ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादीगण ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण से उन्हें शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति की मद में 5,00,000/- रूपया तथा परिवादिनी सं0-2 द्वारा जिस शिशु को जन्म दिया जा सकता था उस शिशु के हानि की क्षति की मद में 10,00,000/- रूपया दिलाऐ जाऐ। परिवादिनी सं0-2 के इलाज इत्यादि में हुऐ खर्चों की मद में 20,000/- रूपया तथा परिवाद व्यय परिवादीगण ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी सं0-1 परिवादिनी सं0-2 का पति है। परिवादिनी सं0-2 का मासिक धर्म (एम0सी0) दिनांक 28/11/2008 को हुआ था। अगला मासिक धर्म 26 अथवा 27 दिसम्बर, 2008 को प्रारम्भ हो जाना चाहिए था, किन्तु परिवादिनी को इन तिथियों को भी एम0सी0 नहीं हुई तब परिवादिनी सं0-2 अपने फैमिली डाक्टर श्री एम0 मुनाजिर, बी0यू0एम0एस0 के पास दिनांक 29/12/2008 को गई और उन्हें सारी स्थिति बताई। डा0 एम0 मुनाजिर ने परिवादिनी सं0-2 को सलाह दी कि 10 दिन बाद अपना यूरीन प्रेगनेन्सी टेस्ट वह करा ले जिससे गर्भ धारण का पता चल जाऐगा। दिनांक 10//1/2009 को परिवादिनी सं0-2 अपने पति परिवादी सं0-1 के साथ गर्भ धारण टेस्ट कराने के लिए विपक्षी सं0-1 के पैथोलाजी सेन्टर पर गई उसने कम्पाउन्डर के पास 120/- रूपया जमा कराऐ और यूरीन पाट लेकर जॉंच हेतु अपना पेशाब यूरीन पाट में इकठ्ठा कर जॉंच हेतु जमा कर दिया। शाम को 4 बजे जॉंच रिपोर्ट मिली तो उसमें प्रेगनेन्सी निगेटिव लिखी थी पूछने पर परिवादीगण को बताया गया कि परिवादिनी सं0-2 गर्भवती नहीं है। विपक्षीगण ने साथ-साथ यह भी बताया कि यह भी सम्भव है कि खून की कमी अथवा पेट में सूजन होने की बजह से एम0सी0 समय पर नहीं हुई हो। परिवादिनी सं0-2 ने अपने फैमिली डाक्टर एम0 मुनाजिर से इलाज कराया। दिनांक 28/1/2009 तक भी जब परिवादिनी सं0-2 को एम0सी0 नहीं हुई तो परिवादिनी सं0-2 अपने पति के साथ दिनांक 29/1/2009 को विपक्षीगण से मिली और उनके निर्देशानुसार प्रेगनेन्सी टेस्ट और खून की कमी की जॉंच हेतु उनके द्वारा उपलब्ध कराऐ गऐ यूरीन पाट में अपना यूरीन जॉंच हेतु जमा कर दिया। परिवादिनी सं0-2 ने जॉंच की फीस 130/- रूपये भी जमा की। शाम को जॉंच रिपोर्ट देखकर विपक्षीगण ने परिवादिनी सं0-2 को बताया कि वह गर्भवती है। दिनांक 29/1/2009 को हुआ यह टेस्ट एम0सी0 होने की तिथि 28/11/2008 से 63 वें दिन तथा 10/1/2009 को हुआ टेस्ट 44 वें दिन हुआ था। परिवादीगण ने अग्रेत्तर कथन किया कि दिनांक 02/2/2009 की रात में परिवादिनी सं0-2 को रक्तश्राव हुआ। दिनांक 03/2/2009 की सुबह महिला चिक्त्सिक कमलेश महाजन को दिखाया गया उन्होंने बताया कि यदि गर्भ रोकने का प्रयास किया गया तो परिवादिनी सं0-2 की जान को खतरा हो सकता है अत: उसका अबोर्शन किया जाना जरूरी है। परिवादिनी सं0-2 की जान बचाने के लिए डा0 कमलेश महाजन ने उसका अबोर्शन करा दिया। परिवादिनी सं0-2 