Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/351/10

PRIYANSHU SAXENA - Complainant(s)

Versus

DR. MC - Opp.Party(s)

ASHOK KUMAR PAL

11 Nov 2014

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/351/10
 
1. PRIYANSHU SAXENA
GARADIAN MOHAL KANPUR NAGAR
...........Complainant(s)
Versus
1. DR. MC
DUBBAGA BY PASS LUCNOW
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 11 Nov 2014
Final Order / Judgement

 

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
                             पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    

                                                                               उपभोक्ता वाद संख्या-351/2010
प्रियांषु सक्सेना पुत्र श्री प्रमोद कुमार सक्सेना एडवोकेट निवासी मकान नं0-64/154 गड़रिया मोहाल, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
                                                            बनाम
1.    डा0 एम0सी0 सक्सेना कालेज आॅफ इन्जीनियरिंग एवं टेक्नोलाॅजी मार्फ्त चेयरमैन डा0 एम0सी0 सक्सेना पता-दुबग्गा बाईपास 171 बरावनकला 11 एम. जोहटा रोड़ थाना काकोरी लखनऊ।
2.    सिन्डिकेट बैंक, ब्रांच मैनेजर सिविल लाइन्स कानपुर नगर।
                            ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 09.06.2010
निर्णय की तिथिः 27.06.2016


डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः


1.     परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को रू0 78,400.00 क्षतिपूर्ति दिलायी जाये। क्योंकि विपक्षी सं0-2 द्वारा फीस का अधूरा भुगतान किया गया है।
2.      परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी वर्श 2008-09 में विपक्षी के काॅलेज में सामान्य वर्ग का बी0टेक कंप्यूटर साइंस का विद्यार्थी रहते हुए अपनी अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। परिवादी वर्श 2005-06 में प्रदेष सरकार की अनुकम्पा से रू0 25000.00 की धनराषि प्रतिपूर्ति के रूप में स्वीकृत की गयी। जिला समाज कल्याण अधिकारी लखनऊ के द्वारा विपक्षी काॅलेज के पास परिवादी का नाम 55 विद्यार्थियों की लिस्ट में षामिल करते हुए माह अप्रैल 2009 में भेज दी गयी, जिसका भुगतान आज तक परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ। परिवादी के प्रयास से प्राविधिक विष्वविद्यालय द्वारा यह स्पश्ट आदेष दिया गया         कि परिवादी को तुरन्त षुल्क प्रतिपूरक धनराषि भुगतान करके उन्हें सूचित
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किया जाये। फिर भी विपक्षी ने अमलदारी नहीं की। परिवादी द्वारा अपनी षिक्षा के अंतिम वर्श 2008-09 में प्रदान किया गया षिक्षा ऋण रू0 33,000.00 का डिमाण्ड ड्राफ्ट के जरिये अधूरा भुगतान किया गया, जिसकी रसीद भी परिवादी के बार-बार मांगने के बावजूद नहीं दी गयी। जिसके फलस्वरूप रू0 18000.00 नकद धनराषि षुल्क के रूप में जमा की गयी। रू0 18000,00 नकद धनराषि की व्यवस्था परिवादी ने निजी बैंकर्स/साहूकारों के द्वारा 10 प्रतिषत प्रतिमाह की दर से ब्याज पर कर्ज लिया गया, जिससे परिवादी को मानसिक उदासीनता है। दिनांक 01.09.09 को परिवादी के पिता ने विद्यालय में जाकर व्यक्तिगत रूप से रू0 25000.00 की धनराषि भुगतान करने की याचना की, उस पर कालेज के चेयरमैन, रजिस्टार व अन्य स्टाफ के लोगों ने अभद्रता करते हुए जान से मारने की धमकी दी। अतः परिवादी द्वारा, रू0 50,000.00 मानसिक तनाव व उत्पीडन के लिए व रू0 23400.00 दिनांक 30.05.10 से 10 प्रतिषत प्रतिमाह की ब्याज दर पर निजी साहूकारों के द्वारा लिये गये ऋण की अदायगी के लिए दिलाये जाने के लिए प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है।
3.    विपक्षी सं0-1 की ओर से परिवादी की नोटिस पर रजिस्टर्ड डाक द्वारा पत्र के रूप में जवाब दावा दिनांकित 05.08.10 प्रस्तुत करके यह कहा गया है कि वर्श 2005-06 में परिवादी द्वारा यूनीफार्म पर रू0 70,900.00 (रू0 56,900.00 बस एवं प्रषासनिक षुल्क रू0 10000.00 एवं एडमीषन फार्म षुल्क रू0 500.00) देय थी, जिसमें परिवादी द्वारा मात्र रू0 39900.00 जमा किया गया। अवषेश रू0 30500.00 रहे। परिवादी के पिता के व्यक्तिगत आष्वासन पर कि अवषेश धनराषि अगले वर्श अदा कर दी जायेगी। परिवादी को द्वितीय वर्श में पढ़ने की इजाजत दे दी गयी। वर्श 2006-07 में परिवादी द्वारा रू0 47000.00 तथा बकाया धनराषि रू0 30500.00 कुल रू0 77,500.00 देय था। किन्तु परिवादी द्वारा रू0 57,500 अदा किया गया। रू0 20000.00 के लिए परिवादी ने आगे देने का आष्वासन दिया।  अतः स्कूल प्रबन्धन द्वारा परिवादी को स्कूल में परीक्षा में 
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बैठने की अनुमति दी गयी। परिवादी को रू0 47000.00 व रू0 20000.00 अवषेश धनराषि अदा करनी थी, किन्तु इस दौरान दिनंाक 01.10.07 को परिवादी को मात्र रू0 43,500.00 अदा किया गया। परिवादी द्वारा रू0 24000.00 बकाया रखा गया। प्रबन्धन द्वारा परिवादी को मानवीय आधार पर परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गयी। वर्श 2007-08 में परिवादी को अदा करना था तथा बकाया धनराषि 81,750.00 देय थी किन्तु परिवादी द्वारा दिनांक 25.09.08 को रू0 51000.00 तथा दिनांक 20.05.09 को रू0 25000.00 कुल रू0 76000.00 अदा किया गया और रू0 5750.00 बकाया रखा गया। परिवादी पर उपरोक्त बकाया के बावजूद कालेज प्रबन्धन द्वारा सद्भावनाग्रस्त मंषा से परिवादी का प्रमाण पत्र उसे दे दिया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 पर सभी गलत आरोप लगाये गये हैं। विपक्षी उत्तरदाता षिक्षण संस्थान द्वारा परिवादी की कठिनाइयों पर हमेषा परिवादी की मदद की गयी है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
4.    विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा षिक्षा के सम्बन्ध में लिये गये ऋण के सम्बन्ध में परिवादी के पिता द्वारा ली गयी गारंटी एवं दी गयी अंडरटेकिंग कि परिवादी ऋण एवं ब्याज अदा करता रहेगा, के बावजूद परिवादी डिफाल्टर रहा। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में विपक्षी उत्तरदाता के विरूद्ध कोई अनुतोश याचित नहीं किया गया है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 04.06.10 व 27.03.12 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में संलग्नक कागज सं0-1/1 लगातय् 1/5, व उ0प्र0 प्राविधिक विष्वविद्यालय द्वारा जारी पत्र दिनंाकित 08.02.09 की प्रति एवं लिखित बहस दाखिल किया है। 
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6.    विपक्षीगण की ओर से न तो कोई षपथपत्र दाखिल किया गया है और न ही कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल किया गया है।
निष्कर्श
7.    बहस के समय विपक्षीगण अनुपस्थित थें। अतः फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया। 
    परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावे में उल्लिखित कथन व संपूर्ण पत्रावली के परिषीलनोपरान्त स्पश्ट होता है कि प्रस्तुत मामले में परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध कोई अनुतोश याचित नहीं किया गया है। विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध परिवादी द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि परिवादी को वर्श 2005-06 में प्रदेष सरकार की अनुकम्पा से रू0 25,000.00 की धनराषि प्रतिपूर्ति के रूप में स्वीकृत की गयी। जिला समाज कल्याण अधिकारी लखनऊ के द्वारा विपक्षी सं0-1 के पास परिवादी का नाम 55 विद्यार्थियों की लिस्ट में षामिल करते हुए माह अप्रैल 2009 में भेज दी गयी है, जिसका भुगतान आज तक परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ। जबकि विपक्षी के द्वारा परिवादी के उसकी संस्थान में षिक्षा ग्रहण करने के दौरान वर्श 2005 से लेकर 2009 तक प्रत्येक वर्श संपूर्ण षुल्क न जमा करने का आरोप लगाया गया है और दिनांक 25.05.09 को रू0 5750.00 बकाया होना बताया गया है और यह कहा गया है कि विपक्षी उत्तरदाता के प्रबन्धन द्वारा सदभावनाग्रस्त मंषा से प्रमाण पत्र उसे दे दिया गया। विपक्षी एवं षिक्षण संस्थान द्वारा परिवादी की हमेषा मदद की गयी है। परिवादी द्वारा गलत आरोप लगाया गया है।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से स्पश्ट होता है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन         में सूची के साथ कागज सं0-1/1 लगाया गया है,  जिसमें  जिला समाज 
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कल्याण अधिकारी लखनऊ के द्वारा स्पश्ट रिपोर्ट अंकित की गयी है कि परिवादी प्रियांषु सक्सेना को सामान्य वर्ग की वर्श 208-09 की धनराषि (55) छात्रों की सूची पूर्व में ही प्रेशित की जा चुकी है, तत्काल सम्बन्धित को भुगतान कर अवगत करायें। इसी प्रकार परिवादी की ओर से सूची के साथ संलग्न कुल सचिव उत्तर प्रदेष प्राविधिक विष्वविद्यालय द्वारा निदेषक डा0 एम0सी0 सक्सेना काॅलेज आॅफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलाॅजी लखनऊ को प्रेशित पत्र दिनांकित 08.02.09 की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है, जिसमें संस्था को वांछित धनराषि का भुगतान परिवादी प्रियांषु सक्सेना को करने का स्पश्ट आदेष दिया गया है। जबकि विपक्षीगण के द्वारा अपने कथन के समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। यहां तक कि षपथपत्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया है।
    अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये कथन व साक्ष्यों के सम्यक परिषीलनोपरान्त फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से, परिवादी को रू0 25000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली तक दिलाये जाने हेतु तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।    
    जहां तक विपक्षी सं0-2 का सम्बन्ध है- परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध कोई अनुतोश याचित नहीं किया गया है। अतः निर्णय में पारित आदेष विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध लागू नहीं होगा।
ःःःआदेषःःः
8.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी सं0-1 परिवादी को  रू0 25000.00 मय 
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8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।

      (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
          सदस्य                              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद                     जिला उपभोक्ता विवाद
        प्रतितोश फोरम                            प्रतितोश फोरम
        कानपुर नगर।                             कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


      (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
          सदस्य                              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद                     जिला उपभोक्ता विवाद
        प्रतितोश फोरम                            प्रतितोश फोरम
        कानपुर नगर।                             कानपुर नगर।

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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