अधिवक्ता, परिवादी की ओर सें।
02.    श्री नरेन्द्र कुमार वैरागी, अधिवक्ता,अप्रार्थी सं.1 की ओर सें ।
03.    श्री महेश चन्द्र गुप्ता, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 2 की ओर से।


            निर्णय             दिनांक 26.06.2015

    परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया कि  अप्रार्थी संख्या 1 अप्रार्थी सं. 2 के यहाॅ हर माह के द्वितीय शनिवार व रविवार को कोटा में आता है और परामर्श देता है। परामर्श के आधार पर यदि किसी व्यक्ति का आपरेशन करना हो तो वह अप्रार्थी सं. 1 के जयपुर के संस्थान पर करता है। परिवादी ने भी अप्रार्थी सं. 1 को अपनी आंख की रेटिना की समस्या के कारण दिखाया तो अप्रार्थी सं. 1 ने अपने जयपुर स्थित अस्पताल मेें जांच के लिये बुलाया। परिवादी दिनांक 19.12.05 को अप्रार्थी सं.1 के निवास स्थान पर दिखाया तो चैक करके अस्पताल में भर्ती कर लिया। दिनांक 20.12.05 को अप्रार्थी सं.1 ने परिवादी की आंख की रेटिना का आपरेशन किया तथा 12,000/- रूपये फीस ली और 10,645/- रूपये की रसीद जारी की। अप्रार्थी सं.0 1 ने आपरेशन के दौरान बेहोशी का गलत इंजेक्शन  लगया जिससे परिवादी को घबराहट हुई जुबान लडखडाने लगी और कमर के नीचे सुन हो गया। परिवादी ने अन्य चिकित्सक टण्डन को भी दिखाया, डाक्टर टण्डन ने कहा कि धीरे-धीरे ठीक हो जावेगा। परिवादी ने अन्य चिकित्सको की सलाह भी ली तो उन्होने कहा कि आपकी आंख में टांके लग रहे है इसलिये वही चिकित्सक ईलाज करेगा। चिकित्सक को बार- बार दिखाने पर उसने आंख का एक्सप्लोरेशन करने की सलाह दी उसके 1500/- रूपये लिये और आंख का एक्सप्लोरेशन किया उसके बावजूद भी समस्या यथावत रही। परिवादी 29.11.06 को अप्रार्थी सं. 1 को दिखाया परन्तु परिवादी की आंख खराब हो गई और इस प्रकार अप्रार्थी सं.1 ने परिवादी की आंख के ईलाज में लापरवाही बरत कर उसकी सेवा में कमी की है, इसलिये अप्रार्थीगण से परिवादी को ईलाज के दस लाख, क्षतिपूर्ति के ढाई लाख, मानसिक क्षति, परिवाद खर्च दिलवाया जावे। 

    अप्रार्थी सं.ं.1 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया है कि वह परिवाद में अंकित होस्पीटल को संचालित नहीं करता। वह उसका परामर्श व आपरेशन उक्त अस्पताल में करता है। यदि किसी मरीज को आपरेशन की सलाह दी जाती तो वह जयपुर में आकर ही जांचे व आपरेशन करवाता। परिवादी की आखं की जांच के बाद उसकी आख का परदा खिसका हुआ था और इस बीमारी का ईलाज केवल आपरेशन ही था। परिवादी को जो इंजेक्शन लगाया उससे परिवादी को घबराहट, जुबान लडखडाना, कमर के नीचे सुन्न हो गई हो ऐसी शिकायत परिवादी ने उससे नहीं की। बेहोशी का इंजेक्शन लगाने से केवल आंख सुन्न हो जाती है। और कुछ नहीं होता। परिवादी को कौनसा इंजेक्शन गलत लगाया यह परिवाद में अंकित नहीं किया गया । आपरेशन के पश्चात परिवादी की आख का लाल होना स्वभाविक है। लेकिन इस इंजेक्शन से ऐसी कोई तकलीफ नहीं होती जिससे आखं देखना बंद कर दे। परिवादी को डाक्टर टण्डन ने कोई राय नहीं दी। परिवादी ने किस डाक्टर को दिखाया उसका नाम परिवाद में अंकित नहीं किया और उसको दिखाने की पर्चीया, बिल आदि पेश नहीं किये। अप्रार्थी सं. 1 ने तो परिवादी की आख का सफल आपरेशन किया। अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी की आंख का एक्सप्लोरेशन करने के पशचात धीरे-धीरे आंख ठीक होना शुरू हो जाती है, उसके बाद परिवादी ने डाक्टर टण्डन को दिखाया जिसने भी यह राय नहीं दी कि ईलाज में कोई लापरवाही बरती हो। परिवादी ने डाक्टर रमेश अलवर वाले को दिखाया उसने भी अप्रार्थी सं. 1 ने ईलाज में कोई लापरवाही बरती हो ऐसा नहीं बताया। अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी का सही आपरेशन किया उसमें किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरती। अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी से कोटा में परामर्श करने की कोई फीस नहीं ली। मैं जयपुर का रहने वाला हूै और वही परिवादी का आपरेशन किया, इसलिये यह परिवाद मंच में चलने योग्य नही है। परिवादी को कोटा मंच के क्षै़त्र में कोई वाद हेतु उत्पन्न नहीं हुआ, इसलिये भी जिला मंच कोटा को यह परिवाद सुनने का श्रवणाधिकार नहीं है। अप्रार्थी सं. 1 ने आंखों का विशेषज्ञ चिकित्सक हूॅ। अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी का सफल आपरेशन किया है उसमें किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरती।  परिवादी की  आंख के परदे को जगह पर लाने के लिए स्टेण्र्डड आपरेशन बकलिंग सर्जरी की। बकलिंग सर्जरी के बाद कुछ केसेज में यह बकलिंग आंख से बाहर निकलने लगती है तो उसका स्टेण्डर्ड मेजरमेंट कुछ समय रखने के बाद इसको बाहर निकालना पडता है और उसे निकाल दिया जाताहै। इस बीमारी का केवल यही ईलाज है।  परिवादी का परिवाद मिथ्या तथ्यों पर आधारित है। परिवादी अप्रार्थी सं.1 से किसी भी प्रकार की राहत पाने का का अधिकारी नहीं है। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे। 

    उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-


01.    आया परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?

    परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, से परिवादी,  अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है। 
02.    आया परिवादी का परिवाद इस जिला मंच के     श्रवणाधिकार का है या नहीं?

    उभय पक्ष को सुनने व पत्रावली में उपलब्ध रेकार्ड का अवलोकन से स्पष्ट होता है कि परिवादी ने अपने परिवाद में अंकित किया कि  परिवादी ने भी अप्रार्थी सं. 1 को अपनी आंख की रेटिना की समस्या के कारण दिखाया तो अप्रार्थी सं. 1 ने अपने जयपुर स्थित अस्पताल मेें जांच के लिये बुलाया। परिवादी ने दिनांक 19.12.05 को अप्रार्थी सं.1 के निवास स्थान दिखाया तो चैक करके अस्पताल में भर्ती कर लिया। दिनांक 20.12.05 को अप्रार्थी सं.1 ने परिवादी की आंख की रेटिना का आपरेशन किया तथा 12,000/- रूपये फीस ली और 10,645/- रूपये की रसीद जारी, परिवादी ने उक्त कथनों की पुष्टि अपने  शपथ-पत्र से भी की है, परिवादी ने जिस अप्रार्थी सं. 1 से अपनी आंख का आपरेशन करवाया है वह स्थान सहाय होस्पीटल, भाभा नगर, जयपुर में स्थित है। परिवादी ने जयपुर में अपनी आंख का आपरेशन करवाया है। परिवादी का यह तर्क मानने योग्य है कि अप्रार्थी स. 1, अप्रार्थी सं. 2 के. लाल के क्लिनिक मरूधर होटल के पीछे, न्यू कालोनी, कोटा में आता है और मरीजों से आंख की बीमारी के बारे मंे विचार विमर्श करता है । परन्तु यह सिर्फ अप्रार्थी सं. 1 का प्रस्ताव मात्र होता है और जब तक स्वीकृति नहीं हो और प्रतिफल नहीं दिया जाता तब तक वह प्रस्ताव, संविदा की श्रेणी में नही माने जा सकते, इसके अतिरिक्त परिवादी अप्रार्थी सं. 1 के प्रस्ताव के अनुसार जयपुर गया, वहाॅ आपरेशन कराने की स्वीकृति दी , प्रतिफल दिया और आपरेशन कराया। इसके अतिरिक्त संविदा की विरचना जयपुर में हुई न की कोटा में , कोटा में तो केवल प्रस्ताव था और इस संविदा को अप्रार्थी सं. 2 की क्लिनिक पर रखा गया था, इसलिये अप्रार्थी सं. 2 का इस संविदा से कोई संबंध नहीं है। प्रस्ताव व स्वीकृति तो प्रतिफल के मामले में, जो रसीद पेश की गई है वह सहाय हास्पीटल जयपुर की पेश की है, इस प्रकार वाद हेतु जयपुर में उत्पन्न हुआ माना जावेगा। जिला मंच कोटा, केम्प कोर्ट, झालावाड जिला मंच कोटा के अन्तर्गत आने वाले स्थानों के ही परिवाद सुन सकता है। उपरोक्त विवेचन, विश्लेषण को दृष्टिगत रखते हुये हमारे विनम्र मत में परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा के द्वारा नहीं सुना जा सकता है। यह परिवाद जिला मंच, जयपुर के द्वारा सुने जाने योग्य है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 
    
03.    आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?

    परिवादी बिन्दु संख्या 2 अपने पक्ष में साबित करने में सफल नहीं रहा है, इसलिये इस बिन्दु पर विवेचन, विशलेषण करने की आवश्यकता नहीं है।  

04.    अनुतोष ?

    परिवादी का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है। 
 
                     आदेश 

     परिवादी प्रहलाद सिंह का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवादी खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 


     (महावीर तंवर)                (नंदलाल शर्मा)
        सदस्य                       अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा           मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

    निर्णय आज दिनांक 23.06.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।

   सदस्य                              अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष      जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा            मंच, झालावाड, केम्प कोटा।

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