अब भी उनके इलाज में है। परिवादीगण ने आरोप लगाऐ कि विपक्षी सं0-1 और उसके कर्मचारियों की गलती एवं लापरवाहीपूर्ण जॉंच रिपोर्ट के कारण परिवादिनी सं0-2 को गर्भ धारण करने का ज्ञान नहीं हो पाया। यदि उसे पता हो जाता कि वह गर्भवती है तो वह बच्चे को जन्म दे सकती थी, किन्तु गलत और लापरवाही से दी गई रिपोर्ट के कारण मजबूरन परिवादिनी सं0-2 को अबोर्सन कराना पड़ा। उसके पास पहले से 2 बच्चे हैं जो आपरेशन से हुऐ थे। परिवादीगण के अनुसार दिनांक 13/2/2009 को परिवादीगण विपक्षी सं0-1 से मिले, उन्हें सारी स्थिति बताई तो विपक्षी सं0-1 गुस्से में आ गऐ और उन्होंने अपने कम्पाउन्डर को बुलवा लिया उसने परिवादी सं0-1 को चाटा मारकर क्लीनिक से बाहर निकाल दिया और जान से मारने की धमकी दी। परिवादिनी सं0-2 ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी सं0-1 को एक कानूनी नोटिस दिनांकित 24/2/2009 दिलावाया जो विपक्षी सं0-1 को प्राप्त हो गया है, किन्तु नोटिस का उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। परिवादीगण के अनुसार विपक्षीगण के कृत्यों से उन्हें आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति हुई है, यह सेवा में कमी का भी मामला है। उन्होंने परिवाद स्वीकार करके परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादीगण ने अपना संयुक्त शपथ पत्र कागज सं0-3/8 लगायत 3/9 दाखिल किया और साथ में विपक्षी सं0-1 द्वारा दी गई यूरीन प्रेगनेन्सी रिपोर्ट दिनांकित 10/1/2009, खून की जॉंच रिपोर्ट दिनांकित 29/1/2009, दिनांक 10/1/2009 को जॉंच हेतु जमा किऐ गऐ 120/- रूपये की रसीद, 29/1/2009 को जॉंच हेतु जमा किऐ गऐ 130/- रूपये की रसीद, डा0 (श्रीमती) कमलेश महाजन द्वारा दिया गया सर्टिफिकेट दिनांकित 03/2/2009, डा0 कमलेश महाजन के चिकित्सीय पर्चे तथा परिवादिनी की ओर से विपक्षी सं0-1 को कथित रूप से भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 24/2/2009 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र कागज सं-3/10 लगायत 3/18 हैं।
- विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 9/1 लगायत 9/6 दाखिल किया। प्रतिवाद पत्र में कहा गया है कि परिवादीगण का यह कथन कि एम0सी0 की तारीख 28/11/2008 की पश्चात् 26 अथवा 27 दिसम्बर, 2008 को आवश्यक रूप से परिवादिनी सं0-2 को एम0सी0 होनी चाहिए थी, विपक्षी सं0-1 को स्वीकार नहीं है। उनका यह भी कहना असत्य है कि दिनांक 29/12/2008 के पश्चात् 10 दिन में Elisa Method द्वारा किऐ गऐ यूरीन प्रेगनेन्सी टेस्ट में गर्भ धारण की स्थिति का सही पता चल जाता है। विपक्षी सं0-1 ने अग्रेत्तर कहा कि परिवादी सं0-1 राजेन्द्र कुमार वाल्मीकी अपने घर की शीशी में पेशाब लेकर आये थे वह पेशाब किसका था इसे प्रमाणित करने का उत्तरदायित्व स्वयं परिवादीगण का है। विपक्षी सं0-1 ने लाये गये उक्त पेशाब का परीक्षण कर रिपोर्ट दी थी और रिपोर्ट पर उन्होंने वहीं नाम