Final Order / Judgement | (मौखिक) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ परिवाद संख्या-12/2007 Kushal Pal Singh S/O Sri Seva Ram R/O Village Harad Fatehpur Pargana Thana Bhawan & others Versus Dr. R.P. Singh, Kailash Hospital & others समक्ष:- 1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य। 2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य। परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण की ओर से उपस्थित: श्री विकास अग्रवाल, विद्धान अधिवक्ता दिनांक : 28.03.2024 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह परिवाद परिवादी सं0 1 के पुत्र परिवादी सं0 2 के कान में दर्द होने पर विपक्षी डॉक्टर के यहां इलाज कराया गया। इलाज के दौरान मरीज के कान में छेद उत्पन्न हो गया, जिसके कारण शारीरिक, मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना कारित हुई। इसी की क्षतिपूर्ति के लिए यह उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया और अंकन 2,00,000/-रू0 इलाज में खर्च के लिए, 2,00,000/-रू0 इलाज मे भविष्य के खर्च के लिए, शैच्छिक हानि के मद में 20,00,000/-रू0 , मानसिक प्रताड़ना के मद में 50,00,000/-रू0 एवं परिवाद व्यय के रूप में 10,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार कान में दर्द होने पर दिनांक 26.07.2006 को आर0पी0 सिंह (मृतक) के अस्पताल मैसर्स कैलाश हॉस्पिटल में इलाज प्रारंभ किया गया। दिनांक 03.08.2006 तक नियमित रूप से इलाज कराने के लिए विपक्षी सं0 1 (मृतक) के पास आता रहा और हर बार 100/-रू0 फीस देता रहा। 2 सप्ताह के इलाज के बाद यह पाया कि बायें कान में कोई सुधार नहीं है। इसके बाद दाहिने कान की सफाई की सलाह दी गयी और दिनांक 14.08.2006 को दाहिने कान की सफाई की गयी और सफाई के दौरान परिवादी के कान में अत्यधिक पीड़ा हुई। खून बहना शुरू हो गया। विपक्षी द्वारा कुछ दवाई लिखी गयी और सामान्य स्थिति के लिए कहा गया, परंतु परिवादी दुरूस्त नहीं हुआ, इसलिए डॉक्टर रजनीश बहेल से इलाज कराया गया। इसके बाद लाभ न होने पर डॉक्टर टी0आर0 मखीजा को दिनांक 29.08.2006 को दिखाया गया, जिनके द्वारा बताया गया कि कान का पर्दा (Membrance) फट चुका है, जिसके लिए ऑपरेशन की आवश्यकता है। इसके बाद डॉक्टर मखीजा द्वारा इलाज प्रारंभ किया गया, परंतु अत्यधिक पीड़ा के कारण परिवादी उस वर्ष अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सका और एक साल व्यर्थ गया इलाज में भारी राशि खर्च हुई तथा शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना से भी गुजरना पड़ा परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा इलाज से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किये गये हैं। विपक्षी कैलाश हॉस्पिटल की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन में इलाज के दौरान लापरवाही से इलाज किया गया तथा यह कथन किया गया कि परिवाद पत्र आशयपूर्वक अत्यधिक उंची दर से क्षतिपूर्ति की मांग की गयी है।
- दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा सर्वप्रथम यह आपत्ति की गयी है कि चूंकि डॉक्टर की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए पूरा परिवाद उपशमित होना चाहिए, पंरतु चूंकि हॉस्पिटल को भी पक्षकार बनाया गया है। हॉस्पिटल एक स्वतंत्र संस्था है, इसलिए डॉक्टर की मृत्यु होने के बावजूद हॉस्पिटल के विरूद्ध परिवाद संधारणीय है।
- अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या कैलाश हॉस्पिटल के डॉक्टर द्वारा इलाज के दौरान लापरवाही बरती गयी। इस संबंध में परिवादी की ओर से जो दस्तावेज प्रस्तुत किये गये हैं उनके अवलोकन से जाहिर होता है कि विपक्षी हॉस्पिटल मे इलाज कराने के पश्चात परिवादी द्वारा स्वयं को डॉक्टर मखीजा के अस्पताल में दिखाया गया। डॉक्टर मखीजा के सक्षम अस्पताल में दिखाया गया। दस्तावेज सं0 11 पर मौजूद इलाज के विवरण के अनुसार दायें कान मे पर्दा फटा हुआ हुआ पाया गया। इस तथ्य को स्वयं लिखित कथन में स्वीकार किया गया है कि मरीज के दायें कान की सफाई की गयी थी। सफाई के दौरान ही कान का पर्दा क्षतिग्रस्त हुआ है। इस तथ्य की पुष्टि डॉक्टर मखीजा के इलाज के दस्तावेजों से होती है इसलिए प्रस्तुत केस में घटना स्वयं प्रमाण है, का सिद्धांत लागू होता है। प्रस्तुत केस में विशेषज्ञ साक्ष्य प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। कैलाश हॉस्पिटल के डॉक्टर की लापरवाही के कारण परिवादी सं0 2 का एक शैक्षिक वर्ष व्यर्थ हुआ। नवयुवक को मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना कारित हुई। अत: इस मद में परिवादी अंकन 10,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। परिवादी द्वारा इलाज के दौरान 2,00,000/-रू0 खर्च बताया गया है , परंतु 2,00,000/-रू0 के खर्च का कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है, परंतु चूंकि परिवादी का लम्बा इलाज चलता रहा। अत: इस मद मे केवल 1,00,000/-रू0 का क्षतिपूर्ति का आदेश देना उचित है। परिवाद व्यय के रूप में अंकन 50,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
आदेश परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी कैलाश हॉस्पिटल को आदेशित किया जाता है कि वह - परिवादी सं0 2 को इलाज में खर्च राशि के मद में अंकन 1,00,000/-रू0 09 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करे। ब्याज की गणना परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक की जायेगी।
- परिवादी सं0 2 को मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के मद में अंकन 10,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करे। इस राशि पर भी परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक ब्याज 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से देय होगा।
- परिवाद व्यय के रूप में अंकन 50,000/-रू0 अदा करे। इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा। यदि भुगतान तीन माह के अंदर नहीं किया जाता तब उपरोक्त वर्णित राशियों पर ब्याज दर 18 प्रतिशत की दर से देय होगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे। (सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3 | |