राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-337/2020
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, मथुरा द्वारा परिवाद संख्या 154/2009 में पारित आदेश दिनांक 09.12.2019 के विरूद्ध)
टाटा मोटर्स लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस- बाम्बे हाउस, 18 होमी मोडी स्ट्रीट, फोर्ट, मुम्बई एवं ब्रांच आफिस- देवा रोड, चिनहट, लखनऊ
........................अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1
बनाम
1. डा0 मोरध्वज सारस्वत, 174, नरसीपुरम, पोस्ट बाद, जिला मथुरा
2. अशोक आटो सेल्स लिमिटेड, आगरा कानपुर रोड, नुनहाई, आगरा, द्वारा रंजना बंसल एवं बाद, मथुरा द्वारा बल्देव सिंह
...................प्रत्यर्थीगण/परिवादी व विपक्षी संख्या-2/3
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 19.12.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-154/2009 डा0 मोरध्वज सारस्वत बनाम टाटा मोटर्स लिमिटेड व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.12.2019 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए 20,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति एवं 5,000/-रू0 वाद व्यय के रूप में अदा करने का आदेश दिया है।
3. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश विधि विरूद्ध है। परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। प्रश्नगत वाहन डोरी लाल को बेचा गया है। आर0टी0ओ0 मथुरा द्वारा कभी भी वाहन के पंजीकरण से इन्कार नहीं किया गया है।
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4. परिवादी का कथन है कि वाहन विक्रय करते समय विपक्षी द्वारा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के कार्यालय से स्वीकृत नहीं कराया गया, इसलिए समय पर पंजीकरण नहीं हो सका और 35 दिन तक वाहन खड़ा रहा। इस आधार पर क्षतिपूर्ति की मांग की गयी।
5. अपीलार्थी का कथन है कि ए0आर0ए0आई0 के द्वारा वाहन का अनुमोदन किया गया था। पंजीयन की अनुमति दिनांक 02.01.2008 को प्राप्त की गयी थी और पंजीकरण की स्वीकृति के पश्चात् ही वाहन विक्रय किया गया है।
6. जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि दिनांक 02.01.2009 के पूर्व का कोई आदेश पंजीयन हेतु विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है, इसलिए पंजीयन में देरी हुई है। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि आदेश दिनांक 02.01.2009 के जारी होने से पूर्व वाहन के अनुमोदन का आदेश प्राप्त हो चुका हो, ऐसा साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोर्इ आधार नहीं है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को 01 माह में विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1