अंकित किया था जो परिवादी सं0-1 ने बताया था। विपक्षी सं0-1 ने यह भी कहा कि यूरीन टेस्ट रिपोर्ट गर्भ धारण की जॉंच हेतु फाइनल नहीं है ऐसी जॉंच के उपरान्त अल्ट्रा साउन्ड से परीक्षण करने पर ही गर्भ होने अथवा न होने का निर्णय लिया जा सकता है। विशेष कथनों में कहा गया है कि परिवादीगण के फैमिली डा0 श्री एम0 मुनाजिर परिवाद पत्र के अनुसार खॉंसी, जुकॉम, पेट दर्द इत्यादि का प्राथमिक उपचार कर सकते हैं, गर्भ धारण जैसी गम्भीर बात के सम्बन्ध में उनके द्वारा स्पष्ट राय दिया जाना सम्भव नहीं था। वे एलापैथिक दवा लिखने के लिए अधिकृत भी नहीं है। विपक्षी सं0-1 के अनुसार प्रेगनेन्सी टेस्ट पाजिटिव अथवा निगेटिव होने का अर्थ यह कतई नहीं है कि महिला शत-प्रतिशत गर्भ धारण कर चुकी है अथवा नहीं ? यह खून में एच0सी0जी0 हार्मोन की मात्रा पर निर्भर करता है जो अलग-अलग महलाओं में अलग-अलग होते हैं। कुछ महिलाओं में मासिक धर्म (एम0सी0) के अगले 44 दिन में प्रेगनेन्सी टेस्ट पाजिटिव आ जाता है और कई महिलाओं में कुछ दिन बाद पाजिटिव टेस्ट आ पाता है। एम0सी0 होने के 44 वें दिन की जो कहानी परिवाद पत्र में परिवादीगण ने लिखी है वह केवल आदर्श परिस्थितियों में जबकि महिला का मासिक धर्म बिल्कुल निश्चित तिथि को होता रहा हो, में ही सम्भव है। गर्भ धारण Ovulation पर आधारित होता है जो अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग होता है। Ovulation की अवधि 28 दिन से 4 माह तक होती है। प्रत्येक महिला में अण्डा बनने का समय अलग होता है यदि अण्डा बनने का समय 30 दिन का होगा तो गर्भ धारण का समय 30 + 14 = 44 दिन का होगा। यदि किसी महिला का Ovulation Period 60 दिन का है तो उसकी एम0सी0 से 74 वें दिन एक दिन का गर्भ होगा। चिकित्सा विज्ञान का अवलम्ब लेते हुऐ विपक्षी सं0-1 की ओर से यह भी कहा गया कि Ovulation की साईकिल कभी भी लेट हो सकती है अत: 44 वें दिन या 46 वें दिन प्रेगनेन्सी पाजिटिव आना सम्भव नहीं है। यदि किसी महिता के मासिक धर्म की तिथि बीत गई हो और उसका प्रेगनेन्सी टेस्ट निगेटिव है तो जब तक मासिक धर्म नहीं हो जाऐ उसे ऐसी दवाऐं दी जाती हैं जो गर्भावस्था में पूर्णतया सुरक्षित हों ताकि यदि गर्भ धारण हो चुका हो तो दवा से गर्भभात न हो। परिवदिनी सं0-2 द्वारा यदि किसी प्रशिक्षित अथवा महिला रोग विशेषज्ञ से सलाह ली गई होती तो वह दवा देने से पूर्ण अल्ट्रा सांउन्ड कराकर गर्भ स्थित अवश्य पता कर लेती ऐसे डाक्टर (डा0 एम0 मुनाजिर) जो महिला रोग विशेषज्ञ नहीं है, से इलाज कराकर परिवादिनी ने स्वयं विषम स्थितियां पैदा की। 44 वें दिन अण्डा न बनने के कारण परिवादिनी सं0-2 की प्रेगनेन्सी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई थी। दिनांक 10/1/2009 की प्रेगनेन्सी रिपोर्ट में कोई कमी अथवा गलती नहीं है। विपक्षी सं0-1 ने उक्त कथनों के आधार पर विशेष व्यय सहित परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-2 ने विपक्षी सं0-1 द्वारा दाखिल प्रतिवाद पत्र को एडोप्ट किया जिसकी अनुमति फोरम द्वारा आदेश दिनांक 05/4/2010 से विपक्षी सं0-2 को प्रदान की गई।
