Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/2739

Unit Trust Of India - Complainant(s)

Versus

Dr. R K Saxena - Opp.Party(s)

Umesh Kumar Srivastava

27 May 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/2739
( Date of Filing : 02 Nov 2002 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Unit Trust Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Dr. R K Saxena
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 May 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, लखनऊ (प्रथम) द्वारा परिवाद सं0- 677 सन 1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.08.2002 के विरूद्ध)

     

अपील सं0 :- 2739 सन 2002

 

यूनिट ट्रस्‍ट आफ इण्डिया नई दिल्‍ली द्वारा यूनिट ट्रस्‍ट आफ इण्‍डिया गुलाब भवन, (रियल ब्‍लाक) द्वितीय तल, 6 बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्‍ली।

 

  1. अपीलार्थी/प्रत्‍यर्थी

-बनाम-

 

डा0 आर0के0 सक्‍सेना, निवासी 108/201-जी0ए0, डा0 पी0एन0 बोस रोड, माडल हाउस, लखनऊ।

 

  • प्रत्‍यर्थी/परिवादी  

समक्ष

  1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।  
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।
  3. मा0 डा0 आभा गुप्‍ता, सदस्‍य।

 

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-    श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-      कोई नहीं।

दिनांक:-29.06.2022

डा0 आभा गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

          प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता आयोग, लखनऊ (प्रथम) द्वारा परिवाद संख्‍या 677 सन 1999 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.08.2002 के विरूद्ध योजित की गयी है।

          अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध और दोषपूर्ण है। उसकी सेवा में कोई कमी नहीं है। परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि का परिपक्‍वता मूल्‍य दिया जा चुका है। अपील स्‍वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्‍त किया जाए।

          संक्षेप में, वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 28.02.1997 को विपक्षीगण की यूलिप योजना प्राप्‍त की जिसमें उसके द्वारा 28.02.96 तक लगातार 2000.00 रू0 प्रति किस्‍त की दर से जमा किए। योजना की परिपक्‍वता तिथि 28.02.97 पर जब परिवादी ने वांछित औपचारिकताऐं पूर्ण कर अपनी धनराशि की मांग की तो विपक्षी द्वारा दिनांक 01.01.97 को रू0 24,494.41 रू0 की चेक, केवल पांच किश्‍तों को जमा होना दर्शाते प्रेषित की जबकि परिवादी के अनुसार उसे 49,368.00 व अन्‍य परिपक्‍वता लाभ की धनराशि प्राप्‍त होनी चाहिए। काफी पत्राचार के बाद भी सुनवाई न होने पर परिवादी ने अवशेष धनराशि 24,874.00 मय ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद योजित किया।

          विपक्षी का कथन है कि अभिलेखों के अनुसार उसके यहां 24,494.41 रू0  ही परिवादी द्वारा जमा किए गए हैं। परिवादी की शिकायत प्राप्‍त होने पर जांच करने पर उसके द्वारा अन्‍य किश्‍तों के जमा किए जाने की पुष्टि होने पर परिवादी को क्रमश रू0 8000.00 व 10019.74 रू0 का चेक दिनांक 25.11.99 व 17.11.99 को अलग से दिया गया। इस प्रकार परिवादी को कुल 42,514.15 रू0 जो कि परिपक्‍वता के उपरान्‍त देय थे, उपलब्‍ध कराए जा चुके हैं। विपक्षी की ओर से परिवादी की अन्‍य कोई धनराशि जमा न होने का उल्‍लेख किया गया है।

          जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्‍य एवं अभिवचनों के आधार पर यह अवधारित करते हुए कि परिवादीगण ने सभी किश्‍तें समयान्‍तर्गत जमा की थीं। परिपक्‍वता तिथि पर उक्‍त धनराशियों का विवरण प्राप्‍त न होना सिद्ध करता है। परिवादी द्वारा 24,874.00 रू0 की मांग का कोई आधार न होने के कारण जिला फोरम ने उसे स्‍वीकार नहीं किया और विवेचना में मात्र 6474.67 रू0 ही विपक्षी पर अवशेष पाए। उक्‍त धनराशि को दिनांक 26.11.99 से 12 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज एवं पांच सौ रू0 क्षतिपूर्ति सहित दिलाए जाने का आदेश पारित किया, जिससे क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

          हमने अपीलकर्ता के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क विस्‍तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों का सम्‍यक अवलोकन किया।

          बहस हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

          पत्रावली का अवलोकन करने से स्‍पष्‍ट होता है परिवादी ने विपक्षीगण की यूलिप योजना में दिनांक 28.02.96 तक लगातार 2000.00 रू0 प्रति किस्‍त की दर से जमा किए गए। परिपक्‍वता तिथि पर परिवादी ने अपनी धनराशि की मांग की तो विपक्षी द्वारा केवल पांच किश्‍तों को जमा होना दर्शाते हुए दिनांक 01.01.97 को रू0 24,494.41 रू0 का भुगतान किया जबकि परिवादी के अनुसार उसे 49,368.00 व अन्‍य परिपक्‍वता लाभ की धनराशि प्राप्‍त होनी चाहिए। जबकि विपक्षी/अपीलार्थी का तर्क है कि परिवादी द्वारा कुछ किस्‍तें विलम्‍ब से दाखिल की गयी थीं और परिवादी द्वारा उन किस्‍तों का जमा करने संबंधी साक्ष्‍य देने पर परिवादी को उक्‍त धनराशि जमा की तिथि से गणना करके उनका परिपक्‍वता मूल्‍य मु0 42,514.15 रू0 उपलब्‍ध कराया जा चुका है और कोई धनराशि अवशेष नहीं है।

          पत्रावली पर परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा अपीलार्थी के इस कथन का कोई खण्‍डन नहीं उपलब्‍ध नहीं है कि उसके द्वारा विलम्‍ब से किस्‍त जमा की गयी थी और न बहस हेतु कोई उपस्थित ही हुआ है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता ने किस आधार पर गणना करते हुए 6474.67 रू0 विपक्षी पर अवशेष पाते हुए उसको देने का आदेश पारित किया, स्‍पष्‍ट नहीं किया है और न इस संबंध में परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा ही कोई स्‍पष्‍टीकरण अपील के स्‍तर किया गया है। अपीलार्थी संस्‍था द्वारा जो धनराशि परिवादी को दी गयी है उसकी पूर्ण गणना की गयी है, जिसमें हम कोई विषमता नहीं पाते हैं।

          परिणामत: प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

  •  

 

अपील स्‍वीकार करते हुए जिला उपभोक्‍ता आयोग, लखनऊ (प्रथम) द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.08.2002 निरस्‍त किया जाता है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष अपना अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्‍ध करायी जाए।

          आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(राजेन्‍द्र सिंह)(विकास सक्‍सेना)(डा0 आभा गुप्‍ता)

  •  

 

     

     सुबोल श्रीवास्‍तव

        (पी0ए0(कोर्ट नं0-2)

   

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 

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