राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-2726/2018
(जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-05/2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-11-2018 के विरूद्ध)
गया प्रसाद तिवारी पुत्र स्व0 रामपाल निवासी ग्राम कुंआ डांड, पोस्ट सीहीपुर, परगना पश्चिमराठ, तहसील बीकापुर, जिला फिरोजाबाद।
बनाम
डॉ0 आर0के0 यादव, डायरेक्टर शगुन एक्सपोर्ट फर्म्स 8/10/84 नाका मुजफारा राम नगर रोड, फैजाबाद एवं दो अन्य।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 की ओर से उपस्थित: श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-3 की ओर से उपस्थित: श्री लाल जी गुप्ता एवं श्री राजीव सिंह विद्वान
अधिवक्तागण।
दिनांक :- 08-05-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-05/2010 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-11-2018 के विरूद्ध योजित की गयी अपील पर हमारे द्वारा केवल प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधारपर खारिज किया है कि अनुदान की राशि सरकार द्वारा प्रदान की जाती है। इस राशि को अदा करने के लिए विपक्षी सं0-1 व 2 उत्तरदायी नहीं हैं। परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए इस अनुतोष की मांग की कि परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 व 2 के मध्य निष्पादित करार के अनुसार क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 3,36,000/- रू0 परिवादी को विपक्षी सं0-1 व 2 से दिलाई जाए तथा विपक्षी सं0-3 को निर्देश दिया जाए कि परिवादी के स्थान
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पर ऋण की वसूली विपक्षी सं0-1 एवं विपक्षी सं0-2 से की जाए। विपक्षी सं0-3 बैंक आफ बड़ौदा है, जिसके द्वारा ऋण प्रदान किया गया है, इसएिल बैंक को यह आदेश नहीं दिया जा सकता कि वह इस ऋण की वसूली परिवादी के अलावा किसी अन्य से करे। इसलिए विद्वान जिला आयोग ने इस ऋण की अदायगी का दायित्व परिवादी तथा जमानतदारों पर मानते हुए जिला कलैक्टर, फैजाबाद को वसूली प्रमाण पत्र भेजने का आदेश उचित माना है और तदनुसार परिवाद खारिज किया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि वसूली प्रमाण पत्र जारी होने के पश्चात् उपभोक्ता आयोग का क्षेत्राधिकार समाप्त हो जाता है। वसूली प्रमाण पत्र जारी होने पर केवल माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की जा सकती है।
स्पष्टत: विद्वान जिला आयोग ने प्रत्येक तथ्य का उचित एवं विधिक रूप से विश्लेषण करते हुए प्रश्नगत आदेश पारित किया है, जिसमें किसी हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 08-05-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-3.