- परिवादीगण ने संयुक्त साक्ष्य शपथ पत्रकागज सं0-17/1 लगायत 17/11 दाखिल किय जिसके साथ उन्होंने नोटिस दिनांक 24/2/2009, इसे भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, विपक्षी सं0-1 को नोटिस प्राप्त होने की ए0डी0, दिनांक 10/1/2009 की प्रेगनेन्सी रिपोर्ट, 120/- रूपये फीस जमा करने की रसीद दिनांक 10/1/2009, परिवादिनी सं0-2 की खून की रिपोर्ट दिनांकित 29/1/2009, 130/- रूपये फीस जमा करने की रसीद दिनांक 29/12/2009, डा0 कमलेश महाजन द्वारा दिऐ गऐ सर्टिफिकेट दिनांकित 03/2/2009 तथा परिवादिनी के जच्चा-बच्चा रक्षा कार्ड की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया, यह संलग्नक कागज सं0-17/12 लगायत 17/21 हैं।
- विपक्षी सं0-1 ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/6 दाखिल किया जिसके साथ उन्होंने गर्भ धारण और गर्भावस्था से सम्बन्धित किताब ‘’ Williams Obstetrics 19th Edition ‘’ के सुसंगत पृष्ठों को भी दाखिल किया। यह सुसंगत पृष्ठ पत्रावली के कागज सं0-20/7 लगायत 20/15 हैं। विपक्षीगण के समर्थन में महिला रोग विशेषज्ञ डा0 मोना अग्रवाल एम0बी0बी0एस0/डी0जी0ओ0 तथा डा0 विमीता अग्रवाल एम0बी0बी0एस0/डी0जी0ओ0 ने अपने-अपने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-21 और कागज सं0-22 दाखिल किऐ हैं।
- प्रत्युत्तर में परिवादीगण द्वारा रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-29/1 लगायत 29/5 संलग्नकों सहित दाखिल किया। इस रिज्वाइंडर शपथ पत्र के साथ आर0टी0आई0 के माध्यम से प्राप्त सूचना की फोटो प्रति कागज सं0-29/6 लगायत 29/9 दाखिल की। विपक्षीगण ने परिवादी सं0-1 के सन्दर्भ में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी, आयोग के सदस्य श्री श्योराज जीवन के पत्र की फोटो प्रति को दाखिल किया।
- किसी भी पक्ष की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तj के तर्कों को सुना। परिवादीगण की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
- परिवादीगण के आरोप यह हैं कि विपक्षी सं0-1 ने परिवदिनी सं0-2 की प्रेगनेन्सी रिपोर्ट दिनांकित 10/1/2009 गलत दी जिस कारण वह शिशु को जन्म नहीं दे सकी और मजबूरन डा0 श्रीमती कमलेश महाजन की सलाह पर दिनांक 03/2/2009 को उसे गर्भपात कराना पड़ा। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि प्रेगनेन्सी रिपोर्ट दिनांक 10/1/2009 (पत्रावली का कागज सं0-3/10) न तो गलत है और न ही टेस्ट करने और रिपोर्ट तैयार करने में किसी प्रकार की कोई लापरवाही बरती गई। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार अनावश्यक रूप से दबाव बनाने और अपने परोक्ष उद्देश्य की पूर्ति हेतु परिवादीगण ने आधारहीन एवं झूठे आरोप विपक्षीगण पर लगाऐ है। उनका यह भी कथन है कि परिवादीगण के आरोप चॅूंकि नि:तान्त मिथ्या और आधारहीन है अत: परिवाद विशेष व्यय सहित खारिज किया जाना चाहिऐ।
- परिवादिनी सं0-2 के अनुसार उसकी एम0सी0 दिनांक 28/11/2008 को हई थी उसके बाद अगली एम0सी0 उसे 26 अथवा 27/12/2008 को होनी चाहिए थी, किन्तु उसे एम0सी0 नहीं हुई तब अपने फैमिली डा0 एम0 मुनाजिर, बी0यू0एम0एस0 की सलाह पर उसने अपना यूरीन प्रेगनेन्सी टेस्ट दिनांक 10/1/2009 को विपक्षी सं0-1 की पैथोलोजी में कराया जिसके आधार पर उसे रिपोर्ट कागज सं0- 3/10 दिनांकित 10/1/2009 दी गई। इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि परिवादिनी सं0-2 गर्भवती नहीं है। परिवादीगण के अनुसार अन्तिम एम0सी0 होने की तिथि अर्थात् 28/11/2008 से 44 वें दिन परिवादिनी सं0-2 का यह यूरीन टेस्ट हुआ था। परिवादीगण के अनुसार दिनांक 29/1/2009 को परिवादिनी सं0-2 का यूरीन प्रेगनेन्सी टेस्ट पुन: कराया गया तो वह गर्भवती पाई गई जिससे प्रकट है कि दिनांक 10/1/2009 को गर्भवती थी, किन्तु विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 10/1/2009 की अपनी रिपोर्ट में यह त्रूटिपूर्ण उल्लेख किया कि परिवादिनी सं0-2 गर्भवती नहीं। परिवादीगण ने अपने परिवाद में उल्लेख किया है कि गलत और लापरवाहीपूर्ण रिपोर्ट देकर विपक्षीगण ने चिकित्सीय लापरवाही और सेवा में कमी की है।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादीगण के आरोपों का खण्डन करते हुऐ हमारा ध्यान विपक्षी सं0-1 के साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/5 की ओर आकर्षित किया। साथ ही साथ उन्होंने इस साक्ष्य शपथ पत्र के साथ दाखिल चिकित्सा शास्त्र की महिला डाक्टरों से सम्बन्धित पुस्तक ‘’ Williams Obstetrics ‘’ के सुसंगत अंश कागज सं0-20/7 लगायत 20/15 की ओर भी हमारा ध्यान आकर्षित किया। यह पुस्तक महिला चिकित्सों के सम्बनध में सबसे अच्छी पुस्तक मानी जाती है ऐसा विपक्षी सं0-1 ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र में कहा है। विपक्षी सं0-1 के साक्ष्य शपथ पत्र के साथ इस पुस्तक के जो सुसंगत अंश दाखिल किऐ गये हैं, वे पुस्तक के 19 वें संस्करण के हैं। चिकित्सा शास्त्र की इस पुस्तक का 19 वां संस्करण प्रकाशित होने का मतलब सुरक्षित रूप से यह निकाला जा सकता है कि यह पुस्तक महिला डाक्टर्स के सम्बन्ध में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इस पुस्तक के सुसंगत अंशों के अवलोकन से प्रकट है कि किसी भी महिला में मासिक धर्म की साईकिल की अवधि में परिवर्तन होना सम्भाव्य है यह साइकिल परिवर्तित होती रह सकती है। यह कहना ही सम्भव नहीं कि यूरीन प्रेगनेन्सी टेस्ट मासिक धर्म की सम्भावित तिथि के कितने दिन बाद पाजिटिव आऐगा क्योंकि यह टेस्ट गर्भ धारण के बाद एच0सी0जी0 हार्मोन्स की मात्रा पर आधारित है, न कि दिनों के आधार। चिकित्सा शास्त्र की इस पुस्तक के अनुसार अन्तिम बार हुऐ मासिक धर्म की तिथि से 44 वें दिन प्रेगनेन्सी पाजिटिव न आना एच0सी0जी0 हार्मोन्स की मात्रा कम होने की बजह से हो सकता है। किसी महिला में 44 वें दिन प्रेगनेन्सी पाजिटिव आना आदर्श परिस्थिति में 28 वें दिन की साईकिल माहवारी में सम्भव है। यह अवधि अन्तिम महावारी से 50 दिन तक हो सकती है। चिकित्सा शास्त्र की पुस्तक ‘’ Williams Obstetrics ’’ में उल्लिखित उक्त बातों से प्रकट है कि ऐसा कोई सार्वभौमिक एवं निश्चित नियम नहीं है कि प्रत्येक गर्भवती महिला में उसके अन्तिम मासिक धर्म से 44 वें दिन उसका प्रेगनेन्सी टेस्ट पाजिटिव आ ही जाऐ।
- विपक्षीगण के समर्थन में महिला चिकत्सक डा0 मोना अग्रवाल एवं डा0 विमीता अग्रवाल ने अपने-अपने साक्ष्य शपथ पत्र क्रमश: कागज सं0- 21 एवं कागज सं0-22 दाखिल किऐ हैं। इन महिला चिकित्सकों ने अपने-अपने साक्ष्य शपथ पत्रों में कहा है कि गर्भावस्था टेस्ट करने के लिए प्रेगनेन्सी टेस्ट अपने आप में पूर्ण नहीं है। गर्भावस्था कन्फर्म करने हेतु प्रत्येक दशा में अल्ट्रा साउन्ड द्वारा जॉंच की जानी आवश्यक होती है। प्रेगनेन्सी पाजिटिव आने का दिनों से कोई सम्ब्न्ध नहीं है बल्कि यह पेशाब में एच0सी0जी0 हार्मोन्स की मात्रा पर निर्भर करता है। मासिक धर्म के 44 वें दिन प्रेगनेन्सी टेस्ट केवल आदर्श परिस्थितियों में ही आना सम्भव है। मासिक धर्म में देरी किसी महिला में कई कारणों से हो सकती है जैसे महिला का कमजोर होना, स्थान एवं वातावरण की परिस्थितियां, डर, गम्भीर बीमारी इत्यादि इसके कारण हो सकते है। इन महिला चिकित्सकों ने अपने-अपने शपथ पत्रों में यह भी कहा कि प्रेगनेन्सी टेस्ट निगेटिव आने पर तथा तय तिथि पर मासिक धर्म न आने पर हर हाल में जब तक अगला मासिक धर्म न आये तब तक वहीं दवाऐं दी जा सकती हैं जो प्रेगनेन्सी में सुरक्षित है।
- परिवादीगण ने परिवाद के पैरा सं0-7 में यह कथन किऐ हैं कि परिवादिनी सं0-2 ने दिनांक 28/1/2009 तक पेट की सूजन और खून की कमी का अपना इलाज डा0 एम0 मुनाजिर से कराया था। डा0 एम0 मुनाजिर, बी0यू0एम0एस0 है जैसा कि परिवाद के पैरा सं0-2 में उल्लेख है। परिवादीगण की ओर से कहीं भी यह कथन नहीं किया गया है कि डा0 एम0 मुनाजिर महिलाओं के रोग के डाक्टर है। इस सम्भवना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि दिनांक 03/2/2009 को परिवादिनी सं0-2 के अबोर्शन का कारण डा0 एम0 मुनाजिर द्वारा दी गई ऐसी दवाऐं थी जो गर्भावस्था में किसी महिला को दिया जाना सुरक्षित नहीं थीं।
- परिवादीगण ने यधपि अपने साक्ष्य शपथ पत्र में यह कहा है कि दिनांक 10/1/2009 को प्रेगनेन्सी टेस्ट हेतु परिवादिनी सं0-2 का यूरीन विपक्षी सं0-1 की पैथेलाजी पर उपलब्ध कराऐ गऐ पाट में दिया गया था किन्तु उनका यह कथन टेस्ट रिपोर्ट कागज सं0-3/10 से मिथ्या साबित होता है। दिनांक 10/1/2009 की इस टेस्ट रिपोर्ट कागज सं0-3/10 में यह स्पष्ट उल्लेख है कि पेशाब का सैम्पिल टेस्ट कराने वाला साथ लेकर विपक्षी सं0-1 के पैथोलाजी सेन्टर में आया था और सैम्पिल पैथोलाजी सेन्टर में उपलब्ध कराऐ गऐ पाट में नहीं दिया गया था। रिपोर्ट कागज सं0- 3/11 में यह उल्लेख है कि प्रेगनेन्सी टेस्ट हेतु सैम्पिल ताजा होना चाहिए और कंटेनर बिल्कुल साफ होना चाहिए और मरीज हार्मोन्स न ले रहा हो। चॅूंकि दिनांक 10/1/2009 के टेस्ट हेतु सैम्पिल विपक्षी सं0-1 के पैथोलाजी सेन्टर के पाट में नहीं दिया गया था अत: इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि जिस पाट में सैम्पिल लाया गया था वह पूरी तरह साफ न हो अथवा जो सैम्पिल लाया गया का वह फ्रेश न हो। कदाचित उक्त कारणों से बाहर से लाऐ गऐ सैम्पिल में सही परिणाम न आऐं इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
- परिवादीगण ने अपने प्रत्युत्तर शपथ पत्र कागज सं0-29/1 लगायत 29/6 में यधपि डाक्टर मोना अग्रवाल और डाक्टर विमीता अग्रवाल के शपथ पत्रों में उल्लिखित कथनों का प्रतिवाद किया है, किन्तु परिवादीगण कोई ऐसी विशेषज्ञ आख्या अथवा चिकित्सा विज्ञान के सुसंगत अंश प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे जिनके आधार पर डा0 मोना अग्रवाल एवं डा0 विमीता अग्रवाल के शपथ पत्रों में उल्लिखित कथनों और चिकित्सा शास्त्र की पुस्तक ‘’ Williams Obstetrics ‘’ में उल्लिखित तथ्यों को दरकिनार करते हुऐ परिवादीगण के कथनों को सही माना जाऐ।
- जहॉं तक आर0टी0आई0 के माध्यम से कागज सं0-29/6 में उल्लिखित प्रश्नों के सम्बनध में उपलब्ध कराई गई सूचना कागज सं0-29/8 का सम्बन्ध है इस उपलब्ध कराई गई सूचना में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि प्रेगनेनसी टेस्ट हेतु अपनाई गई ‘’ Elisa ‘’ टैक्निक में निश्चित रूप से प्रत्येक महिला का प्रेगनेन्सी टेस्ट उसकी माहबारी के 44 वें दिन पाजिटिव आ ही जाऐगा।
- पत्रावली पर ऐसा कोई अभिलेख नहीं है जिससे प्रकट हो कि प्रेगनेन्सी टेस्ट हेतु परिवादिनी सं0-2 फिजियोलाजीकली चिकित्सा शास्त्र की पुस्तक ‘’ Williams Obstetrics ‘’ में उल्लिखित स्थितियों के अनुरूप दिनांक 10/1/2009 को ‘’ आदर्श स्थिति ’’ में थी।
- पत्रावली पर जो भी साक्ष्य, तथ्य एवं चिकित्सा विज्ञान से सम्बन्धित पुस्तक के सुसंगत अंश उपलब्ध हैं उनके आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि दिनांक 10/1/2009 को विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादिनी सं0-2 की प्रेगनेन्सी रिपोर्ट न तो त्रुटिपूर्ण थी और न ही इसे तैयार करने में उन्होंने किसी प्रकार की चिकित्सीय लापरवाही बरती।
- उपरोक्ता विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवाद में कोई बल नहीं है और यह खारिज होने योग्य है परिवाद खारिज किया जाता है।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 02.12.2015 02.12.2015 02.12.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.12.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
02.12.2015 02.12.2015 02.12.2015 | |